प्रख्यात साहित्यकार श्यामाचरण दुबे का जीवन परिचय और प्रमुख रचनाएँ

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श्यामाचरण दुबे का जीवन परिचय

श्यामाचरण दुबे भारत के अग्रणी मानवविज्ञानी, समाजशास्त्री एवं साहित्यकार थे। उन्हें एक कुशल प्रशासक और विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के सलाहकार के रूप में भी याद किया जाता है। भारत की जनजातियों और ग्रामीण समुदायों पर उनकी पुस्तकों को आदरपूर्वक पढ़ा जाता है। हिंदी भाषा में अपने उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों के साथ-साथ मानद उपाधियों से भी पुरस्कृत किया जा चुका है। ‘मानव और संस्कृति’, ‘परंपरा और इतिहास बोध, संस्कृति तथा शिक्षा’, ‘समाज और भविष्य’ तथा ‘भारतीय ग्राम’ उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं।

उपभोक्तावाद की संस्कृति’ निबंध के अतिरिक्त, उनकी कई अन्य रचनाएँ विद्यालय स्तर पर भी पढ़ाई जाती हैं। उनकी कृतियों पर अनेक शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं और कई शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। इसके साथ ही UGC-NET की हिंदी विषय परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों के लिए भी श्यामाचरण दुबे का जीवन परिचय तथा उनकी साहित्यिक कृतियों का अध्ययन आवश्यक हो जाता है।

नाम श्यामाचरण दुबे (Shyama Charan Dube) 
जन्म 25 जुलाई, 1922
जन्म स्थान बुंदेलखंड, मध्य प्रदेश
शिक्षा पीएचडी, नागपुर विश्वविद्यालय 
पत्नी का नाम लीला दुबे
पेशा मानवविज्ञानी, समाजशास्त्री वैज्ञानिक, प्राध्यापक व साहित्यकार
भाषा हिंदी 
मुख्य रचनाएँ मानव और संस्कृति, परंपरा और इतिहास बोध, संस्कृति तथा शिक्षा, समाज और भविष्य और भारतीय ग्राम आदि। 
पुरस्कार मूर्ति देवी पुरस्कार (1993)
निधन 4 फरवरी, 1996 
जीवनकाल 73 वर्ष 

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में हुआ था जन्म

श्यामाचरण दुबे का जन्म 25 जुलाई, 1922 को मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में हुआ था। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से ‘मानव विज्ञान’ में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। इसके उपरांत उन्होंने भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अध्यापन किया तथा अनेक संस्थानों में प्रमुख पदों पर कार्य किया। वे वर्ष 1975 से 1976 तक प्रतिष्ठित ‘भारतीय समाजशास्त्रीय सोसायटी’ (इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसाइटी) के अध्यक्ष भी रहे। उनका विवाह प्रसिद्ध मानवविज्ञानी और नारीवादी विदुषी ‘लीला दुबे’ से हुआ था।

श्यामाचरण दुबे का साहित्यिक परिचय 

श्यामाचरण दुबे ने जीवन, समाज और संस्कृति जैसे ज्वलंत विषयों पर अपनी लेखनी चलाई है। भारत की जनजातियों और ग्रामीण समुदायों पर उनकी पुस्तकों को आदरपूर्वक पढ़ा जाता है। वर्ष 1955 में ‘इंडियन विलेज’ के प्रकाशन के बाद उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पहचान प्राप्त हुई। उनकी कई पुस्तकों का अनुवाद विभिन्न भारतीय और विदेशी भाषाओं में किया गया है।

श्यामाचरण दुबे की प्रमुख रचनाएँ

श्यामाचरण दुबे को हिंदी साहित्य में गहरी रुचि थी। भारत के आदिवासी समाज और ग्रामीण जीवन पर लिखे गए उनके लेख सदैव पाठकों की रुचि का केंद्र बने रहते हैं। अपनी रचनाओं में वे गहन विचारों को स्पष्ट तर्क और सरल भाषा के माध्यम से प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करते हैं। यहाँ श्यामाचरण दुबे की सभी प्रमुख रचनाओं की जानकारी दी गई है, जो इस प्रकार हैं:-

प्रमुख रचनाएँ 

  • मानव और संस्कृति
  • परंपरा और इतिहास बोध  
  • संस्कृति तथा शिक्षा
  • समाज और भविष्य
  • भारतीय ग्राम
  • संक्रमण की पीड़ा 
  • विकास का समाजशास्त्र 
  • समय और संस्कृति 
  • भारतीय समाज
Shyama Charan Dube Ka Jivan Parichay

श्यामाचरण दुबे की भाषा शैली

श्यामाचरण दुबे की भाषा और शैली पर उनके व्यक्तित्व की स्पष्ट छाप दिखाई देती है। उनकी भाषा सहज-सरल खड़ीबोली है, जिसमें संस्कृत के तत्सम और तद्भव शब्दों का यथास्थान प्रयोग किया गया है। उन्होंने अपनी साहित्यिक रचनाओं में वर्णनात्मक, विवेचनात्मक एवं व्यंग्यात्मक शैलियों का प्रमुख रूप से प्रयोग किया है।

पुरस्कार एवं सम्मान 

श्यामाचरण दुबे को हिंदी भाषा और साहित्य में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों के साथ-साथ मानद उपाधियों से भी सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 1993 में उन्हें अपनी पुस्तक ‘परंपरा और इतिहास बोध’ के लिए प्रतिष्ठित ‘मूर्तिदेवी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।

73 वर्ष की आयु में हुआ निधन 

श्यामाचरण दुबे का 4 फरवरी, 1996 को 73 वर्ष की आयु में उम्र संबंधी बीमारियों के कारण निधन हो गया था। किंतु अपनी लोकप्रिय रचनाओं के लिए वे आज भी साहित्य-जगत में स्मरण किए जाते हैं।

FAQs 

श्यामाचरण दुबे का जन्म कहाँ हुआ था?

श्यामाचरण दुबे का जन्म 25 जुलाई, 1922 को मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में हुआ था। 

श्यामाचरण दुबे की पत्नी का नाम क्या था?

श्यामाचरण दुबे की पत्नी का नाम लीला दुबे था जो कि प्रसिद्ध मानवविज्ञानी और नारीवादी विद्वान थीं। 

श्यामाचरण दुबे को वर्ष 1993 में कौनसा पुरस्कार मिला था?

वर्ष 1993 में उन्हें ‘परंपरा और इतिहास बोध’ पुस्तक के लिए प्रतिष्ठित ‘मूर्तिदेवी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। 

मानव और संस्कृति किसकी रचना है?

मानव और संस्कृति, श्यामाचरण दुबे की लोकप्रिय पुस्तक है। 

श्यामाचरण दुबे की मृत्यु कब हुई?

श्यामाचरण दुबे का 4 फरवरी, 1996 को 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।

आशा है कि आपको प्रख्यात साहित्यकार श्यामाचरण दुबे का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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