Rahim Ka Jivan Parichay – भक्तिकाल के श्रेष्ठ कवि रहीम का जीवन परिचय

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Rahim Ka Jivan Parichay

Rahim Ka Jivan Parichay : रहीम हिंदी साहित्य में भक्तिकाल तथा रीतिकाल के संधिकाल के प्रतिनिधि कवि हैं। वे मध्ययुगीन दरबारी संस्कृति के श्रेष्ठ कवि माने जाते हैं। वहीं माना जाता है कि बादशाह ‘अकबर’ के दरबार में हिंदी कवियों में उनका महत्वपूर्ण स्थान था। उन्हें अवधी और ब्रज भाषा पर समान अधिकार प्राप्त था। उनकी नीतिपरक उक्तियों पर संस्कृत कवियों की छाप परिलक्षित होती है। क्या आप जानते है कि वे एक कवि होने के साथ ही योद्धा भी थे। उन्हें अहमदाबाद की विजय पर अकबर द्वारा ‘खानखाना’ की उपाधि दी गई थी। 

बता दें कि रहीम (Rahim) के लोकप्रिय दोहे विद्यालय के अलावा बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाते हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं।

इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी रहीम का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम भक्तिकाल के श्रेष्ठ कवि रहीम का जीवन परिचय (Rahim Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

मूल नाम अब्दुर रहीम ख़ानख़ाना (Abdul Rahim Khan-i-Khanan)
उपनाम ‘रहीम’
जन्म सन 1556 
जन्म स्थान लाहौर, पाकिस्तान 
पिता का नाम बैरम खान 
पेशा दरबारी कवि, योद्धा 
विधाएँ काव्य 
भाषा अवधी, ब्रज 
दरबारी कवि अकबर, जहाँगीर 
मृत्युसन 1626 

लाहौर में हुआ था जन्म – Rahim Ka Jivan Parichay 

माना जाता है कि भक्तिकाल के प्रमुख कवि रहीम का जन्म सन 1556 के आसपास लाहौर, पाकिस्तान में हुआ था। उनके पिता ‘बैरम खान’ बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक थे। किंतु अल्प आयु में पिता की मृत्यु के बाद अकबर ने अभिभावकीय कर्तव्य निभाते हुए रहीम के संरक्षण का दायित्व निभाया।  

शिक्षा और युद्धकला 

रहीम ने विद्या अध्ययन के दौरान अरबी, फ़ारसी, तुर्की, संस्कृत और ब्रजभाषा सीखी और किशोरावस्था में विविध भाषाओं में काव्य रचनाएँ की। इसके साथ ही वे युद्धकला में भी निपुण थे। इतिहासकारों के अनुसार बताया जाता है कि बादशाह अकबर ने उन्हें सन 1633 ई. के आसपास गुजरात का सूबेदार नियुक्त किया था। वहीं अहमदाबाद की विजय के उपरांत उन्हें अकबर ने ‘खानखाना’ (Abdul Rahim Khan-i-Khanan) की उपाधि से नवाजा था। 

बताया जाता जाता है कि उन्होंने अपने जीवनकाल में अनेक युद्ध लड़े व शासक के कोपभाजन का शिकार भी बने। इसके साथ ही ‘जहाँगीर’ द्वारा दिए गए कारावास का दंड भी भोगा। परंतु बाद में जहाँगीर ने न केवल उन्हें कैद से रिहा किया बल्कि खानखाना की उपाधि भी वापस लौटा दी। 

रहीम की साहित्यिक रचनाएँ 

रहीम के काव्य का मुख्य विषय शृंगार, वीरता, भक्ति और नीति है। उनके दोहे सर्वसाधारण को आसानी से याद हो जाते थे। वहीं भाषा की दृष्टि से उन्होंने संस्कृत और बृजभाषा में काव्य-रचना की हैं। यहाँ रहीम का जीवन परिचय (Rahim Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-

काव्य रचनाएँ 

  • रहीम सतसई 
  • रास पंचाध्यायी
  • रहीम रत्नावली 
  • भाषिक भेदवर्णन  
  • दोहावली 
  • नगर शोभा 
  • बरवै नायिका भेद 
  • शृंगार सोरठा 
  • मदनाष्टक
  • खेट कौतुक जातकम 

बता दें कि ये सभी कृतियाँ रहीम ग्रंथावली में समाहित हैं। 

यह भी पढ़ें – रहीम के दोहे

सन 1626 में हुई मृत्यु 

रहीम ने दशकों तक अनुपम काव्य कृतियों का सृजन किया हैं। साथ ही उन्होंने अपने जीवनकाल में अनेक युद्ध लड़े हैं। माना जाता है कि उनकी मृत्यु सन 1626 में हुई थी। आज भी उनका मकबरा निजामुद्दीन में बादशाह हुमायुँ के मकबरे के बगल में है। 

रहीम के लोकप्रिय दोहे – Rahim Ke Dohe

यहाँ Rahim Ka Jivan Parichay के साथ ही उनके कुछ लोकप्रिय दोहो के बारे में बताया जा रहा है। जो कि इस प्रकार हैं:-

रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि॥

दोनों रहिमन एक से, जों लों बोलत नाहिं।
जान परत हैं क पिक, रितु बसंत के माहि।।

बड़े बड़ाई ना करैं, बड़ो न बोलैं बोल।
रहिमन हीरा कब कहै, लाख टका मेरो मोल॥

वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।
बांटन वारे को लगे, ज्यों मेहंदी को रंग।।

रहिमन अंसुवा नयन ढरि, जिय दुख प्रगट करेइ,
जाहि निकारौ गेह ते, कस न भेद कहि देइ।।

रहिमन वे नर मर चुके, जे कहुँ माँगन जाहिं।
उनते पहिले वे मुए, जिन मुख निकसत नाहिं॥

टूटे सुजन मनाइए, जौ टूटे सौ बार।
रहिमन फिरि फिरि पोहिए, टूटे मुक्ताहार॥

कहु रहीम कैसे निभै, बेर केर को संग।
वे डोलत रस आपने, उनके फाटत अंग॥

सदा नगारा कूच का, बाजत आठों जाम।
रहिमन या जग आइ कै, को करि रहा मुकाम॥

रहिमन मोहि न सुहाय, अमी पिआवै मान बिनु।
बरु, विष देय बुलाय, मान सहित मरिबो भलो॥

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ भक्तिकाल के श्रेष्ठ कवि रहीम का जीवन परिचय (Rahim Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 

FAQs

रहीम का जन्म कहाँ हुआ था?

उनका जन्म सन 1556 के आसपास लाहौर, पाकिस्तान में हुआ था। 

रहीम का पूरा नाम क्या था?

उनका पूरा नाम अब्दुर रहीम ख़ानख़ाना था। 

रहीम के काव्य का मुख्य विषय क्या है?

नीति, वीरता, भक्ति और श्रृंगार रहीम के काव्य के मुख्य विषय हैं।

रहीम कौन से काल के कवि थे?

रहीम हिंदी साहित्य में भक्तिकाल के प्रमुख कवि थे। 

रहीम किसका पुत्र था?

उनके पिता का नाम ‘बैरम खान’ था जो बादशाह अकबर के दरबार में नवरत्नों में से एक थे। 

रहीम की मृत्यु कब हुई थी?

माना जाता है कि उनकी मृत्यु सन 1626 के आसपास हुई थी।

आशा है कि आपको भक्तिकाल के श्रेष्ठ कवि रहीम का जीवन परिचय (Rahim Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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