Rambriksh Benipuri Ka Jivan Parichay: रामवृक्ष बेनीपुरी भारत के महान विचारक, स्वतंत्रता सेनानी, साहित्यकार, पत्रकार और संपादक थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन देश सेवा के लिए समर्पित कर दिया था। वहीं, आधुनिक हिंदी साहित्य में वह ‘शुक्लोत्तर युग’ के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। उनकी रचनाओं में स्वाधीनता की चेतना, मनुष्य की चिंता और इतिहास की युगानुरूप व्याख्या देखने को मिलती है। अपनी विशिष्ट शैली होने के कारण उन्हें ‘कमल का जादूगर’ भी कहा जाता है। क्या आप जानते हैं कि रामवृक्ष बेनीपुरी साहित्य सृजन के साथ ही वर्ष 1920 में राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़े हुए थे और उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था। उन्होंने राष्ट्रपिता ‘महात्मा गांधी’ के नेतृत्व में चलाए गए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (Quit India Movement) में भी भाग लिया था।
आपको बता दें कि रामवृक्ष बेनीपुरी की रचनाओं को विद्यालय के अलावा बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
आइए अब प्रसिद्ध साहित्यकार और स्वतंत्रता सेनानी रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय (Rambriksh Benipuri Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मूल नाम | रामवृक्ष बेनीपुरी (Rambriksh Benipuri) |
जन्म | 23 दिसंबर 1902 |
जन्म स्थान | मुजफ्फरपुर (बिहार) |
शिक्षा | विशारद |
पेशा | स्वतंत्रता सेनानी और साहित्यकार |
पिता का नाम | फूलवंत सिंह |
साहित्य काल | आधुनिक युग (शुक्लोत्तर युग) |
धारित पद | बिहार विधानसभा के सदस्य |
पुस्तक | पतितो के देश में, रेखा चित्र- माटी की मूरत, लाल तारा |
निधन | 9 सितंबर 1968 |
This Blog Includes:
- रामवृक्ष बेनीपुरी का प्रारंभिक जीवन – Rambriksh Benipuri Ka Jivan Parichay
- रामवृक्ष बेनीपुरी की शिक्षा
- स्वतंत्रता संग्राम में बेनीपुरी का असीम योगदान
- रामवृक्ष बेनीपुरी की प्रमुख रचनाएँ – Rambriksh Benipuri Ki Rachnaye
- रामवृक्ष बेनीपुरी की भाषा शैली
- योगदान
- सम्मान
- साहित्य में स्थान
- मुजफ्फरपुर में हुआ देहांत
- FAQs
रामवृक्ष बेनीपुरी का प्रारंभिक जीवन – Rambriksh Benipuri Ka Jivan Parichay
रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म बिहार के मुजफ्फरपुर के बेनीपुर गाँव में 23 दिसंबर 1902 को हुआ था। इनके पिता श्री फूलवंत सिंह एक साधारण किसान थे। बचपन में ही इनके माता-पिता का देहांत हो गया था। इनकी मौसी ने इनका लालन-पालन किया था।
रामवृक्ष बेनीपुरी की शिक्षा
इनकी प्रारंभिक शिक्षा बेनीपुर में ही हुई। बाद में इनकी शिक्षा इनके ननिहाल में भी हुई। मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के पूर्व ही 1920 में इन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी और महात्मा गांधी के नेतृत्व में प्रारंभ हुए असहयोग आंदोलन में चल पड़े। बाद में हिंदी साहित्य से ‘विशारद ‘ की परीक्षा उत्तीर्ण की।
स्वतंत्रता संग्राम में बेनीपुरी का असीम योगदान
भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में बेनीपुरी का असीम योगदान है। बेनीपुरी हिंदी साहित्य के पत्रकार थे और इन्होंने कई अख़बारों की शुरुआत की थी जिसमें 1929 में ‘युवक’ नाम का अख़बार भी शामिल था। इन्होंने राष्ट्रवाद का लोगों में खूब संदेश दिया था और ब्रिटिश राज को जड़ सहित उखाड़ने की कसम खाई थी। 1931 में ‘समाजवादी दल’ की स्थापना की. 1942 में अगस्त क्रांति आंदोलन के कारण उन्हें हजारीबाग जेल में जाना पड़ा और इतना ही नहीं इन्हें पत्र-पात्रिकाओं में देशभक्ति की जवाला भड़काने के आरोप में इन्हें अनेकों बार जेल जाना पड़ा। वहीँ हजारीबाग जेल में इन्होंने ‘’जनेऊ तोड़ो अभियान’’ भी जातिवाद के खिलाफ चलाया था। 1957 में अपने ‘समाजवादी दल’ के प्रत्याशी के रूप में बिहार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे।
रामवृक्ष बेनीपुरी की प्रमुख रचनाएँ – Rambriksh Benipuri Ki Rachnaye
रामवृक्ष बेनीपुरी ने हिंदी साहित्य के ‘शुक्लोत्तर युग’ में विभिन्न विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया हैं। किंतु गद्य की विविध विधाओं में उनके लेखन को व्यापक प्रतिष्ठा मिली है। इसके अलावा उन्होंने अनेक दैनिक, साप्ताहिक एवं मासिक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया, जिनमें ‘किसान मित्र’, ‘तरुण भारत’, ‘बालक’, ‘जनता’ और ‘नयी धारा’ महत्वपूर्ण हैं। यहाँ रामवृक्ष बेनीपुरी की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
