मानव अपने कर्मों के बल पर ही अपने जीवन का उद्देश्य निर्धारित करता है, कर्म ही मानव को महापुरुष बनाते हैं। आज का यह ब्लॉग ऐसे ही महापुरुष की संघर्ष गाथा का गान है, जिनके कथन वर्तमान समय में भी प्रासंगिक माने जाते हैं। उस महापुरुष का नाम डॉ. भीमराव अंबेडकर है। संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर को आधुनिक भारत का शिल्पकार कहा जाता है।
यूँ तो महापुरुषों के कथन युगों-युगों तक प्रासंगिक रहते हैं, जो युवाओं को सदैव प्रेरित करते हैं। इसी प्रकार डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के 10 कथन हैं जो भारत के हर युवा को प्रेरित करने में सक्षम हैं, जो कि निम्नलिखित हैं-
- शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो।
इस कथन के माध्यम से हम सीख सकते हैं कि शिक्षा पाने के लिए संघर्ष करना और संघर्ष के समय संगठित रहना ही आपको समृद्धशाली बनाता है। - हम आदि से अंत तक भारतीय हैं।
इस कथन के माध्यम से हम समझ सकते हैं कि हमारी पहली पहचान भारतीय होना है और हमें अपनी पहचान पर गर्व होना चाहिए। - ज्ञान हर व्यक्ति के जीवन का आधार है।
यह कथन हमें बताता है कि हमारी जाति चाहे कोई भी हो, ज्ञान को पाना हम सभी के जीवन का मूल आधार होता है। इसीलिए ज्ञान ही हमारे जीवन का आधार होता है। - जीवन लंबा होने के बजाय महान होना चाहिए।
इस कथन के माध्यम से समझा जा सकता है कि जीवन को लंबा जीने की जिद्द रखे बिना, हमें जीवन को महानता के साथ जीना चाहिए। - न्याय हमेशा समानता के विचार को पैदा करता है।
यह कथन ही हम में हौसलों का संचार करता है क्योंकि न्याय सदा ही समानता के भाव को, समानता के विचार को पैदा करता है। यही समानता का अधिकार हमें समाज में सम्मान से जीना सिखाता है। - शिक्षा वह शेरनी है, जिसका दूध जो पियेगा वह दहाड़ेगा।
शिक्षा के प्रति dr. bhimrao ambedkar जी का यह कथन शत-प्रतिशत सत्य और प्रासंगिक है क्योंकि यदि आप शिक्षित है तो आप अपने अधिकारों का संरक्षण करने में सक्षम होते हैं। - छीने हुए अधिकार भीख में नहीं मिलते, अधिकारों को वसूल करना पड़ता है।
यह कथन आपको वास्तविकता से परिचित करता है, यानि कि यदि आपके अधिकारों को छीना जा रहा है तो आप उन्हें किसी से मांग कर हासिल नहीं कर सकते हैं। अपने अधिकारों के संरक्षण या अधिकारों को पाने के लिए आपको लड़ना पड़ता है। इस लड़ाई में आपका शस्त्र आपकी शिक्षा ही होती है। - यदि हम आधुनिक विकसित भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों को एक होना पड़ेगा।
यह कथन हर मानव को मानवता सिखाता है, यदि हम चाहते हैं कि हम आधुनिक विकास करें या विश्वगुरु बनकर संसार को मार्ग दिखाएं तो उसके लिए हम में आपसी सद्भावना होनी चाहिए। - जो कौम अपना इतिहास नहीं जानती है, वह कौम कभी अपना इतिहास नहीं बना सकती।
इस कथन का सीधा अर्थ है कि जब तक हम अपनी मूल जड़ों से नहीं जुड़ते हैं तब तक हम खुद का विकास नहीं कर सकते हैं। यह कथन हमें सिखाता है कि हमें अपने इतिहास पर सदा ही गौरव की अनुभूति होनी चाहिए। - संवैधानिक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है, जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं कर लेते।
यह कथन हमें बताता है कि जब तक हम सभी को समाज में समान अधिकार नहीं मिलते, तब तक हम संवैधानिक तौर पर स्वतंत्रता की बात नहीं समझ सकते हैं। सामाजिक स्वतंत्रता का अर्थ यह नहीं कि आप बेलगाम हो जाएं। संवैधानिक स्वतंत्रता की कल्पना आप सामाजिक स्वतंत्रता के बिना नहीं कर सकते हैं।
बाबा साहेब ने हर वर्ग के लिए शिक्षित होने की बात कही है और यही बात समान रूप से भारतीय संविधान भी कहता है। आपको अधिकारों की स्वतंत्रता तब तक है, जब तक आप सामने वाले के अधिकारों का हनन नहीं करते हैं। आशा है कि आपको यह ब्लॉग जानकारी से भरपूर लगा होगा और इस ब्लॉग के शब्दों ने आपको प्रेरित किया होगा। इसी प्रकार के ब्लॉग पढ़ने के लिए हमारी Leverage Edu के साथ बनें रहें।