समादृत साहित्यकार और संपादक श्रीकांत वर्मा का जीवन परिचय – Shrikant Verma Ka Jivan Parichay

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Shrikant Verma Ka Jivan Parichay

Shrikant Verma Ka Jivan Parichay: श्रीकांत वर्मा आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित कवि, कहानीकार, उपन्यासकार व संपादक माने जाते हैं। साहित्य सृजन के साथ ही उन्होंने भारतीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई है। इसके साथ ही वे ‘भारतीय श्रमिक’, ‘कृति’, ‘दिनमान’ और ‘वर्णिका’ आदि पत्रों से संबद्ध रहे। वहीं, ‘भटका मेघ’, ‘माया दर्पण’’, ‘दिनारंभ’, ‘जलसाघर’ और ‘मगध’ उनके बहुचर्चित काव्य संग्रह हैं। बता दें कि साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, तुलसी सम्मान’, ‘शिखर सम्मान’ और ‘नंददुलारे वाजपेयी पुरस्कार’ आदि से सम्मानित किया जा चुका है। 

बता दें कि श्रीकांत वर्मा की कुछ रचनाओं को विद्यालय के अलावा बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं।

इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी श्रीकांत वर्मा का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम समादृत साहित्यकार और संपादक श्रीकांत वर्मा का जीवन परिचय (Shrikant Verma Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम श्रीकांत वर्मा (Shrikant Verma) 
जन्म 18 सितंबर, 1931
जन्म स्थान बिलासपुर, मध्य प्रदेश 
शिक्षा एम.ए. हिंदी (नागपुर विश्वविद्यालय) 
पेशा कवि, कथाकार, अनुवादक व संपादक 
भाषा हिंदी 
विधाएँ कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना, यात्रा वृतांत, अनुवाद 
साहित्य काल आधुनिक काल (नई कविता)
पुरस्कार एवं सम्मान ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, तुलसी सम्मान’, ‘शिखर सम्मान’ और ‘नंददुलारे वाजपेयी पुरस्कार’ आदि। 
निधन 25 मई, 1986 न्यूयॉर्क, अमेरिका 

मध्य प्रदेश के बिलासपुर में हुआ था जन्म – Shrikant Verma Ka Jivan Parichay

प्रतिष्ठित कवि-कथाकार-अनुवादक और संपादक श्रीकांत वर्मा का जन्म 18 सितंबर, 1931 को मध्य प्रदेश के बिलासपुर में हुआ था। उनके पिता का नांम ‘राजकिशोर वर्मा’ था, जो कि पेशे से एक वकील थे। बताया जाता है कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर में हुई थी। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1956 में ‘नागपुर विश्वविद्यालय’ से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। 

साहित्यिक जीवन की शुरुआत 

शिक्षा के उपरांत श्रीकांत वर्मा ने आजीविका हेतु विद्यालय में शिक्षक की नौकरी की। किंतु वर्ष 1954 में जब उनकी मुलाकात विख्यात कवि गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ से हुई। तो उनकी प्रेरणा से उन्होंने बिलासपुर से नवलेखन की पत्रिका ‘नई दिशा’ का संपादन करना शुरू किया। यहीं से उनका साहित्य के क्षेत्र में भी पर्दापण हुआ। फिर वे उज्जवल भविष्य की खोज में दिल्ली आ गए और कुछ समय तक ‘भारतीय श्रमिक’ में उप-संपादक के रूप में कार्य करने लगे। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1958 से 62 तक दिल्ली की विशिष्ट पत्रिका ‘कृति’ का ‘नरेश मेहता’ के साथ संपादन किया। फिर वे वर्ष 1964 से साप्ताहिक ‘दिनमान’ से सम्बद्ध हुए।

राजनीति में भी रहे सक्रिय 

श्रीकांत वर्मा साहित्य और संपादन के अलावा भारतीय राजनीति में भी बहुत सक्रिय थे। साठ के दशक में वे ‘डॉ. राममनोहर लोहियाके संपर्क में आए और उनके विचारों से प्रभावित होकर राजनीति में कदम रखा। किंतु डॉ. लोहिया के असामयिक निधन और समाजवादी आंदोलन के बिखराव के बाद उनका वर्ष 1969 में ‘इंदिरा गांधी से परिचय हुआ। इसके बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया और वर्ष 1976 में मध्य प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य बने। फिर उन्होंने वर्ष 1980 में चुनाव का संचालन किया व वर्ष 1985 में कांग्रेस पार्टी के प्रमुख महासचिव और प्रवक्ता का पद संभाला। 

