वीर सावरकर भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, रचनात्मक लेखक, कुशल राजनीतिज्ञ, प्रबुद्ध वक्ता और समर्पित राष्ट्रवादी थे। उनका पूरा नाम ‘विनायक दामोदर सावरकर’ (Vinayak Damodar Savarkar) था। उन्होंने किशोरावस्था में ‘अभिनव भारत’ (Abhinav Bharat Society) नामक एक संगठन का गठन किया था जिसका मूल उद्देश्य भारत की संपूर्ण राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त करना था। वहीं लंदन में उन्होंने ‘फ्री इंडिया सोसाइटी’ (Free India Society) की स्थापना की थी। वह वर्ष 1937 से 1943 तक ‘हिंदू महासभा’ के अध्यक्ष भी रहे थे। वीर सावरकर ने कई पुस्तकें भी लिखी हैं जिनमें ‘हिंदुत्व’, ‘हिंदू-पद-पादशाही’, ‘द इंडियन वार ऑफ इंडीपेंडेंस’ और ‘हिंदुत्व दर्शन’ आदि प्रमुख हैं। आइए अब कुशल राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक वीर सावरकर का जीवन परिचय (Veer Savarkar in Hindi) और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मूल नाम | विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) |
उपनाम | वीर सावरकर |
जन्म | 28 मई, 1883 |
जन्म स्थान | भागुर गांव, नासिक जिला, महाराष्ट्र |
पिता का नाम | दामोदर सावरकर |
माता का नाम | यशोदा सावरकर |
पत्नी का नाम | यमुनाबाई |
शिक्षा | कला स्नातक – फर्ग्यूसन कॉलेज, पुणे, महाराष्ट्र |
पेशा | वकील, राजनीतिज्ञ, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता |
राजनीतिक दल | हिंदू महासभा |
स्थापना | अभिनव भारत सोसाइटी व फ्री इंडिया सोसाइटी |
पुस्तकें | ‘हिंदुत्व’, ‘हिंदू-पद-पादशाही’, ‘द इंडियन वार ऑफ इंडीपेंडेंस’ और ‘हिंदुत्व दर्शन’ आदि प्र |
जेल यात्रा | लगभग 50 वर्ष |
निधन | 26 फरवरी, 1966 मुंबई |
जीवनकाल | वर्ष 82 |
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वीर सावरकर की जीवनी – Veer Savarkar Ka Jivan Parichay
स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 को महाराष्ट्र के नासिक जिले में भागुर गांव में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘दामोदर सावरकर’ जबकि माता का नाम ‘यशोदा सावरकर’ था। बताया जाता है कि स्कूली शिक्षा के दौरान ही उनका साहित्य के क्षेत्र में पर्दापण हो गया था। दस वर्ष की आयु में ही उनकी कविताएं प्रतिष्ठित समाचारपत्रों में प्रकाशित हुई थीं।
‘अभिनव भारत संगठन’ की स्थापना
भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने के उद्देश्य से वीर सावरकर ने वर्ष 1899 में मात्र 16 वर्ष की आयु में ‘मित्र मेला’ नामक संगठन का गठन किया था। किंतु बाद में इस संगठन का नाम बदलकर ‘अभिनव भारत’ रख दिया गया। बताया जाता है कि वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ‘लाला लाजपत राय’, ‘बाल गंगाधर तिलक’ और ‘बिपिन चंद्र पाल’ जैसे कट्टरपंथी राजनीतिक नेताओं से प्रेरित थे। वीर सावरकर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद पुणे के ‘फर्ग्यूसन कॉलेज’ में दाखिला लिया और कला स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद वह कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड गए।
यहाँ उन्होंने भारत की आजादी के लिए वहाँ रह रहे भारतीय छात्रों को प्रेरित किया और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ने के लिए वर्ष 1906 में ‘फ्री इंडिया सोसाइटी’ (Free India Society) की स्थापना की। इस दौरान उन्होंने ‘द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस’ (The Indian War of Independence) नामक पुस्तक लिखी थी।
