अल्बर्ट आइंस्टीन एक महान भौतिकी-शास्त्री – Albert einstein ka jivan parichay

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Albert einstein ka jivan parichay

Albert einstein ka jivan parichay: अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व के प्रसिद्ध भौतिक शास्त्रियों में से एक हैं। भौतिक शास्त्र की दुनिया में इन्होंने कई बड़े योगदान किये हैं। सापेक्ष ब्रह्मांड, क्रांतिक उपच्छाया, सांख्यिक मैकेनिक्स की समस्याएं,अणुओं का ब्राउनियन गति, केशिकीय गति इनके कुछ प्रमुख योगदान हैं। इन के आविष्कार विश्व में काफी प्रसिद्ध रहे हैं जिस की वजह से इनको साल 1921 में नोबल पुरस्कार का सम्मान मिला और इन्होंने विश्व के सबसे प्रसिद्ध लोगों में अपना नाम दर्ज कराया। इस सफल और बुद्धिमान वैज्ञानिक की कहानी काफी रोचक रही है। आइये विस्तार से जानते हैं अल्बर्ट आइंस्टीन के बारे में।

नामअल्बर्ट आइंस्टीन
जन्म14 मार्च 1879 (को उल्म,वुर्ट्टनबर्ग,जर्मन साम्राज्य में)
मृत्यु18 अप्रैल 1955 (कोप्रिंसटन,न्यू जर्सी, यूसए)
शिक्षास्विट्ज़रलैंड, ज्यूरिच पॉलीटेक्निकल अकादमी
निवासजर्मनी, इटली, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, यूनाइटेड किंगडम, यूनाइटेड स्टेट्स
किसके लिए जाना जाता हैप्रकाश की क्वांटम थ्योरी, E = MC square, स्पेशल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी, जनरल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी, आइंस्टीन का रेफ्रीजरेटर आदि।
जीवनसाथीमिलेवा मेरिक (1903 – 1919), एल्सा (1919 – 1936)
बच्चे3
माता – पितापॉलिन आइंस्टीन (माता), हरमन आइंस्टीन (पिता)
पुरस्कारभौतिकी का नॉबल पुरस्कार, मत्तयूक्की मैडल, कोपले मैडल, मैक्स प्लांक मैडल, शताब्दी के टाइम पर्सन

कौन हैं अल्बर्ट आइंस्टीन? – Albert einstein ka jivan parichay

अल्बर्ट आइंस्टीन एक जर्मन भौतिक विज्ञानी थे, जिन्हें व्यापक रूप से अब तक के सबसे महान भौतिकविदों में से एक माना जाता है। अल्बर्ट आइंस्टीन ने ब्रह्मांड की हमारी समझ को पूरी तरह से बदल दिया। आज उनके सिद्धान्तों की वजह से हम समय यात्रा के बारे में सोचते है। उन्होंने बताया की गुरुत्वाकर्षण कैसे काम करता है, गुरुत्वाकर्षण समय पर क्या असर डालता है, यदि हम लाइट की गति से चले तो क्या होगा और कई एसे सिद्धान्द जिन्होंने भौतिक विज्ञान में भूचाल ला दिया। इसलिए अल्बर्ट आइंस्टीन को बीसवीं सदी का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति भी माना जाता है। 

अल्बर्ट आइंस्टीन का प्रारंभिक जीवन 

अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च 1879 को जर्मनी के उल्म शहर में हुआ। किन्तु जर्मनी के म्युनिच शहर में वे बड़े हुए और इनकी शिक्षा का आरम्भ भी यही से हुआ। वे बचपन में पढ़ाई में बहुत ही कमजोर थे और उनके कुछ अध्यापकों ने उन्हें मानसिक रूप से विकलांग कहना शुरू कर दिया। 9 साल की उम्र तक वे बोलना नही जानते थे। वे प्रक्रति के नियमों, आश्चर्य की वेदना का अनुभव, कंपास की सुई की दिशा आदि में मंत्रमुग्ध रहते थे। उन्होंने 6 साल की उम्र में सारंगी बजाना शुरू किया और अपनी पूरी जिन्दगी में इसे बजाना जारी रखा। 12 साल की उम्र में इन्होंने ज्यामिति की खोज की एवं उसका सजग और कुछ प्रमाण भी निकाला। 16 साल की उम्र में, वे गणित के कठिन से कठिन हल को बड़ी आसानी से कर लेते थे।

