Bhushan Ka Jivan Parichay : महाकवि भूषण का जीवन परिचय, कृतियां और भाषा शैली

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भूषण का जीवन परिचय

Kavi Bhushan Ka Jivan Parichay : महाकवि भूषण हिंदी साहित्य में ‘रीतिकाल’ या (उत्तर मध्य काल) में रीतिबद्ध काव्यधारा के प्रतिष्ठित कवि थे। यद्यपि रीतिकाल शृंगार युग था किंतु भूषण ने उस युग में प्रभाव से हटकर वीररस की काव्य कृतियों का सृजन किया। बताया जाता है कि उन्होंने शृंगार रस में भी पद लिखे थे लेकिन उनका मन वीररस की रचनाओं में ही अधिक रमा। वे अपने जीवन काल में कई राजाओं के यहां रहे और वहां सम्मान प्राप्त किया। किंतु इनके पसंदीदा नरेश “शिवाजी” और पन्ना के महाराज “छत्रसाल” थे। 

महाकवि भूषण (Kavi Bhushan) के छ: ग्रंथ माने जाते हैं लेकिन इनमें ‘शिवराज भूषण’, ‘शिवा बावनी’ और ‘छत्रसाल दशक’ ही उपलब्ध हैं। बता दें कि भूषण के कवित्त को विद्यालय के अलावा बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं।

इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए महाकवि भूषण का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम महाकवि भूषण का जीवन परिचय (Bhushan Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम भूषण (Kavi Bhushan)
जन्म सन 1613 
जन्म स्थान तिकवांपुर गांव, कानपुर, उत्तर प्रदेश  
पिता का नाम रत्नाकर त्रिपाठी 
साहित्य काल रीतिकाल 
भाषा ब्रज 
विधाएँ काव्य 
प्रसिद्ध रचनाएँ ‘शिवराज भूषण’, ‘शिवा बावनी’ और ‘छत्रसाल दशक’ 
आश्रयदाता नरेश “शिवाजी” और पन्ना के महाराज “छत्रसाल”
निधन सन 1707 

उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था जन्म – Bhushan Ka Jivan Parichay

महाकवि भूषण का जन्म सन 1613 में उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में तिकवांपुर गांव में हुआ था। इनके वास्तविक नाम के बारे में कोई प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं हैं। वहीं ‘भूषण’ एक उपाधि है जो चित्रकूट के सोंलकी राजा रूद्र ने उन्हें सम्मान स्वरूप प्रदान की थी। कुछ विद्वान मानते हैं कि उनका मूल नाम ‘मनीराम’ था। इनके पिता का नाम ‘रत्नाकर त्रिपाठी’ था। प्रसिद्ध कवि ‘चिंतामणि’ और ‘मतिराम’ को उनके भाई थे। 

वीररस के कवि 

भूषण अपने जीवनकाल में हृदयराम सोलंकी, साहूजी महाराज और जयसिंह के आश्रय में रहे और वहाँ बहुत सम्मान प्राप्त किया। किंतु भूषण के मनोनुकूल आश्रयदाता केवल दो ही थे, महाराज “शिवाजी” और पन्ना के महाराज “छत्रसाल”। ऐसा कहा जाता है कि जब वे विदा होने लगे तो महाराज छत्रसाल ने इनकी पालकी में कंधा लगाया था। 

भूषण की काव्य में वीर रस की प्रधानता थीं। उन्होंने वीर शिवाजी और छत्रसाल का यशोगान किया जिन्होंने भारत की रक्षा की तथा सामाजिक, धार्मिक अर्ध:पतन को रोका। वहीं भूषण ने ‘शिवराज भूषण’ में अलंकार, ‘छत्रसाल दशक’ में छत्रसाल बुंदेला के पराक्रम और दानशीलता व ‘शिवा बावनी’ में वीर शिवाजी के गुणों का वर्णन किया है। 

भूषण की काव्यगत विशेषताएँ

भूषण ने अपने वीर रस प्रधान काव्य से लोगों में देशप्रेम और राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ाया था। किंतु इनके काव्य में अलंकार का विशेष महत्त्व है। उन्होंने काव्य में भाव पक्ष पर अधिक ध्यान दिया है। उनकी रचनाएँ ब्रज भाषा में हैं किंतु अनेक विदेशी शब्दों का भी खुलकर उपयोग किया है। वहीं विद्वानों ने माना हैं कि उनके काव्य में अरबी और फ़ारसी के शब्द घुल मिल गए हैं लेकिन भाषा में वीर भावना का समावेश है। वे राष्ट्रीय जागरण के कवि माने जाते हैं। उनकी वाणी आज भी देश की सुषुप्त चेतना को जगाने में सक्षम हैं।  

भूषण की भाषा शैली 

भूषण ने अपने काव्य में मुख्य रूप से कवित्त, सवैया और दोहा छंद का प्रयोग किया है। वहीं भाषा पर उनका असाधारण अधिकार रहा है। उन्होंने वीर रसानुकूल भाषा को अपनाकर व अपनी क्षमता का उपयोग सजीव बिम्बों के निर्माण में किया है। अपने समय की राजनितिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अवस्था का सजीव चित्रण उनके काव्य में स्पष्ट दिखता हैं। 

