कवि सेनापति का जीवन परिचय – Senapati Ka Jivan Parichay 

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Senapati Ka Jivan Parichay

Senapati Ka Jivan Parichay : सेनापति हिंदी साहित्य में भक्तिकाल और रीतिकाल के संधि कवि माने जाते हैं। वह रामभक्त कवि थे और उन्होंने अपनी रचनाओं में किसी कवि का अनुसरण नहीं किया था। वे मुख्यतः रीतिबद्ध कवियों की श्रेणी में आते हैं। वहीं उनकी दो रचनाएँ प्रसिद्ध हैं- ‘काव्यकल्पद्रुम’ और ‘कवित्त रत्नाकर’। विद्वानों के अनुसार सेनापति की रचनाओं में हिंदी साहित्य की दोनों धाराओं का प्रभाव देखने को मिलता है जिसमें भक्ति और श्रृंगार दोनों का मिश्रण है। 

बता दें कि कवि सेनापति के कवित्त को विद्यालय के अलावा बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी कवि सेनापति का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। 

आइए अब रीतिकाल के प्रतिष्ठित कवि सेनापति का जीवन परिचय (Senapati Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम सेनापति (Senapati) 
जन्म संवत 1616 
जन्म स्थान अनूपशहर, उत्तर प्रदेश 
पिता का नाम गंगाधर 
पितामह का नाम परशुराम दीक्षित 
विद्यागुरु का नाम हीरामणि दीक्षित 
विधा पद्य 
भाषा ब्रज 
मुख्य रचनाएँ ‘काव्यकल्पद्रुम’ और ‘कवित्त रत्नाकर’
साहित्य काल रीतिकाल 

अनूपशहर में हुआ था जन्म – Senapati Ka Jivan Parichay 

अन्य प्राचीन कवियों की भाँति भक्त कवि सेनापति का कोई प्रमाणिक जीवन वृत्त अब तक सुलभ नहीं हो सका हैं। किंतु माना जाता है कि सेनापति का जन्म दीक्षित गोत्रीय ब्राह्मण परिवार में विक्रम संवत 1616 के आसपास हुआ था। उनके पिता का नाम ‘गंगाधर’ और पितामह का नाम ‘परशुराम दीक्षित’ था। वहीं उनके विद्यागुरु का नाम ‘हीरामणि दीक्षित’ था। कुछ विद्वानों का मानना है कि ‘सेनापति’ इनका उपनाम या उपाधि है किंतु मूल नाम किसी को भी ज्ञात नहीं है। 

सेनापति का साहित्यिक परिचय  

सेनापति भक्तिकाल एवं रीतिकाल के संधि युग के कवि हैं। किंतु काव्य की दृष्टि से वह रीतिबद्ध कवियों की श्रेणी में आते हैं। वहीं आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने इन्हें भक्तिकाल के अंतर्गत रखा है लेकिन काव्य-रूप की दृष्टि से सेनापति रीतिकाल के अधिक निकट पड़ते हैं। सेनापति रामभक्त कवि थे। बताया जाता है कि शिव तथा कृष्ण विषयक कविता लिखते हुए भी उनकी रूचि राम की ओर अधिक थी। 

सेनापति की भाषा शैली – Senapati Ki Bhasha Shaili 

सेनापति ब्रजभाषा के कवि हैं। श्लेष अलंकार के प्रयोग में वे निपुण थे। वहीं उनकी रचनाओं में प्रसाद और ओज गुण की प्रधानता देखने को मिलती है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने इनकी भाषा की प्रशंसा करते हुए लिखा है कि “भाषा पर ऐसा अच्छा अधिकार कम कवियों का देखा जाता है। अनुप्रास और यमक की प्रचुरता होते हुए भी कहीं भद्दी कृत्रिमता नहीं आने पायी है।”

सेनापति की प्रमुख रचनाएं – Senapati Ki Rachnaye

भक्त कवि सेनापति की दो प्रमाणिक रचनाएँ मानी जाती हैं, जो कि इस प्रकार हैं:-

  • काव्यकल्पद्रुम
  • कवित्त रत्नाकर’

सेनापति के सर्वश्रेष्ठ कवित्त – Senapati Ki Kavitt 

यहाँ सेनापति का जीवन परिचय (Senapati Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनके कुछ सर्वश्रेष्ठ कवित्त की जानकारी दी जा रही हैं:-

काम की कमान तेरी भृकुटि कुटिल आली

काम की कमान तेरी भृकुटि कुटिल आली, 
तातैं अति तीछन ए तीर से चलत हैं। 
घूंघट की ओट कोट, करि कै कसाई काम, 
मारे बिन काम, कामी केते ससकत हैं।। 

तोरे तैं न टूटैं, ए निकासे हू तैं निकसैं न, 
पैने निसि-वासर करेजे कसकत हैं। 
सेनापति प्यारी तेरे तमसे तरल तारे, 
तिरछे कटाक्ष गड़ि छाती मैं रहत हैं।। 

– सेनापति 

सारंग धुनि सुनावै घन रस बरसावै

सारंग धुनि सुनावै घन रस बरसावै, 
मोर मन हरषावै अति अभिराम है। 
जीवन अधार बड़ी गरज करनहार, 
तपति हरनहार देत मन काम है॥ 

सीतल सुभग जाकी छाया जग सेनापति,
पावत अधिक तन मन बिसराम है। 
संपै संग लीने सनमुख तेरे बरसाऊ, 
आयौ घनस्याम सखि मानौं घनस्याम है॥ 

– सेनापति 

गंगा तीरथ के तीर, थके से रहौ जू गिरी

गंगा तीरथ के तीर, थके से रहौ जू गिरी, 
के रहौ जू गिरी चित्रकूट कुटी छाइ कै। 
जातैं दारा नसी, बास बातैं बारानसी, किधौं, 
लुंज ह्वैकै वृंदावन कुंज बैठ जाइ कै॥ 

भयौ सेतु अंध! तू हिए कौं हेतु बंध जाइ, 
धाइ सेतुबंध के धनी सौं चित लाइ कै। 
बसौ कंदरा मैं, भजौ खाइ कंद रामैं, सेना- 
पति मंद! रामैं मति सोचौ अकुलाइ कै॥ 

– सेनापति 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ कवि सेनापति का जीवन परिचय (Senapati Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 

FAQs

सेनापति का जन्म कहाँ हुआ था?

माना जाता है कि सेनापति का जन्म संवत 1616 के आसपास अनूपशहर में दीक्षित गोत्रीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 

सेनापति किस काव्य धारा के कवि हैं?

सेनापति को रीतिकाल और भक्तिकाल के संधियुग का कवि माना जाता है। 

सेनापति की काव्य भाषा कौन सी है?

सेनापति ब्रजभाषा के कवि हैं। 

कवित रत्नाकर के रचयिता कौन थे?

कवित्त रत्नाकर रीतिकालीन भक्त कवि सेनापति द्वारा लिखा गया प्रसिद्ध ग्रंथ है।

सेनापति की कितनी रचनाएं हैं?

सेनापति की दो प्रमुख रचनाएँ हैं- ‘काव्यकल्पद्रुम’ और ‘कवित्त रत्नाकर’।

आशा है कि आपको कवि सेनापति का जीवन परिचय (Senapati Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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