भारतीय हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह इस बार टोक्यो ओलंपिक के लिए तैयार हैं। जीवन के संघर्षों से लड़कर अपनी मंजिल तक पहुंचना मनप्रीत सिंह से बेहतर और कौन जानता होगा। मनप्रीत सिंह को कम उम्र में ही हॉकी टीम का नेतृत्व करने का मौका मिला, यह काबिले तारीफ है। इस बार के टोक्यो ओलंपिक में भारत की निगाहें भारतीय हॉकी टीम पर ही रहेंगी। तो मनप्रीत सिंह हॉकी में इतना आगे कैसे आए। तो आइए, जानते हैं Manpreet Singh ki Kahani विस्तार से।
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जीवन की संघर्ष भरी शुरुआत
Manpreet Singh ki Kahani शुरू होती है 26 जून 1992 को पंजाब के जालंधर के मीठापुर गाँव से। मनप्रीत के पिता दुबई में कारपेंटर का काम करते थे। जब मनप्रीत 10 वर्ष के थे, तो उनके पिता मानसिक समस्या के चलते वापस भारत अपने गाँव आ गए थे और उसके बाद वह कुछ काम नहीं कर सके। उनकी माता ने घर चलाने के लिए सिलाई का काम शुरू किया था। मनप्रीत के 2 बड़े भाई (सुखराज सिंह और अमनदीप सिंह) हैं। उनके दोनों भाई भी हॉकी के जाने माने खिलाड़ी हैं। मनप्रीत को बचपन से ही हॉकी खेलने का बहुत शौक़ था।
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ट्रेनिंग से ही दिखा जज्बा
मनप्रीत शुरू से ही पूर्व हॉकी कैप्टन परगट सिंह से काफी प्रभावित थे, वह भी उनके गाँव के ही थे। मनप्रीत उन्हें अपना आइडल मानते थे। मनप्रीत सिंह की माँ को उनका हर समय हॉकी खेलना रास नहीं आता था। इसी से परेशान होकर उनकी माँ उन्हें कमरे में बंद कर देती थीं। मनप्रीत के बड़े भाई के कोच को जब यह बात पता चली तो उन्होंने मनप्रीत को फील्ड पर लाने की बात कही। बस इसके बाद शुरू हुई इनकी ट्रेनिंग। एक बार मनप्रीत स्थानीय टूर्नामेंट से 500 रूपये जीत के लाए, उसके बाद इनके घरवालों ने इनके टैलेंट को पहचाना। Manpreet Singh ki Kahani उनके ट्रेनिंग में जाने के बाद से उनके जीवन में एक नया अध्याय लिख देती है।
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करियर का शानदार आगाज
मनप्रीत सिंह ने मात्र 19 वर्ष की उम्र में देश के लिए खेलना शुरू कर दिया था और उसके बाद वह कभी न रुके। उन्होंने नए-नए कीर्तिमान स्थापित किए, जिनके बारे में हम आपको बताएंगे। चलिए, देखते हैं Manpreet Singh ki Kahani में उनका करियर कैसा रहा –
- 2011 में मनप्रीत सिंह ने भारतीय हॉकी टीम लिए डेब्यू किया था।
- 2012 के लंदन ओलंपिक्स में मनप्रीत ने भारत का पहली बार प्रतिनिधित्व किया।
- 2013 में जूनियर हॉकी की इंडिया टीम के कप्तान बने थे। इस प्रतियोगिता के फाइनल में भारत ने मलेशिया की मजबूत टीम को 3-0 से हराकर गोल्ड मैडल जीता था।
- 2014 के एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाली टीम इंडिया के सदस्य थे। इस मैच में भारत ने पाकिस्तान को 4-2 से धुल चटाई थी।
- 2014 में स्कॉटलैंड में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स के फाइनल में भारत ने सिल्वर मैडल जीता था, मनप्रीत इसी टीम का हिस्सा थे। फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने हमें हरा दिया था।
- 2014 में लंदन में आयोजित मेंस हॉकी चैंपियंस ट्रॉफी के मैच में मनप्रीत ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। इसी के फाइनल में भारत ऑस्ट्रेलिया से हार गया था, जिससे भारत को सिल्वर से संतुष्ट होना पड़ा था। इस प्रतियोगिता के फाइनल में भारत 38 साल बाद पहुंचा था।
- 2016 में हुए सुल्तान जोहोर कप के पहले मैच में भारत का पहला मैच जापान से था। उसी दौरान उन्हें पता चला कि उनके पिताजी का निधन हो गया है, उसके बावजूद वह मैच खेले और टीम को जीत भी दिलाई।
- 2016 के रियो ओलंपिक्स में भारतीय टीम का हिस्सा थे।
