घनानंद का जीवन परिचय – Ghananand Ka Jivan Parichay

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Ghananand Ka Jivan Parichay

घनानंद का जीवन परिचय: घनानंद हिंदी साहित्य में रीतिकाल के रीतिमुक्त या स्वच्छंद काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। वहीं, प्रेम घनानंद के काव्य का केंद्रीय विषय है। घनानंद के समकालीन कवियों में ‘आलम’, ‘बोधा’, ‘ठाकुर’ व ‘द्विजदेव’ का नाम लिया जा सकता है। लेकिन रीतिमुक्त धारा में उन्हें सर्वश्रेष्ठ कवि का दर्जा हासिल हैं। उनकी प्रमुख काव्य रचनाओं में ‘सुजान सागर’, ‘विरह लीला’, ‘वियोगबेली’, ‘कृष्ण कौमुदी’ व ‘इश्क्लता’ के नाम लिए जा सकते हैं। 

घनानंद की कई काव्य रचनाओं को विद्यालय के साथ ही बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी घनानंद का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम घनानंद का जीवन परिचय (Ghananand Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम घनानंद (Ghananand)
जन्म सन 1673 
जन्म स्थान दिल्ली व ब्रजक्षेत्र 
साहित्य काल रीतिकाल 
दरबारी कवि बादशाह मुहम्मद शाह 
विधाएँ काव्य 
काव्य-रचनाएँ ‘सुजान सागर’, ‘विरह लीला’, ‘वियोगबेली’, ‘कृष्ण कौमुदी’ व ‘इश्क्लता’ आदि। 
निधन सन 1760-1761 मथुरा, उत्तर प्रदेश 

घनानंद का जन्म – Ghananand Ka Jivan Parichay

घनानंद रीतिकाल में रीतिमुक्त काव्यधारा के शिखर पुरुष माने जाते हैं। माना जाता है कि घनानंद का जन्म दिल्ली या ब्रजक्षेत्र में सन् 1673 के आसपास हुआ था। वे फारसी साहित्य के गंभीर अधेयता थे। वहीं उनका प्रारंभिक जीवन दिल्ली के आसपास ही बीता। 

बादशाह ‘मुहम्मद शाह’ के मीर मुंशी 

घनानंद दिल्ली के बादशाह ‘मुहम्मद शाह’ के मीर मुंशी थे। बता दें कि वे बादशाह के दरबार में कवि के रूप में नहीं बल्कि मीर मुंशी के रूप में जाने जाते थे। बताया जाता है कि वे दरबार में कवित्व से अधिक गायन के लिए विख्यात थे। कहते हैं कि दरबार में ‘सुजान’ नाम की एक स्त्री से उनको अटूट प्रेम था। उसी प्रेम के कारण एक दिन वह दरबार में बादशाह से बे-अदबी कर बैठे, जिससे नाराज होकर बादशाह ने उन्हें दरबार से निष्कासित कर दिया। इसके साथ ही सुजान ने भी उनके साथ आने से इंकार कर दिया जिससे वह निराश और दुखी होकर वृंदावन चले गए। 

निंबार्क संप्रदाय में ली दीक्षा 

माना जाता हैं कि वृंदावन में रहते हुए वे ‘निंबार्क संप्रदाय’ में दीक्षित हुए और भक्त के रूप में अपना जीवन निर्वाह करने लगे। लेकिन वह सुजान को भूल न सके और अपनी रचनाओं में सुजान के नाम का प्रतीकात्मक प्रयोग करके काव्य सृजन करते रहे।  

घनानंद का साहित्यिक परिचय – Ghananand Ka Sahityik Parichay

घनानंद मूलतः प्रेम की पीड़ा के वियोगी कवि माने जाते हैं। उनकी काव्य रचनाओं में प्रेम का अत्यंत गंभीर, निर्मल और व्याकुल कर देने वाला उदांत रूप देखने को मिलता हैं। उन्होंने सुजान के रूप-सौंदर्य, लज्जा, व्यवहार आदि का अत्यंत मार्मिकता वर्णन अपनी रचनाओं में किया हैं। 

