Gajanan Madhav Muktibodh Ka Jivan Parichay: गजानन माधव मुक्तिबोध स्वातंत्र्योत्तर प्रगतिशील काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि, कहानीकार और समीक्षक माने जाते हैं। उन्होंने साहित्य की सभी विधाओं में अपनी लेखनी चलाकर हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है। वहीं प्रगतिवाद के प्रखर और मौलिक चिंतक आलोचकों में उनका नाम प्रमुख है। क्या आप जानते हैं कि वे अपनी लंबी कविताओं के लिए साहित्य जगत में विख्यात थे। ‘चाँद का मुँह टेढ़ा है’ और ‘भूरी-भूरी खाक धूल’ (काव्य-संग्रह) उनकी उनकी कालजयी रचना मानी जाती है। वे ‘तार सप्तक’ के पहले कवि थे।
बता दें कि गजानन माधव मुक्तिबोध (Gajanan Madhav Muktibodh) की कई रचनाओं को विद्यालय के अलावा बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं।
इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी गजानन माधव मुक्तिबोध का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम प्रगतिशील काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि गजानन माधव मुक्तिबोध का जीवन परिचय (Gajanan Madhav Muktibodh Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | गजानन माधव मुक्तिबोध (Gajanan Madhav Muktibodh) |
जन्म | 13 नवंबर, 1917 |
जन्म स्थान | शिवपुरी कस्बा, ग्वालियर जिला, मध्य प्रदेश |
शिक्षा | एम.ए हिंदी (नागपुर विश्वविद्यालय) |
पत्नी का नाम | शांता मुक्तिबोध |
पेशा | कवि, कहानीकार, समीक्षक, आलोचक |
भाषा | हिंदी |
साहित्य काल | आधुनिक काल |
विधाएँ | कविता, कहानी, आलोचना, समीक्षा, इतिहास |
संपादन | ‘वसुधा’, ‘नया ख़ून’ |
निधन | 11 सितंबर, 1964 |
This Blog Includes:
- मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ था जन्म – Gajanan Madhav Muktibodh Ka Jivan Parichay
- हिंदी में किया एम.ए
- विस्तृत रहा कार्य क्षेत्र
- प्रथम ‘तार सप्तक’ के कवि
- गजानन माधव मुक्तिबोध की प्रमुख रचनाएं – Gajanan Madhav Muktibodh Ki Rachnaye
- अल्प आयु में हुआ निधन
- पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
- FAQs
मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ था जन्म – Gajanan Madhav Muktibodh Ka Jivan Parichay
मराठी भाषी हिंदी कवि गजानन माधव मुक्तिबोध का जन्म 13 नवंबर, 1917 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में श्यौपुर या शिवपुरी कस्बे में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। बताया जाता हैं कि उनके पिता पुलिस विभाग में इंस्पेक्टर थे और नौकरी के कारण उनका ट्रांसफर प्राय: होता रहता था। इसलिए उन्हें पढ़ाई के दौरान कई समस्याओं का सामना करना पड़ा।
हिंदी में किया एम.ए
मुक्तिबोध ने इंदौर के ‘होल्कर विश्वविद्यालय’ से बीए करके बाद कुछ समय तक स्थानीय विद्यालय में अध्यापन कार्य किया था। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1954 में ‘नागपुर विश्वविद्यालय’ से हिंदी में एम.ए की डिग्री हासिल की। बता दें कि आजीविका चलाने हेतु वे अल्प आयु में ही अध्यापन कार्य करने लगे थे।
विस्तृत रहा कार्य क्षेत्र
मुक्तिबोध ने शुरुआत में बडनगर के मिडिल स्कूल और शुजालपुर के शारदा शिक्षा सदन में पढ़ाने के बाद कई स्थानों पर नौकरी की। किंतु किसी भी स्थान पर अधिक समय तक कार्य न कर सके। जिसके कारण उन्हें आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ा। जीवन में विस्तृत कार्य क्षेत्र होने के कारण उन्होंने सूचना एवं प्रसारण विभाग में भी कुछ समय तक कार्य किया।
