Dev Ka Jivan Parichay: रीतिबद्ध काव्य के आचार्य कवि देव रीतिकाल में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। माना जाता है कि इन्होने अपना अधिकांश साहित्य अपने आश्रयदाताओं और राजाओ को समर्पित करने के लिए लिखा था। वे मूलतः शृंगार भावना के कवि हैं, उन्होंने अपने काव्य में प्रेम और सौंदर्य के मार्मिक चित्र प्रस्तुत किए हैं। बता दें कि उनकी कविताएं जिनमें ‘हँसी की चोट’, ‘सपना’ और ‘दरबार’ को विद्यालय के अलावा बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं।
इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी कवि देव का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम रीतिबद्ध कवि देव का जीवन परिचय (Dev Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मूल नाम | देवदत्त द्विवेदी |
उपनाम | देव (Dev) |
जन्म | सन 1673 |
जन्म स्थान | इटावा, उत्तर प्रदेश |
पेशा | दरबारी कवि |
साहित्य काल | रीतिकाल (रीतिबद्ध धारा) |
आश्रयदाता | आलमशाह |
रचनाएँ | रसविलास,भावविलास, भवानीविलास, कुशलविलास व अष्टयाम आदि |
देहांत | सन 1767 |
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उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में हुआ था जन्म – Dev Ka Jivan Parichay
रीतिबद्ध काव्य के प्रतिनिधि कवि देव का कोई प्रमाणिक जीवन वृत्त अब तक सुलभ नहीं हो सका हैं। किंतु साहित्य विद्वानों और इतिहासकारों के अनुसार उनका जन्म सन 1673 के आसपास उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में हुआ था। बता दें कि उनका मूल नाम ‘देवदत्त द्विवेदी’ था। किंतु अपनी काव्य रचनाओं में देव उपनाम का प्रयोग करते थे। इनके पिता का नाम ‘बिहारीलाल’ था। वहीं उनके प्रारंभिक जीवन और शिक्षा के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।
रीतिबद्ध काव्यधारा के श्रेष्ठ कवि
माना जाता है कि कवि देव ने अपना संपूर्ण साहित्य राजाओं को समर्पित करने के उद्देश्य से लिखा था। वहीं मुग़ल बादशाह ‘औरंगजेब’ के पुत्र ‘आलमशाह’ के संपर्क में आने के बाद उन्हें अनेक आश्रयदाता का सान्निध्य प्राप्त हुआ। किंतु उन्हें सबसे अधिक संतुष्टि भोगीलाल नाम के सह्रदय आश्रयदाता के यहाँ प्राप्त हुई, बताया जाता है कि उनके काव्य से प्रसन्न होकर उन्हें लाखों की संपत्ति उपहार स्वरूप मिली थी। वहीं कई आश्रयदाताओं राजाओं, नवाबों, धनिकों से संबृद्ध रहने के कारण राजदरबारों का आडंबरपूर्ण और चाटुकारिता भरा जीवन उन्हें रास नहीं आया इसलिए उन्हें बाद में ऐसे जीवन से वितृष्णा हो गई थी।
कवि देव की रचनाएँ – Dev Ki Rachnaye
बताया जाता है कि सोलह वर्ष की किशोरवस्था में ही देव ने ‘भावविलास’ जैसी प्रौढ़ रचना का सृजन किया था। वहीं इनकी काव्य रचनाओं में संस्कृत, प्राकृत और साहित्य-शास्त्र की पैठ स्पष्ट दिखाई देती है। विद्वानों द्वारा उनके ग्रंथों की संख्या 52 से 72 तक मानी है। यहाँ कवि देव का जीवन परिचय (Dev Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
काव्य-रचनाएँ
- रसविलास
- भावविलास
- भवानीविलास
- कुशलविलास
- अष्टयाम
- सुजान विनोद
- राग रत्नाकर
- शब्द-रसायन
- देवमाया प्रपंच
- वैराग्य शतक
- सुखसागर
- प्रेम दीपिका
- सुमिलविनोद
- काव्यरसायन
कवि देव के सवैये – Savaiya of Dev
यहाँ कवि देव के कुछ प्रसिद्ध सवैये दिए जा रहे है, जो कि इस प्रकार हैं:-
ता दिन तें अति ब्याकुल है तिय
ता दिन तें अति ब्याकुल है तिय जा दिन तें पिय पंथ सिधारे।
भूख न प्यास बिना ब्रज-भूषन भामिनि भूषन-भेष बिसारे।
पावत पीर नहीं कवि देव करोरिक मूरि सवै करि हारे।
नारि निहारि-निहारी चले तजि बैद बिचारि-बिचारि बिचारे॥
बोलि उठो पपिहा कहुँ ‘पीव’ सु
बोलि उठो पपिहा कहुँ ‘पीव’ सु देखिये को सुनि कै धुनि धायी।
मोर पुकारि उठे चहुँ ओर सु देव घटा घिरकी चहुँधाई।
भूलि गयी तिय को तन की सुधि देखि उतै बन-भूमि सुहायी।
साँसन सों भरि आयो गरो अरु आँसुन सों अँखियाँ भरि आयी॥
राधिका कान्हा को ध्यान धरैं, तब
राधिका कान्ह को ध्यान धरैं तब कान्ह ह्वै राधिका के गुन गावै।
त्यों अँसुवा बरसै बरसाने को पाती लिखै लिखि राधिकै ध्यावै।
राधे ह्वै जाइ तेही छिन देव सु प्रेम की पाती लै छाती लगावै।
आपु ते आपुही मैं उरझै सुरझै बिरझै समुझै समुझावै॥
कवि देव का देहांत
आचार्य कवि देव ने कई दशकों तक अपने आश्रयदातों के लिए अनुपम काव्य कृतियों का सृजन किया था। किंतु वृद्धावस्था के कारण सन् 1767 के आसपास उनका देहांत हो गया। लेकिन आज भी वे अपनी लोकप्रिय काव्यकृतियों के लिए साहित्य जगत में विख्यात हैं।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ रीतिबद्ध कवि देव का जीवन परिचय (Dev Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
FAQs
उनका जन्म सन 1673 के आसपास उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में हुआ था।
बादशाह औरंगजेब के पुत्र आलमशाह और भोगीलाल उनके प्रमुख आश्रयदाता थे।
उनके पिता का नाम बिहारीलाल था।
भावविलास, प्रेमदीपिका, रसविलास, भवानीविलास, कुशलविलास व अष्टयाम उनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ मानी जाती हैं।
माना जाता है कि उनकी मृत्यु 94 वर्ष की आयु में सन 1767 के आसपास हुई थी।
आशा है कि आपको रीतिबद्ध कवि देव का जीवन परिचय (Dev Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।