Bismillah Khan in Hindi: उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की गिनती भारत के महान संगीतकारों में होती हैं। वह शहनाई के जादूगर माने जाते थे। उन्होंने 15 अगस्त 1947 को आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू’ के ऐतिहासिक लाल किले से झंडा फहराने के बाद वहाँ शहनाई बजाई थी। वहीं, भारत के प्रथम गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 1950) के उपलक्ष्य में उन्होंने लाल किले से ‘राग काफ़ी’ की प्रस्तुति दी थी।
बिस्मिल्लाह खान को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1961 में ‘पद्म श्री’, वर्ष 1968 में ‘पद्म भूषण’, वर्ष 1980 में ‘पद्म विभूषण’ और वर्ष 2001 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके अलावा उन्हें वर्ष 1994 में ‘संगीत नाटक अकादमी फ़ेलोशिप’ से नवाजा गया था। इस वर्ष बिस्मिल्लाह खान की 21 अगस्त को 18वीं पुण्यतिथि मनाई जाएगी।
आइए अब उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का जीवन परिचय (Bismillah Khan in Hindi) और उनकी उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मूल नाम | क़मरुद्दीन खान |
उपनाम | बिस्मिल्लाह खान (Bismillah Khan) |
उपाधि | उस्ताद |
जन्म | 21 मार्च 1916 |
जन्म स्थान | डुमराँव गांव, बक्सर जिला, बिहार |
पिता का नाम | पैगम्बर खान |
माता का नाम | मिट्ठन खान |
पेशा | शहनाई वादक |
पुरस्कार एवं सम्मान | ‘पद्म श्री’ (1961), ‘पद्म भूषण’ (1968), ‘पद्म विभूषण (1980) व भारत रत्न (2001) |
निधन | 21 अगस्त 2006, वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
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बिहार के डुमराँव गांव में हुआ था जन्म – Bismillah Khan in Hindi
भारत के विख्यात शहनाई वादक बिस्मिल्लाह खान का जन्म 21 मार्च 1916 को बिहार के बक्सर जिले में डुमराँव गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘पैगम्बर खान’ था जो पेशे से भोजपुर के राजा के दरबारी संगीतकार थे। उनकी माता का नाम मिट्ठन खान था। बिस्मिल्लाह खान के परिवार का संगीत से गहरा रिश्ता था। बताया जाता है कि छह वर्ष की आयु में वह अपने पिता के साथ बनारस आ गए थे और यहाँ रहकर उन्होंने अपने चाचा अली बख्श ‘विलायती’ से शहनाई वादन की कला सीखी थी।
1937 में दी पहली पब्लिक परफॉर्मेंस
बिस्मिल्लाह खान शुरुआत में अपना चाचा के साथ स्टेज शो किया करते थे। लेकिन वर्ष 1937 में उन्होंने कलकत्ता (अब कोलकाता) के ऑल इंडिया म्यूजिक कॉन्फ्रेंस में अपनी पहली परफॉर्मेंस दी जिसे बहुत सराहा गया था। इसके बाद वर्ष 1938 में उन्हें ऑल इंडिया रेडियो, लखनऊ में अपनी कला का प्रदर्शन करने का अवसर मिला। इसके बाद उनकी ख्याति बढ़ने लगी और वह भारत के साथ-साथ विदेशों में भी परफॉर्म करने लगे। बताया जाता है कि ‘एडिनबर्ग म्यूज़िक फेस्टिवल’ में परफॉर्म करने के बाद उन्हें दुनियाभर में प्रसिद्धि मिली थी। वह अमेरिका, कनाडा, यूनाटेड किंगडम, अफगानिस्तान, ईरान, इराक, बांग्लादेश और पश्चिमी अफ्रीकी देशों में अपनी कला की प्रस्तुति दे चुके हैं।
आजाद भारत में लाल किले से बजाई शहनाई
15 अगस्त 1947 को जब पूरा देश स्वतंत्रता का जश्न मना रहा था। उस समय भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू’ के लाल किले से तिरंगा झंडा फहराने के बाद बिस्मिल्लाह खान ने ‘शहनाई’ की प्रस्तुति दी थी। फिर 26 जनवरी 1950 को भारत के प्रथम गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में उन्होंने लाल किले से ‘राग काफ़ी’ की प्रस्तुति दी थी। वह राष्ट्रपिता ‘महात्मा गांधी’, ‘राजेंद्र प्रसाद’, ‘सरदार वल्ल्भभाई पटेल’ और ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू’ समेत कई बड़े नेताओं के समाने परफॉर्म करने वाले पहले शहनाई वादक थे।
क्या आप जानते हैं कि वर्ष 1997 में भारत सरकार के आमंत्रण पर बिस्मिल्लाह खान ने आजादी की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर दूसरी बार लाल किले के दीवान-ए-आम (Diwan-i-Am) से शहनाई बजाई थी।
फ़िल्मी सफर
बिस्मिल्लाह खान ने अनेक फिल्मों में संगीत दिया है। उन्होंने वर्ष 1977 में आयी कन्नड़ फिल्म ‘सन्नादी अपन्ना’ (Sanadi Appanna) में संगीत दिया था। यह एक सुपरहिट फिल्म थी जिसमें ‘राजकुमार’ ने मुख्य भूमिका निभाई थी। दिग्गज फिल्म निर्देशक ‘सत्यजीत रे’ की फिल्म ‘जलसाघर’ (1958) में भी उन्होंने संगीत दिया था। फिर वर्ष 1959 में आयी ‘गूँज उठी शहनाई’ में उन्होंने शहनाई बजाई थी।
‘भारत रत्न’ से किया गया सम्मानित
वर्ष 2001 में बिस्मिल्लाह खान को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ‘के.आर. नारायणन’ (K.R. Narayanan) द्वारा देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया था। आपको बता दें कि संगीतकार ‘एम.एस. सुब्बलक्ष्मी’ और प्रख्यात सितार वादक और संगीतज्ञ ‘पंडित रवि शंकर’ के बाद उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वाले तीसरे शास्त्रीय संगीतकार थे।
इसके साथ ही उन्हें वर्ष 1961 में ‘पद्म श्री’, वर्ष 1968 में ‘पद्म भूषण’, वर्ष 1980 में ‘पद्म विभूषण’ और वर्ष 1994 में ‘संगीत नाटक अकादमी फ़ेलोशिप’ से सम्मानित किया गया था। वहीं मध्य प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें ‘तानसेन पुरस्कार’ दिया गया था।
वाराणसी में ली अंतिम साँस
बिस्मिल्लाह खान का 21 अगस्त 2006 को कार्डियक अरेस्ट से 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। उनके सम्मान में भारतीय डाक विभाग ने वर्ष 2008 में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया था।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का जीवन परिचय (Bismillah Khan in Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
उनका जन्म 21 मार्च 1916 को बिहार के बक्सर जिले में डुमराँव गांव में हुआ था।
उनका मूल नाम ‘क़मरुद्दीन खान’ था।
बिस्मिल्लाह खान भारत के विख्यात शहनाई वादक थे।
वर्ष 2001 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था।
21 अगस्त 2006 को वाराणसी में उनका निधन हो गया था।
आशा है कि आपको उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का जीवन परिचय (Bismillah Khan in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।