Jagdish Chandra Mathur Ka Jivan Parichay – सुप्रसिद्ध नाटककार जगदीश चंद्र माथुर का जीवन परिचय

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Jagdish Chandra Mathur Ka Jivan Parichay

Jagdish Chandra Mathur Ka Jivan Parichay: जगदीश चंद्र माथुर आधुनिक हिंदी साहित्य के महत्त्वपूर्ण नाटककार एवं एकांकीकार के रूप में प्रतिष्ठित हैं। देश की आजादी के पश्चात उभरी लेखकों की पीथी में उन्हें सबसे प्रमुख प्रारंभिक नाटककार माना जाता है। बता दें कि उन्होंने नाट्य लेखन के साथ ही रेखाचित्र, निबंध, एकांकी, नाट्यालोचना और शोध के क्षेत्र में महत्वपूर्ण लेखन किया था।

क्या आप जानते हैं कि जगदीश चंद्र माथुर भारत सरकार में बड़े प्रशासनिक अधिकारी भी थे जिन्हें ‘वैशाली महोत्सव’ का शुभारंभ करने और ‘बिहार राष्ट्रभाषा परिषद’ जैसी संस्था का गठन करके के लिए याद किया जाता है। वहीं साहित्य और सांस्कृतिक योगदान के लिए उन्हें ‘विद्यावारिधि’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था। इसके साथ ही आपको ‘कालिदास अवॉर्ड’ और ‘बिहार राजभाषा पुरस्कार’ से भी नवाजा गया था।

बता दें कि जगदीश चंद्र माथुर की रचनाएँ जिनमें ‘रीढ़ की हड्डी’, ‘भोर का तारा’ (एकांकी) ‘कोणार्क’ (नाटक) आदि को विद्यालय के अलावा बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं।

इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए जगदीश चंद्र माथुर का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम सुप्रसिद्ध नाटककार जगदीश चंद्र माथुर का जीवन परिचय (Jagdish Chandra Mathur Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम जगदीश चंद्र माथुर (Jagdish Chandra Mathur)
जन्म 16 जुलाई, 1917
जन्म स्थान खुर्जा गांव, उत्तर प्रदेश 
शिक्षा एम.ए अंग्रेजी 
पेशा प्रशासनिक अधिकारी, लेखक 
विधाएँ नाटक, एकांकी, रेखाचित्र, निबंध, शोधपत्र 
साहित्य काल आधुनिक काल 
भाषा हिंदी 
पुरस्कार एवं सम्मान ‘विद्यावारिधि’, ‘कालिदास अवॉर्ड’ और ‘बिहार राजभाषा पुरस्कार’
निधन 14 मई, 1978 

उत्तर प्रदेश के खुर्जा गांव में हुआ था जन्म – Jagdish Chandra Mathur Ka Jivan Parichay

सुप्रसिद्ध नाटककार जगदीश चंद्र माथुर का जन्म 16 जुलाई, 1917 को उत्तर प्रदेश के खुर्जा गांव में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘लक्ष्मीनारायण माथुर’ था जो कि पेशे से विद्यालय में अध्यापक थे। बताया जाता है कि आपका बचपन ग्रामीण परिवेश में बीता था। ये वो समय था जब संपूर्ण भारत में ब्रिटिश हुकूमत का शासन था और भारत वर्ष में आजादी के लिए आंदोलन हो रहे थे। इन घटनाओं का उनके जीवन पर गहरा असर पड़ा था। 

आई सी एस में हुआ चयन 

वर्ष 1933 में जगदीश चंद्र माथुर ने क्रिश्चियन कॉलेज, इलाहाबाद से बी.ए की पढ़ाई पूरी की . इसके बाद  इलाहाबाद विश्वविद्यालय से सन 1939 में प्रथम श्रेणी में अंग्रेजी साहित्य में एम.ए की डिग्री हासिल की। उस समय में ‘भारतीय प्रशासनिक सेवा’ को ‘भारतीय सिविल सेवा’ (ICS) के नाम से जाना जाता था। वर्ष 1941 में उनका इस प्रतिष्ठित परीक्षा में चयन हुआ और उन्हें बिहार राज्य में शिक्षा सचिव नियुक्त किया गया। इसी कालवधि में उन्होंने बिहार में अनेक संस्थाओं का निर्माण किया और भारत की आजादी के पूर्व बन रहे नए राष्ट्र में सांस्कृतिक गतिविधियों की आवश्यकता प्रतिपादित की।

विस्तृत रहा कार्यक्षेत्र 

वर्ष 1955 में जगदीश चंद्र माथुर दिल्ली आ गए और उन्हें ‘आकाशवाणी’ का महानिदेशक बना दिया गया। इसके उपरांत वर्ष 1962 में वे बिहार के तिरहुत प्रमंडल के कमिश्नर नियुक्त हुए, जहां वे एक वर्ष तक रहे और अगले एक वर्ष के लिए उन्हें हार्वर्ड विश्वविद्यालयका विजिटिंग फैलो बनने का अवसर मिला। इसके बाद वे कृषि मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव बने और कुछ वर्षों तक गृह मंत्रालय में हिंदी सलाहकार के पद पर भी कार्यरत रहे।