अल्बर्ट आइंस्टीन की शिक्षा

अल्बर्ट आइंस्टीन की सेकेंडरी पढ़ाई 16 साल की उम्र तक ख़त्म हो चुकी थी। उनको स्कूल पसंद नही था, और वे बिना किसी को परेशान किये, विश्वविद्यालय में जाने के अवसर को ढूंढने की योजना बनाने लगे। उनके अध्यापक ने उन्हें वहाँ से हटा दिया, क्युकि उनका बर्ताव अच्छा नहीं था, जिसके कारण उनके सहपाठी प्रभावित होते थे। अल्बर्ट आइंस्टीन स्विट्ज़रलैंड के ज्यूरिच में ‘फ़ेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी’ में जाने के लिए प्रयास करने लगे, किन्तु वे वहाँ के दाखिले की परीक्षा में असफल हुए। फिर उनके प्राध्यापक ने सलाह दी कि सबसे पहले उन्हें स्विट्ज़रलैंड के आरौ में ‘कैनटोनल स्कूल’ में डिप्लोमा करना चाहिए। उसके बाद सन 1896 में फ़ेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में अपने आप ही दाखिला मिल जायेगा। उन्होंने प्राध्यापक की सलाह को समझा, वे यहाँ जाने के लिए बहुत ज्यादा इक्छुक थे और वे भौतिकी और गणित में अच्छे थे।

सन 1900 में अल्बर्ट आइंस्टीन ने फ़ेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से अपने ग्रेजुएशन की परीक्षा पास की, किन्तु उनके एक अध्यापक उनके खिलाफ थे, उनका कहना था की आइंस्टीन युसूअल युनिवर्सिटी असिस्टेंटशिप के लिए योग्य नही है।  सन 1902 में उन्होंने स्विट्ज़रलैंड के बर्न में पेटेंट ऑफिस में एक इंस्पेक्टर को रखा। उन्होंने 6 महीने बाद मरिअक से शादी कर ली जोकि उनकी ज्युरिच में सहपाठी थी। उनके 2 बेटे हुए, तब वे बर्न में ही थे और उनकी उम्र 26 साल थी। उस समय उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और अपना पहला क्रांतिकारी विज्ञान सम्बन्धी दस्तावेज लिखा।

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अल्बर्ट आइंस्टीन का करियर

अल्बर्ट आइंस्टीन ने बहुत सारे दस्तावेज लिखे इन दस्तावेजों से वे प्रसिद्ध हो गए। उनको जॉब के लिए युनिवर्सिटी में मेहनत करनी पड़ी। सन 1909 में बर्न युनिवर्सिटी में लेक्चरर की जॉब के बाद, आइंस्टीन ने ज्युरिच की युनिवर्सिटी में सहयोगी प्राध्यापक के लिए अपना नाम दिया। दो साल बाद क्ज़ेकोस्लोवाकिया के प्राग शहर में जर्मन युनिवर्सिटी में प्राध्यापक के लिए चुने गए। साथ ही 6 महीने के अंदर ही फ़ेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में प्राध्यापक बन गए। सन 1913 में जाने माने वैज्ञानिक मैक्स प्लांक और वाल्थेर नेर्न्स्ट ज्यूरिक आये और उन्होंने आइंस्टीन को जर्मनी में बर्लिन की युनिवर्सिटी में एक फायदेमंद अनुसंधान प्राध्यापकी के लिए प्रोत्साहित किया और उन्होंने विज्ञान की प्रुस्सियन अकादमी की पूरी मेम्बरशिप भी दी. आइंस्टीन ने इस अवसर को स्वीकार कर लिया। जब वे बर्लिन चले गए, तब उनकी पत्नी ज्यूरिक में अपने दो बच्चों के साथ ही रह रहीं थी और उनका तलाक़ हो गया। सन 1917 में आइंस्टीन ने एलसा से शादी कर ली।

