डॉ. भीमराव अंबेडकर का जीवन केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं, बल्कि पूरे समाज की चेतना का जागरण था। उन्होंने अपने विचारों और संघर्षों से करोड़ों लोगों को शिक्षा, समानता और अधिकारों की राह दिखाई। चाहे वह संविधान निर्माण की बात हो, सामाजिक न्याय की लड़ाई या शिक्षा का महत्व—हर मोर्चे पर उन्होंने बेझिझक अपनी बात रखी। ऐसे महान चिंतक के कथन आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके जीवनकाल में थे। इस लेख में आपके लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर के 20 कथन दिए गए हैं, जिनका उद्देश्य समाज के हर वर्ग, समुदाय और व्यक्ति को समान अधिकार देने की पैरवी करना है। डॉ. भीमराव अंबेडकर के 20 कथन आपको परिश्रम का सद्मार्ग दिखाकर, जीवनभर प्रेरित करने में मुख्य भूमिका निभाएंगे। डॉ अंबेडकर के विचार (Ambedkar Ke Vichar) को पढ़ने के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
डॉ. भीमराव अंबेडकर के 20 कथन
यहाँ आपके लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर के 20 कथन दिए गए हैं। बताना चाहेंगे कि यूँ तो महापुरुषों के कथन युगों-युगों तक प्रासंगिक रहते हैं, जो युवाओं को सदैव प्रेरित करते हैं। इसी प्रकार डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के 20 कथन (बाबा साहब के मोटिवेशन) हैं, जो भारत के हर युवा को प्रेरित करने में सक्षम हैं, जो कि निम्नलिखित हैं-
- शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो।
इस कथन के माध्यम से हम सीख सकते हैं कि शिक्षा पाने के लिए संघर्ष करना और संघर्ष के समय संगठित रहना ही आपको समृद्धशाली बनाता है। - हम आदि से अंत तक भारतीय हैं।
इस कथन के माध्यम से हम समझ सकते हैं कि हमारी पहली पहचान भारतीय होना है और हमें अपनी पहचान पर गर्व होना चाहिए। - ज्ञान हर व्यक्ति के जीवन का आधार है।
यह कथन हमें बताता है कि हमारी जाति चाहे कोई भी हो, ज्ञान को पाना हम सभी के जीवन का मूल आधार होता है। इसीलिए ज्ञान ही हमारे जीवन का आधार होता है। - जीवन लंबा होने के बजाय महान होना चाहिए।
इस कथन के माध्यम से समझा जा सकता है कि जीवन को लंबा जीने की जिद्द रखे बिना, हमें जीवन को महानता के साथ जीना चाहिए। (बाबा साहब के मोटिवेशन) - न्याय हमेशा समानता के विचार को पैदा करता है।
यह कथन ही हम में हौसलों का संचार करता है क्योंकि न्याय सदा ही समानता के भाव को, समानता के विचार को पैदा करता है। यही समानता का अधिकार हमें समाज में सम्मान से जीना सिखाता है। - शिक्षा वह शेरनी है, जिसका दूध जो पियेगा वह दहाड़ेगा।
शिक्षा के प्रति dr. bhimrao ambedkar जी का यह कथन शत-प्रतिशत सत्य और प्रासंगिक है क्योंकि यदि आप शिक्षित है तो आप अपने अधिकारों का संरक्षण करने में सक्षम होते हैं। - छीने हुए अधिकार भीख में नहीं मिलते, अधिकारों को वसूल करना पड़ता है।
यह कथन आपको वास्तविकता से परिचित करता है, यानि कि यदि आपके अधिकारों को छीना जा रहा है तो आप उन्हें किसी से मांग कर हासिल नहीं कर सकते हैं। अपने अधिकारों के संरक्षण या अधिकारों को पाने के लिए आपको लड़ना पड़ता है। इस लड़ाई में आपका शस्त्र आपकी शिक्षा ही होती है। - यदि हम आधुनिक विकसित भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों को एक होना पड़ेगा।
यह कथन भारतीय लोगों को एक होकर देश के विकास में भागीदार बनने के लिए प्रेरित करता है,यदि हम चाहते हैं कि हम आधुनिक विकास करें और हमारा देश संसार में सबसे आगे रहे तो उसके लिए हम सभी भारतीयों को जाति और धर्म से ऊपर उठकर देश के लिए सोचना होगा। - जो कौम अपना इतिहास नहीं जानती है, वह कौम कभी अपना इतिहास नहीं बना सकती।
इस कथन का सीधा अर्थ है कि जब तक हम अपनी मूल जड़ों से नहीं जुड़ते हैं तब तक हम खुद का विकास नहीं कर सकते हैं। यह कथन हमें सिखाता है कि हमें अपने इतिहास पर सदा ही गौरव की अनुभूति होनी चाहिए। - संवैधानिक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है, जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं कर लेते।
