Vidyapati Ka Jivan Parichay – महाकवि विद्यापति का जीवन परिचय

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Vidyapati Ka Jivan Parichay

Vidyapati Ka Jivan Parichay : महाकवि विद्यापति आदिकाल (वीरगाथाकाल) और भक्तिकाल के संधि कवि माने जाते हैं। वे साहित्य, कर्मकांड, धर्मशास्त्र, दर्शन, न्याय, सौंदर्यशास्त्र, संगीतशास्त्र, इतिहास व भूगोल के प्रकांड पंडित थे। उन्होंने संस्कृत, अवहट्ट एवं मैथिली भाषा में अपनी रचनाएँ की हैं। मैथिली भाषा में रची गई ‘पदावली’ उनकी कीर्ति का आधार ग्रंथ है। वहीं ‘कीर्तिलता’ और ‘कीर्तिपताका’ उनकी प्रसिद्ध कृतियाँ हैं। 

विद्यापति भारतीय साहित्य की शृंगार एवं भक्ति परंपरा के प्रमुख स्तंभ थे। बता दें कि विद्यापति के पद विद्यालय के अलावा बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं।

इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी विद्यापति का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम महाकवि विद्यापति का जीवन परिचय (Vidyapati Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

मूल नाम विद्यापति ठाकुर 
उपनाम विद्यापति 
जन्म सन 1380 
जन्म स्थान बिस्पी गांव, मधुबनी जिला, बिहार 
पिता का नाम गणपति ठाकुर 
माता का नाम गंगा देवी 
गुरु का नाम पंडित हरि मिश्र 
साहित्य काल आदिकाल 
विधाएँ काव्य 
प्रमुख रचनाएँ पदावली, कीर्तिलता, कीर्तिपताका
भाषा मैथली, संस्कृत, अवहट्ट
देहावासन सन 1439-1460  

बिहार के मधुबनी जिले में हुआ था जन्म – Vidyapati Ka Janm Kab Hua Tha

महाकवि विद्यापति के जन्मकाल से संबंधित प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। उनके रचनाकाल और आश्रयदाताओं के राज्यकाल के आधार पर उनके जन्म और देहावासन का अनुमान किया गया है। साहित्यिक विद्वानों और इतिहासकारों के अनुसार उनका जन्म सन 1380 के आसपास बिहार के मधुबनी जिले के बिस्पी नामक गांव में एक ऐसे परिवार में हुआ था जो विद्या और ज्ञान के लिए प्रसिद्ध था। उनके पिता का नाम ‘गणपति ठाकुर’ और माता का नाम ‘गंगा देवी’ था। 

विद्यापति की शिक्षा 

विद्यापति बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और रचनाधर्मी स्वभाव के थे। माना जाता है कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा ‘पंडित  हरि मिश्र’ से हासिल की थी। वहीं, दस-बारह वर्ष की बालयवस्था से ही वे अपने पिता के साथ ‘महाराज गणेश्वर’ के दरबार में जाने लगे थे। 

विद्यापति का साहित्यिक परिचय

आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार हिंदी साहित्येतिहास में 993 ई. से 1318 ई. तक के समय को ‘आदिकाल’ (वीरगाथाकाल) माना गया है। वहीं काव्य प्रवृति को ध्यान में रखते हुए आचार्य शुक्ल ने जिन बारह ग्रंथों की प्रवृतियों का विश्लेषण करते हुए वीरगाथा काल कहा है उनमें से दो ग्रंथ ‘कीर्तिलता’ और ‘कीर्तिपताका’ महाकवि विद्यापति की प्रसिद्ध कृतियाँ हैं। बता दें कि ये दोनों कृतियाँ वीरगाथा मानी गई हैं। 

जहाँ ‘कीर्तिलता’ में चौदहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध के मिथिला के क्षेत्रीय जनजीवन की अराजक स्थिति का दारुण विवरण है। तो दूसरी ओर ‘कीर्तिपताका’ की अंतिम पुष्पिका में मिथिला नरेश राजा शिवसिंह का यशोगान हुआ है। राजा शिवसिंह, विद्यापति के प्रिय मित्र, राजकवि और सलाहकार थे। 

विद्यापति की रचनाएँ – Vidyapati Ki Rachnaye

विद्यापति की रचनाओं में भक्ति, शृंगार, सांस्कृतिक अनुष्ठान, लोक व्यवहार, मानवीय प्रेम व नीति शास्त्र आदि का सजीव चित्रण देखने को मिलता है। वहीं भाषा की दृष्टि से उन्होंने संस्कृत, अवहट्ठ और मैथिली में काव्य-रचना की। यहाँ महाकवि विद्यापति का जीवन परिचय (Vidyapati ka Jeevan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-

  • पदावली 
  • कीर्तिलता 
  • कीर्तिपताका
  • पुरुष परीक्षा 
  • भू-परिक्रमा 
  • लिखनावली 
  • गोरक्ष विजय 
  • मणिमंजरी नाटिका 
  • विभागसार 
  • गंगावाक्यावली
  • दानवाक्यावली   
  • गयापत्तालका

विद्यापति का देहावसान

विद्यापति ने अपने संपूर्ण जीवन में अनुपम काव्य कृतियों का सृजन किया है। वे हिंदी साहित्य के मध्यकाल के पहले ऐसे कवि थे जिनकी पदावली में जनभाषा में जनसंस्कृति की अभिव्यक्ति हुई है। साहित्यिक विद्वानों और इतिहासकारों के अनुसार उनका देहावसान सन 1439 या 1460 के आसपास हुआ था। किंतु आज भी वे अपनी  साहित्यिक रचनाओं के लिए जाने जाते हैं।

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ महाकवि विद्यापति का जीवन परिचय (Vidyapati Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 

FAQs

विद्यापति का पूरा नाम क्या है?

उनका पूरा नाम विद्यापति ठाकुर था। 

विद्यापति का जन्म कब हुआ था?

माना जाता है कि उनका जन्म सन 1380 के आसपास बिहार के मधुबनी जिले के बिस्पी नामक गांव में हुआ था। 

विद्यापति के गुरु कौन थे?

उनके गुरु का नाम ‘पंडित हरि मिश्र’ था। 

विद्यापति की पत्नी का नाम क्या था?

उनकी पत्नी का नाम ‘मंदाकिनी’ था। 

विद्यापति की प्रमुख रचना कौन सी है?

‘मैथिल कोकिल’ विद्यापति की प्रमुख रचनाएँ पदावली, कीर्तिलता और कीर्तिपताका हैं। 

विद्यापति कौन से काल के कवि हैं?

उन्हें आदिकाल (वीरगाथाकाल) का कवि माना जाता है। 

विद्यापति की मृत्यु कब हुई थी?

माना जाता है कि उनका निधन सन 1439 या 1460 के आसपास हुआ था।

आशा है कि आपको महाकवि विद्यापति का जीवन परिचय (Vidyapati Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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