शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जीवन परिचय 

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भगत सिंह

शहीद-ए-आजम भगत सिंह को भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के सबसे प्रभावशाली युवा क्रांतिकारियों में से एक माना जाता है। उन्होंने मात्र 23 वर्ष की अल्प आयु में ही अपने साथियों के साथ देश के लिए प्राण न्यौछावर कर दिए थे। जिसके कारण वह आजादी की लड़ाई के समय सभी नौजवानों के लिए यूथ आइकॉन बन गए थे। इस वर्ष 27 सितंबर, 2024 को शहीद भगत सिंह की 117वीं जयंती मनाई जाएगी। आइए अब जानते हैं महान क्रांतिकारी भगत सिंह का जीवन परिचय (Bhagat Singh Ka Jivan Parichay) और स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी अहम भूमिका की सभी जानकारी। 

नाम भगत सिंह (Bhagat Singh)
जन्म27 सितंबर, 1907
जन्म स्थानलायलपुर जिला (वर्तमान पाकिस्तान)
पिता का नाम किशन सिंह संधू  
माता का नाम विद्यावती कौर
भाई – बहनरणवीर, कुलतार, राजिंदर, कुलबीर, जगत, प्रकाश कौर, अमर कौर
भगत सिंह की रचना मैं नास्तिक क्यों हूँ? (Why I Am an Atheist)
मृत्यु 23 मार्च 1931 लाहौर सेंट्रल जेल, पाकिस्तान

भगत सिंह का जन्म एवं आरंभिक जीवन – Bhagat Singh Ka Jivan Parichay

भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर, 1907 को लायलपुर ज़िले के बंगा (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। उनका पैतृक गांव खट्कड़ कलां है जो पंजाब,भारत में है। इनके जन्म के समय उनके पिता ‘किशन सिंह संधू’ और घर के कुछ सदस्य जेल में थे। उन्हें वर्ष 1906 में ब्रिटिश सरकार द्वारा जबरन लागू किये हुए औपनिवेशीकरण विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन करने के इल्जाम में जेल में डाल दिया गया था। उनकी माता का नाम ‘विद्यावती कौर’ था। 

भगत सिंह ने अपनी 5वीं कक्षा तक की पढाई गांव में की और उसके बाद उनके पिता किशन सिंह ने ‘दयानंद एंग्लो वैदिक हाई स्कूल’, लाहौर में उनका दाखिला करवाया। बहुत ही छोटी उम्र में भगत सिंह, महात्मा गांधी जी केअसहयोग आंदोलन’ से जुड़ गए थे। लेकिन वह करतार सिंह सराभा और लाला लाजपत राय से अत्याधिक प्रभावित थे। 

जलियांवाला बाग हत्याकांड

उस समय भगत सिंह करीब बारह वर्ष के थे जब वर्ष 1919 में ‘जलियांवाला बाग हत्याकांड‘ हुआ था। इस हत्याकांड ने इनके बाल मन पर बहुत गहरा प्रभाव डाला। तब भगत सिंह ने लाहौर के नेशनल कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर 1920 में महात्मा गाँधी’ द्वारा चलाए जा रहे अहिंसा आंदोलन में भाग लिया। जिसमें गाँधी जी सभी विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर रहे थे। 

लेकिन जब वर्ष 1921 में चौरी चौरामें हुई हिंसात्मक गतिविधि के कारण गाँधी जी ने ‘असहयोग आंदोलन’ बंद किया और किसानों का साथ नहीं दिया, तब इस बात का इन पर बहुत गहरा असर पड़ा और इस घटना के बाद वे चंद्रशेखर आजाद’ के नेतृत्व वाले ग़दर दल का हिस्सा बन गए। 

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काकोरी कांड 

इसके बाद भगत सिंह ने चंद्रशेखर आजाद और अन्य क्रांतिकारी सदस्यों के साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पन्नों में दर्ज वह दिन जब 9 अगस्त 1925 को शाहजहाँपुर से लखनऊ के लिए चली पैसेंजर ट्रेन जिसे रास्ते में पड़ने वाले छोटे से स्टेशन काकोरी में रोककर ब्रिटिश सरकार का सारा खजाना लूट लिया गया। यह घटना इतिहास में “काकोरी कांड” नाम से बहुत प्रसिद्ध है। 

लाला लाजपत राय की मृत्यु 

30 अक्टूबर 1928 को ब्रिटिश सरकार द्वारा जबरन साइमन कमीशन को लागू करने पर जब लोगों द्वारा इसका विरोध किया गया। तबलाला लाजपत राय’ ने “साइमन वापस जाओ” का नारा देते हुए इसका विरोध किया था। लेकिन इस विरोध के चलते वहाँ ब्रिटिश सरकार द्वारा लाठी चार्ज कर दिया गया जिसमें लाला जी बुरी तरह घायल हुए और फिर उनकी मृत्यु हो गई। 