वहीं अध्ययन-अध्यापन के साथ पत्रकारिता में गहरी रुचि होने के कारण उन्होंने ‘वसुधा’ और ‘नया ख़ून’ जैसी पत्रिकाओं के संपादन में अपना सहयोग दिया। लेकिन उनकी स्थायी नौकरी की तलाश का अंत हुआ जब उन्हें वर्ष 1958 में दिग्विजय महाविद्यालय, राजनंदगाँव में प्राध्यापक के पद पर नौकरी मिल गई।
प्रथम ‘तार सप्तक’ के कवि
क्या आप जानते हैं कि प्रथम तार सप्तक एक काव्य-संग्रह है जिसका संपादन वर्ष 1943 में अज्ञेय जी ने किया था। यहीं से हिंदी साहित्य में “प्रयोगवाद” का आरंभ माना जाता है। बता दें कि प्रथम तारसप्तक के कवियों में सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’, ‘गिरजाकुमार माथुर’, ‘प्रभाकर माचवे’, ‘भारत भूषण अग्रवाल’, ‘रामविलास शर्मा’ और ‘नेमिचंद्र जैन’ शामिल थे।
गजानन माधव मुक्तिबोध की प्रमुख रचनाएं – Gajanan Madhav Muktibodh Ki Rachnaye
साहित्य जगत में मुक्तिबोध अपनी लंबी कविताओं के लिए जाने जाते हैं। ‘अँधेरे में’, ‘ब्रह्मराक्षस’, ‘एक स्वपन कथा’, ‘भूल-गलती’ और ‘मैं तुम लोगों से दूर हूँ’ उनकी लोकप्रिय कविताएं मानी जाती है। हालाँकि उनकी छोटी सी जीवन यात्रा में उनका कोई स्वतंत्र काव्य-संग्रह प्रकाशित न हो सका। किंतु उनके निधन से पहले सुप्रसिद्ध कवि ‘श्रीकांत वर्मा’ ने उनकी ‘एक साहित्यिक की डायरी’ जरूर प्रकाशित की थी। बता दें कि उनकी उनकी पुस्तक ‘भारत: इतिहास और संस्कृति’ पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और न अपने सिद्धांतों से समझौता किया।
यहाँ गजानन माधव मुक्तिबोध का जीवन परिचय (Gajanan Madhav Muktibodh Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण रचनाओं (Gajanan Madhav Muktibodh Books) के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
काव्य-संग्रह
- चाँद का मुँह टेढ़ा है
- भूरी-भूरी ख़ाक-धूल
- प्रतिनिधि कविताएँ
कहानी-संग्रह
- काठ का सपना
- विपात्र
- सतह से उठता आदमी
आलोचना
- कामायनी : एक पुनर्विचार
- नई कविता का आत्म-संघर्ष
- नए साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र
- समीक्षा की समस्याएँ’
- एक साहित्यिक की डायरी
विमर्श
- भारत : इतिहास और संस्कृति
पत्र-साहित्य
- मेरे युवजन मेरे परिजन
रचनावली
- मुक्तिबोध रचनावली (सात खंड)
अल्प आयु में हुआ निधन
मुक्तिबोध ने अपनी लेखनी के माध्यम से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है। किंतु बहुत कम आयु में ही उनका मात्र 47 वर्ष की उम्र में 11 सितंबर, 1964 को बीमारी के कारण निधन हो गया। लेकिन आज भी वे अपनी कालजयी रचनाओं के लिए हिंदी साहित्य जगत में विख्यात हैं।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ सुप्रसिद्ध कवि और लेखक गजानन माधव मुक्तिबोध का जीवन परिचय (Gajanan Madhav Muktibodh Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
उनका जन्म 13 नवंबर, 1917 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में श्यौपुर या शिवपुरी कस्बे में हुआ था।
उन्होंने वर्ष 1954 में ‘नागपुर विश्वविद्यालय’ से हिंदी में एम.ए किया था।
वे आधुनिक काल में प्रगतिशील काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि थे।
उनकी पत्नी का नाम ‘शांता मुक्तिबोध’ था।
यह गजानन माधव मुक्तिबोध का सबसे लोकप्रिय काव्य संग्रह है।
उनका निधन 11 सितंबर, 1964 को भोपाल में हुआ था।
आशा है कि आपको सुप्रसिद्ध कवि और लेखक गजानन माधव मुक्तिबोध का जीवन परिचय (Gajanan Madhav Muktibodh Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।