महान पाश्चात्य दार्शनिक सुकरात का जीवन परिचय और विचार 

1 minute read
सुकरात का जीवन परिचय

सुकरात एथेंस के एक प्राचीन यूनानी दार्शनिक थे, जिन्हें पाश्चात्य दर्शन का संस्थापक और प्रथम नैतिक दार्शनिकों में से एक माना जाता है। उन्हें यूनान के महान दार्शनिक प्लेटो के गुरु होने का गौरव प्राप्त था। सुकरात ने अपना संपूर्ण जीवन एथेंस में नीतिशास्त्र, धर्म और राजनीति से संबंधित दार्शनिक वाद-विवादों में बिताया। यद्यपि उन्होंने कोई ग्रंथ नहीं लिखा, फिर भी वे अपनी बुद्धिमत्ता और विचारशीलता के कारण प्रसिद्ध हुए। इस लेख में आप पाश्चात्य दार्शनिक सुकरात का जीवन परिचय और उनके श्रेष्ठ विचारों के बारे में जानेंगे।

नाम सुकरात
जन्म 469 ई.पू. 
जन्म स्थान एथेंस 
पिता का नाम सोफ्रोनिस्कस
माता का नाम फेनारेटे
भाई का नाम पैट्रोकल्स
पत्नी का नाम क्सान्थिप्पे,मिर्तो  
संतान लैम्प्रोकल्स, मेनेक्सेनस, सोफ्रोनिस्कस
क्षेत्रपाश्चात्य दर्शन
मुख्य विचारज्ञानमीमांसा, नीतिशास्त्र, उद्देश्यवाद
मृत्यु 399 ई.पू. 

सुकरात का व्यक्तित्व, दर्शन और शिक्षाएं

महान यूनानी दार्शनिक सुकरात का जन्म एथेंस में 469 ई.पू. हुआ था। इनके पिता का नाम ‘सोफ्रोनिस्कस’ (Sophroniscus) था, जो पेशे से मूर्तिकार थे, जबकि माता ‘फेनारेटे’ (Phaenarete) एक दाई थीं। सुकरात ने अपनी वयस्कावस्था एथेंस में नीतिशास्त्र, धर्म और राजनीति से संबंधित खुले दार्शनिक वाद-विवादों में बिताई। उन्होंने जीवन के विभिन्न प्रसंगों से जुड़े प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने के लिए होमर, हेसियड जैसे महान कवियों के विचारों को अनिवार्य मानने की बजाय व्यक्तिगत खोज और तर्कपूर्ण बहस पर अधिक बल दिया था। 

सुकरात ने सीधे-सादे सरल शब्दों पर भी प्रश्न उठाए थे, जिन्हें हम यूँ ही स्वीकार कर लेते हैं, जैसे साहस, अच्छाई, न्याय और प्रेम। वह ऐसे शब्दों की झूठी धारणाओं को समाप्त करके उन्हें नए सिरे से एक नवीन और अधिक स्पष्ट परिभाषा देना चाहते थे। उन्होंने इस पद्धति को डायलेक्टिक (Dialectic) का नाम दिया था, जिसका यूनानी भाषा में अर्थ है ‘गहन तार्किक संवाद’। उनके अनुसार किसी भी दर्शन का सार इसी तार्किक संवाद में है। 

क्या आप जानते हैं कि सुकरात ने अपने जीवनकाल में कोई ग्रंथ नहीं लिखा था। हालांकि उनके प्रसिद्ध शिष्य प्लेटो ने उनके विचारों को लिखने का कार्य किया था और उनके लिखे हुए ये विचार और वार्तालाप कालांतर में विश्व साहित्य की अमूल्य कृति बन गईं। जिनका अध्ययन कई हजार वर्षों से विश्व के अनेक लोगों द्वारा किया गया और किया जा रहा है।   

जब पीना पड़ा विष का प्याला 

सुकरात का मानना था कि उन्हें प्रत्येक बुद्धिमान कहे जाने वाले व्यक्ति या दूसरे शब्दों में ज्ञान से स्थापित प्राधिकरणों एवं परंपराओं की विवेचना से ज्ञान प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त था। विद्वान व्यक्तियों की विवेचना के द्वारा ज्ञान प्राप्ति के इस अनुपम कार्य ने उन्हें संकट में डाल दिया। वहीं इस ज्ञान की खोज ने उन्हें परम ईश्वर को मानने के लिए प्रेरित किया, जो तत्कालीन ईश्वर की यूनानी अवधारणा से मेल नहीं खाता था। उनके इस कार्य से कुछ विद्वानों और सत्ताधारियो को अपनी अस्मिता खतरे में दिखने लगी। इसका परिणाम यह हुआ कि उन्हें न्यायालय के समक्ष कुछ अभियोगों के लिए मुकदमें का सामना करना पड़ा और कैदखाने जाना पड़ा। 

सुकरात पर राष्ट्रीय देवों की अस्वीकृति, नए देवों की स्थापना का प्रयास और युवाओं को पथभ्रष्ट करने का आरोप लगा। यद्यपि, उन्होंने इन सभी अभियोगों पर अपना पक्ष रखा किंतु उसे नकार दिया गया। उन्हें ‘हेमलॉक’ नाम के विष के द्वारा मृत्युदंड दिया गया था। वह लगभग 70 वर्ष तक एथेंस के सांस्कृतिक जीवन का हिस्सा बनकर रहें थे। उनकी मृत्यु 399 ई.पू. में हुई थी। 

सुकरात का व्यक्तिगत जीवन

बताया जाता है कि सुकरात के दो विवाह हुए थे, उनकी पत्नी का नाम ‘क्सान्थिप्पे’ (Xanthippe) व ‘मिर्तो’ (Myrto) था। सुकरात की तीन संतान हुई लैम्प्रोकल्स, मेनेक्सेनस और सोफ्रोनिस्कस। 

सुकरात के विचार

यहाँ महान दार्शनिक सुकरात के कुछ अनमोल विचार दिए गए हैं:-

  • मैं सभी जीवित लोगों में सबसे बुद्धिमान हूं, क्योंकि मैं ये जानता हूं कि मैं कुछ नहीं जानता हूं। 
  • सबसे अमीर वही है जो थोड़े में संतुष्ट है। संतुष्टि प्रकृति की दौलत है। असंतुष्ट व्यक्ति हमेशा दुखी और गरीब ही रहता है, क्योंकि उसकी इच्छाएं कभी समाप्त नहीं होती हैं। 
  • सर्वाधिक ख्याति वाले लोगों का ज्ञान सबसे थोड़ा होता है। 
  • झूठ बोलने से सिर्फ हम खुद ही बुरे नहीं बन जाते बल्कि इससे हमारी आत्मा भी बुरी बन जाती है। 
  • हमें हर एक व्यक्ति के लिए दयालु रहना चाहिए, क्योंकि सभी लोग अपने-अपने जीवन में कठिन लड़ाई लड़ रहे हैं। 
  • इस दुनिया में एक ही चीज सबसे अच्छी है, वह है ज्ञान, और एक ही चीज सबसे बुरी है, वह है अज्ञान।  

FAQs 

सुकरात का जन्म कहां हुआ था?

सुकरात का जन्म एथेंस में 469 ई.पू. में हुआ था। 

सुकरात के शिष्य कौन थे?

प्लेटो महान दार्शनिक सुकरात के शिष्य थे। 

सुकरात को कौन सा जहर दिया गया था?

सुकरात को ‘हेमलॉक’ नाम के विष के द्वारा मृत्युदंड दिया गया था।

आशा है कि आपको महान पाश्चात्य दार्शनिक सुकरात का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*