असेंबली में बम फेंकना

लाला जी की मृत्यु से आघात भगत सिंह व उनकी पार्टी ने ब्रिटिश सरकार से प्रतिशोध लेने की ठानी, और लाला जी की मृत्यु के लिए ज़िम्मेदार ऑफिसर जेपी सांडर्स को मारने का प्लान बनाया। लेकिन भूलवश भगत सिंह और ‘राजगुरु ने असिस्टेंट पुलिस सौन्देर्स को मार दिया। अपने आप को बचाने के लिए भगत सिंह तुरंत लाहौर से भाग निकले, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने उनको ढूढ़ने के लिए चारों तरफ जाल बिछा दिया।  

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भगत सिंह और उनके दोनों साथियों को फाँसी 

भगत सिंह,चंद्रशेखर आजाद’, ‘राजगुरु’ और ‘सुखदेव’ ने अब ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कुछ बड़ा धमाका करने की सोची। तब वर्ष 1929 को भगत सिंह ने अपने साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर अलीपुर रोड स्तिथ ब्रिटिश सरकार की असेंबली हॉल में बम फेंक दिया। इसके साथ ही उन्होंने इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाये और पर्चे बाटें लेकिन वह कही भागे नहीं बल्कि खुद ही गिरफ्तार हो गए। 

इसके बाद भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव पर मुकदमा चलाया गया, जिसके बाद उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। जेल में रहते हुए भी भगत सिंह ने कैदियों पर हो रहे जुल्मों के खिलाफ बहुत से आंदोलन किए। इसके साथ ही उन्होंने जेल में ही अपनी किताब ‘मैं नास्तिक क्यों हूँ’ (Why I Am an Atheist) लिखी थी। इसके कुछ समय बाद ही ‘भगत सिंह’, ‘शिवराम राजगुरुऔर ‘सुखदेव को 23 व 24 की मध्यरात्रि में ही फांसी दे दी और जनसमूह के विरोध प्रदर्शन के डर से ब्रिटिश सरकार ने सभी का अंतिम संस्कार भी कर दिया।

Bhagat Singh Ka Jivan Parichay
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शहीद भगत सिंह और उनके साथियों के बलिदान को आज भी याद किया जाता है। हर साल उनकी मुत्यु तिथि को ‘शहीद दिवस’ के रूप में मनाया जाता है और इस दिन उन्हें देश के सभी जनों द्वारा श्रद्धांजलि दी जाती है। 

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जानें भगत सिंह के क्रांतिकारी विचार

यहाँ भगत सिंह का जीवन परिचय (Bhagat Singh Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनके कुछ क्रांतिकारी विचारों को भी बताया जा रहा है। जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-

  • “व्यक्तियों को कुचल कर, वे विचारों को नहीं मार सकते।” – शहीद भगत सिंह 
  • “मैं एक मानव हूं और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है, उससे मुझे मतलब है।” – शहीद भगत सिंह 
  • “मेरा धर्म सिर्फ देश की सेवा करना है।” – शहीद भगत सिंह 
  • “महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।” – शहीद भगत सिंह 
Bhagat Singh Ka Jivan Parichay
  • “कानून की पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है जब तक वो लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति करे।” – शहीद भगत सिंह 
  • “बहरों को सुनाने के लिए धमाके की जरूरत।” – शहीद भगत सिंह 
  • “जो भी विकास के लिए खड़ा है, उसे हर चीज की आलोचना करनी होगी, उसमें अविश्वास करना होगा और उसे चुनौती देना होगा।” – शहीद भगत सिंह 
  • “राख का हर कण मेरी गर्मी से गतिमान है। मैं एक ऐसा पागल हूं, जो जेल में भी आजाद है।” – शहीद भगत सिंह

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जीवन परिचय (Bhagat Singh Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 
अमर गोस्वामीशमशेर बहादुर सिंहरस्किन बॉन्ड 
राजेंद्र यादव गोपालराम गहमरी राजी सेठ
गजानन माधव मुक्तिबोधसेवा राम यात्री ममता कालिया 
शरद जोशीकमला दासमृणाल पांडे
विद्यापति पदुमलाल पुन्नालाल बख्शीश्रीकांत वर्मा 
यतींद्र मिश्ररामविलास शर्मामास्ति वेंकटेश अय्यंगार
शैलेश मटियानीरहीमस्वयं प्रकाश 

FAQs

भगत सिंह का जन्म कहां हुआ था?

भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर, 1907 को लायलपुर ज़िले के बंगा (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था।

भगत सिंह के माता-पिता का क्या नाम था?

उनकी माता का नाम ‘विद्यावती कौर’ जबकि पिता का नाम ‘किशन सिंह संधू’ था।

भगत सिंह ने किस संगठन की स्थापना की थी?

भगत सिंह ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान मार्च 1926 को ‘नौजवान भारत सभा’ (Naujawan Bharat Sabha) की स्थापना की थी।

भगत सिंह ने किस पुस्तक की रचना की थी?

मैं नास्तिक क्यों हूँ? (Why I Am an Atheist) पुस्तक का प्रकाशन 27 सितंबर 1931 को किया गया था।

भगत सिंह की मृत्यु कब हुई थी?

भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव को लाहौर सेंट्रल जेल, पाकिस्तान में 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी।

आशा है कि आपको शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जीवन परिचय (Bhagat Singh Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचयको पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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