Bhavani Devi

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Bhavani Devi

खेलों के प्रति भारत में हमेशा से क्रेज रहा है। लेकिन आजकल के दौर में यह सिर्फ क्रिकेट तक ही सीमित नहीं है। आजकल के बदलते दौर में बैडमिंटन, लॉन, टेनिस ,चैस .कबड्डी, कुश्ती, बॉक्सिंग, रेसिंग, तीरंदाजी जैसे खेलों ने भी प्रसिद्धि  हासिल की है। भारत में तलवारबाजी काफी पुराने दौर से चलती आ रही है जिसमें हम राजा महाराजाओं के बीच तलवारबाजी की कलाएं देखते थे। यह गेम ओलंपिक में भी काफी पुराने समय से प्रचलित है। लेकिन अब भारत को तलवारबाजी में पहचान मिल गई है। Bhavani Devi  वह पहली भारतीय हैं जिन्होंने और जापान के टोक्यो ओलंपिक्स में क्वालीफाई कर लिया है। इससे बड़ी देश के लिए गर्व की बात नहीं हो सकती । उनके संघर्ष , मेहनत और जज्बे ने इन्हें यह मुकाम हासिल करने में मदद की है। तो चलिए जानते हैं Bhavani Devi के इस खूबसूरत सफर के बारे में।

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क्या है तलवारबाजी?

तलवारबाजी दो खिलाड़ियों के बीच सही समय पर सटीक तरीके से अपने विरोधी  पर प्रहार और बचाव की टेक्निक है। यह उस समय और रोमांचक  और मजेदार हो जाता है जब तलवार बाजी के दौरान खिलाड़ियों की दूरी कम हो जाती है। तलवारबाजी 3 तरह की होती है, इन सब में अंतर सिर्फ टारगेट एरिया का होता है। जब भी टारगेट एरिया पर तलवार छू जाती है तो दाएं या बाएं वाले तलवारबाज के लिए हरे या लाल रंग की लाइट जलती है। फायर स्पर्धा में धन और पीठ पर वार किया जाता हैं, वही सेवर में हाथ और धड़ पर वार किया जाता है। सफाई में जब तलवार टारगेट एरिया के को मिस कर देती है तो एक सफेद रंग की रोशनी आती है जिसे अमान्य प्रहार माना जाता है।

जीवन परिचय

Bhavani Devi का जन्म 27 अगस्त 1993 तमिलनाडु के चेन्नई में हुआ था। इनके पिता जी का नाम सी सुंदर रमन है जो एक पुजारी है और उनकी माता का नाम सी. ए सुंदरमन रमानी है। जो पेशे से हाउसवाइफ है ‌ 2003 में भवानी देवी मैं अपने खेल करियर की शुरुआत की थी उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मुरुगा धनुष्कोड़ी गर्ल्स हायर सेकेंडरी चेन्नई से की है। उसके बाद चेन्नई के सेंट जोसेफ इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई की और गवर्मेंट ब्रेनन कॉलेज। से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई पूरी की। दसवीं कक्षा की पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ज्वाइन किया ।

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Source – Twitter

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माँ ने गहने गिरवी रखे

मिडिल क्लास फैमिली से बिलॉन्ग से होने के कारण भवानी देवी की तैयारी के लिए उनकी मां ने अपने गहने तक गिरवी रख दिए थे। भवानी देवी इसके लिए अपने परिवार का धन्यवाद करना नहीं भूलती। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया की “मेरी मां ने मेरी इच्छाओं को पूरा करने के लिए अपने  तक गहने  गिरवी रख दिए और लोगों से उधार लेकर मुझे प्रतियोगिता में हिस्सा लेने भेजा।”

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Source – PIB

वह खुश तो है की उन्हें  सफलता मिली मगर इस बात का  गम जरूर है कि वह इस अवसर को अपने पिताजी के साथ सेलिब्रेट नहीं कर पाई ,  भवानी देवी के पिता की मौत 2019 में हो गई थी।

क्या तलवारबाज ही बनना चाहती थी?

Bhavani Devi ने बताया कि 2004 में उन्हें स्कूल में एक खेल चुनना था लेकिन वह कोई फैसला लेती उससे पहले ही सब खेलो में सीटें फुल हो गई थी। अंत में भवानी देवी के पास तलवारबाजी चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। उन्हें उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा मौका तब  मिला जब वह 3 साल बाद स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के कोच सागर लागू की नजर में आई और उन्हें केरला में स्थित साइ एकेडमी में ट्रेनिंग के लिए बुलाया गया जहां उन्हें तलवारबाजी की ट्रेनिंग दी गई।

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शुरुआती दौर में प्रदर्शन रहा खराब

भवानी देवी का अंतरराष्ट्रीय अनुभव अच्छा नहीं रहा तुर्की में अंतरराष्ट्रीय दौरे में उन्हें 3 मिनट लेट पहुंचने की वजह से रैफरी ने ब्लैक काट कर दिया था यह तलवारबाजी में दी जाने वाली सबसे बड़ी सजा है इसके चलते हुए टूर्नामेंट से बाहर हो गई थी। इसकी ट्रेनिंग में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। भारत में न तो इसके कोई टूर्नामेंट हैं  और न ही ऐसे विशेषज्ञ हैं जो इसकी बारीकियों को समझाएं।