श्रीकांत वर्मा का साहित्यिक परिचय – Shrikant Verma Ka Sahityik Parichay

श्रीकांत वर्मा की रचनाओं में समय और समाज की विसंगतियों और विद्रूपताओं के प्रति क्षोभ का स्वर प्रकट होता है। इसके साथ ही उनकी कविताओं में ग्राम्य जीवन का सजीव चित्रण भी देखने को मिलता है। उनकी रचनाओं का कैनवास बहुत विशाल है जहाँ हमें सीधी-सरल भाषा में मानव जीवन के सभी पहलू आसनी से देखने को मिलते हैं और पाठक वर्ग भी उससे जुड़ाव महसूस करता है। 

श्रीकांत वर्मा की रचनाएँ – Shrikant Verma Ki Rachnaye

श्रीकांत वर्मा ने आधुनिक हिंदी साहित्य की कई विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया हैं। यहाँ श्रीकांत वर्मा का जीवन परिचय (Shrikant Verma Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:

कविता-संग्रह

  • भटका मेघ 
  • माया दर्पण 
  • दिनारंभ 
  • जलसाघर 
  • मगध 
  • गरुड़ किसने देखा है 
  • प्रतिनिधि कविताएँ’

कहानी-संग्रह 

  • झाड़
  • संवाद

उपन्यास 

  • दूसरी बार

आलोचना

  • जिरह

यात्रा-वृंतात 

  • अपोलो का रथ

अनुवाद

  • फ़ैसले का दिन – आन्द्रेई वोज्नेसेंस्की की कविताएँ

साक्षात्कार और वार्तालाप

  • बीसवीं शताब्दी के अँधेरे में

पुरस्कार एवं सम्मान 

श्रीकांत वर्मा (Shrikant Verma Ka Jivan Parichay) को आधुनिक हिंदी साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:

  • ‘जलसाघर’ के लिए ‘तुलसी सम्मान
  • मध्य प्रदेश शासन का प्रथम ‘शिखर सम्मान
  • यूनाइटेड नेशंस इंडियन काउंसिल ऑफ़ यूथ अवार्ड 
  • नंददुलारे वाजपेयी पुरस्कार 
  • तुलसी पुरस्कार
  • इंदिरा प्रियदर्शिनी सम्मान
  • कुमार आशान पुरस्कार 
  • साहित्य अकादमी पुरस्कार

न्यूयॉर्क में हुआ निधन 

श्रीकांत वर्मा ने कई विधाओं में अपनी लेखनी चलाकर हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है। किंतु कैंसर की बीमारी के कारण उनका अमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थित स्लोन केटरिंग मेमोरियल अस्पताल में 54 वर्ष की आयु में 25 मई, 1986 को निधन हो गया। लेकिन आज भी वे अपनी लोकप्रिय रचनाओं के लिए हिंदी साहित्य जगत में जाने जाते हैं। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ समादृत साहित्यकार और संपादक श्रीकांत वर्मा का जीवन परिचय (Shrikant Verma Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 

FAQs 

श्रीकांत वर्मा का जन्म कब हुआ था?

उनका जन्म 18 सितंबर, 1931 को मध्य प्रदेश के बिलासपुर में हुआ था। 

श्रीकांत वर्मा के पिता का क्या नाम था?

उनके पिता का नाम राजकिशोर वर्मा था। 

श्रीकांत वर्मा जी का अंतिम काव्य संग्रह कौन सा है?

‘मगध’ उनकी आखिरी दौर की रचना मानी जाती है। 

‘अपोलो का रथ’ के रचनाकार कौन है?

यह श्रीकांत वर्मा का चर्चित यात्रा-वृतांत है। 

श्रीकांत वर्मा ने किस विश्वविद्यालय से एम.ए किया था?

उन्होंने वर्ष 1956 में ‘नागपुर विश्वविद्यालय’ से हिंदी साहित्य में एम.ए किया था। 

श्रीकांत वर्मा का निधन कब हुआ था?

कैंसर की बीमारी के कारण उनका 54 वर्ष की आयु में 25 मई, 1986 को निधन हो गया था। 

आशा है कि आपको समादृत साहित्यकार और संपादक श्रीकांत वर्मा का जीवन परिचय (Shrikant Verma Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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