कवि सेनापति का जीवन परिचय और रीतिकाव्य परंपरा में योगदान

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Senapati Ka Jivan Parichay

सेनापति हिंदी साहित्य में भक्तिकाल और रीतिकाल के संधिकालीन कवि माने जाते हैं। वे मुख्यतः रीतिबद्ध कवियों की श्रेणी में आते हैं। उनकी दो प्रसिद्ध रचनाएँ हैं- ‘काव्यकल्पद्रुम’ और ‘कवित्त रत्नाकर’। विद्वानों के अनुसार, सेनापति की काव्य-रचनाओं में हिंदी साहित्य की दोनों प्रमुख धाराओं भक्ति और शृंगार का सुंदर समन्वय दिखाई देता है। इस लेख में कवि सेनापति का जीवन परिचय एवं उनकी प्रमुख रचनाओं की जानकारी दी गई है।

नाम सेनापति
जन्म संवत 1616 
जन्म स्थान अनूपशहर, उत्तर प्रदेश 
पिता का नाम गंगाधर 
पितामह का नाम परशुराम दीक्षित 
विद्यागुरु का नाम हीरामणि दीक्षित 
विधा पद्य 
भाषा ब्रज 
मुख्य रचनाएँ ‘काव्यकल्पद्रुम’ और ‘कवित्त रत्नाकर’
साहित्य काल रीतिकाल 

अनूपशहर में हुआ था जन्म

अन्य प्राचीन कवियों की भांति भक्त कवि सेनापति का कोई प्रामाणिक जीवनवृत्त अब तक सुलभ नहीं हो सका है। किंतु ऐसा माना जाता है कि उनका जन्म दीक्षित गोत्रीय ब्राह्मण परिवार में विक्रम संवत 1616 (ई. सन् 1559–60) के आसपास हुआ था। उनके पिता का नाम ‘गंगाधर’ तथा पितामह का नाम ‘परशुराम दीक्षित’ था। उनके विद्यागुरु का नाम ‘हीरामणि दीक्षित’ बताया जाता है। कुछ विद्वानों का मत है कि ‘सेनापति’ इनकी उपाधि या उपनाम था, जबकि उनका मूल नाम स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं है।

सेनापति का साहित्यिक परिचय  

सेनापति भक्तिकाल और रीतिकाल के संधिकालीन कवि माने जाते हैं, किंतु काव्य-प्रवृत्ति की दृष्टि से वे रीतिबद्ध कवियों की श्रेणी में आते हैं। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने उन्हें भक्तिकाल के अंतर्गत रखा है, लेकिन काव्य-रूप की दृष्टि से वे रीतिकाल के अधिक निकट प्रतीत होते हैं। सेनापति एक रामभक्त कवि थे। कहा जाता है कि यद्यपि उन्होंने शिव और कृष्ण विषयक कविताएँ भी लिखीं, फिर भी उनकी रुचि राम-काव्य में अधिक थी।

सेनापति की भाषा शैली

सेनापति ब्रजभाषा के प्रमुख कवि थे। श्लेष अलंकार के प्रयोग में वे निपुण माने जाते हैं। उनकी रचनाओं में प्रसाद गुण और ओज गुण की प्रधानता दिखाई देती है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने उनकी भाषा की प्रशंसा करते हुए लिखा है- “भाषा पर ऐसा अच्छा अधिकार कम कवियों का देखा जाता है। अनुप्रास और यमक की प्रचुरता होते हुए भी कहीं भद्दी कृत्रिमता नहीं आने पाई है।”

सेनापति की प्रमुख रचनाएं

भक्त कवि सेनापति की दो प्रामाणिक रचनाएं मानी जाती हैं, जो इस प्रकार हैं:-

  • काव्यकल्पद्रुम
  • कवित्त रत्नाकर’

सेनापति के सर्वश्रेष्ठ कवित्त

यहां सेनापति के कुछ सर्वश्रेष्ठ कवित्तों की जानकारी दी गई है:-

काम की कमान तेरी भृकुटि कुटिल आली

काम की कमान तेरी भृकुटि कुटिल आली, 
तातैं अति तीछन ए तीर से चलत हैं। 
घूंघट की ओट कोट, करि कै कसाई काम, 
मारे बिन काम, कामी केते ससकत हैं।। 

तोरे तैं न टूटैं, ए निकासे हू तैं निकसैं न, 
पैने निसि-वासर करेजे कसकत हैं। 
सेनापति प्यारी तेरे तमसे तरल तारे, 
तिरछे कटाक्ष गड़ि छाती मैं रहत हैं।। 

– सेनापति 

सारंग धुनि सुनावै घन रस बरसावै

सारंग धुनि सुनावै घन रस बरसावै, 
मोर मन हरषावै अति अभिराम है। 
जीवन अधार बड़ी गरज करनहार, 
तपति हरनहार देत मन काम है॥ 

सीतल सुभग जाकी छाया जग सेनापति,
पावत अधिक तन मन बिसराम है। 
संपै संग लीने सनमुख तेरे बरसाऊ, 
आयौ घनस्याम सखि मानौं घनस्याम है॥ 

– सेनापति 

गंगा तीरथ के तीर, थके से रहौ जू गिरी

गंगा तीरथ के तीर, थके से रहौ जू गिरी, 
के रहौ जू गिरी चित्रकूट कुटी छाइ कै। 
जातैं दारा नसी, बास बातैं बारानसी, किधौं, 
लुंज ह्वैकै वृंदावन कुंज बैठ जाइ कै॥ 

भयौ सेतु अंध! तू हिए कौं हेतु बंध जाइ, 
धाइ सेतुबंध के धनी सौं चित लाइ कै। 
बसौ कंदरा मैं, भजौ खाइ कंद रामैं, सेना- 
पति मंद! रामैं मति सोचौ अकुलाइ कै॥ 

– सेनापति 

FAQs

सेनापति का जन्म कहाँ हुआ था?

अनूपशहर में दीक्षित गोत्रीय ब्राह्मण परिवार में सेनापति का जन्म संवत 1616 के करीब माना जाता है।

सेनापति किस काव्य धारा के कवि हैं?

सेनापति को रीतिकाल और भक्तिकाल के संधियुग का कवि माना जाता है। 

सेनापति की काव्य भाषा कौन सी है?

सेनापति ब्रजभाषा के कवि हैं। 

कवित रत्नाकर के रचयिता कौन थे?

कवित्त रत्नाकर रीतिकालीन भक्त कवि सेनापति द्वारा लिखा गया प्रसिद्ध ग्रंथ है।

सेनापति की कितनी रचनाएं हैं?

सेनापति की दो प्रमुख रचनाएँ हैं- ‘काव्यकल्पद्रुम’ और ‘कवित्त रत्नाकर’।

आशा है कि आपको रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि सेनापति का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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