Jyotiba Phule Ka Jivan Parichay: ज्योतिराव फुले एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्त्ता, मानवतावादी विचारक, समाज सुधारक, लेखक और दूरदर्शी कृषि विशेषज्ञ थे। उन्हें ज्योतिबा फुले (Jyotiba Phule) के नाम से भी जाना जाता है। महात्मा ज्योतिबा फुले ने अपना संपूर्ण जीवन महिलाओं, वंचितों और शोषित किसानों के उत्थान के लिए समर्पित किया था। इस काम के चलते उन्हें और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।
ज्योतिबा फुले ने वर्ष 1873 में ‘सत्यशोधक समाज’ (Satyashodhak Samaj) नामक एक संस्था की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य नीची समझी जाने वाली और अस्पृश्य जातियों के उत्थान के लिए काम करना था। उन्होंने अपने जीवनकाल में सामाजिक उत्थान के लिए कई पुस्तकें भी लिखी थीं जिनमें गुलामगिरि (1873), शेतकर्याचा आसूड (1881) व किसानों का कोडा (1883) प्रमुख हैं। क्या आप जानते हैं कि महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्त्ता ‘विट्ठलराव कृष्णजी वांडेकर’ द्वारा उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था। तब से उनके नाम के आगे महात्मा जोड़ा जाने लगा। वहीं वर्ष 1932 में ‘महात्मा गांधी’ ने महात्मा फुले को ‘सच्चा महात्मा’ कहा था।
महात्मा फुले के निधन को 136 साल हो चुके हैं लेकिन उनके विचारों में अभी भी ताज़गी बनी हुई है। बताना चाहेंगे प्रतिवर्ष 11 अप्रैल को महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती मनाई जाती है। वर्ष 2025 में ज्योतिबा फुले जी की 198वीं जयंती मनाई जाएगी। इस लेख में ज्योतिबा फुले का जीवन परिचय (Jyotiba Phule Ka Jivan Parichay), विरासत और उनके कार्यों के बारे में बताया गया है।
नाम | ज्योतिराव गोविंदराव फुले |
उपनाम | ज्योतिबा फुले (Jyotirao Phule) |
जन्म | 11 अप्रैल, 1827 |
जन्म स्थान | कटगुण गांव, सतारा जिला, महाराष्ट्र |
शिक्षा | स्कॉटिश मिशनरी हाई स्कूल, पुणे |
पिता का नाम | गोविंदराव फुले |
माता का नाम | चिमणा फुले |
पत्नी का नाम | सावित्रीबाई फुले |
स्थापना | सत्यशोधक समाज |
पुस्तकें | तृतीया रत्न (1855); पोवाड़ा: छत्रपति शिवाजीराज भोंसले यंचा (1869); गुलामगिरि (1873), शेतकर्याचा आसूड (1881), किसानों का कोडा (1883) |
निधन | 28 नवंबर, 1890 पुणे, महाराष्ट्र |
स्मारक | फुलेवाडा, पुणे, महाराष्ट्र |
जीवनकाल | 63 वर्ष |
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महाराष्ट्र के सातारा ज़िले में हुआ था जन्म – Jyotiba Phule Ka Jivan Parichay
ज्योतिराव गोविंदराव फुले का जन्म 11 अप्रैल, 1827 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के खटाव तालुका में कटगुण गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम ‘गोविंदराव फुले’ व माता का नाम ‘चिमणा फुले’ था। ज्योतिबा फुले के पिता गोविंदराव फुले का फूलों का व्यवसाय था। बताया जाता है कि एक वर्ष की अवस्था में ही इनकी माता का निधन हो गया था जिसके बाद इनका लालन-पालन एक बायी ने किया। फुले जी की प्रारंभिक शिक्षा पहले एक मराठी स्कूल और फिर एक मिशनरी स्कूल में हुई थी। शिक्षा के उपरांत फुले जी ने ब्रिटिश सरकार की नौकरी करने के बजाए फूलों का व्यवसाय शुरू किया था।
सन 1840 में सावित्रीबाई से हुआ विवाह
ज्योतिबा फुले का सन 1840 में सावित्रीबाई से विवाह हुआ, जो बाद में स्वयं एक प्रसिद्ध समाजसेवी बनीं। बताना चाहेंगे विवाह के समय ‘ज्योतिबा फुले’ महज 13 वर्ष के थे। वहीं सावित्रीबाई फुले 9 वर्ष की थीं और अपने विवाह के समय उनके पास कोई औपचारिक शिक्षा नहीं थी। उन्होंने बाद में अपने पति ज्योतिबा फुले से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की थी। इसके बाद फुले दंपति ने मिलकर पुणे में लड़कियों के लिए पहला स्वदेशी रूप से संचालित स्कूल खोला, जहाँ वे दोनों शिक्षण का कार्य करते थे। वर्ष 1852 तक उन्होंने तीन स्कूलों की स्थापना की, किंतु सन 1857 के विद्रोह के बाद धन की कमी के कारण वर्ष 1858 तक ये स्कूल बंद हो गए लेकिन समाज सुधार का कार्य उन्होंने जारी रखा।