सन 1920 में आइंस्टीन हॉलैंड में लेइदेन की युनिवर्सिटी में जीवनपरियंत सम्माननीय प्राध्यापकी के लिए चुने गए। इसके बाद इन्हें बहुत से पुरस्कार भी मिले। इसके बाद इनका कैरियर एक नए पड़ाव पर पहुँचा। इस समय आइंस्टीन ने कैलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में प्रस्थान किया, यह उनकी यूनाइटेड स्टेट्स में आखिरी ट्रिप थी। वे वहाँ 1933 में गए।

अल्बर्ट आइंस्टीन की मुख्य खोज 

अल्बर्ट आइंस्टीन ने बहुत से अविष्कार किये जिसके लिए उनका नाम प्रसिद्ध वैज्ञानिको में गिना जाने लगा, उनके कुछ अविष्कार इस प्रकार है-

प्रकाश की क्वांटम थ्योरी

आइंस्टीन की प्रकाश की क्वांटम थ्योरी में उन्होंने ऊर्जा की छोटी थैली की रचना की जिसे फोटोन कहा जाता है, जिनमें तरंग जैसी विशेषता होती है। उनकी इस थ्योरी में उन्होंने कुछ धातुओं से इलेक्ट्रॉन्स के उत्सर्जन को समझाया। उन्होंने फोटो इलेक्ट्रिक इफ़ेक्ट की रचना की। इस थ्योरी के बाद उन्होंने टेलेविज़न का अविष्कार किया, जोकि द्रश्य को शिल्पविज्ञान के माध्यम से दर्शाया जाता है। आधुनिक समय में बहुत से ऐसे उपकरणों का अविष्कार हो चुका है।

E = MC square

आइंस्टीन ने द्रव्यमान और ऊर्जा के बीच एक समीकरण प्रमाणित किया, उसको आज नुक्लेअर ऊर्जा कहते है।

ब्रोव्नियन मूवमेंट

यह अल्बर्ट आइंस्टीन की सबसे बड़ी और सबसे अच्छी ख़ोज कहा जा सकता है, जहाँ उन्होंने परमाणु के निलंबन में जिगज़ैग मूवमेंट का अवलोकन किया, जोकि अणु और परमाणुओं के अस्तित्व के प्रमाण में सहायक है। 

स्पेशल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी

अल्बर्ट आइंस्टीन की इस थ्योरी में समय और गति के सम्बन्ध को समझाया है. ब्रम्हांड में प्रकाश की गति को निरंतर और प्रक्रति के नियम के अनुसार बताया है।

जनरल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी

अल्बर्ट आइंस्टीन ने प्रस्तावित किया कि गुरुत्वाकर्षण स्पेस-टाइम कोंटीनूम में कर्व क्षेत्र है, जोकि द्रव्यमान के होने को बताता है।

मन्हात्तम प्रोजेक्ट

अल्बर्ट आइंस्टीन ने मन्हात्तम प्रोजेक्ट बनाया, यह एक अनुसंधान है, जोकि यूनाइटेड स्टेट्स का समर्थन करता है, उन्होंने सन 1945 में एटॉमिक बम को प्रस्तावित किया। उसके बाद उन्होंने विश्व युद्ध के दौरान जापान में एटॉमिक बम का विनाश करना सिखा।