महाकवि भूषण की रचनाएँ –  Kavi Bhushan Ki Rachnaye

भूषण ने काव्य भाषा ब्रज थी। उनके छह ग्रंथ माने गए हैं  लेकिन वर्तमान में तीन ही उपलब्ध हैं, जो कि इस प्रकार हैं:-

  • शिवराज भूषण 
  • शिवा बावनी 
  • छत्रसाल दशक 
  • भूषण उल्लास 
  • भूषण हजारा 
  • दूषण उल्लास 

महाकवि भूषण की मृत्यु 

भूषण का एक लंबा जीवनकाल रहा है जिसमें उन्होंने कई आश्रयदाताओं के लिए वीररस काव्य का सृजन किया था। किंतु उनका 92 वर्ष की आयु में सन 1705 में निधन हो गया। 

भूषण के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ कवित्त

यहाँ महाकवि भूषण का जीवन परिचय के साथ ही उनके कुछ लोकप्रिय कवित्त के बारे में बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-  

राखी हिंदुवानी हिंदुवान को तिलक राख्यो

राखी हिंदुवानी हिंदुवान को तिलक राख्यो अस्मृति पुरान राखे बेद बिधि सुनीमैं। 

राखी रजपूती राजधानी राखी राजन की धरामैं धरम राख्यो गुन राख्यो गुनीमैं। 

भूषन सुकबि जीति हद्द मरहट्ठन की देस-देस कीरति बखानी तव सुनी मैं। 

साहि के सपूत सिवराज समसेर तेरी दिल्ली दल दाबि कै दिवाल राखी दुनी में॥ 

जढ़त तुरंग चतुरंग साजि सिवराज

चढ़त तुरंग चतुरंग साजि सिवराज चढ़त प्रताप दिन-दिन अति अंग में।

भूषन चढ़त मरहट्ठ-चित्त चाउ चारु खग्ग खुली चढ़त है अरिन कै अंग में।

भ्वैसिला के हाथ गढ़-कोट है चढ़त अरि-जोट है चढ़त एक मेरुगिरि-सृंग में।

तुरकान-गन ब्योमजान है चढ़त बिन मान है चढ़त बदरंग अवरंग में॥

छूटत कमान बान बंदूकरु कोकबान

छूटत कमान बान बंदूकरु कोकबान मुसकिल होत मुरचारनहू की ओट में। 

ताही समै सिवराज हुकुम कै हल्ला कियो दावा बाँधि द्वेषिन पै बीरन लै जोट में। 

भूषन भनत तेरी हिम्मति कहाँ लौं कहौं किम्मति इहाँ लगि है जाकी भटझोट में। 

ताव दै दै मूछन कगूरन पै पाँव दै दै घाव दै दै अरिमुख कूदे परैं कोट में॥ 

आपस की फूट ही तें सारे हिंदुवान टूटे

आपस की फूट ही तें सारे हिंदुवान टूटे टूट्यो कुल रावन अनीति अति करतें। 

पैठियो पताल बलि बज्रधर ईरषा तें टूट्यो हिरनाच्छ अभिमान चित धरतें। 

टूट्यो सिसुपाल बासुदेव जू सौं बैर करि टूट्यो है महिष दैत्य अध्रम बिचरतें। 

राम-कर छूवन तें टूट्यो ज्यौं महेस-चाप टूटी पातसाही सिवराज-संग लरतें॥ 

उतरि पलँग तें न दियो हैं धरा पै पग

उतरि पलँग तें न दियो हैं धरा पै पग तेऊ सगबग निसिदिन चली जाती हैं। 

अति अकुलातीं मुरझातीं न छिपातीं गात बात न सोहाती बोले अति अनखाती हैं। 

भूषन भनत सिंह साहि के सपूत सिवा तेरी धाक सुने अरि नारी बिललाती हैं। 

जोन्ह में न जातीं ते वै धूपै चली जाती पुनि तीन बेर खातीं तेवै तीन बेर खाती हैं॥ 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ महाकवि भूषण का जीवन परिचय (Bhushan Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 

FAQs 

भूषण का जन्म कहाँ हुआ था?

उनका जन्म सन 1613 में उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में तिकवांपुर गांव में हुआ था।

भूषण के भाई कौन थे?

रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि चिंतामणि और मतिराम को भूषण का भाई माना जाता है। 

शिवाजी के दरबारी कवि कौन थे?

महाकवि भूषण, शिवाजी के दरबारी कवि थे। 

भूषण के पिता का क्या नाम था?

उनके पिता का नाम रत्नाकर त्रिपाठी था। 

भूषण द्वारा रचित कविता कौन सी भाषा में है?

भूषण ब्रज भाषा के कवि थे।

छत्रसाल दशक किसकी रचना है?

यह महाकवि भूषण की प्रमुख रचना मानी जाती है। 

भूषण की रचनाओं के नाम क्या है?

शिवराज भूषण, शिवा बावनी और छत्रसाल दशक उनकी प्रमुख रचनाएँ मानी जाती हैं।

शिवराज भूषण के रचयिता है?

यह भूषण की रचना है। 

भूषण की मृत्यु कब हुई थी?

92 वर्ष की आयु में सन 1705 में उनका निधन हो गया था।

आशा है कि आपको महाकवि भूषण का जीवन परिचय (Bhushan Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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