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चेन्नई से टोक्यो का सफर

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Source – Quint Hindi

Bhavani Devi का  नाम इतिहास के सुनहरे पन्नों  में शामिल हो गया है ।  भारत ने 125 साल बाद ओलंपिक में तलवारबाजी में क्वालीफाई किया है। उन्होंने समायोजित आधिकारिक रैंकिंग ( AOR) पद्धति के माध्यम से ओलंपिक में अपना टिकट पक्का किया। इस ओलंपिक क्वालीफिकेशन के बाद उन्होंने कहा-“अंतत अब मैं मुक्त महसूस कर रही हूं।” भवानी देवी तलवारबाजी की सेबा विधा से खेलती हैं। इन्हें क्वालिफिकेशन हासिल करने के लिए बुडापेस्ट में चल रहे वर्ल्ड कप की टीम इवेंट के रिजल्ट का इंतजार करना था क्योंकि ओलंपिक में 24 सेवा टीम इवेंट के क्वालीफायर्स होती  हैं वर्ल्ड रैंकिंग के हिसाब से एशिया /ओशनिया के लिए दो जगह खाली होती हैं।

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ओलंपिक में तलवारबाजी का सफर

तलवारबाजी का इतिहास सबसे पहले फ्रांसीसी खिलाड़ियों ने शुरू किया था। इसके लिए वह सम्मान के पात्र हैं कि उन्होंने दुनिया भर में तलवारबाजी की टेक्निक को दमदार तकनीक और  प्रदर्शन की बदौलत आज लोग इसमें अपना कैरियर बनाने की सोचते हैं। पूरे विश्व में तलवारबाजी खेली जाती है खासतौर पर यूरोप,एशिया,अमेरिका और अफ्रीका में तलवारबाजी के काफी कॉन्पिटिशन होते हैं। International fencing federation मैं 157 देश सदस्य हैं। 

यह खेल बीजिंग ओलंपिक 2008 और रियो ओलंपिक 2016 में काफी प्रसिद्ध हुआ था। विश्व चैंपियनशिप में कई खिलाड़ियों ने इसमें पदक जीते और और इतिहास के सुनहरे पन्नों में अपना नाम शामिल करा लिया।इसमें फ्यूचरिस्ट क्लाइंट इन, वायरलेस स्कोरिंग सिस्टम, इंस्टेंट रीप्ले वीडियो जैसी टेक्निक्स का इस्तेमाल किया जाता है। टोक्यो ओलंपिक्स 2021 में 12 नई टीमों के साथ कुछ इंडिविजुअल खिलाड़ी ओलंपिक के खेल में नजर आएंगे।

रिकॉर्ड

Bhavani Devi के नाम कई और रिकॉर्ड भी शामिल है‌। 2009 में मलेशिया में आयोजित राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में इन्होंने कांस्य पदक जीता था। इसके बाद 2010 इंटरनेशनल ओपन , 2010 कैंडिडेट एशियन चैंपियनशिप,  2012 कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप 2015 एशियन चैंपियनशिप 2015 ओपन में कास्य पदक जीता। वह पहली महिला हैं जिन्होंने फिलिपिंस चैंपियनशिप,  2014 में अंडर 23 कैटेगरी में सिल्वर मेडल हासिल किया साथ ही 2019 में कैनबरा में आयोजित सीनियर कॉमनवेल्थ फेंसिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम करने वाली पहली भारतीय महिला बनी।

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Source – Jagran

खेल छोड़ने का बना लिया था मन

मीडिया से उनकी बातचीत में उन्होंने कहा मेरे परिवार ने बहुत पैसा खर्च किया था बहुत सारे बिजनेस से जुड़े लोग भी थे जो मुझे स्पॉन्सर करने के लिए आगे आए थे लेकिन फिर भी इसके लिए जरूरी उपकरणों पर खर्च बहुत ज्यादा था और मैं इन चीजों का इंतजाम करते -करते थक चुकी थी 2013 में मेरे मन में खेल छोड़ने तक का विचार आने लगा था।”

मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था उसी वक्त स्पोर्ट्स फाउंडेशन स्कॉलरशिप प्रोग्राम के लिए उन्हें चुना गया और फिर उनकी सारी मुश्किले हल हो गई ,  2016 में वह इटली शिफ्ट हो गई और तलवारबाजी के नए चैप्टर के लिए खुद को तैयार करने लगी। एक ऐसा खेल जिसे चुनते वक्त कुछ नहीं जानती थी। आज वह कहती है – “मैं तलवार जैकेट और मास्क से प्यार करती हूं।”

आज हमने Bhavani Devi  के संघर्ष और जुनून की कहानी सुनी जिन्होंने आज भारत का सर गर्व से ऊंचा कर दिया है। आशा है , आपको यह प्रेरणादायक ब्लॉग अच्छा लगा होगा। अगर अच्छा लगा है तो कमेंट करें और अपने दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। जिससे वह भी ऐसे कई जुनूनी कहानियां पढ़ सके Leverage Edu के साथ।

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