Gagan Gill Ka Jivan Parichay: गगन गिल आधुनिक हिंदी कविता एवं साहित्य का एक अनिवार्य नाम हैं। तीन दशकों से अधिक समय तक साहित्य सृजन करने के साथ ही वह द टाइम्स ग्रुप व संडे ऑब्ज़र्वर में लंबे समय तक साहित्य संपादन से संबद्ध रहीं हैं। वर्ष 2024 में उनके कविता संग्रह ‘मैं जब तक आई बाहर’ के लिए उन्हें प्रतिष्ठित ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। यह कविता संग्रह साल 2018 में प्रकाशित हुआ था। इसमें चार खंड हैं और प्रत्येक खंड में सात कविताएं हैं। काव्य रचनाओं के साथ ही उन्होंने साहित्य की अन्य विधाओं में भी अनुपम कृतियों का सृजन किया है।
गगन गिल को साहित्य के क्षेत्र में अपना उल्लेखनीय योगदान देने के लिए ‘भारतभूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार’ (1984), ‘संस्कृति सम्मान’ (1989), ‘केदार सम्मान’ (2000) और ‘द्विजदेव सम्मान’ (2010) आदि से नवाजा जा चुका हैं। इस ब्लॉग में नामचीन साहित्यकार गगन गिल का जीवन परिचय (Gagan Gill Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में बताया गया है।
नाम | गगन गिल (Gagan Gill) |
जन्म | 19 नवंबर 1959 |
जन्म स्थान | नई दिल्ली |
शिक्षा | एम.ए. अंग्रेजी |
कार्य क्षेत्र | साहित्यकार, संपादक |
माता का नाम | डॉ. महेंद्र कौर गिल |
पति का नाम | निर्मल वर्मा |
विधाएँ | कविता, यात्रा वृतांत, स्मृति आख्यान, अनुवाद एवं संपादन |
प्रसिद्ध कृति | ‘एक दिन लौटेगी लड़की’ (1989), ‘मैं जब तक आई बाहर’ (2017) |
पुरस्कार एवं सम्मान | साहित्य अकादमी पुरस्कार (2024), ‘द्विजदेव सम्मान’ (2010) व ‘भारतभूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार’ (1984) आदि। |
This Blog Includes:
- नई दिल्ली में हुआ था जन्म – Gagan Gill Ka Jivan Parichay
- 1989 में पहला कविता-संग्रह प्रकाशित हुआ
- गगन गिल का व्यक्तिगत जीवन
- भारतीय प्रतिनिधि लेखक मंडल की सदस्य
- गगन गिल की साहित्यिक रचनाएँ – Gagan Gill Ki Rachnaye
- पुरस्कार एवं सम्मान
- गगन गिल की कविताएं
- FAQs
- पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
नई दिल्ली में हुआ था जन्म – Gagan Gill Ka Jivan Parichay
सुप्रसिद्ध लेखिका गगन गिल का जन्म 19 नवंबर, 1959 को नई दिल्ली में हुआ था। इनकी माता का नाम ‘डॉ. महेंद्र कौर गिल’ था जो कि दिल्ली में प्रधानाचार्य व पंजाबी की सुप्रसिद्ध लेखिका रही हैं। बता दें कि गगन गिल की प्रारंभिक शिक्षा के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने अंग्रेजी में एम.ए. किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह 1983-93 में ‘द टाइम्स ग्रुप’ व ‘संडे ऑब्ज़र्वर’ में एक दशक से कुछ अधिक समय तक साहित्य संपादन से संबद्ध रहीं। इसके बाद वह हार्वर्ड युनिवर्सिटी, अमेरिका में पत्रकारिता की नीमेन फैलो रहीं।
1989 में पहला कविता-संग्रह प्रकाशित हुआ