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सत्यशोधक समाज की स्थापना की
ज्योतिबा फुले ने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर 24 सितंबर, 1873 को ‘सत्यशोधक समाज’ (Satyashodhak Samaj) नामक एक संस्था की स्थापना की थी, ताकि महाराष्ट्र में निम्न वर्गों को समान सामाजिक और आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकें। क्या आप जानते हैं कि ज्योतिबा फुले पूना नगरपालिका के आयुक्त नियुक्त किए गए थे और वर्ष 1883 तक इस पद पर रहे। तब सभी सदस्यों की नियुक्ति ब्रिटिश सरकार द्वारा की जाती थी।
ज्योतिबा फुले ने लिखी कई किताबें
ज्योतिबा फुले एक महान समाजसेवी, दार्शनिक और क्रांतिकारी होने के साथ-साथ एक लेखक भी थे। उन्होंने समाज सुधार को केंद्र-बिंदू बनाकर कई पुस्तकें लिखीं थीं। ये सब पुस्तकें मराठी भाषा में थीं। किंतु इनका बाद में कई भाषाओं में अनुवाद हुआ। यहाँ ज्योतिबा फुले का जीवन परिचय के साथ ही उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में बताया गया है।
- तृतीय रत्न, 1855
- ब्राह्मणाचे कसब – 1869
- पोवाडा: छत्रपति शिवाजे राजे भोसले का पोवाडा – 1889
- पोवाड़ा: विद्यापति ब्राह्मम पन्तोजी – 1869
- मानव मोहम्मद अभंग
- गुलामगिरि 1873
- शेतकर्याचा आसूड 1881
- सत्सार 1881
- किसानों का कोडा – 1883
- इशारा – 1885
- सार्वजनिक सत्य धर्म पुस्तक – 1891
- अखण्डादि काव्य रचना – 1893
- अस्पृश्यांची कैफियत – 1893
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जब मिली महात्मा की उपाधि
ज्योतिबा फुले ने अस्पृश्यता और जाति व्यवस्था जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ संपूर्ण जीवन संघर्ष किया था। वह महिला सशक्तिकरण, विधवा पुनर्विवाह और बालिका शिक्षा के प्रबल समर्थक थे। उनके समाज सुधार कार्यों के लिए उन्हें 11 मई, 1888 को महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्त्ता ‘विट्ठलराव कृष्णजी वांडेकर’ (Vitthalrao Krishnaji Vandekar) द्वारा ‘महात्मा’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। वहीं वर्ष 1932 में महात्मा गांधी ने महात्मा फुले को ‘सच्चा महात्मा’ कहा था।
महात्मा ज्योतिबा फुले का निधन
महात्मा ज्योतिबा फुले का 28 नवंबर, 1890 को पुणे में 63 वर्ष की आयु में निधन हुआ था। उनका स्मारक फुलेवाडा, पुणे, महाराष्ट्र में बनाया गया है। सावित्रीबाई फुले ने उनकी मृत्यु के बाद भी समाज सुधार का कार्य जारी रखा था।
FAQs
महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था।
महात्मा ज्योतिबा फुले को महान समाज सुधारक, मानवतावादी विचारक, दार्शनिक और लेखक के रूप में याद किया जाता है।
ज्योतिराव गोविंदराव फुले को ज्योतिबा फुले (Jyotiba Phule) के नाम से भी जाना जाता है।
वर्ष 1848 में फुले दंपति ने लड़कियों के लिए पहला स्वदेशी रूप से संचालित स्कूल खोला था।
ज्योतिबा फुले के पिता गोविंदराव का फूलों का व्यवसाय था।
ज्योतिबा फुले ने मराठी भाषा में यह पुस्तक लिखी थी।
ज्योतिबा फुले की पत्नी का नाम सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule) था।
महात्मा ज्योतिबा फुले का 63 साल की उम्र में 28 नवंबर, 1890 को पुणे में निधन हुआ था।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ महात्मा ज्योतिबा फुले का जीवन परिचय (Jyotiba Phule Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों के जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
आशा है कि आपको महात्मा ज्योतिबा फुले का जीवन परिचय (Jyotiba Phule Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।