Atal Bihari Vajpayee Ka Jivan Parichay : भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी देश के पूर्व प्रधानमंत्री, उत्कृष्ट सांसद, हिंदी कवि, साहित्यकार, पत्रकार और प्रखर वक्ता थे। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, संसद की विभिन्न महत्वपूर्ण स्थायी समितियों के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में आजादी के बाद भारत की घरेलू और विदेश नीति को आकार देने में एक सक्रिय भूमिका निभाई थी। वे स्वतंत्रता से पूर्व वर्ष 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का भी हिस्सा रहे थे जिसने ब्रिटिश हुकूमत के शासन को अंत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी ने कई महत्वपूर्ण कार्य किए थे। इसमें वर्ष 1998 में पोखरण में पांच भूमिगत ‘परमाणु परीक्षण’ और पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के उद्देश्य से वर्ष 1999 में सदा-ए-सरहद (दिल्ली-लाहौर बस) नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा चलाने का ऐलान किया था। वहीं उनके नेतृत्व में ही ‘करगिल युद्ध’ में भारतीय सेना ने पाक के अवैध कब्जे से अपनी भूमि को छुड़ाया था।
अटल बिहारी वाजपेयी को चार दशकों से अधिक समय तक देश और समाज की सेवा करने के लिए वर्ष 2015 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया था। इसके साथ ही उन्हें वर्ष 1992 में पद्म विभूषण, वर्ष 1994 ‘लोकमान्य तिलक पुरस्कार’ और बांग्लादेश सरकार की तरफ से ‘मुक्तियुद्ध सम्मान’ से सम्मानित किया जा चुका हैं। आपको बता दें कि इस वर्ष 16 अगस्त को अटल बिहारी वाजपेयी की छठवीं पुण्यतिथि (Death Anniversary) मनाई जाएगी।
आइए अब अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी (Atal Bihari Vajpayee Ka Jivan Parichay) और उनके जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में जानते हैं।
नाम | अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) |
जन्म | 25 दिसंबर 1924 |
जन्म स्थान | ग्वालियर, मध्य प्रदेश |
पिता का नाम | कृष्ण बिहारी वाजपेयी |
माता का नाम | कृष्णा देवी वाजपेयी |
दत्तक पुत्री | नमिता भट्टाचार्य |
शिक्षा | बी.ए और एम.ए |
पेशा | राजनीतिज्ञ, कवि, साहित्यकार, पत्रकार |
राजनीतिक पार्टी | भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) |
धारित पद | भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, लोकसभा सांसद, राज्यसभा सांसद, लोक लेखा समिति के अध्यक्ष, पूर्व विदेश मंत्री, लोक सभा में नेता प्रतिपक्ष आदि। |
पुरस्कार एवं सम्मान | ‘भारत रत्न’, ‘पद्म विभूषण’, ‘पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार’, ‘लोकमान्य तिलक पुरस्कार’ और बांग्लादेश सरकार का ‘मुक्तियुद्ध सम्मान’ |
निधन | 16 अगस्त, 2018 दिल्ली (एम्स) |
This Blog Includes:
- मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था जन्म – Atal Bihari Vajpayee Ka Jivan Parichay
- भारत छोड़ो आंदोलन में लिया भाग
- भारतीय जनसंघ पार्टी की स्थापना
- नौ बार रहे लोकसभा के सदस्य
- तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने
- संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में दिया था भाषण
- हिंदी कवि के रूप में भी जाने गए
- अटल बिहारी वाजपेयी की पुस्तकें – Atal Bihari Vajpayee Ki Book
- भारत रत्न से किया गया सम्मानित
- अटल बिहारी वाजपेयी का निधन
- अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रिय कविताएँ
- पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
- FAQs
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था जन्म – Atal Bihari Vajpayee Ka Jivan Parichay
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘कृष्ण बिहारी वाजपेयी’ जबकि माता का नाम ‘कृष्णा देवी वाजपेयी’ था। अटल जी की प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर के गोरखी स्थित सरस्वती शिशु मंदिर से हुई थी। इसके बाद ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (वर्तमान लक्ष्मीबाई कॉलेज) से हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत विषयों के साथ उन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद अटल जी कानपुर आ गए थे और डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की थी।