आइंस्टीन का रेफ्रीजरेटर

यह अल्बर्ट आइंस्टीन का सबसे छोटा अविष्कार था, जिसके लिए वे प्रसिद्ध हुए। आइंस्टीन ने एक ऐसे रेफ्रीजरेटर का अविष्कार किया जिसमे अमोनिया, पानी, और ब्युटेन और ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा का उपयोग हो सके। उन्होंने इसमें बहुत सी विशेषताओं को ध्यान में रखकर यह रेफ्रीजरेटर का अविष्कार किया।

आसमान नीला होता है

यह एक बहुत ही आसान सा प्रमाण है कि आसमान नीला क्यों होता है किन्तु अल्बर्ट आइंस्टीन ने इस पर भी बहुत सी दलीलें पेश की। इस तरह अल्बर्ट आइंस्टीन ने बहुत से अविष्कार किये जिसके लिए उनका नाम इतिहास में मशहूर हो गया।

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पुरस्कार और सम्मान

यहां उन पुरस्कारों और सम्मानों की सूची दी गई है, जिससे अल्बर्ट आइंस्टीन को सम्मानित किया गया है –

  • अल्बर्ट आइंस्टीन को भौतिकी का नॉबल पुरस्कार सन 1921 में दिया गया।
  • अल्बर्ट आइंस्टीन को मत्तयूक्की मैडल सन 1921 में दिया गया।
  • अल्बर्ट आइंस्टीन को कोपले मैडल सन 1925 में दिया गया।
  • अल्बर्ट आइंस्टीन को मैक्स प्लांक मैडल सन 1929 में दिया गया।
  • अल्बर्ट आइंस्टीन को शताब्दी के टाइम पर्सन का पुरस्कार सन 1999 में दिया।

मृत्यु

18 अप्रैल 1955 (प्रिंसटन,न्यू जर्सी, यूएसए) को अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद, पैथोलॉजिस्ट डॉ थॉमस हार्वे ने आइंस्टीन के परिवार की अनुमति के बिना ही शोध के लिए अल्बर्ट आइंस्टीन का दिमाग निकाल लिया। इस हरकत के कारण डॉ हार्वे को नौकरी से निकाल दिया गया।

डॉ हार्वे ने कहा वो अल्बर्ट आइंस्टीन के दिमाग को केवल शोध के लिए इस्तेमाल करना चाहते है, ताकि हम उनकी बुद्धिमत्ता का राज जान सकें। लेकिन अनुमति न मिलने के कारण अल्बर्ट आइंस्टीन का दिमाग 20 सालो तक एक जार में रखा रहा। लेकिन फिर अल्बर्ट आइंस्टीन के बेटे हेन्स आइंस्टीन से अनुमति मिलने के बाद उन्होंने दिमाग के 256 टुकड़े कर बड़े-बड़े शोधकर्ताओं के पास भेज दिया। जिन्हें देखने के बाद उन्होने पाया कि उनके दिमाग में आम इन्सान से ज्यादा सेल्स की गिनती पाई गयी।

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अल्बर्ट आइंस्टीन के विचार

अल्बर्ट आइंस्टीन को आमतौर पर उनकी खोज के लिए जाना जाता है, इसके अलावा उन्होंने जो कहा और लिखा, उसके लिए भी उन्हें याद किया जाता है। अल्बर्ट आइंस्टीन के द्वारा कहे कुछ प्रसिद्ध कथन हैं –