कहानी-संग्रह
- चिता के फूल
उपन्यास
- पतितों के देश में
- क़ैदी की पत्नी
कविता-संग्रह
- नया आदमी
नाटक
- अम्बपाली
- सीता की माँ
- संघमित्रा
- अमर ज्योति
- तथागत
- सिंहल विजय
- शकुंतला
- रामराज्य
- नेत्रदान
- गाँव का देवता
- नया समाज
- विजेता
शब्दचित्र-संग्रह
- लाल तारा
- माटी की मूरतें
- गेहूँ और गुलाब
निबंध
- हवा पर
- नई नारी
- वंदे वाणी विनायकौ
- अत्र तत्र
ललित-निबंध
- सतरंगा इन्द्रधनुष
स्मृति-चित्र
- गांधीनामा
आत्मकथात्मक संस्मरण
- मुझे याद है
- ज़ंजीरें और दीवारें
- कुछ मैं कुछ वे
यात्रा साहित्य
- पैरों में पंख बाँधकर
- उड़ते चलो उड़ते चलो
जीवनी
- शिवाजी
- विद्यापति
- लंगट सिंह
- गुरु गोविंद सिंह
- रोज लग्ज़ेम्बर्ग
- जयप्रकाश
- कार्ल मार्क्स
रामवृक्ष बेनीपुरी की भाषा शैली
बेनीपुरी जी के निबंध संस्मरणत्मक और भावात्मक है। भावुक हृदय के तीव्र उच्चवास की छाया इनके प्रया: सभी निबंधों में विद्यमान है। बेनीपुरी जी के गद्य साहित्य मे गहन अनुभूतियां एवं कल्पनाओं की स्पष्ट झांकी देखने को मिलती है। भाषा पर इनकी अचूक पकड़ थी। इनकी भाषा में संस्कृत, अंग्रेजी और उर्दू के प्रचलित शब्दों का प्रयोग हुआ है। भाषा को सजीव, सरल और प्रभावी बनाने के लिए मुहावरों और लोक पंक्तियां का प्रयोग किया है। शैली में विविधता है, कहीं डायरी शैली, कहीं नाटक शैली। सर्वत्र भाषा में प्रवाह विद्वान है। रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय उनके भाषा शैली से भी मिलता है।
इनकी शैली की विशेषताएं कई है जो इनके हर लेखन में मिलती है। बेनीपुरी का गद्य हिंदी साहित्य, हिंदी की प्रकृति के अनुकूल है। बेनीपुरी ने वर्णनात्मक, आलोचनात्मक, प्रतीकात्मक, आलंकारिक और चित्रात्मक शैली का भी बखूबी इस्तेमाल किया है।
योगदान
बेनीपुरी एक जुझारू देश भक्त थे। देश भक्त और साहित्यकार दोनों ही रूप में इनका विशिष्ट स्थान है, रामधारी सिंह दिनकर जी ने इनके विषय में लिखा है – ‘बेनीपुरी केवल साहित्यकार नहीं थे, उनके भीतर केवल वही आग नहीं थी जो कलम से निकल कर साहित्य बन जाती है।’ ‘वे उस ज्वाला के भी धनी थे जो राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों को जन्म देती है, जो परंपराओं को तोड़ मूल्यों पर प्रहार करती है। बेनीपुरी के अंदर बेचैन कवि, चिंतक, क्रान्तिकारी और निडर योद्धा सभी एक साथ समाय थे।’ रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय उनका योगदान बहुत ही असीम है।
सम्मान
वर्ष 1999 में ‘भारतीय डाक सेवा’ द्वारा रामवृक्ष बेनीपुरी के सम्मान में भारत का भाषायी सौहार्द मनाने हेतु भारतीय संघ के हिंदी को राष्ट्रभाषा अपनाने की अर्धराती वर्ष में डाक टिकटों का एक संग्रह जारी किया। उनके सम्मान में बिहार सरकार द्वारा ‘वार्षिक अखिल भारतीय रामवृक्ष बेनीपुरी पुरस्कार’ दिया जाता है।
साहित्य में स्थान
बेनीपुरी बहुमुखी प्रतिभा वाले लेखक थे। इन्होंने गद्य की विविध विधाओं को अपनाकर साहित्य की सृष्टि की। पत्रकारिता से ही इनकी साहित्य साधना प्रारंभ हुई। साहित्य साधना और देशभक्ति इनके प्रिय विषय रहे। इनकी रचनाओं में कहानी, उपन्यास, नाटक, रेखाचित्र, संस्मरण, जीवनी, यात्रा वृतांत, ललित लेख आदि के बढ़िया उदाहरण मिल जाते हैं।
मुजफ्फरपुर में हुआ देहांत
09 सितंबर 1968 को रामवृक्ष बेनीपुरी 66 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गए थे।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म मुजफ्फरपुर, बिहार में हुआ था।
रामवृक्ष बेनीपुरी की मृत्यु 9 सितंबर 1968 को हुई थी।
जय प्रकाश, नेत्रदान, सीता की माँ, ‘विजेता’, ‘मील के पत्थर’, ‘गेहूँ और गुलाब’
माटी की मूरतें, रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा रचित रेखाचित्र-संकलन है, जिसमें बारह रेखाचित्रों का संकलन किया गया है।
उनके पिता का नाम ‘फूलवंत सिंह’ था।
आशा है कि आपको महान साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय (Rambriksh Benipuri Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचयको पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।