जगदीश चंद्र माथुर का साहित्यिक परिचय 

बताया जाता है कि जगदीश चंद्र माथुर का साहित्य के क्षेत्र में पर्दापण अल्प आयु में ही हो गया था। वहीं उनके नाट्य लेखन की शुरुआत एकांकी लेखन से हुई थी। उनकी अधिकांश रचनाओं में मध्यवर्गीय परिवार की सारी विडंबनाएं, समस्याएं, त्रासदी और खुशियों की झलक नजर आती हैं। बाद में वे एक नाटककार, एकांकीकार तथा संस्मरणकार के रूप में हमारे सामने आते हैं।

जगदीश चंद्र माथुर की प्रमुख रचनाएं – Jagdish Chandra Mathur Ki Rachnaye

जगदीश चंद्र माथुर ने गद्य विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया हैं। वहीं ऐतिहासिक नाटकों के साथ साथ उन्होंने सामाजिक समस्याओं से जुड़े एकांकी-नाटक भी लिखे हैं, उनके कुछ व्यंग्य प्रधान एकांकी चर्चित रहे हैं। यहाँ जगदीश चंद्र माथुर का जीवन परिचय (Jagdish Chandra Mathur Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण रचनाओं (Jagdish Chandra Mathur Books) के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:

एकांकी संकलन 

  • भोर का तारा – वर्ष 1947
  • नटखट एकांकी: ओ मेरे सपने – वर्ष 1953
  • मेरे सर्वश्रेष्ठ रंग एकांकी – वर्ष 1972

नाट्य लेखन 

  • कोणार्क – वर्ष 1951
  • शारदीया – वर्ष 1959
  • पहला राजा – वर्ष 1969
  • दशरथनंदन – वर्ष 1974
  • रघुकुलरीति – वर्ष 1985

रेखाचित्र 

  • दस तस्वीरें – वर्ष 1962
  • जिन्होंने जीना जाना 

रंग चिंतन संबंधी लेखन 

  • परंपराशील नाट्य – वर्ष 1969
  • प्राचीन भाषा नाटक संग्रह – वर्ष 1972

पुरस्कार एवं सम्मान 

जगदीश चंद्र माथुर (Jagdish Chandra Mathur Ka Jivan Parichay) को साहित्य, संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-

  • “विद्यावारिधि”
  • “कालिदास अवॉर्ड” 
  • “बिहार  राजभाषा पुरस्कार” 

हृदय रोग के कारण हुआ निधन 

जगदीश चंद्र माथुर ने आधुनिक हिंदी साहित्य में कई दशकों तक श्रेष्ठ कृतियों की रचना की हैं। ‘कोणार्क’ उनका लोकप्रिय नाटक माना जाता है। साहित्य सृजन के साथ ही उन्होंने रूस और अमेरिका सहित अनेक देशों की यात्राएँ की थी। वे विश्व स्तर पर भी अनेक समितियों के सदस्य रहे थे। किंतु प्रशासनिक सेवा से रिटायर होने के कुछ समय बाद ही उनका 14 मई, 1978 को ह्रदय रोग के कारण निधन हो गया। लेकिन आज भी वे अपनी लोकप्रिय कृतियों के लिए साहित्य जगत में विख्यात हैं।

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ सुप्रसिद्ध नाटककार जगदीश चंद्र माथुर का जीवन परिचय (Jagdish Chandra Mathur Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 

FAQs 

जगदीश चंद्र माथुर का जन्म कहां हुआ था?

उनका जन्म 16 जुलाई, 1917 को उत्तर प्रदेश के खुर्जा गांव में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। 

जगदीश चंद्र माथुर का पहला एकांकी संग्रह कौन सा था?

उनका पहला एकांकी संग्रह ‘भोर का तारा’ शीर्षक से वर्ष 1946 में प्रकाशित हुआ था।

‘कोणार्क’ नाटक के रचयिता कौन है?

‘कोणार्क’ जगदीश चंद्र माथुर का लोकप्रिय नाटक है।

जगदीश चंद्र माथुर को कौन सा अवार्ड मिला था?

साहित्य, संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने के लिए ‘विद्यावारिधि’, ‘कालिदास अवॉर्ड’ और ‘बिहार राजभाषा पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।

जगदीश चंद्र माथुर का निधन कब हुआ था?

हृदय रोग के कारण उनका 14 मई, 1978 को निधन हो गया था।

आशा है कि आपको  सुप्रसिद्ध नाटककार जगदीश चंद्र माथुर का जीवन परिचय (Jagdish Chandra Mathur Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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