  • दो चीजें अनंत हैं: ब्रह्माण्ड और मनुष्य कि मूर्खता; और मैं ब्रह्माण्ड के बारे में दृढ़ता से नहीं कह सकता।
  • जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं कि उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की।
  • प्रत्येक इंसान जीनियस है। लेकिन यदि आप किसी मछली को उसकी पेड़ पर चढ़ने की योग्यता से जज करेंगे तो वो अपनी पूरी ज़िन्दगी यह सोच कर जिएगी की वो मुर्ख है।
  • एक सफल व्यक्ति बनने का प्रयास मत करो, बल्कि मूल्यों पर चलने वाले इंसान बनो।
  • जब आप एक अच्छी लड़की के साथ बैठे हों तो एक घंटा एक सेकंड के सामान लगता है। जब आप धधकते अंगारे पर बैठे हों तो एक सेकंड एक घंटे के सामान लगता है। यही सापेक्षता है।
  • क्रोध मूर्खों की छाती में ही बसता है।
  • यदि मानव जीवन को जीवित रखना है तो हमें बिलकुल नयी सोच की आवश्यकता होगी।
  • इन्सान को यह देखना चाहिए कि क्या है, यह नहीं कि उसके अनुसार क्या होना चाहिए।
  • कोई भी समस्या चेतना के उसी स्तर पर रह कर नहीं हल की जा सकती है जिस पर वह उत्पन्न हुई है।
  • बिना सवाल किसी अधिकृत व्यक्ति का सम्मान करना सत्य के खिलाफ जाना है।
  • बीते हुए कल से सीखना, आज में जीना, कल के लिए आशा रखना। सबसे महत्तवपूर्ण चीज़ है, प्रश्न पूंछना बंद मत करना।
  • मूर्खता और बुद्धिमता में यह फर्क है की बुद्धिमता की एक सीमा होती है।
  • जि़न्दगी एक तरह से साइकिल को चलाने के समान है। जिस प्रकार आगे बढ़ने के लिए हमें साइकिल पर संतुलन की ज़रूरत होती है, उसी तरह संतुलित जीवन जीकर हम जि़न्दगी में आगे बढ़ सकते हैं।
  • यदि आप किसी कार्य को करने के सारे नियम जानते हैं, तो आप उस कार्य को किसी से भी बेहतर तरीके से कर सकते हैं।
  • समुद्री जहाज किनारों पर सबसे ज़्यादा सुरक्षित है, पर वो किनारों पर खड़े रहने के लिए नहीं बना है।

अनसुने तथ्य

अल्बर्ट आइंस्टीन के जीवन से जुड़े कुछ अनसुने और रोचक तथ्य यहां बताए गए हैं –

  • अल्बर्ट आइंस्टीन एक दिन कही भाषण देने जा रहे थे रास्ते में जाते समय उनके ड्राइवर ने उनसे कहा कि मैं आपका भाषण इतनी बार सुन चुका हूँ कि लोगों के सामने मैं ही आपका भाषण दे सकता हूँ। उसकी बात सुनकर उन्होंने उससे कहा ‘ठीक है आज तुम्हीं मेरी जगह भाषण देना’ अल्बर्ट आइंस्टीन ने ड्राइवर की पोशाक पहन कर उसका स्थान ले लिया और अपना स्थान ड्राइवर को दे दिया। भाषण हॉल में ड्राइवर ने सचमुच, आइंस्टाइन के जैसे ही, धुआँधार भाषण दिया।
  • भाषण देने के बाद जब लोगों ने प्रश्न पूछने शूरू किए और ड्राइवर पूरे आत्मविश्वास के साथ जवाब भी सही दिए। किन्तु किसी एक ने ऐसा कठिन प्रश्न पूछ लिया कि ड्राइवर को उसका उत्तर नहीं पता था। इस पर ड्राइवर ने कहा, “अरे इस प्रश्न का जवाब तो इतना सरल है कि मेरा ड्राइवर ही आपको बता देगा।” ऐसा कहकर उसने ड्राइवर वाली पोशाक पहने अल्बर्ट आइंस्टीन को जवाब देने के लिए खड़ा कर दिया।
  • महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन अपने दिमाग में ही शोध का विजुअल प्रयोग कर खाका तैयार कर लेते थे। यह उनके लेबोरेट्री प्रयोग से ज्यादा सटीक होता था। आइंस्टीन को उनके प्रयोग के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया, लेकिन इसके साथ मिलने वाली राशि पर उनका अधिकार नहीं हो पाया। यह राशि उनके तलाक के दौरान बीवी से सेटलमेंट के दौरान देनी पड़ी। भले ही आइंस्टीन को दुनिया सबसे महान वैज्ञानिक मानें, लेकिन वे बचपन में सीखने और पढ़ने में कमजोर और धीमे थे।
  • वे यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए पहले एंट्रेन्स एग्ज़ाम में फेल हो गए थे। एक पैथोलॉजिस्ट (रोग विज्ञानी) ने अल्बर्ट आइंस्टीन के शव परीक्षण के दौरान उनका दिमाग चुरा लिया था। उसके बाद वह 20 सालों तक एक जार में बंद रहा। आइंस्टीन अपनी खराब याददाश्त के लिए बदनाम थे। यह सच है कि वे अक्सर तारीखें, नाम और फोन नंबर भूल जाते थे।
  • अल्बर्ट आइंस्टीन को इज़राईल के राष्ट्रपति पद का प्रस्ताव दिया गया, लेकिन उन्होंने इसे विनम्रतापूर्वक मना कर दिया। इतने बड़े वैज्ञानिक के साथ कोई विवाद न हो, ऐसा हो नहीं सकता। वे 1902 में एक अवैध संतान के पिता बने। 1879 में जन्मे आइंस्टीन की कानूनी रूप से 1909 और 1919 में दो शादियाँ हुईं थीं। 

