Ishwar Chandra Vidyasagar: प्रसिद्ध विद्वान और समाज सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर का जीवन परिचय 

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Ishwar Chandra Vidyasagar biography in HIndi

Ishwar Chandra Vidyasagar: ईश्वर चंद्र विद्यासागर भारत के महान समाज सुधारक, शिक्षाविद और दार्शनिक थे। उन्होंने विधवा-पुनर्विवाह एवं स्त्री शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया था। वहीं उनके ही प्रयासों द्वारा तमाम विरोधों के बाद ब्रिटिश सरकार को विधवा पुनर्विवाह अधिनियम-1856 पारित करना पड़ा था। इसके साथ ही उन्होंने स्कूली शिक्षा और संस्कृत कॉलेज में आधुनिक पश्चिमी विचारों का अध्ययन आरंभ कराया था। कोलकाता में ‘मेट्रोपॉलिटन कॉलेज’ (वर्तमान विद्यासागर मेट्रोपॉलिटन कॉलेज) की स्थापना भी उनके द्वारा की गई थी।

ईश्वर चंद्र विद्यासागर गरीबों तथा शोषितों के संरक्षक माने जाते थे। क्या आप जानते हैं कि उन्हें बंगाल में पुनर्जागरण के स्तंभों में से एक माना जाता है। बंगला के महान कवि और नाटककार ‘माइकल मधुसूदन दत्त’ ने उन्हें ‘करुणा सिंधु’ की उपाधि से सम्मानित किया था। बता दें कि हर साल जनवरी माह में उनके सम्मान में कोलकाता में ‘विद्यासागर मेला’ लगता है। वहीं उनके बारे में कमोबेश भारत के सभी शिक्षा बोर्डों की किताबों में पढ़ाया भी जाता है। 

आइए अब हम प्रसिद्ध विद्वान और समाज सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर का जीवन परिचय (Ishwar Chandra Vidyasagar Biography in Hindi) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

मूल नाम ईश्वर चंद्र बंद्योपाध्याय
उपनाम ईश्वर चंद्र विद्यासागर (Ishwar Chandra Vidyasagar)
जन्म 26 सितंबर, 1820
जन्म स्थान पश्चिम मेदिनीपुर जिला, पश्चिम बंगाल 
शिक्षा संस्कृत कॉलेज एंड यूनिवर्सिटी, फोर्ट विलियम कॉलेज 
पिता का नाम ठाकुरदास बंद्योपाध्याय
माता का नाम भगवती देवी 
पत्नी का नाम दिनमयी देवी 
संतान नारायण चंद्र बंद्योपाध्याय
पेशा शिक्षाविद, दार्शनिक, समाज सुधारक 
निधन 29 जुलाई, 1891 कोलकाता 

पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले में हुआ था जन्म – Ishwar Chandra Vidyasagar Biography in Hindi

महान शिक्षाविद और समाज सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर का जन्म 26 सितंबर, 1820 को पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले में बीरसिंघा नामक गांव में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनका मूल नाम ‘ईश्वर चंद्र बंद्योपाध्याय’ था लेकिन संस्कृत और दर्शनशास्त्र का गूढ़ ज्ञान होने के कारण उन्हें संस्कृत कॉलेज ने ‘विद्यासागर’ की उपाधि प्रदान की थी। इसके बाद उनका नाम ‘ईश्वर चंद्र विद्यासागर’ (Ishwar Chandra Vidyasagar) हो गया था। उनके पिता का नाम ‘ठाकुरदास बंदोपाध्याय’ था जबकि माता का नाम ‘भगवती देवी’ था।

मेधावी छात्र थे ईश्वर चंद्र विद्यासागर 

ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव में ही हुई थी। बताया जाता है कि उनके पिता छ वर्ष की आयु में उन्हें कोलकाता ले आए थे। वे एक मेधावी और लगनशील छात्र थे इसलिए उनके उत्कृष्ट शैक्षिक प्रदर्शन के कारण उन्हें कई छात्रवृत्तियाँ मिली। वहीं पर्याप्त संसाधनों के आभाव में वर्ष 1839 में उन्होंने सफलतापूर्वक अपनी क़ानून की पढ़ाई पूरी की। 

फोर्ट विलियम कॉलेज में अध्यापन कार्य

ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने शिक्षा के उपरांत आजीविका चलाने हेतु मात्र 21 वर्ष की आयु में संस्कृत के शिक्षक के तौर पर ‘फोर्ट विलियम कॉलेज’ (Fort William College) में पढ़ाना आरंभ किया। फिर कुछ वर्ष के बाद उन्होंने फोर्ट विलियम कॉलेज छोड़ दिया और संस्कृत कॉलेज में बतौर संस्कृत के आचार्य नियुक्त हुए। विद्वानों द्वारा माना जाता हैं कि उनके कार्यकाल के दौरान कॉलेज में कई स्तर पर काफी सुधार हुए थे। 

