Chittaranjan Das in Hindi: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (Indian Freedom Movement) में चित्तरंजन दास एक ऐसा चर्चित नाम है, जिनके बारे में शायद ही कोई इतिहास की जानकारी रखने वाला न जानता हो। लोग उन्हें सम्मानपूर्वक ‘देशबंधु’ कहते थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी चित्तरंजन दास एक महान स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, वकील, पत्रकार, लेखक व कवि थे।
वहीं, स्वधीनता आंदोलन के दौरान चित्तरंजन दास ने प्रख्यात दार्शनिक, कवि और अंग्रेजी अख़बार वंदे मातरम के संपादक ‘अरबिंदो घोष’ का ‘अलीपुर बम कांड’ के अभियुक्त के रूप में बचाव किया था। इसके साथ ही उन्होंने भारत को ब्रिटिश हुकूमत से मुक्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थीं। यहीं कारण है कि नेताजी ‘सुभाषचंद्र बोस’ उन्हें अपने गुरु मानते थे। क्या आप जानते हैं कि तत्कालीन ब्रिटिश भारत में चित्तरंजन दास कोलकाता के पहले मेयर थे।
आपको बता दें कि राजधानी नई दिल्ली के दक्षिणी हिस्से में ‘चित्तरंजन पार्क’ नाम की एक कॉलोनी है जिसे ‘देशबंधु’ चित्तरंजन दास के नाम पर रखा गया है। वहीं भारत में उनके नाम पर कई स्कूल, कॉलेज और चिकित्सा संस्थान हैं। स्वतंत्रता पूर्व भारतीय डाक विभाग ने उनके सम्मान के एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया था। आइए अब ‘देशबंधु’ चित्तरंजन दास का जीवन परिचय (Chittaranjan Das in Hindi) और स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी अहम भूमिका के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मूल नाम | चित्तरंजन दास (Chittaranjan Das) |
उपनाम | ‘देशबंधु’ |
जन्म | 5 नवंबर, 1870 |
जन्म स्थान | कोलकाता |
पिता का नाम | भुवन मोहन दास |
माता का नाम | निस्तारिणी देवी |
पत्नी का नाम | बसंती देवी |
पेशा | स्वतंत्रता सेनानी, वकील, राजनीतिज्ञ, पत्रकार, लेखक और कवि |
आंदोलन | भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन |
स्थापना | स्वराज पार्टी |
गुरु | नेताजी सुभाषचंद्र बोस |
पुस्तकें | इंडिया फॉर इंडियंस, टू माय कंट्रीमैन, अंतर्यामी, किशोर किशोरी व सागरसंगीत |
मृत्यु | 16 जून 1925, दार्जिलिंग |
This Blog Includes:
कोलकाता में हुआ था जन्म – Chittaranjan Das in Hindi
‘देशबंधु’ चित्तरंजन दास का जन्म 05 नवंबर, 1870 को ब्रिटिश भारत के कलकत्ता (अब कोलकाता) में एक उच्च मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘भुवन मोहन दास’ था, जो कि पेशे से कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक प्रतिष्ठित वकील थे। जबकि उनकी माता ‘निस्तारिणी देवी’ एक गृहणी थीं।
वर्ष 1980 में कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने ‘भारतीय सिविल सेवा’ (ICS) की तैयारी की लेकिन बाद में वकालत की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए। उसके बाद वर्ष 1892 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वे वापस भारत लौट आए और कलकत्ता उच्च न्यायलय में वकालत शुरू कर दी थी।
अरबिंदो घोष का केस लड़ा
चित्तरंजन दास (Chittaranjan Das) ने वर्ष 1908 में ‘अलीपुर बम कांड’ (1908) के अभियुक्त महान क्रांतिकारी और अंग्रेजी अखबार ‘वंदे मातरम’ के संपादक ‘अरबिंदो घोष’ के केस की पैरवी की थी। उस समय उन्हें अंग्रेज सरकार ने विचाराधीन कैदी के रूप में गिरफ्तार कर लिया था। बताया जाता है कि इस केस के लिए उन्होंने कोई फीस नहीं ली थी बल्कि मुकदमे का सारा खर्च स्वयं उठाया था। इस केस से उनकी ख्याति पूरे देश में फैल गई। बता दें कि वे क्रांतिकारियों और राष्ट्रवादियों के मुकदमों का पारिश्रमिक नहीं लेते थे।
असहयोग आंदोलन में लिए भाग
वर्ष 1906 तक चित्तरंजन दास ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ (Indian National Congress) में शामिल हो गए थे। वहीं, वर्ष 1917 में बंगाल की प्रांतीय राजकीय परिषद के अध्यक्ष चुने जाने के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। बताया जाता है कि उनके ही प्रयासों द्वारा भारतीय राष्ट्रवाद की समर्थक ‘एनी बेसेंट’ (Annie Besant) को कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया, जो कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष थीं।
