Shailesh Matiyani Ka Jivan Parichay: शैलेश मटियानी आधुनिक हिंदी साहित्य में ‘नई कहानी आंदोलन’ के प्रतिष्ठित कवि और गद्यकार थे। उन्होंने साहित्य की अनेक विधाओं में अनुपम रचनाओं का सृजन किया है। वहीं, साहित्य और शिक्षा में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें ‘फणीश्वरनाथ रेणु पुरस्कार’, ‘शारदा सम्मान’ व ‘लोहिया सम्मान’ आदि से पुरस्कृत किया जा चुका है।
बता दें कि शैलेश मटियानी (Shailesh Matiyani) के उपन्यास ‘मुख सरोवर के हंस’ और कुछ लोकप्रिय कहानियों को विद्यालय के अलावा बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं।
इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी शैलेश मटियानी का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम समादृत कवि-कथाकार शैलेश मटियानी का जीवन परिचय (Shailesh Matiyani Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मूल नाम | रमेशचंद्र सिंह मटियानी |
उपनाम | शैलेश मटियानी (Shailesh Matiyani) |
जन्म | 14 अक्तूबर 1931 |
जन्म स्थान | बाड़ेछीना गांव, अल्मोड़ा जिला, उतराखंड |
पिता का नाम | बिशन सिंह मटियानी |
शिक्षा | हाईस्कूल |
पेशा | कवि, गद्यकार व संपादक |
भाषा | हिंदी |
विधाएँ | उपन्यास, कहानी, कविता, एकांकी, |
पत्नी का नाम | नारायणी देवी |
साहित्य काल | आधुनिक काल (नई कहानी आंदोलन) |
पुरस्कार एवं सम्मान | ‘फणीश्वरनाथ रेणु पुरस्कार’, ‘शारदा सम्मान’ व ‘लोहिया सम्मान’ आदि। |
निधन | 24 अप्रैल, 2001 दिल्ली |
This Blog Includes:
उतराखंड के अल्मोड़ा जिले में हुआ था जन्म – Shailesh Matiyani Ka Jivan Parichay
शैलेश मटियानी का जन्म 14 अक्तूबर 1931 को उतराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले में बाड़ेछीना नामक गांव में हुआ था। बता दें कि उनका मूल नाम ‘रमेश चंद्र सिंह मटियानी’ था। किंतु साहित्य जगत में वे ‘शैलेश मटियानी’ के नाम से विख्यात हुए। बताया जाता हैं जब वे महज 12 वर्ष के थे उसी दौरान उनके माता-पिता का आकस्मिक निधन हो गया था। उस समय वे पांचवी कक्षा के छात्र थे।
विद्याध्ययन में पड़ा व्यवधान
इसके बाद शैलेश मटियानी की परवरिश उनके चाचा शेरसिंह ने की लेकिन इस बीच उनकी पढ़ाई रुक गई और उन्हें कुछ समय तक बूचड़खाने तथा जुए की नाल उघाने का कार्य करना पड़ा। किंतु पांच वर्षों बाद उन्होंने 17 वर्ष की आयु में पुनः पढ़ाई आरंभ की और अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए वर्ष 1951 में हाईस्कूल की परीक्षा पास की।
संघर्षमय रहा जीवन
हाईस्कूल की शिक्षा के उपरांत वे आजीविका हेतु इलाहाबाद चले गए। लेकिन यहाँ भी उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। फिर उनका जीवन मुज़फ्फरनगर, दिल्ली और मुंबई में बीता। जीवन के हर एक स्थान पर उन्हें कठिन परिश्रम करना पड़ा लेकिन प्रतिकूल परिस्थितियां होने के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनका लेखन कार्य निरंतर चलता रहा, वहीं मुंबई में साढ़े तीन वर्ष तक श्रीकृष्ण पुरी हाउस में कार्य करने के दौरान उन्होंने अनेक कहानियां और कविताएं लिखी। बताया जाता है कि अपने दो लोकप्रिय उपन्यास ‘बोरीबली से बोरी बंदर तक’ और ‘कबूतर खाना’ भी उन्होंने यहीं रहते हुए लिखें।
