Udham Singh : महान क्रांतिकारी सरदार उधम सिंह का जीवन परिचय

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Udham Singh Biography in Hindi

Udham Singh Biography in Hindi : सरदार उधम सिंह को भारतीय इतिहास में एक महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता हैं। उन्होंने 13 अप्रैल 1919 को पंजाब के अमृतसर में ‘जलियांवाला बाग़ हत्याकांड के जघन्‍य नरसंहार को अंजाम देने वाले और पंजाब के तत्‍कालीन गर्वनर जनरल ‘माइकल फ्रांसिस ओ डायर’ (Michael Francis O’Dwyer) को 21 साल बाद लंदन में जाकर गोली मारी थी। वहीं इस घटना के बाद वे वहाँ से भागे नहीं बल्कि अपनी गिरफ्तारी दे दी। हालांकि इसके बाद उन पर मुकदमा चला और 31 जुलाई 1940 को लंदन के कॉक्सटन हॉल में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। किंतु तत्कालीन ब्रिटिश जनरल को उनके देश में मारने का जो काम उन्होंने किया था, उसकी सराहना हर एक क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी ने की। 

इस ब्लॉग में भारत के महान क्रांतिकारी सरदार उधम सिंह का जीवन परिचय (Udham Singh Biography in Hindi) और उनके कार्यों के बारे में बताया गया है। 

नाम सरदार उधम सिंह (Sardar Udham Singh) 
उपनाम राम मोहम्मद सिंह आजाद 
जन्म 26 दिसंबर, 1899
जन्म स्थान सुनाम गांव, संगरुर जिला, पंजाब 
पिता का नाम सरदार तेहाल सिंह जम्मू  
माता का नाम माता नरैन कौर 
शिक्षा मैट्रिक 
पेशा स्वतंत्रता सेनानी 
पार्टी गदर पार्टी 
मृत्यु 31 जुलाई 1940,  लंदन, यूनाइटेड किंगडम 

पंजाब के संगरुर जिले में हुआ था जन्म – Udham Singh Biography in Hindi

क्रांतिकारी शूरवीर सरदार उधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम नामक गांव में हुआ था। उनका मूल नाम शेर सिंह था लेकिन बाद में वह सरदार उधम सिंह के नाम से जाने गए। उनके पिता का नाम ‘सरदार तेहाल सिंह जम्मू’ था जो कि पेशे से रेलवे में चौकीदारी का काम किया करते थे। जबकि उनकी माता का नाम ‘माता नरैन कौर’ था, जो कि एक गृहणी थीं। बताया जाता है कि जब वे तीन साल के थे तभी उनकी माता का देहांत हो गया था। सात वर्ष की आयु तक उनके पिता का भी आकस्मिक निधन हो गया। अल्प आयु में अनाथ हो जाने के कारण उन्हें अपने भाई ‘मुक्ता सिंह’ के साथ अमृतसर के ‘सेंट्रल खालसा अनाथालय’ (The Central Khalsa Orphanage) में शरण लेनी पड़ी। इसके कुछ वर्ष बाद उनके भाई का भी निधन हो गया जिसके बाद वह अकेले हो गए। 

जलियांवाला बाग हत्याकांड से बदल गई जिंदगी

वर्ष 1919 में जब ब्रिटिश हुकूमत के काले कानून ‘रॉलेट एक्ट’ के विरोध में देशभर में आंदोलन हो रहे थे। उस दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्य पाल और सैफुद्दीन किचलू को पंजाब से अंग्रेज सरकार ने गिरफ्तार कर लिया। लेकिन जब 13 अप्रैल 1919 को पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग़ में ‘रॉलेट एक्ट’ के विरुद्ध में शांतिपूर्ण सभा रखी गई जिसमें महिलाओं और बच्चो के साथ हजारों भारतीय शामिल थे।   

उसी दौरान ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के तत्कालीन गवर्नर ‘माइकल फ्रांसिस ओ डायर’ (Michael Francis O’Dwyer) ने अपनी सेना के साथ वहाँ दाखिल हो गए। इसके बाद उन्होंने वहाँ मौजूद निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलाने के आदेश दे दिया जिससे वहाँ लाशों का ढेर लग गया। बताया जाता है कि इस हत्याकांड में लगभग 120 लोगों के शव कुएं से मिले थे। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था, जिनमें से एक सरदार उधम सिंह भी थे।

जेल में बिताए पांच वर्ष 

जलियांवाला बाग हत्याकांड का सरदार उधम सिंह के जीवन पर बहुत गहरा असर पड़ा था। उन्होंने मन में ठान लिया था कि वे माइकल फ्रांसिस ओ डायर को उसके अपराधों की सजा जरूर देंगे। उन्होंने इस जघन्य हत्याकांड का बदला लेने के लिए कई देशों की यात्रा की। इसमें अफ्रीका, नैरोबी, ब्राजील और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल है। वहीं अमेरिका पहुंचकर वे ‘ग़दर पार्टी’ (Ghadar Movement) में शामिल हो गए और अन्य क्रांतिकारियों से मजबूत संपर्क बनाने लगे। 