विधवा पुनर्विवाह अधिनियम और समाज सुधार के कार्य 

क्या आप जानते हैं कि ईश्वर चंद्र विद्यासागर को आधुनिक बंगाली भाषा का प्रवर्तक माना जाता है। वहीं उनका सबसे बड़ा योगदान बालिका शिक्षा और विधवा पुनर्विवाह के लिए था। उन्होंने विधवाओं के पुनर्विवाह के लिए खूब आवाज उठाई थी। वे विधवा पुनर्विवाह के प्रबल समर्थकों में से एक थे। उनका मानना था कि जब तक भारत की महिलाएं इन प्रथाओं से मुक्त नहीं होंगी तब तक समाज का कल्याण नहीं हो सकता। वहीं रूढ़ीवादी हिंदू समाज के विरोध के बावजूद उनके प्रयासों द्वारा तत्कालीन ब्रिटिश सरकार को ‘विधवा पुनर्विवाह अधिनियम-1856’ लागू करना पड़ा।  

इसके साथ ही उन्होंने स्थानीय भाषा और बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कोलकाता में ‘मेट्रोपॉलिटन कॉलेज’ की स्थापना की। इसे अब ‘विद्यासागर मेट्रोपॉलिटन कॉलेज’ (Vidyasagar Metropolitan College) के नाम से जाना जाता है। वर्ष 1855 में जब उन्हें स्कूल-निरीक्षक नियुक्त किया गया तब उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले जिलों में बालिकाओं के लिए स्कूलों का पुनरुद्धार करने सहित अनेक नए स्कूलों की स्थापना की। इसके अलावा वे कई समाचार-पत्रों व पत्रिकाओं के साथ भी जुड़े रहे। जहाँ उन्होंने सामाजिक सुधारों की वकालत करने वाले कई महत्वपूर्ण लेख लिखे।

कोलकाता में हुआ निधन 

ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने दशकों तक शिक्षा के पुनरुत्थान और सामाजिक सुधार के लिए कार्य किया। किंतु 70 वर्ष की आयु में उनका 29 जुलाई, 1891 को कोलकाता में निधन हो गया। उनके सम्मान में हर वर्ष कोलकाता में जनवरी माह में विद्यासागर मेला आयोजित किया जाता है। वहीं इस वर्ष 29 जुलाई को उनकी 133वीं पुण्यतिथि मनाई जाएगी। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ प्रसिद्ध विद्वान और समाज सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर का जीवन परिचय (Ishwar Chandra Vidyasagar Biography in Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 
अमर गोस्वामीशमशेर बहादुर सिंहरस्किन बॉन्ड 
राजेंद्र यादव गोपालराम गहमरी राजी सेठ
गजानन माधव मुक्तिबोधसेवा राम यात्री ममता कालिया 
शरद जोशीकमला दासमृणाल पांडे
विद्यापति पदुमलाल पुन्नालाल बख्शीश्रीकांत वर्मा 
यतींद्र मिश्ररामविलास शर्मामास्ति वेंकटेश अय्यंगार
शैलेश मटियानीरहीमस्वयं प्रकाश 

FAQs 

ईश्वर चंद्र विद्यासागर का जन्म कब हुआ था?

उन का जन्म 26 सितंबर, 1820 को पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले में बीरसिंघा नामक गांव में हुआ था।

ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने किस संस्था का निर्माण किया था?

उन्होंने कोलकाता में ‘मेट्रोपॉलिटन कॉलेज’ की स्थापना की थी।

ईश्वर चंद्र विद्यासागर का योगदान किस क्षेत्र में सर्वाधिक रहा?

उनका महिला शिक्षा और विधवा पुनर्विवाह के क्षेत्र में योगदान सर्वाधिक रहा। 

ईश्वर चंद्र विद्यासागर के बचपन का नाम क्या था?

उनका मूल नाम ईश्वर चंद्र बंद्योपाध्यय था। 

ईश्वर चंद्र विद्यासागर की मृत्यु कब हुई थी?

29 जुलाई, 1891 को कोलकाता में उनका निधन हो गया था। 

ईश्वर चंद्र विद्यासागर कितने वर्ष जीवित रहे?

वह 70 वर्ष की आयु तक जीवित रहे। 

ईश्वर चंद्र को विद्यासागर की उपाधि क्यों दी गई?

संस्कृत भाषा और दर्शनशास्त्र में गूढ़ ज्ञान होने के कारण उन्हें ‘विद्यासागर’ की उपाधि प्रदान की गई थी।

आशा है कि आपको प्रसिद्ध विद्वान और समाज सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर का जीवन परिचय (Ishwar Chandra Vidyasagar Biography in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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