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पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ आधुनिक भौतिकी के जनक अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन परिचय (Albert einstein ka jivan parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 

FAQs

अल्बर्ट आइंस्टीन कौन हैं?

अल्बर्ट आइंस्टीन एक जर्मन भौतिक विज्ञानी थे, जिन्हें व्यापक रूप से अब तक के सबसे महान भौतिकविदों में से एक माना जाता है। अल्बर्ट आइंस्टीन ने ब्रह्मांड की हमारी समझ को पूरी तरह से बदल दिया। आज उनके सिद्धान्तों की वजह से हम समय यात्रा के बारे में सोचते है। उन्होंने बताया की गुरुत्वाकर्षण कैसे काम करता है, गुरुत्वाकर्षण समय पर क्या असर डालता है, यदि हम लाइट की गति से चले तो क्या होगा और कई एसे सिद्धान्द जिन्होंने भौतिक विज्ञान में भूचाल ला दिया। इसलिए अल्बर्ट आइंस्टीन को बीसवीं सदी का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति भी माना जाता है।

अल्बर्ट आइंस्टीन की दूसरी पत्नी कौन थीं?

अल्बर्ट आइंस्टीन की दूसरी पत्नी एल्सा थीं।

अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु कब हुई?

18 अप्रैल 1955 (प्रिंसटन,न्यू जर्सी, यूएसए) को अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु हो गई।

अल्बर्ट आइंस्टीन के दो महत्वपूर्ण विचार कौन से है?

अल्बर्ट आइंस्टीन के दो महत्वपूर्ण विचार यह हैं
जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं कि उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की।
प्रत्येक इंसान जीनियस है। लेकिन यदि आप किसी मछली को उसकी पेड़ पर चढ़ने की योग्यता से जज करेंगे तो वो अपनी पूरी ज़िन्दगी यह सोच कर जिएगी की वो मुर्ख है।

आइंस्टीन का रेफ्रीजरेटर क्या है?

यह अल्बर्ट आइंस्टीन का सबसे छोटा अविष्कार था, जिसके लिए वे प्रसिद्ध हुए। आइंस्टीन ने एक ऐसे रेफ्रीजरेटर का अविष्कार किया जिसमे अमोनिया, पानी, और ब्युटेन और ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा का उपयोग हो सके। उन्होंने इसमें बहुत सी विशेषताओं को ध्यान में रखकर यह रेफ्रीजरेटर का अविष्कार किया।

आशा है कि आपको आधुनिक भौतिकी के जनक अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन परिचय (Albert einstein ka jivan parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचयको पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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