मुद्राराक्षस का जीवन परिचय: सुभाषचंद्र आर्य उर्फ़ ‘मुद्राराक्षस’ आधुनिक हिंदी साहित्य के मशहूर उपन्यासकार, व्यंग्यकार, नाट्य लेखक और आलोचक हैं। उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी अपना विशेष योगदान दिया है। वे जीवन के कुछ वर्ष आकाशवाणी से भी जुड़े रहे। बता दें कि उनकी कई रचनाओं का भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ है। वहीं साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें ‘संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया जा चुका है।
बता दें कि मुद्राराक्षस की कुछ रचनाओं को विद्यालय के अलावा बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं।
इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी मुद्राराक्षस का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम हिंदी के मशहूर लेखक मुद्राराक्षस का जीवन परिचय और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मूल नाम | सुभाषचंद्र आर्य |
उपनाम | ‘मुद्राराक्षस’ (Mudrarakshasa) |
जन्म | 21 जून, 1933 |
जन्म स्थान | बेहरा गांव, लखनऊ, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | शिवचरण |
शिक्षा | एम.ए |
पेशा | साहित्यकार, संपादक, रंगकर्मी और नाट्य लेखक |
विधाएँ | उपन्यास, कहानी, नाटक, रेडियो नाटक |
साहित्य काल | आधुनिक काल |
भाषा | हिंदी |
पुरस्कार एवं सम्मान | संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार |
निधन | 13 जून, 2016 लखनऊ |
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लखनऊ में हुआ था जन्म
विख्यात लेखक मुद्राराक्षस का जन्म 21 जून, 1933 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में बेहरा नामक गांव में हुआ था। बता दें कि उनका मूल नाम ‘सुभाषचंद्र आर्य’ था लेकिन साहित्य जगत में वे ‘मुद्राराक्षस’ नाम से प्रसिद्ध हुए. उनके पिता का नाम ‘शिवचरण’ था जो पेशे से वयोवृद्ध गायक, अभिनेता और निर्देशक थे। माना जाता है कि यहीं से उन्हें साहित्य और रंगमंच की प्रेरणा मिली थी।
एम.ए की डिग्री हासिल की
बताया जाता है कि मुद्राराक्षस की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई थी। फिर वे उच्च शिक्षा के लिए लखनऊ आ गए और यहाँ से उन्होंने एम.ए की डिग्री हासिल की। अपनी आजीविका हेतु उन्होंने पत्रकारिता से जीवन का आरंभ किया था। वहीं शिक्षा के दौरान ही उनका साहित्य के क्षेत्र में पर्दापण हो गया था। उनकी प्रारंभिक रचनाएँ वर्ष 1951 से छपनी शुरू हो गई थीं।
विस्तृत रहा कार्यक्षेत्र
शिक्षा के उपरांत मुद्राराक्षस कुछ समय के लिए कोलकाता चले गए जहाँ उन्होंने ‘ज्ञानोदय’ पत्रिका का संपादन किया। फिर वे ‘अनुव्रत’ जैसी प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका के लेखन और संपादन से जुड़े। इसके बाद अंग्रेजी साप्ताहिक ‘जीरो’ और ‘बेहतर’ का संपादन किया। वर्ष 1963 में उन्होंने ‘ऑल इंडिया रेडियो’ में प्रवेश किया और वर्ष 1968 के बीच ‘अखिल भारतीय आकशवाणी कर्मचारी महासंघ’ के अध्यक्ष बने। वर्ष 1976 में संपादक (नाटक) पद से इस्तीफा देने के बाद वे पूर्ण रूप से साहित्य साधना में जुट गए।
मुद्राराक्षस की साहित्यिक रचनाएँ – Mudrarakshasa Ki Rachnaye
मुद्राराक्षस ने आधुनिक हिंदी साहित्य की अनेक विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया हैं। इनमें मुख्यत उपन्यास, कहानी, रेडियो नाटक, नाटक और साहित्यिक आलोचना विधाएँ शामिल हैं। यहाँ मुद्राराक्षस का जीवन परिचय के साथ ही उनकी संपूर्ण रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
उपन्यास
- मैडेलीन
- अचल: एक मनःस्थिति
- भगोड़ा
- हम सब मंसाराम
- मेरा नाम तेरा नाम
- शांतिभंग
- शोक संवाद
नाटक
- मरजीवा
- योर्स फेथफुली
- तिलचट्टा
- तेंदुआ
- गुफाएं
- संतोला
- आला अफसर
- डाकू
- मालविकागिमित्र और हम
कहानी-संग्रह
- शब्द दंश
साहित्यिक आलोचना
- साहित्य समीक्षा
- परिभाषाएं और समस्याएं
रेडियो नाटक
- काला आदमी
- उसका अजनबी
- लाइहरोबा
- संतोला
- काले सूरज की शव यात्रा
- विद्रूप
- उसकी जुराब
- अनुत्तरित प्रश्न
बाल साहित्य
- सरला
- बिल्लू और जाला
संपादन
- नयी सदी की पहचान
- श्रेष्ठ दलित कहानियाँ
- ज्ञानोदय
- अनुव्रत
- जीरो
- बेहतर
पुरस्कार एवं सम्मान
मुद्राराक्षस (Mudrarakshasa Ka Jeevan Parichay) को आधुनिक साहित्य, नाट्य और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
- उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी सम्मान
- उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का ‘साहित्य भूषण सम्मान’
82 वर्ष की आयु में हुआ निधन
मुद्राराक्षस ने दशकों तक हिंदी साहित्य और पत्रकारिता को अपनी लेखनी से समृद्ध किया था, किंतु लंबी बीमारी के कारण उनका 82 वर्ष की आयु में केजीएमयू, लखनऊ में 13 जून, 2016 को निधन हो गया। लेकिन आज भी वे अपनी लोकप्रिय रचनाओं के लिए साहित्य जगत में विख्यात हैं।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ हिंदी के मशहूर लेखक मुद्राराक्षस का जीवन परिचय के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
उनका मूल नाम ‘सुभाषचंद्र आर्य’ था।
उनका जन्म 21 जून, 1933 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में बेहरा नामक गांव में हुआ था.
उनके पिता का नाम ‘शिवचरण’ था।
उन्होंने मुख्यतः ज्ञानोदय, अनुव्रत और नयी सदी की पहचान आदि पत्रिकाओं का संपादन किया था।
उनका निधन 13 जून, 2016 को लखनऊ में हुआ था।
आशा है कि आपको हिंदी के मशहूर लेखक मुद्राराक्षस का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।