जानिए क्या है शकुंतला देवी का गणित में योगदान

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शकुंतला देवी का गणित में योगदान

भारत में हर सदी में कोई न कोई ऐसी महान और पुण्य आत्मा ने जन्म लिया है, जिनके जन्म से मानव जीवन का उत्थान हुआ है। इन्हीं में से एक शकुंतला देवी भी थी, जिन्हें दुनिया का मानव कंप्यूटर यानि कि ह्यूमन कंप्यूटर के नाम से भी जाना जाता है। बचपन से ही गणित की प्रतिभा रखने वाली शकुंतला देवी की जीवनयात्रा से प्रेरणा लेकर लाखों युवाओं ने अपने सपनों को साकार किया है। इस पोस्ट के माध्यम से आप जान पाएंगे कि शकुंतला देवी का गणित में योगदान अतुल्नीय क्यों माना जाता है, जिसके लिए आपको पोस्ट को अंत तक पढ़ना पड़ेगा।

कौन हैं शकुंतला देवी?

शकुंतला देवी का गणित में योगदान क्या था, के बारे में जानने से पहले आपको उनकी जीवनयात्रा पर प्रकाश डालना चाहिए। शकुंतला देवी का जन्म 4 नवंबर 1929 को भारत राष्ट्र के कर्नाटक राज्य के बैंगलोर में हुआ था। शकुंतला देवी एक निर्धन कन्नड़ ब्राह्मण परिवार से आती थीं, जहाँ मात्र तीन वर्ष की आयु में उनके पिता जी ने उनकी गणित की प्रतिभा को पहचान लिया था। शकुंतला देवी ने केवल तीन साल की उम्र से ही अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था।

छह साल की उम्र में प्रवेश करते ही शकुंतला देवी ने मैसूर विश्वविद्यालय में अपनी गणितीय क्षमताओं का प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने अपनी गणितीय प्रतिभाओं के आधार पर कई गणितीय समस्याओं को सरलता से हल किया। शकुंतला देवी ने अपने प्रारंभिक जीवन से ही गणित के क्षेत्र में अपना अविस्मरणीय योगदान दिया है, जिसमें गणित को लोकप्रिय विषय बनाने के पक्ष में निरंतर प्रयास किये।

शकुंतला ने गणित के क्षेत्र में ज्ञान प्राप्त करने के लिए महिलाओं को प्रेरित करने का भी निरंतर प्रयास किया। गणित के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा से प्रकाश फैलाने वाली शकुंतला देवी 21 अप्रैल, 2013 को सदा के लिए पंचतत्व में विलीन हो गयीं।

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शकुंतला देवी का गणित में योगदान

शकुंतला देवी को को गणित का जादूगर और ह्यूमन कंप्यूटर आदि नामों से भी जाना जाता है, क्योंकि वह गणित कि बड़ी से बड़ी संख्या की गणना चाँद सेकेंड्स में कर देती थी। उनसे प्रेरित होकर कई युवाओं ने गणित के लिए बेहद रूचि दिखाई। शकुंतला देवी का गणित में योगदान अविस्मरणीय है, जिसको निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है;

  • डलास में सोथर्न मेथोडिस्ट कॉलेज में, शकुंतला देवी ने मात्र 50 सेकंड में 201 अंकों की संख्या के 23 वें घनमूल की गणना की। इस गणना का उत्तर 546,372,891 आया था, जो कि बिलकुल सही उत्तर था।
  • वर्ष 1980 में, इंपीरियल कॉलेज लंदन में शकुंतला देवी ने 28 सेकंड में 26 अंकों के उत्तर की गणना करते हुए 7686369774870 और 2465099745779 को गुणा किया। इस सबसे तेज मानव गणना के कारण, उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड है।
  • वर्ष  1988 में, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी यूएस में, शकुंतला देवी ने मात्र 2 सेकंड में 95443993 का घनमूल 457 निकाला। इसी दौरान उन्होंने 10 सेकंड में 2373927704 का घनमूल 1334 भी निकाला।
  • शकुंतला देवी ने मात्र 10 सेकंड में 20047612231936 के 8 वें मूल की गणना करके भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
  • शकुंतला देवी ने अपने जीवन को गणित के लिए पूर्ण समर्पित किया, उनका कहना था कि कंप्यूटर को मानव ने मनाया है, इसीलिए मानव मशीन से हमेशा बेहतर ही रहेगा।
  • शकुंतला देवी ने गणित की शिक्षा को लोकप्रिय बनाने के लिए कई गणितीय पुस्तकें और लेख लिखे। इसके साथ-साथ शकुंतला देवी ने विश्व भर में गणित के कार्यक्रमों में भाग लेकर अपना प्रभावशाली प्रदर्शन किया।
  • शकुंतला देवी ने महिलाओं को गणित में सफल होने के लिए सदैव प्रोत्साहित किया, और उन्होंने कई महिलाओं को गणित में करियर बनाने के लिए मदद भी की।

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शकुंतला देवी द्वारा लिखी गयीं पुस्तकें

शकुंतला देवी ने गणित में अपना अविस्मरणीय योगदान देते हुए, अनेकों पुस्तकें लिखी, जिनके नाम आप निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से जान सकते हैं;

  • वर्ष 1977 में, शकुंतला देवी ने “द मैथमैटिकल मिस्ट्री ऑफ द ब्रहमांड” नामक एक पुस्तक लिखी।
  • वर्ष 1988 में, “द ह्यूमन कंप्यूटर” नामक पुस्तक के माध्यम से उनके जीवन के कुछ बेहतरीन किस्से आपको पढ़ने के लिए मिल जायेंगे।
  • वर्ष 1994 में, “फिगरिंग: द जॉय ऑफ नंबर्स” नाम की पुस्तक ने गणित के नए आयाम को समाज के आगे प्रस्तुत किया।
  • वर्ष 1997 में, “गणित: एक अद्भुत दुनिया” नामक पुस्तक ने गणित की अद्भुत दुनिया पर प्रकाश डाला।
  • वर्ष 2000 में, “द मैजिकल माइंड ऑफ शकुंतला देवी” में शकुंतला देवी जी की प्रतिभा की सरहाना की गयी है।
  • वर्ष 2004 में, “अंकों का जादू” नामक पुस्तक में गणित की कई एल्गोरिदम को सरलता से सुलझता हुआ दिखाया गया है।
  • वर्ष 2007 में, “प्रतिभा: एक रहस्य” इसमें प्रतिभा को एक रहस्य की तरह सुलझता हुआ दिखाया गया है। इस पुस्तक ने भी कई विद्यार्थियों का जीवन बदला है।

FAQs 

प्रथम भारतीय महिला गणितज्ञ कौन है?

आधुनिक भारत की प्रथम भारतीय महिला गणितज्ञ शकुंतला देवी हैं।

शकुंतला देवी को मानव कैलकुलेटर क्यों कहा जाता है?

गणित की प्रतिभा में धनी शकुंतला देवी किसी भी अंक की गणना को कंप्यूटर से तेज गति से कर लेती थी, इसीलिए शकुंतला देवी को मानव कैलकुलेटर कहा जाता है।

शकुंतला देवी की विशेषता क्या है?

शकुंतला देवी गणित की गणना में बेहद प्रतिभाशाली थी, यही उनकी विशेषता था।

आशा है कि आपको ‘शकुंतला देवी का गणित में योगदान’ पर आधारित यह ब्लाॅग जानकारी से भरपूर लगा होगा। इसी तरह के अन्य जनरल नॉलेज के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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