यह कथन हमें बताता है कि जब तक हम सभी को समाज में समान अधिकार नहीं मिलते, तब तक हम संवैधानिक तौर पर स्वतंत्रता की बात नहीं समझ सकते हैं। सामाजिक स्वतंत्रता का अर्थ यह नहीं कि आप बेलगाम हो जाएं। संवैधानिक स्वतंत्रता की कल्पना आप सामाजिक स्वतंत्रता के बिना नहीं कर सकते हैं। - अगर मुझे कभी लगा कि संविधान का गलत प्रयोग हो रहा है तो सबसे पहले मैं ही इसे जलाऊंगा।
यहाँ डॉ. अंबेडकर कहना चाह रहे हैं कि यदि कभी किसी ने संविधान को गलत तरीके से प्रयोग करने की कोशिश की तो वे खुद ही इसे नष्ट कर देंगे।
12. मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है।
यहाँ डॉ. अंबेडकर ऐसे धर्म को मानने की बात कर रहे हैं जो समानता और भाईचारे का सन्देश देता हो। वास्तव में डॉ. अंबेडकर यहाँ मानवता के धर्म का पालन करने की बात कर रहे हैं।
13. जो इंसान अपनी मौत को सदा याद रखता है, वह अच्छे काम करने में लगा रहता है।
यहाँ डॉ. अंबेडकर बता रहे हैं कि मृत्यु एक दिन सबको आनी है। इसलिए इस बात को याद रखते हुए हमें इस जीवन को अच्छे कार्यों को करने के लिए समर्पित कर देना चाहिए।
14. अपने भाग्य की बजाय अपने कार्यों की मजबूती पर विश्वास रखो।
यहाँ डॉ. कलाम लोगों से कर्म प्रधान बनने की बात कह रहे हैं। वे लोगों से कह रहे हैं कि उन्हें किस्मत के भरोसे न रहकर कर्मों को अच्छे तरीके से अंजाम देना चाहिए।
15. मैं किसी समाज की प्रगति को उसकी महिलाओं की प्रगति से मापता हूँ।
बाबा साहेब अंबेडकर महिला शिक्षा और महिला उत्थान के बहुत बड़े समर्थक थे। वे कहते थे कि कोई भी समाज तब तक पूरी तरह से तरक्की नहीं कर सकता जब तक वहां पर महिलाओं को उनके अधिकार न मिलें।
16. जैसे मनुष्य नश्वर है, वैसे ही विचार भी हैं। एक विचार को प्रचार की आवश्यकता होती है, जैसे एक पौधे को पानी की आवश्यकता होती है, अन्यथा यह सूख जाता है और मर जाता है।
यहाँ डॉ. अंबेडकर बता रहे हैं कि शरीर की तरह ही महान लोगों के विचार भी एक दिन दुनिया से चले जाते हैं। इसलिए विचारों को किसी पौधे की तरह पोषित करते रहना आवश्यक होता है। (बाबा साहब के मोटिवेशन)
17. समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक नियामक सिद्धांत के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए।
यहाँ डॉ. अंबेडकर समाज में समानता के अधिकार के महत्व को उजागर कर रहे हैं। उनके अनुसार अगर कुछ लोग समानता के विचार को सिर्फ एक कल्पना भी मानते हैं तब भी उन्हें समानता को स्वीकार करना चाहिए।
18. एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है कि वह समाज का नौकर बनने को तैयार रहता है।
यहाँ डॉ. अंबेडकर बताना चाह रहे हैं कि जो व्यक्ति प्रतिष्ठित होते हुए भी सदा समाज की सेवा करने को तत्पर रहता है, वह वास्तव में महान होता है।
19. धर्म मनुष्य के लिए है न कि मनुष्य धर्म के लिए
यहाँ डॉ. अंबेडकर धर्म के महत्व ज़ोर देते हुए कहते हैं कि धर्म मनुष्य को एक बेहतर इंसान बनाने के लिए है। इसके लिए उत्तेजित होकर लड़ना झगड़ना बेकार है। इसकी बजाय सभी धर्म के लोगों को अपने धर्म में लिखी इन्सानित की बातों का पालन करना चाहिए।
20. बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।
यहाँ डॉ. अंबेडकर मनुष्य के बौद्धिक विकास को मानव जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहना चाह रहे हैं कि मनुष्य को अपने अंतिम समय तक अधिक से अधिक ज्ञान को अर्जित करने और अपने बौद्धिक विकास को बढ़ाने के प्रयास में लगे रहना चाहिए।
डॉ अंबेडकर के विचार – Ambedkar Ke Vichar
यहाँ आपके लिए डॉ अंबेडकर के विचार (Ambedkar Ke Vichar) दिए गए हैं, जो समाज में समानता की पैरवी करते हैं। डॉ अंबेडकर के विचार (Ambedkar Ke Vichar) इस प्रकार हैं –
