Plato Ka Jivan Parichay: प्लेटो का जीवन परिचय, प्रमुख सिद्धांत और रचनाएँ 

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Plato Ka Jivan Parichay

Plato Ka Jivan Parichay: प्लेटो यूनान के महान दार्शनिक ‘सुकरात’ के शिष्य थे और ‘अरस्तु’ के गुरु थे। प्लेटो को पाश्चात्य काव्यशास्त्र और सौंदर्यशास्त्र का जन्मदाता माना जाता है। प्लेटो ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। काव्य के संदर्भ में उन्होंने जो विचार व्यक्त किए हैं, वे आज तक संदर्भवान एवं विचारणीय हैं। दार्शनिक प्लेटो यूनान के विख्यात गणितज्ञ भी थे। वहीं प्लेटो ने अनेक ग्रंथों (35 संवादों) की रचना की, जिन्हें तीन भागों में विभाजित किया गया हैं- सुकरातकालीन संवाद, यात्रीकालीन संवाद और प्रौढ़कालीन संवाद। इनमें से कुछ प्रमुख ग्रंथों के नाम इस प्रकार हैं- ‘रिपब्लिक’, ‘स्टेट्समैन’,‘प्रोटागोरस’ व ‘क्रीटो’ आदि। 

बता दें कि प्लेटो के सिद्धांत और रचनाओं को स्कूल के साथ ही बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। 

इसके साथ ही UGC/NET और UPSC परीक्षा में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए प्लेटो का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। इस ब्लॉग में महान दार्शनिक प्लेटो का जीवन परिचय (Plato Ka Jivan Parichay) और उनके प्रमुख सिद्धात एवं रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया हैं।

नाम प्लेटो (Plato)
अन्य नाम अफलातून 
जन्म 429 या 423 ईसा पूर्व  
जन्म स्थान ईजिना द्वीप, एथेंस, ग्रीस  
पिता का नाम अरिस्टोन
माता का नाम पेरिक्टोन 
गुरु का नाम सुकरात
शिष्य का नाम अरस्तु
पेशा दार्शनिक  
स्थापना शिक्षण ‘अकादमी’
प्रमुख रचनाएँ अपॉलॉजी, क्रीटो, रिपब्लिक, सोफिस्ट,  स्टेट्समैन, फ़ेडो व लॉज आदि। 
मृत्यु 347 ईसा पूर्व

प्लेटो की जीवनी – Plato Ka Jivan Parichay

ग्रीक दार्शनिक प्लेटो का जन्म एथेंस में समीपवर्ती ईजिना नामक द्वीप में 429 या 423 ईसा पूर्व के आसपास हुआ था। इनका परिवार सामंत वर्ग से था। प्लेटो के पिता का नाम ‘अरिस्टोन’ और माता का नाम ‘पेरिक्टोन’ था। बता दें कि प्लेटो को ‘अफलातून’ (Aflatoon) के नाम से भी जाना जाता है। वहीं प्लेटो के प्रांरभिक जीवन और शिक्षा के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। बताया जाता है कि प्लेटो बचपन से ही काफी कुशाग्र थे और अल्प आयु से ही उनमें दार्शनिकों के गुण थे। प्लेटो ने शुरुआत में ग्रामर, संगीत, जिम्नास्टिक और दर्शनशास्त्र की शिक्षा प्राप्त की थी। 

प्रथम संस्था “अकादमी” की स्थापना की 

प्लेटो मूलत: दार्शनिक थे। इसके साथ ही वे यूनान के प्रसिद्ध गणितज्ञ भी थे। वे  यूनान के महान दार्शनिक ‘सुकरात’ (Socrates) के शिष्य थे और ‘अरस्तु’ (Aristotle) के गुरु थे। वहीं पश्चिम ज्ञान जगत की दार्शनिक पृष्ठभूमि को तैयार करने में सुकरात, प्लेटो और अरस्तु ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ऐसा कहा जाता है कि अपने गुरु सुकरात की मृत्यु  के बाद प्रजातंत्र के प्रति उन्हें घृणा हो गई थी। इसके बाद उन्होंने मिस्र और इटली समेत कई अन्य देशों की यात्रा की। फिर अंत में एथेंस लौटने के बाद उन्होंने पश्चिमी जगत में उच्च शिक्षा के लिए प्रथम शिक्षण संस्था “अकादमी” की स्थापना की। 

