Mamoni Raisom Goswami Ka Jivan Parichay : सुपरिचित लेखिका इंदिरा गोस्वामी का जीवन परिचय, रचनाएं और पुरस्कार 

1 minute read
Indira Goswami Ka Jivan Parichay

Indira Goswami Ka Jivan Parichay : इंदिरा गोस्वामी, जिन्हें उनके उपनाम ‘मामोनी रायसम गोस्वामी’ और ‘ममोनी बाइदू’ के नाम से जाना जाता है, वह एक सुप्रसिद्ध भारतीय लेखिका और साहित्यकार थीं। उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से समाज की जटिलताओं, सांस्कृतिक विविधताओं और मानवीय संवेदनाओं को उजागर किया है। वह असम की प्रतिष्ठित साहित्यिक शख्सियत थीं, जिन्हें उनके असमिया साहित्य के योगदान के लिए विशेष पहचान मिली हैं। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं- ‘नीलकंठ ब्रज’, ‘चेनाबार स्रोत’, ‘ममारे धरा तरोवल अरु दुखन उपन्यासा’, ‘दाताल हातिर उने खोवा होवदाह’ (उपन्यास) ‘चिनाकी मरम’, ‘हृदय एक नदीर नाम’ (कहानी-संग्रह) ‘रामायण फ्रॉम गंगा टू ब्रह्मपुत्र’ (शोध ग्रंथ) आदि। 

इंदिरा गोस्वामी को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान देने के लिए वर्ष 2000 में साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार ‘ज्ञानपीठ’ से सम्मानित किया गया था। साथ ही उन्हें ‘पद्म श्री’ (2002) ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ (1982) ‘असम साहित्य सभा पुरस्कार’‘अंतरराष्ट्रीय तुलसी पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया जा चुका हैं। बता दें कि इंदिरा गोस्वामी की कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में असमिया एवं हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी इंदिरा गोस्वामी का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। 

आइए अब इस लेख में सुप्रसिद्ध लेखिका इंदिरा गोस्वामी का जीवन परिचय (Indira Goswami Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

मूल नाम इंदिरा गोस्वामी (Indira Goswami)
उपनाम ‘मामोनी रायसम गोस्वामी’ (Mamoni Raisom Goswami) और ‘ममोनी बाइदू’ (Mamoni Baideo)
जन्म 14 नवंबर 1942
जन्म स्थान गुवाहाटी, असम 
शिक्षा एम.ए. (असमी साहित्य)  कॉटन कॉलेज, गुवाहाटी विश्वविद्यालय 
पिता का नाम उमाकांत गोस्वामी 
माता का नाम अंबिका देवी 
पति का नाम माधवन रेसोम अयंगर 
कार्य क्षेत्र साहित्य, समाज सेविका 
विधाउपन्यास, कहानी, आत्मकथा व शोध 
मुख्य रचनाएँ ‘नीलकंठ ब्रज’, ‘ममारे धरा तरोवल अरु दुखन उपन्यासा’, ‘दाताल हातिर उने खोवा होवदाह’ (उपन्यास) ‘चिनाकी मरम’, ‘हृदय एक नदीर नाम’ (कहानी-संग्रह) आधा लेखा दस्तावेज (आत्मकथा) आदि। 
पुरस्कार एवं सम्मान ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ (2000) ‘पद्म श्री’ (2002) ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ (1982) व  ‘असम साहित्य सभा पुरस्कार’ आदि। 
निधन 29 नवंबर 2011, गुवाहाटी, असम 
जीवनकाल 69 वर्ष 

असम के गुवाहाटी में हुआ था जन्म – Indira Goswami Ka Jivan Parichay

समादृत साहित्यकार इंदिरा गोस्वामी का जन्म 14 नवंबर 1942 को असम के गुवाहाटी शहर में हुआ था। वह अपने उपनाम ‘मामोनी रायसम गोस्वामी’ और ‘ममोनी बाइदू’ से भी जानी जाती हैं। इनके पिता का नाम ‘उमाकांत गोस्वामी’ जबकि माता का नाम ‘अंबिका देवी’ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा शिलांग के पाइन माउंट स्कूल में हुई थी लेकिन बाद में असमी में शिक्षा ग्रहण करने और राज्य की संस्कृति एवं रीति रिवाजों के बारे स्वयं की जानकारी बढ़ाने हेतु वह गुवाहाटी के तारिणी चौधरी गवर्नमेंट गर्ल्स हाईस्कूल आ गईं। इसके बाद उन्होंने कॉटन कॉलेज, गुवाहाटी विश्वविद्यालय से असमी भाषा में स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की।  

साहित्य के क्षेत्र में हुआ पर्दापण –  Indira Goswami Ka Sahityik Parichay

उच्च शिक्षा के दौरान ही इंदिरा गोस्वामी जी का साहित्य के क्षेत्र में पर्दापण हो गया था। वर्ष 1962 में उनका लघु कथाओं का पहला संग्रह ‘चिनाकी मोरोम’ प्रकाशित हुआ था। वहीं शिक्षा पूरी करने के उपरांत उनका विवाह ‘माधवन रेसोम अयंगर’ (Madhavan Raisom Ayengar) से हुआ था। किंतु विवाह के तकरीबन 18 महीने बाद ही उनके पति की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई। 