मुकदमा और जेल की सजा
वर्ष 1909 में वीर सावरकर पर ‘इंडियन काउंसिल एक्ट -1909’ जिसे ‘मिंटो-मॉर्ले रिफॉर्म’ (Minto–Morley Reforms) के नाम से भी जाना जाता है, के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह की साजिश रचने के आरोप में वॉरंट जारी किया गया। जब उन्हें इसकी जानकारी मिली तो वह लंदन आ गए किंतु वर्ष 1910 में क्रांतिकारी समूह इंडिया हाउस के साथ संबंधों के लिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा 50 वर्ष की जेल की सजा सुनाई गई और वापस बंबई (अब मुंबई) भेज दिया गया। बाद में उन्हें 4 जुलाई 1911 को अंडमान और निकोबार द्वीप यानी ‘काला पानी’ ले जाया गया।
बता दें कि 27 वर्ष की आयु में वीर सावरकर (Veer Savarkar in Hindi) को दो बार काले पानी की सजा सुनायी गई थी। उन्हें 25-25 साल की दो अलग-अलग सजाएं सुनाई गईं थी। वहीं अंडमान और निकोबार में 698 कमरों की ‘सेल्युलर जेल’ में उन्हें 13.5 गुणा 7.5 फ़ीट की कोठरी नंबर 52 में रखा गया। जेल का उनका जीवन बहुत कठिनाइयों भरा था। जेल में उन्हें बहुत यातनाएं दी जाती थी जिसके कारण उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था। इसके बाद वह 6 जनवरी, 1924 को जेल से रिहा हुए।
‘हिंदू महासभा’ के अध्यक्ष बने
वर्ष 1924 में जेल से रिहा होने के बाद वीर सावरकर (Veer Savarkar in Hindi) समाज सुधार का कार्य करने लगे। इसके साथ ही उन्होंने ‘रत्नागिरी हिंदू सभा’ के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस संगठन का उद्देश्य हिंदुओं की सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना था। वर्ष 1937 में वह अहमदाबाद अधिवेशन में ‘हिंदू महासभा’ के अध्यक्ष बने। इस बीच उन्होंने मराठी भाषा की शुद्धता के लिए भी आंदोलन चलाया।
वीर सावरकर की पुस्तकें
यहाँ वीर सावरकर का जीवन परिचय के साथ ही उनके द्वारा लिखी गईं कुछ प्रमुख कृतियों (Veer Savarkar Books in Hindi) की जानकारी दी जा रही हैं:-
- हिन्दुत्व: हिन्दू कौन है?
- हिंदू-पद-पादशाही
- द इंडियन वार ऑफ इंडीपेंडेंस
- हिंदुत्व दर्शन
- दुश्मन के शिविर के अंदर (Inside the Enemy Camp) – वीर सावरकर की आत्मकथा
- भारतीय इतिहास के छह गौरवशाली युग
- My Transportation For Life
- मैझिनी चरित्र
- एन इको फ्रॉम अंडमान
- Moplah
- Essentials of Hindutva
- The Experiences And Thoughts Of Veer Savarkar
मुंबई में हुआ निधन
जीवन के अंतिम काल में उनका स्वास्थ्य तेजी से गिरने लगा था। किंतु इसी बीच उन्होंने 3 फरवरी 1966 को उन्होंने आमरण अनशन शुरू कर दिया। वे 22 दिनों तक जीवित रहे। अंतत 26 फरवरी, 1966 को 83 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक वीर सावरकर का जीवन परिचय (Veer Savarkar in Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं –
FAQs
वीर सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 को महाराष्ट्र के नासिक जिले में भागुर गांव में हुआ था।
वीर सावरकर की पत्नी का नाम ‘यमुनाबाई सावरकर’ था।
वीर सावरकर को स्वाधीनता आंदोलन से जुड़े होने के कारण ब्रिटिश सरकार द्वारा ‘दोहरे आजीवन कारावास’ की सजा सुनाकर अंडमान-निकोबार की सेल्युलर जेल में रखा गया था।
वीर सावरकर लगभग 50 वर्षों तक जेल में रहे थे।
आमरण अनशन के दौरान उनका 26 फरवरी, 1966 को 83 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था।
आशा है कि आपको वीर सावरकर का जीवन परिचय (Veer Savarkar in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।