वर्ष 1927 में स्वदेश लौटने के बाद वह ‘भगत सिंह’ से मिले और अन्य क्रांतिकारियों के जुड़कर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ काम करने लगे। लेकिन कुछ समय बाद ही उन्हें अवैध हथियारों और प्रतिबंधित क्रांतिकारी साहित्य के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। जिसके कारण उन्हें 05 वर्ष की जेल हो गई। 

‘माइकल फ्रांसिस ओ डायर’ की ली जान 

वर्ष 1931 में जेल से रिहा होने के बाद अंग्रेज सरकार ने सरदार उधम सिंह पर कड़ी निगाह रखनी शुरू कर दी। इस बीच उन्होंने पुलिस को चकमा देकर कई स्थान बदले और वर्ष 1934 में इग्लैंड पहुंचने में कामयाब हो गए। किंतु उनके लंदन पहुंचने से पहले ही तत्कालीन ब्रिटिश सैन्य अधिकारी ‘रेजिनाल्ड एडवर्ड डायर’ (Reginald Dyer) की ब्रैन हेमरेज से मौत हो गई। फिर उन्होंने अपना पूरा ध्यान ‘माइकल फ्रांसिस ओ डायर’ को मारने में लगाया। 

जब उन्हें पता चला कि 13 मार्च, 1940 को लंदन के कैक्सटन हॉल में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन और रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी का संयुक्त अधिवेशन होने जा रहा है, जहां माइकल फ्रांसिस ओ डायर भी आमंत्रित है। तब वे भी इस बैठक में पहुंच गए। उन्होंने एक मोटी किताब में अपनी बंदूक छिपा रखी थी। बताया जाता है कि जैसे ही डायर मंच पर पहुंचे उसी दौरान उधम सिंह ने उनपर गोली चला दी जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई। हालांकि इस घटना के बाद उधम भागे नहीं बल्कि अपनी गिरफ़्तारी दे दी।  

फांसी की सजा सुनाई गई 

सरदार उधम सिंह ने 21 वर्ष बाद अपना बदला ले लिया था। वहीं इस घटना को देखकर हर कोई सन्न रह गया था। जब उन्हें गिरफ्तार करके उनपर मुकदमा चलाया गया और वे हत्या के दोषी पाए गए। फिर उन्हें 31 जुलाई, 1940 को पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई। इस तरह सरदार उधम सिंह इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए अमर हो गए और क्रांतिकारियों के लिए प्रेरणा  बन गए। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय

यहाँ महान क्रांतिकारी सरदार उधम सिंह का जीवन (Udham Singh Biography in Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 
अमर गोस्वामीशमशेर बहादुर सिंहरस्किन बॉन्ड 
राजेंद्र यादव गोपालराम गहमरी राजी सेठ
गजानन माधव मुक्तिबोधसेवा राम यात्री ममता कालिया 
शरद जोशीकमला दासमृणाल पांडे
विद्यापति पदुमलाल पुन्नालाल बख्शीश्रीकांत वर्मा 
यतींद्र मिश्ररामविलास शर्मामास्ति वेंकटेश अय्यंगार
शैलेश मटियानीरहीमस्वयं प्रकाश 

FAQs

शहीद उधम सिंह का पहला नाम क्या है?

उनका मूल नाम शेर सिंह था। 

उधम सिंह का जन्म कहां हुआ था?

उनका जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम नामक गांव में हुआ था।

उधम सिंह ने जनरल डायर को क्यों मारा?

जलियांवाला बाग़ में जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलवाई थी जिसका बदला लेने के लिए सरदार उधम सिंह ने उन्हें मारा था। 

उधम सिंह ने जनरल डायर को कब मारा था?

13 मार्च, 1940 को रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी के अधिवेशन में उधम सिंह ने जनरल डायर को गोली मारी थी। 

सरदार उधम को फांसी क्यों दी गई?

माइकल फ्रांसिस ओ डायर की हत्या करने के जुर्म में उन्हें 31 जुलाई, 1940 को फांसी की सजा हुई थी। 

सरदार उधम क्यों प्रसिद्ध है?

उन्हें माइकल फ्रांसिस ओ डायर को मारने के लिए जाना जाता है।  

शहीद उधम सिंह की अस्थियां भारत में कब लाई गई थी?

पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह केंद्र सरकार की मदद से लंदन से शहीद उधम सिंह की अस्थियां भारत लाए थे। 

शहीद उधम सिंह को फांसी कहां तथा किस देश में दी गई थी?

उन्हें 31 जुलाई, 1940 को लंदन के पेंटनविले जेल में फांसी की सजा दी गई थी।

आशा है कि आपको महान क्रांतिकारी सरदार उधम सिंह का जीवन (Udham Singh Biography in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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