घनानंद की भाषा परिष्कृत और साहित्यिक भाषा है। जहाँ ‘बिहारी’ व उस काल के समकालीन कवियों ने अपनी रचनाओं में ब्रज को फारसी, अरबी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं से मिश्रित किया है। वहीं घनानंद की काव्य रचनाओं में ब्रजभाषा का शुद्ध रूप देखने को मिलता है। 

घनानंद का साहित्यिक रचनाएँ 

घनानंद ब्रज भाषा के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित ‘आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र’ ने  ‘घनानंद ग्रंथावली’ में घनानंद की 39 कृतियों को संकलित किया हैं:, जो कि इस प्रकार हैं:-

  • सुजान हित 
  • अनुभव चंद्रिका
  • कृपाकंद 
  • रंग बधाई 
  • कृष्ण कौमुदी 
  • धाम चमत्कार 
  • मुरतिकामोद
  • मनोरथ मंजरी 
  • वियोग बेलि 
  • प्रेम पद्धति 
  • प्रिया प्रसाद 
  • छंदास्तक 
  • इश्क्लता 
  • वृंदावन मुद्रा 
  • वृषभानुपुर सुषमा वर्णन 
  • त्रिभंगी 
  • युमनायश
  • प्रीति पावस 
  • प्रेम पत्रिका  
  • प्रेम सरोवर 
  • ब्रज विलास 
  • सरस बसंत 
  • गोकुल गीता 
  • नाम माधुरी 
  • गिरिपूजन 
  • विचारसार 
  • दानघाट 
  • भावना प्रकाश
  • ब्रज स्वरूप 
  • गोकुल चरित्र 
  • प्रेम पहेली 
  • रसना यश 
  • गोकुल विनोद 
  • ब्रज प्रसाद 
  • परमहंस वंशावली 
  • ब्रज व्यवहार 
  • गिरिगाथा
  • पदावली 
  • स्फुट 

मथुरा में हुआ निधन 

‘आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र’ के अनुसार अहमदशाह अब्दाली के दूसरे आक्रमण के दौरान सन 1760-1761 के दौरान मथुरा में घनानंद की हत्या कर दी गई। किंतु आज भी वे अपनी अनुपम काव्य कृतियों के लिए साहित जगत में जाने जाते हैं। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ रीतिकालीन रीतिमुक्त काव्यधारा के शिखर पुरुष घनानंद का जीवन परिचय (Ghananand Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीराजगुरु
सुखदेवजाबिर हुसैनविष्णु खरे 

FAQs 

घनानंद का जन्म कहाँ हुआ था?

माना जाता है कि घनानंद का जन्म दिल्ली या ब्रजक्षेत्र में सन 1673 के आसपास हुआ था।

घनानंद किस बादशाह के मीर मुंशी थे?

घनानंद दिल्ली के बादशाह ‘मुहम्मद शाह’ के मीर मुंशी थे। 

घनानंद कौन सी धारा के कवि थे?

घनानंद रीतिकालीन काव्य में रीतिमुक्त धारा के प्रतिनिधि कवि थे। 

घनानंद की भाषा कौन सी थी?

घनानंद की भाषा परिष्कृत और साहित्यिक ब्रजभाषा है।

इश्कलता के रचनाकार कौन हैं?

यह घनानंद की लोकप्रिय काव्य रचना है। 

घनानंद की मृत्यु कब हुई थी?

‘आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र’ के अनुसार अहमदशाह अब्दाली के दूसरे आक्रमण के दौरान सन 1760-1761 के दौरान मथुरा में घनानंद की हत्या कर दी गई थी। 

घनानंद की प्रेमिका का क्या नाम था?

माना जाता है कि सुजान नाम की एक स्त्री से उनका अटूट प्रेम था।

घनानंद की प्रमुख रचनाएं कौन सी हैं?

सुजान सागर, विरह लीला, वियोगबेली, कृष्ण कौमुदी व इश्क्लता उनकी प्रमुख रचनाएं हैं। 

सुजान सागर किसकी रचना है?

सुजान सागर घनानंद की सबसे प्रसिद्ध रचना है। 

आशा है कि आपको घनानंद का जीवन परिचय (Ghananand Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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