शिक्षा वह शस्त्र है जिससे समाज की सबसे गहरी बेड़ियाँ तोड़ी जा सकती हैं।
जीवन में आत्म-सम्मान की लड़ाई सबसे बड़ी क्रांति की शुरुआत है।
जो व्यक्ति सवाल नहीं करता, वह कभी बदलाव का भागीदार नहीं बनता।
सामाजिक समानता केवल कानून से नहीं, सोच से भी आती है।
संविधान तभी जीवित है जब हर नागरिक उसे समझे और माने।
जाति को मिटाना है तो सोच बदलनी होगी, व्यवस्था नहीं बस भावना।
स्वतंत्रता का मतलब केवल बोलने की आज़ादी नहीं, बराबरी से जीने का हक भी है।
जो लोग संघर्ष से भागते हैं, वे अधिकारों की कीमत नहीं समझ सकते।
समानता का सपना तब पूरा होगा जब हर बच्चा एक जैसा सपना देख सकेगा।
न्याय तब तक अधूरा है जब तक अंतिम पंक्ति का व्यक्ति उसे महसूस न कर सके।
आत्मनिर्भरता तब आती है जब व्यक्ति खुद को दूसरों से कम नहीं समझता।
यदि अधिकार चाहिए तो पहले ज्ञान, संघर्ष और एकता को अपनाना होगा।
बदलाव किताबों से नहीं, सोच और कर्म से आता है।
समाज वही आगे बढ़ता है जिसमें हर वर्ग की आवाज़ सुनी जाती है।
संविधान केवल शब्दों का संग्रह नहीं, यह भारत की आत्मा है।
जो जाति के नाम पर वोट मांगते हैं, वे लोकतंत्र के असली दुश्मन हैं।
कर्म की पूजा तभी सच्ची है जब उसका लाभ सभी को बराबरी से मिले।
अगर समाज सोया रहे तो संविधान भी कागज़ का टुकड़ा बन जाता है।
व्यक्ति छोटा नहीं होता, अवसरों की असमानता उसे छोटा बनाती है।
जो अपने अधिकारों के लिए नहीं लड़ता, वह दूसरों के अधीन रहता है।
सबसे बड़ा दान ज्ञान का होता है, क्योंकि वह सोच बदलता है।
शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो — यही परिवर्तन का मार्ग है।
समाज में बदलाव केवल भाषणों से नहीं, व्यवहार से आता है।
जो दूसरों को नीचा दिखा कर ऊपर चढ़े, वह कभी ऊँचाई नहीं पा सकता।
जो संविधान को समझता है, वही अपने अधिकारों की रक्षा कर सकता है।
हक मांगने की नहीं, उसे हासिल करने की आदत डालो।
लोकतंत्र तभी मजबूत होता है जब हर आवाज़ को महत्व दिया जाए।
देश की तरक्की तभी संभव है जब समाज के अंतिम व्यक्ति को अवसर मिले।
सोच में क्रांति आए तो व्यवस्था अपने आप बदलती है।
नफरत बाँटने वाले समाज को जोड़ नहीं सकते।
न्याय वहीं है जहाँ बिना भेदभाव के हर किसी को समान अवसर मिले।
FAQs
डॉ. अंबेडकर के कथनों ने समानता, शिक्षा और सामाजिक न्याय को नई दिशा दी। उनके विचारों ने भारत में सामाजिक सुधार और संविधान निर्माण को मजबूती दी।
“शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो” को उनका सबसे प्रेरणादायक कथन माना जाता है, जो आज भी युवाओं के लिए मार्गदर्शन है।
जी हां, उनके कथन आज भी सामाजिक समानता, शिक्षा और अधिकारों की बात करते हैं, जो आज के युग में भी उतने ही जरूरी हैं।
बिलकुल, उनके कथनों पर आधारित निबंध, भाषण और पोस्टर प्रतियोगिताएं बहुत प्रेरक और शिक्षाप्रद होती हैं।
उदाहरणों और कहानियों के माध्यम से उनके विचारों को सरल भाषा में समझाकर बच्चों को समानता और आत्म-सम्मान का महत्व सिखाया जा सकता है।
आप भारत सरकार की वेबसाइट, शैक्षणिक पोर्टल्स, और हिंदी ब्लॉग्स पर डॉ. अंबेडकर के कथनों को विस्तार से पढ़ सकते हैं।
नहीं, उनके कई कथन सामाजिक सुधार, शिक्षा, अधिकार, आत्म-निर्भरता और आत्म-सम्मान से भी जुड़े हुए हैं।
आप उनके विचारों को उद्धरण के रूप में पोस्ट कर सकते हैं, उनके कथनों पर आधारित रील्स, ग्राफिक्स या ब्लॉग भी शेयर किए जा सकते हैं।
हां, उनके कथन आत्म-बल, आत्म-सम्मान और संघर्ष की प्रेरणा देते हैं, जो किसी भी मोटिवेशनल भाषण में प्रभावी होते हैं।
उनका प्रसिद्ध कथन – “शिक्षा वह शस्त्र है जिससे हम दुनिया को बदल सकते हैं” – शिक्षा की शक्ति को दर्शाता है।
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आशा है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती 2025 पर इस लेख में लिखे गए डॉ. भीमराव अंबेडकर के 20 कथन आपको पसंद आए होंगे। इसी प्रकार के ब्लॉग पढ़ने के लिए हमारी Leverage Edu के साथ बनें रहें।