वर्ष 1920 में राष्ट्रपिता ‘महात्मा गांधी’ के नेतृत्व में ब्रिटिश हुकूमत की दमनकारी नीतियों का विरोध करने के लिए ‘असहयोग आंदोलन’ चलाया गया था। उस समय इस आंदोलन में देशभर के छात्रों, सरकारी कर्मचारियों, वकीलों, किसानों समेत महिलाओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया था। इस आंदोलन का उद्देश्य शांतिपूर्वक अपना विरोध दर्ज कराना था। चितरंजन दास ने भी इस आंदोलन को पूर्ण सहयोग दिया और वकालत छोड़कर पूर्णरूप से राजनीति मे शामिल हो गए। उसके बाद उन्होंने कांग्रेस का प्रचार करने के लिए देशभर में भ्रमण भी किया।
यह भी पढ़ें – राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के रचयिता बंकिम चंद्र चटर्जी का जीवन परिचय और रचनाएं
जेल में बने थे कांग्रेस अध्यक्ष
चित्तरंजन दास ने शिक्षा के लिए ढाका में (अब बांग्लादेश की राजधानी) ‘राष्ट्रीय विद्यालय’ की स्थापना की थी। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस के लिए बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों को जुटाया किंतु उन्हें उनकी पत्नी ‘बसंती देवी’ (Basanti Devi) के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। उसके बाद वर्ष 1921 में जेल में रहते हुए उन्हें कांग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन का अध्यक्ष चुना गया। बाद में उन्हें फिर से वर्ष 1922 में कांग्रेस अधिवेशन के लिए अध्यक्ष चुना गया। किंतु इसी वर्ष ‘चौरी चौरा कांड’ (Chauri Chaura Incident) के बाद गांधी जी ने ‘असहयोग आंदोलन’ को स्थगित कर दिया। इसके कारण स्वतंत्रता सेनानियों में निराशा फैल गई और कांग्रेस पार्टी में बिखराव नजर आने लगा।
स्वराज पार्टी की स्थापना
गया कांग्रेस अधिवेशन के बाद चित्तरंजन दास ने ‘मोतीलाल नेहरू’ के साथ मिलकर 1 जनवरी 1923 को ‘स्वराज पार्टी’ (Swaraj Party) की स्थापना की। इस पार्टी का मुख्य उद्देश्य विधान परिषदों में भारतीय जनता द्वारा निर्वाचित होकर अंग्रेज सरकार की दमनकारी नीतियों का विरोध करना था। स्वराज पार्टी के अध्यक्ष चित्तरंजन दास थे जबकि ‘मोतीलाल नेहरू’ महासचिव थे। इस पार्टी को लेजिस्लेटिव असेंबली चुनाव में बड़ी जीत हासिल हुई थी। बाद में वर्ष 1924 के दौरान उन्हें ‘कोलकाता नगर निगम’ का प्रमुख चुना गया था।
पत्रकार और साहित्यकार भी थे चित्तरंजन दास
क्या आप जानते हैं कि चित्तरंजन दास (Chittaranjan Das) स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लंबे समय तक ‘वंदे मातरम’ पत्र से जुड़े हुए थे। इसके साथ ही उन्होंने India for Indians, Antaryami, To My Countrymen और India For Indians: Large Print जैसी पुस्तकें लिखी थी। आपको बता दें कि उन्होंने अरबिंदो घोष के साथ मिलकर अपनी रचना ‘सागरसंगीत’ का ‘सॉन्ग्स ऑफ द सी’ (Songs of the Sea) से अनुवाद किया था। यहाँ उनकी कुछ प्रमुख पुस्तकों की सूची दी गई है, जो कि इस प्रकार है:
- India for Indians
- India For Indians: Original Text
- Antaryami
- Freedom Through Disobedience
- To My Countrymen
- India for Indians: With Foreword By Motilal Ghose
- All You Need to Know About Healthy Eating
- India For Indians: Large Print
- The way to Swaraj speeches of Desabandhu Das
दार्जिलिंग में हुआ निधन
वर्ष 1925 में खराब स्वास्थ्य के कारण चित्तरंजन दास (Chittaranjan Das) का 54 वर्ष की आयु में निधन हो गया था जो कि देश के लिए बहुत बड़ी क्षति थी।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ ‘देशबंधु’ चित्तरंजन दास का जीवन परिचय (Chittaranjan Das in Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
उनका जन्म 05 नवंबर, 1870 को ब्रिटिश भारत के कलकत्ता (अब कोलकाता) में एक उच्च मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था।
लोग उन्हें सम्मानपूर्वक ‘देशबंधु’ कहते थे।
उनका मूल नाम चितरंजन दास था।
वर्ष 1925 में खराब स्वास्थ्य के कारण चित्तरंजन दास का 54 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
चित्तरंजन दास एक महान स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, वकील, पत्रकार, लेखक व कवि थे।
उन्होंने 1 जनवरी 1923 को स्वराज पार्टी की स्थापना की थी।
आशा है कि आपको ‘देशबंधु’ चित्तरंजन दास का जीवन परिचय (Chittaranjan Das in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।