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कप्तानी आई जिम्मेदारी लाई
Manpreet Singh ki Kahani उनके भारतीय हॉकी टीम के कप्तान बनने के बाद ज्यादा बदली। उनके कप्तान बनने से उनका प्रदर्शन बेहतर हुआ बल्कि इससे टीम भी कई अहम टूर्नामेंट जीती। आइए, नज़र डालते हैं क्या पाया भारत ने उनकी कप्तानी में –
- मनप्रीत सिंह को 2017 में भारतीय हॉकी टीम की कप्तानी मिली थी।
- उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने 2017 का एशिया कप, 2018 की एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी और 2019 में अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (FIH) का फाइनल जीता था।
- 2018 के मेंस हॉकी विश्वकप में उनकी कप्तानी में भारत क्वार्टर फाइनल तक गया था।
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अवॉर्ड व सम्मान
Manpreet Singh ki Kahani में उन्हें मिले अवार्ड और सम्मान भी उनके इस खेल के प्रति विश्वास और जूनून को दर्शाते हैं। आइए, बताते हैं आपको उनको मिले अवार्ड और सम्मान के बारे में –
- 2014 में एशिया हॉकी फेडरेशन ने उन्हें जूनियर प्लेयर ऑफ द इयर अवार्ड से नवाज़ा था।
- 2018 में अर्जुना अवार्ड
- 2019 में मनप्रीत सिंह को हॉकी इंडिया ध्रुव बत्रा प्लेयर ऑफ द इयर मिला था। साथ ही उन्हें 25 लाख का इनाम भी मिला था।
- 2020 में उन्हें अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (FIH) का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का अवार्ड मिला था। ऐसा कोई अवार्ड जीतने वाले मनप्रीत पहले भारतीय हैं।
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तीसरा ओलंपिक खेलेंगे
मनप्रीत सिंह इससे पहले 2012 का लंदन और 2016 के रियो ओलंपिक खेल चुके हैं। जुलाई 2021 में होने वाले टोक्यो ओलंपिक में मनप्रीत स्टार बॉक्सर और ओलंपिक मेडलिस्ट मैरी कॉम के साथ भारत के धव्जवाहक (Flag Bearer) होंगे। इससे पहले ओलंपिक में भारत का ध्वजवाहक बनने का सम्मान हॉकी में लाल सिंह बुखारी (1932 लॉस एंजिलिस), मेजर ध्यानचंद (1936 म्युनिख), बलबीर सिंह सीनियर (1952 हेलसिंकी), जफर इकबाल (1984 लॉस एंजिलिस) और परगट सिंह (1996 अटलांटा) को मिला है।
ओलंपिक में 41 साल बाद आया ब्रॉन्ज
भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने जर्मनी को हराकर तोक्यो ओलंपिक में Manpreet Singh की कप्तानी में ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया है। भारत ने 1980 के बाद पहली बार ओलंपिक में हॉकी में कोई पदक अपने नाम किया है। सिमरनजीत सिंह के दो गोल की बदौलत भारत ने दो बार पिछड़ने के बाद जोरदार वापसी करते हुए गुरुवार को यहां रोमांच की पराकाष्ठा पर पहुंचे ब्रॉन्ज मेडल के प्ले ऑफ मुकाबले में जर्मनी को 5-4 से हराकर ओलंपिक में 41 साल बाद ब्रॉन्ज मेडल जीता।
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शादी भी कम रोमांचक नहीं
मलेशिया की रहने वाली पाकिस्तानी मूल की इल्ली सिद्दीकी से Manpreet Singh ki Kahani 2013 के जूनियर हॉकी टूर्नामेंट से शुरू हुई। करीब 9 वर्ष की डेटिंग के बाद, इन्होंने दिसंबर 2020 में शादी कर ली।
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इस ब्लॉग में आपने Manpreet Singh ki Kahani के बारे में जाना, हमें उम्मीद है कि आप इस ब्लॉग से आप मनप्रीत सिंह से कुछ प्रेरणा ज़रूर लेंगे और जीवन में कुछ बड़ा ज़रूर करेंगे। Manpreet Singh ki Kahani का यह ब्लॉग आपको भविष्य में एक सही राह दे। ब्लॉग अच्छा लगा हो, तो कृपया इसे आगे शेयर कीजिए, जिससे बाकी लोगों को भी उनके बारे में जानकारी मिले। इसी तरह के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए आप हमारी Leverage Edu की वेबसाइट पर जा सकते हैं।