वर्ष 1958 में उनका विवाह ‘नारायणी देवी’ से हुआ था। फिर वे दिल्ली चले गए जहाँ और साहित्य की साधना में जुट गए। किंतु उनके जीवन में दुःखद मोड़ तब आया जब वे दिल्ली से इलाहाबाद आ गए यहीं उनके छोटे पुत्र की मृत्यु हो गई। पुत्र की मृत्यु के बाद वे इलाहाबाद छोड़कर सपरिवार हल्द्वानी आ गए किंतु पुत्र के शोक में उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। इसके कारण मानसिक बीमारी के कारण उनका 24 अप्रैल 2001 को दिल्ली में निधन हो गया।
शैलेश मटियानी की साहित्यिक रचनाएँ – Shailesh Matiyani Ki Rachnaye
शैलेश मटियानी ने ‘नई कहानी आंदोलन’ में कई अनुपम कृतियों का सृजन किया हैं। उनकी रचनाओं में स्वयं के भोगे हुए यथार्थ का सजीव चित्रण देखने को मिलता है। वहीं उनके लेखन का मज़बूत पक्ष ‘कथ्य और संवेदना’ है। यहाँ शैलेश मटियानी का जीवन परिचय (Shailesh Matiyani Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
उपन्यास
- बोरीवाली से बोरीबंदर तक
- चंद औरतों का शह
- कबूतरखाना
- हौलदार
- तिरिया भली न काठ की
- सर्पगन्धा
- आकाश कितना अनंत है
- सवित्तरी
- गोपुली गफूरन
- बावन नदियों का संगम
- अर्द्ध कुंभ की यात्रा
- मुठभेड़
- नागवल्लरी
- माया सरोवर
- किस्सा नर्मदाबेन गंगू बाई
- चौथी मुट्ठी
- बारूद और बचुली
- मुख सरोवर के हंस
- एक मूठ सरसों
- बेला हुई अबेर
- कोई अजनबी नहीं
- दो बूँद जल
- भागे हुए लोग
- पुनर्जन्म के बाद
- जलतरंग
- बर्फ गिर चुकने के बाद
- उगते सूरज की किरण
- छोटे-छोटे पक्षी
- रामकली
कहानी-संग्रह
- बर्फ की चट्टानें
- जंगल में मंगल
- चील
- हत्यारे
- प्यास और पत्थर
- नाच, जमूरे नाच
- मेरी तैंतीस कहानियाँ
- दो दुखों का एक सुख
- दूसरों के लिए
- सुहागिनी तथा अन्य कहानियाँ
- सफर पर जाने के पहले
- हारा हुआ
- अतीत तथा अन्य कहानियाँ
- मेरी प्रिय कहानियाँ
- पाप मुक्ति तथा अन्य कहानियाँ
- माता तथा अन्य कहानियाँ
- भविष्य तथा अन्य कहानियाँ
- अहिंसा तथा अन्य कहानियाँ
- भेंड़े और गड़ेरिए’
यात्रा संस्मरण
- पर्वत से सागर तक
विविध
- मुख्य धारा का सवाल
- लेखक और संवेदना
- त्रिज्या
- यदा-कदा
- कागज की नाव
- राष्ट्रभाषा का सवाल
- राष्ट्रीयता की चुनौतियां
पुरस्कार एवं सम्मान
शैलेश मटियानी (Shailesh Matiyani Ka Jivan Parichay) को आधुनिक हिंदी साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- शारदा सम्मान
- लोहिया सम्मान
- साधना सम्मान
- फणीश्वरनाथ रेणु पुरस्कार
- प्रेमचंद पुरस्कार
- उत्तर प्रदेश सरकार का ‘संस्थागत सम्मान’
- राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार
- कुमाऊँ विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें डी लिट् की मानद उपाधि से सम्मानित किया है।
निधन
मानसिक बीमारी के कारण शैलेश मटियानी का 24 अप्रैल 2001 को दिल्ली में निधन हो गया।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ समादृत कवि-कथाकार शैलेश मटियानी का जीवन परिचय (Shailesh Matiyani Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
उनका पूरा नाम ‘रमेशचंद्र सिंह मटियानी’ था।
उनके पिता का नाम ‘बिशन सिंह मटियानी’ था।
शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार, की शुरुआत 2009 में की गई थी।
यह शैलेश मटियानी का लोकप्रिय उपन्यास है।
उनका निधन 24 अप्रैल, 2001 को दिल्ली मे हुआ था।
आशा है कि आपको समादृत कवि-कथाकार शैलेश मटियानी का जीवन परिचय (Shailesh Matiyani Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।