भारत छोड़ो आंदोलन में लिया भाग
बताया जाता है कि उच्च शिक्षा के दौरान ही अटल बिहारी वाजपेयी ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) से जुड़ गए थे। इसके साथ ही उन्होंने हिंदी मासिक ‘राष्ट्रधर्म’, साप्ताहिक ‘पांचजन्य’ और दैनिक ‘स्वदेश’ के लिए कार्य किया था। ये वो समय था जब संपूर्ण भारत में स्वराज के लिए राष्ट्रीय आंदोलन हो रहे थे। प्रत्येक युवा की भांति वे भी स्वतंत्रता संग्राम में शमिल हो गए और वर्ष 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान जेल भी गए।
भारतीय जनसंघ पार्टी की स्थापना
वर्ष 1951 में ‘भारतीय जनसंघ’ में शामिल होने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने पत्रकारिता छोड़ दी। फिर उन्होंने ‘डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी’ और ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय’ के साथ मिलकर नवगठित पार्टी के लिए कार्य किया। इसके बाद वह वर्ष 1957 में मात्र 33 वर्ष की आयु में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। आपको बता दें कि वर्तमान ‘भारतीय जनता पार्टी’ (बीजेपी) को पहले भारती जनसंघ के नाम से जाना जाता था जो वर्तमान में ‘राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन’ (National Democratic Alliance) का अभिन्न अंग है। वर्ष 1980 में अटल जी ने अपने सहयोगी और मित्र ‘लाल कृष्ण आडवाणी’ के साथ ‘भारतीय जनता पार्टी’ का गठन किया था।
नौ बार रहे लोकसभा के सदस्य
अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) अपने राजनीतिक जीवन में नौ बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के सदस्य के रूप में सांसद चुने गए थे। क्या आप जानते हैं कि उन्हें उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात और मध्य प्रदेश से चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचने का गौरव हासिल है।
तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने
अटल बिहारी वाजपेयी वर्ष 1996 से 2004 के बीच भारत के तीन बार प्रधानमंत्री बने। आपको बता दें कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री ‘पंडित जवाहर लाल नेहरू’ के बाद अटल बिहारी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो लगातार दो बार प्रधानमंत्री बने। वहीं उनके कार्यकाल में राष्ट्रीय राजमार्ग विकास योजना– स्वर्णिम चतुर्भुज का शुभारंभ, गरीब परिवारों को रियायती भोजन प्रदान करने के लिए वर्ष 2000 में शुरू की गई अंत्योदय अन्न योजना, देश के साक्षरता के प्रसार के लिए वर्ष 2000-2001 से लागू सर्व शिक्षा अभियान और पड़ोसी देश पाकिस्तान से साथ शांतिपूर्ण संबंध बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई ‘दिल्ली-लाहौर बस सेवा’ कुछ महत्वपूर्ण कदमों में से एक हैं। इसके साथ ही वर्ष 1998 में उन्हें नेतृत्व में हुए ‘पोखरण परीक्षण’ ने देश की सुरक्षा को बढ़ाने का काम किया।
वहीं, भारत के विकास में प्रवासी भारतीय को शामिल करना उनके द्वारा उठाया गया एक और सराहनीय कदम था। उनकी इस पहल के कारण ही देश में हर वर्ष 9 जनवरी को ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ (Pravasi Bharatiya Divas) मनाया जाता है और ‘प्रवासी भारतीय सम्मान’ (Pravasi Bharatiya Samman) प्रदान किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में दिया था भाषण
अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी अनुपम वाक्पटुता करिश्माई व्यक्तित्व के लिए जाना जाता था। क्या आप जानते हैं कि वह पहले ऐसे भारतीय प्रधानमंत्री थे जिन्होंने ‘संयुक्त राष्ट्र’ (United Nations) में वर्ष 1977 में हिंदी में भाषण दिया था।
हिंदी कवि के रूप में भी जाने गए
एक कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी कवि और लेखक भी थे। उनके लिखी कविताओं में ‘गीत नया गाता हूँ’, ‘आओ फिर से दिया जलाएँ’, ‘क़दम मिला कर चलना होगा’, ‘दूर कहीं कोई रोता है’, ‘रोते-रोते रात सो गई’ और ‘सपना टूट गया’ प्रमुख हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी की पुस्तकें – Atal Bihari Vajpayee Ki Book
अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने संपूर्ण जीवन में कई पुस्तकें और महत्वपूर्ण लेख लिखे। यहाँ उनकी पुस्तकों के बारे में नीचे दिए गए बिंदुओं में बताया गया हैं-
- मेरी संसदीय यात्रा- (चार भाग में)
- मेरी इक्यावन कविताएं
- संकल्प काल
- शक्ति से शांति
- फोर डीकेड्स इन पार्लियामेंट 1957-95 (स्पीचेज इन थ्री वॉल्यूम)
- मृत्यु या हत्याध
- अमर बलिदान
- कैदी कविराज की कुंडलियां (इमरजेंसी के दौरान जेल में लिखी गई कविताओं का संकलन)
- न्यू डाइमेंसंस ऑफ इंडियाज फॉरेन पॉलिसी
भारत रत्न से किया गया सम्मानित
अटल बिहारी वाजपेयी को संसदीय और राजनीतिक जीवन में अपने अतुलनीय योगदान और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए कई पुरस्कारों व सम्मान से नवाजा जा चुका हैं, जो कि इस प्रकार हैं –
- पद्म विभूषण – वर्ष 1992
- वर्ष 1993 में कानपुर विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट की उपाधि से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 1994 में पंडित गोविंद बल्ल्भ पंत उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार प्रदान किया गया।
- लोकमान्य तिलक पुरस्कार – वर्ष 1994
- भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2015 में बांग्लादेश सरकार द्वारा ‘मुक्तियुद्ध सम्मान’ प्रदान किया गया।
अटल बिहारी वाजपेयी का निधन
अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के कारण दिल्ली के ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान’-एम्स में 16 अगस्त 2018 को 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया। किंतु उनके कार्यों और लोकप्रिय कविताओं के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रिय कविताएँ
यहाँ अटल बिहारी वाजपेयी की कुछ लोकप्रिय कविताओं के बारे में बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:
गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए तारों से फूटे वासंती स्वर पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर झरे सब पीले पात, कोयल की कुहुक रात प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूँ गीत नया गाता हूँ टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी अंतर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ गीत नया गाता हूँ - अटल बिहारी वाजपेयी
सपना टूट गया
हाथों की हल्दी है पीली पैरों की मेहँदी कुछ गीली पलक झपकने से पहले ही सपना टूट गया दीप बुझाया रची दीवाली लेकिन कटी न मावस काली व्यर्थ हुआ आवाहन स्वर्ण सबेरा रूठ गया सपना टूट गया नियति नटी की लीला न्यारी सब कुछ स्वाहा की तैयारी अभी चला दो कदम कारवाँ साथी छूट गया सपना टूट गया - अटल बिहारी वाजपेयी
राह कौन-सी जाऊँ मैं?
चौराहे पर लुटता चीर, प्यादे से पिट गया वज़ीर, चलूँ आख़िरी चाल कि बाज़ी छोड़ विरक्ति रचाऊँ मैं? राह कौन-सी जाऊँ मैं? सपना जन्मा और मर गया, मधु ऋतु में ही बाग़ झर गया, तिनके टूटे हुए बटोरूँ या नवसृष्टि सजाऊँ मैं? राह कौन-सी जाऊँ मैं? दो दिन मिले उधार में घाटों के व्यापार में क्षण-क्षण का हिसाब लूँ या निधि शेष लुटाऊँ मैं? राह कौन-सी जाऊँ मैं? - अटल बिहारी वाजपेयी
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी (Atal Bihari Vajpayee Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ था।
उनकी माता का नाम कृष्णा देवी वाजपेयी जबकि पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी था।
अटल बिहारी वाजपेयी वर्ष 1996 में बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे।
अटल बिहारी वाजपेयी भारत में गठबंधन की सरकार के पहले प्रधानमंत्री थे।
अटल बिहारी वाजपेयी ‘भारतीय जनता पार्टी’ से थे।
अटल बिहारी वाजपेयी वर्ष 1996 से 2004 तक भारत के तीन बार प्रधानमंत्री बने थे।
उनकी दत्तक पुत्री का नाम नमिता भट्टाचार्य है।
93 वर्ष की आयु में 16 अगस्त 2018 को दिल्ली एम्स में उनका निधन हो गया था।
आशा है कि आपको भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी (Atal Bihari Vajpayee Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।