इस गहरे अवसाद से पीड़ित इंदिरा गोस्वामी जी कश्मीर से असम लौट आयीं और गोलपाड़ा सैनिक स्कूल में शिक्षिका के रूप में कार्य करने लगीं। कुछ समय अध्यापन करने के बाद वह वृंदावन गईं और रामायण काल के साहित्य पर शोध शुरू किया। यह वृंदावन ही था जहां उनकी सामाजिक चेतना को उनकी रचनाओं में अभिव्यक्ति मिली और वह एक  प्रतिष्ठित लेखिका के रूप में उभरकर सामने आईं। यहीं रहते हुए उन्होंने ‘रामायण फ्रॉम गंगा टू ब्रह्मपुत्र’ उपन्यास लिखा था। जबकि अपने बहुचर्चित उपन्यास ‘नीलकंठ ब्रज’ में उन्होंने वृंदावन की विधवाओं के शोषण से संबंधित मुद्दों को उठाया। 

इंदिरा गोस्वामी की प्रमुख रचनाएं – Indira Goswami Ki Rachnaye

इंदिरा गोस्वामी का साहित्यिक सफर बहुत ही प्रेरणादायक और विविधतापूर्ण था। उनकी लेखनी में असम की सांस्कृतिक धारा, उसकी सामाजिक विसंगतियाँ और मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं का चित्रण किया गया है। वहीं उनकी साहित्यिक रचनाओं का अधिकांश भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ था। यहाँ इंदिरा गोस्वामी का जीवन परिचय के साथ ही उनकी संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में नीचे दिए गए बिंदुओं में बताया गया हैं:-

उपन्यास

  • दाताल हातिर उने खोवा होवदाह
  • नीलकंठ ब्रज
  • ममारे धरा तरोवल अरु दुखन उपन्यासा
  • चेनाबार स्रोत
  • अहिरन
  • छिन्नमस्ता
  • तेज अरु धूलि धूसरित पृष्ठ
  • ब्लड-स्टेंड पेजिज 
  • दक्षिणी कामरूप की गाथा

कहानी-संग्रह 

  • चिनाकी मोरोम
  • कइना 
  • हृदय एक नदीर नाम 
  • प्रिय गल्पो

आत्मकथा

  • आधा लेखा दस्तावेज

शोध

  • रामायण फ्रॉम गंगा टू ब्रह्मपुत्र

पुरस्कार एवं सम्मान 

इंदिरा गोस्वामी (Indira Goswami Ka Jivan Parichay) को असमिया साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपना उल्लेखनीय योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं :- 

  • इंदिरा गोस्वामी जी को वर्ष 2000 में साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार ‘ज्ञानपीठ’ से नवाजा गया था। 
  • भारत सरकार द्वारा इंदिरा गोस्वामी को वर्ष 2002 में प्रतिष्ठित ‘पद्म श्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 
  • उनकी किताब ‘रामायण गंगा टू ब्रह्मपुत्र’ के लिए फ्लोरिडा विश्वविद्यालय ने उन्हें ‘अंतरराष्ट्रीय तुलसी पुरस्कार’ से सम्मानित किया था। 
  • ‘ममारे धरा तरोवल अरु दुखन उपन्यासा’ उपन्यास के लिए उन्हें वर्ष 1982 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। 
  • ‘असम साहित्य सभा पुरस्कार’ 

69 वर्ष की आयु में हुआ था निधन 

इंदिरा गोस्वामी ने दशकों तक असमिया साहित्य में अनुपम कृतियों का सृजन किया था। किंतु 29 नवंबर, 2011 को गुवाहाटी में निधन हो गया। लेकिन आज भी उनकी रचनाओं के लिए उन्हें याद किया जाता हैं। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ सुपरिचित लेखिका इंदिरा गोस्वामी का जीवन परिचय (Indira Goswami Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 
अमर गोस्वामीशमशेर बहादुर सिंहरस्किन बॉन्ड 
राजेंद्र यादव गोपालराम गहमरी राजी सेठ
गजानन माधव मुक्तिबोधसेवा राम यात्री ममता कालिया 
शरद जोशीकमला दासमृणाल पांडे
विद्यापति पदुमलाल पुन्नालाल बख्शीश्रीकांत वर्मा 
यतींद्र मिश्ररामविलास शर्मामास्ति वेंकटेश अय्यंगार
शैलेश मटियानीरहीमस्वयं प्रकाश 

FAQs

इंदिरा गोस्वामी ने किस भाषा में लिखा था?

इंदिरा गोस्वामी असम की एक महान लेखिका और साहित्यकार थीं। उन्होंने मुख्यत: असमिया भाषा में साहित्य का सृजन किया हैं। 

क्या मामोनी रायसोम गोस्वामी की शादी हो चुकी है?

मामोनी रायसोम गोस्वामी का विवाह माधवन रेसोम अयंगर से हुआ था। 

मामोनी रायसोम गोस्वामी ने किस पुस्तक के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता था?

‘ममारे धरा तरोवल अरु दुखन उपन्यासा’ उपन्यास के लिए उन्हें वर्ष 1982 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। 

मामोनी रायसोम गोस्वामी को ज्ञानपीठ पुरस्कार क्यों मिला?

इंदिरा गोस्वामी को असमिया साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए वर्ष 2000 में साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार ‘ज्ञानपीठ’ से नवाजा गया था। 

इंदिरा गोस्वामी की मृत्यु कब हुई थी?

29 नवंबर, 2011 को 69 वर्ष की आयु में उनका गुवाहाटी में निधन हुआ था। 

आशा है कि आपको सुप्रसिद्ध लेखिका इंदिरा गोस्वामी का जीवन परिचय (Indira Goswami Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*