अष्टछाप के कवि चतुर्भुजदास का जीवन परिचय, रचनाएँ और भाषा शैली 

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चतुर्भुजदास का जीवन परिचय

Chaturbhuj Das Ka Jivan Parichay: चतुर्भुजदास, पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय के अष्टछाप कवियों में से एक थे। वह कवि कुंभनदास के पुत्र और गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य थे। इनका समय लगभग 16वीं से 17वीं शताब्दी के आस-पास माना जाता है। विद्वानों के अनुसार इनके बारह ग्रंथ उपलब्ध हैं, जो ‘द्वादश यश’ नाम से विख्यात हैं। हालांकि ये रचनाएँ पृथक-पृथक नाम से भी मिलती हैं। ‘हित जू को मंगल’, ‘भक्ति प्रकाश’, ‘शिक्षा सकल समाज यश’, ‘श्रीधर्मविचार यश’, ‘श्री संत प्रताप यश’ और ‘श्री शिक्षासर यश’ आदि इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।

बता दें कि कवि चतुर्भुजदास की काव्य रचनाओं को बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी कवि चतुर्भुजदास का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। 

आइए अब इस लेख में अष्टछाप के विख्यात कवि चतुर्भुजदास का जीवन परिचय (Chaturbhuj Das Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम चतुर्भुजदास (Chaturbhuj Das) 
समयकाल 16वीं से 17वीं शताब्दी के आसपास 
पिता का नाम कवि कुंभनदास
गुरु का नाम गोस्वामी विट्ठलनाथ
भाषा बैसवाड़ी व बुंदेली प्रभावित ब्रजभाषा 
प्रसिद्धि अष्टछाप के कवि
विधा काव्य
मुख्य रचनाएँ ‘हित जू को मंगल’, ‘भक्ति प्रकाश’, ‘शिक्षा सकल समाज यश’, ‘श्रीधर्मविचार यश’ व ‘श्री संत प्रताप यश’ आदि।  

कवि चतुर्भुजदास का जन्म – Chaturbhuj Das Ka Jivan Parichay

अष्टछाप के महत्वपूर्ण कवि होने के बावजूद कवि चतुर्भुजदास का प्रामाणिक जीवन-वृत अभी तक पूर्णतया प्रकाश में नहीं आ सका है। किंतु विद्वानों और इतिहासकारों के अनुसार उनका समयकाल 16वीं से 17वीं शताब्दी के आसपास माना जाता है। वह कुंभनदास के पुत्र और गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य थे। इनका जन्मस्थान ब्रज का जमुनावतो गांव था। चतुर्भुजदास, कुंभनदास के सात पुत्रों में से सबसे प्रिय पुत्र थे। बताया जाता है कि बालयावस्था में ही वह पद रचना करने लगे थे। 

अष्टछाप के कवि

गुरु विट्ठलनाथ द्वारा स्थापित ‘अष्टछाप’ (Ashtachhap) कृष्ण काव्यधारा के आठ कवियों का समूह है जिसका मूल संबंध आचार्य वल्लभाचार्य द्वारा प्रतिपादित ‘पुष्टिमार्गीय संप्रदाय’ (Pushtimarg Sampradaya) से है। अष्टछाप के आठ कवियों में चार आचार्य वल्लभाचार्य के शिष्य हैं, जबकि चार गोस्वामी विट्ठलनाथ के। वल्लभाचार्य के शिष्य हैं- सूरदास, परमानंददास, कुंबनदास व कृष्णदास जबकि विट्ठलनाथ के शिष्यों में नंददास, चतुर्भुजदास, गोविंदस्वामी तथा छीतस्वामी शामिल हैं। वस्तुत: विट्ठलनाथ ने भगवान श्रीनाथ के अष्ट शृंगार की परंपरा शुरु की थी। बता दें कि अष्टछाप के कवियों में महाकवि सूरदास, परमानंद दास और नंददास का महत्वपूर्ण स्थान हैं।

चतुर्भुजदास की प्रमुख रचनाएँ – Chaturbhuj Das Ki Rachnaye

वार्ता साहित्य से ज्ञात होता है कि अल्प आयु से ही कृष्णभक्त कवि चतुर्भुजदास पदों की रचना करने लगे तथा पिता कुंभनदास के साथ भगवत चर्चा करते थे। इनके कुल बारह ग्रंथ उपलब्ध हैं, जो ‘द्वादश यश’ नाम से विख्यात हैं। हालांकि ये बारह रचनाएँ पृथक्-पृथक् नाम से भी मिलती हैं। यहाँ कवि चतुर्भुजदास का जीवन परिचय के साथ ही उनकी प्रमुख रचनाओं की जानकारी दी जा रही हैं, जो कि इस प्रकार हैं:-

  • द्वादश यश
  • हित जू को मंगल
  • भक्ति प्रकाश

चतुर्भुजदास की भाषा शैली – Chaturbhuj Das Ki Bhasha Shaili 

विद्वानों के अनुसार चतुर्भुजदास की भाषा शुद्ध ब्रजभाषा नहीं है, उस पर बैसवाड़ी और बुंदेली का गहरा प्रभाव है। वहीं उनकी साहित्यिक रचनाओं पर संस्कृत भाषा का प्रभाव भी देखने को मिलता है। 

FAQs 

चतुर्भुजदास का जन्म कब हुआ था?

कृष्णभक्त कवि चतुर्भुजदास का जन्म 16वीं शताब्दी के आसपास माना जाता है।  

हितजू को मंगल किसकी रचना है?

हितजू को मंगल ग्रंथ के रचियता चतुर्भुजदास हैं। 

चतुर्भुजदास की रचनाएँ कौनसी हैं?

द्वादश यश, हित जू को मंगल और भक्ति प्रकाश उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं। 

चतुर्भुजदास के गुरु कौन थे?

चतुर्भुजदास के गुरु गोस्वामी विट्ठलदास थे, जो वल्लभाचार्य के पुत्र थे।

चतुर्भुजदास की भाषा क्या थी?

चतुर्भुजदास संस्कृत और ब्रजभाषा के विद्वान थे। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ अष्टछाप के प्रमुख कवि चतुर्भुजदास का जीवन परिचय (Chaturbhuj Das Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 
अमर गोस्वामीशमशेर बहादुर सिंहरस्किन बॉन्ड 
राजेंद्र यादव गोपालराम गहमरी राजी सेठ
गजानन माधव मुक्तिबोधसेवा राम यात्री ममता कालिया 
शरद जोशीकमला दासमृणाल पांडे
विद्यापति पदुमलाल पुन्नालाल बख्शीश्रीकांत वर्मा 
यतींद्र मिश्ररामविलास शर्मामास्ति वेंकटेश अय्यंगार
शैलेश मटियानीरहीमस्वयं प्रकाश 

आशा है कि आपको अष्टछाप के कवि चतुर्भुजदास का जीवन परिचय (Chaturbhuj Das Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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