प्लेटो का अनुकरण सिद्धांत 

‘रिपब्लिक’ (Republic) प्लेटो की महनतम और सर्वश्रेष्ठ कृति है। इसे प्लेटो ने लगभग 40 वर्ष की अवस्था में अपने विचार परिपक्व और प्रौढ़ होने पर लिखा था। रिपब्लिक में प्लेटो ने कहा है कि भाव अथवा विचार ही आधारभूत सत्य है। काव्य की दृष्टि से प्लेटो काव्य को अनुकृति की भी अनुकृति मानते थे। वह अनुकरण को समस्त कलाओं की मौलिक विशेषता मनाते थे। इस तरह से उनकी दृष्टि में समस्त कवि और कलाकार अनुकरणकर्ता मात्र हैं। उनके अनुसार अनुकरण वह प्रक्रिया है, जो वस्तुओं को उनके यथार्थ रूप यानी मूल में प्रस्तुत ने करके आदर्श रूप में प्रस्तुत करती है इसलिए ही काव्य सत्य से दूर होता है। मुख्यत: वह अनुकरण का विरोध दो तरह से करते हैं- प्रथम दर्शन के आधार पर, दूसरा लोककल्याण या राज्य के हित को देखते हुए।  

प्लेटो का काव्य सिद्धांत

प्लेटो की काव्य सृजन प्रक्रिया के संबंध में यह मान्यता है कि सभी समर्थ कवि अपनी रचना किसी सचेष्ठ-कलात्मक प्रेरणा द्वारा नहीं बल्कि दैवीय शक्तियों से प्रेरित एवं अभिभूत होकर करते हैं। प्लेटो ने अपने संवादों में अनेक स्थानों पर कवि के ‘दिव्य पागलपन’ की चर्चा की है। उनका यह भी मनाना है कि सृजन के समय में परमात्मा कवियों से उनका मस्तिष्क छीन लेता है। वहीं कवि के सृजन की क्षमता का उदय दैवीय शक्ति की प्रेरणा के रूप में होता है। 

प्लेटो ने प्रसिद्ध प्राचीन ग्रीक कवि ‘होमर’ (Homer) की कृतियों- ‘इलियाड’ (Iliad) और ‘ओडिसी’ (Odissi) पर विचार करते हुए भी यह मत व्यक्त किया है कि उनकी कविताओं और चरित्रों में भावावेग और कल्पनातिरेक है। वहीं प्रेरणा ही दिव्य शक्ति के रूप में कवि को संचालित करती है और एक अमिट शृंखला बनाती है।  

प्लेटो की प्रमुख रचनाएँ

प्लेटो की प्रमुख कृतियों में उनके संवाद विशेष उल्लेखनीय हैं। प्लेटो ने लगभग 35 संवादों की रचना की है। इनके संवादों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है- सुकरातकालीन संवाद, यात्रीकालीन संवाद और प्रौढ़कालीन संवाद। प्लेटो की रचनाओं में ‘द रिपब्लिक’ (Republic), ‘द स्टैट्समैन’ (Statesman), ‘द लाग’, ‘इयोन’, ‘सिम्पोजियम’ (Symposium) आदि प्रमुख हैं। बाकी कुछ प्रमुख ग्रंथों के नाम इस प्रकार हैं:- 

  • प्रोटागोरस 
  • हिप्पियास माइनर 
  • ऐपोलॉजी 
  • क्रीटो 
  • क्लाइसिस 
  • क्रेटिलस
  • जॉजियस
  • सिम्पोसियान
  • फिलेब्रुस
  • ट्रिमेर्यास
  • रिपब्लिक
  • फीडो

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ महान पाश्चात्य दार्शनिक प्लेटो का जीवन परिचय (Plato Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों के जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीराजगुरु
सुखदेवजाबिर हुसैनविष्णु खरे 

FAQs 

प्लेटो का जन्म कहाँ हुआ था?

प्लेटो का जन्म एथेंस में समीपवर्ती ईजिना नामक द्वीप में 429 या 423 ईसा पूर्व के आसपास हुआ था। 

प्लेटो के गुरु का नाम क्या था?

प्लेटो यूनान के महान दार्शनिक सुकरात के शिष्य थे। 

प्लेटो की पुस्तकों के नाम क्या है?

प्लेटो की रचनाओं में ‘द रिपब्लिक’, ‘द स्टैट्समैन’, ‘द लाग’, ‘इयोन’, ‘सिम्पोजियम’ आदि प्रमुख हैं। 

प्लेटो का दूसरा नाम क्या है?

प्लेटो को ‘अफलातून’ के नाम से भी जाना जाता है। 

प्लेटो क्यों प्रसिद्ध है?

प्लेटो एक प्राचीन यूनानी दार्शनिक और गणितज्ञ थे। उन्हें विभिन्न विषयों पर दार्शनिक चिंतन में उनके योगदान के लिए जाना जाता है।

प्लेटो की मृत्यु कब हुई थी?

माना जाता है कि प्लेटो की मृत्यु 348/347 ईसा पूर्व में हुई थी।

प्लेटो का प्रसिद्ध ग्रंथ क्या है?

द रिपब्लिक, ईऑन, रिपब्लिक और सिम्पोसियान प्लेटो के प्रसिद्ध ग्रंथ हैं। 

आशा है कि आपको प्लेटो का जीवन परिचय (Plato Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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