गगन गिल का साहित्य के क्षेत्र में पर्दापण उच्च शिक्षा के दौरान हो गया था। इसका परिणाम यह हुआ कि वर्ष 1989 में उनका प्रथम कविता-संग्रह ‘एक दिन लौटेगी लड़की’ प्रकाशित हुआ। इस कविता-संग्रह ने हिंदी साहित्य जगत में व्यापक चर्चा पायी। साथ ही उनको एक साहित्यकार के रूप में स्थापित करने में इस कविता-संग्रह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद उनके कई कविता-संग्रह और अन्य साहित्यिक रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं।
गगन गिल का व्यक्तिगत जीवन
गगन गिल के पति का नाम निर्मल वर्मा (Nirmal Verma) है, जो हिंदी के आधुनिक कथाकारों में एक मूर्धन्य साहित्यकार और पत्रकार थे।
भारतीय प्रतिनिधि लेखक मंडल की सदस्य
गगन गिल वर्ष 1990 में अमेरिका के प्रतिष्ठित आयोवा इंटरनेशनल राइटिंग प्रोग्राम-IWP में भारत से आमंत्रित लेखक थीं जबकि साल 2000 में गोएथे-इंस्टीट्यूट, जर्मनी और 2005 में पोएट्री ट्रांसलेशन सेंटर (Poetry Translation Centre), लंदन यूनिवर्सिटी के निमंत्रण पर जर्मनी और इंग्लैंड के कई शहरों में कविता पाठ के लिए गईं थीं। वहीं भारतीय प्रतिनिधि लेखक मंडल की सदस्य के रूप में उन्होंने फ्रांस, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, चीन, इटली, कंबोडिया, मेक्सिको, ऑस्ट्रिया, बुल्गारिया, तुर्की, लाओस और इंडोनेशिया आदि देशों की यात्राएँ की हैं।
गगन गिल की साहित्यिक रचनाएँ – Gagan Gill Ki Rachnaye
गगन गिल ने साहित्य की अनेक विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया हैं। अभी तक उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें काव्य संग्रह, यात्रा वृतांत, स्मृति आख्यान, साहित्यिक निबंध और अनुवादित रचनाएँ शामिल हैं। यहाँ गगन गिल का जीवन परिचय (Gagan Gill Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
कविता-संग्रह
कविता-संग्रह | प्रकाशन |
एक दिन लौटेगी लड़की | 1989 |
अँधेरे में बुद्ध | 1996 |
यह आकांक्षा समय नहीं | 1998 |
थपक थपक दिल थपक थपक | 2003 |
मैं जब तक आई बाहर | 2018 |
प्रतिनिधि कविताएँ | 2023 |
यात्रा वृतांत
यात्रा वृतांत | प्रकाशन |
अवाक् | 2008 |
स्मृति आख्यान
स्मृति आख्यान | प्रकाशन |
दिल्ली में उनींदे | 2000 |
इत्यादि | 2019 |
साहित्यिक निबंध
यात्रा वृतांत | प्रकाशन |
देह की मुँडेर पर तथा अन्य निबंध | 2019 |
अनुवाद एवं संपादन
अनुवाद एवं संपादन | प्रकाशन |
जंगल में झील जागती: हरिभजन सिंह की प्रतिनिधि कविताएँ | 1989 |
देवदूत की बजाय कुछ भी: ज़्बीग्निएव हेबैर्त की कविताएँ | 2022 |
तेजस्विनी : अक्क महादेवी के वचन | 2023 |
पुरस्कार एवं सम्मान
गगन गिल (Gagan Gill Ka Jivan Parichay) को आधुनिक हिंदी काव्य और साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- साहित्य अकादेमी पुरस्कार – वर्ष 2024
- द्विजदेव सम्मान – वर्ष 2010
- हिंदी अकादमी साहित्यकार सम्मान – वर्ष 2008
- केदार सम्मान – वर्ष 2000
- संस्कृति सम्मान – वर्ष 1989
- भारतभूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार – वर्ष 1984
- बता दें कि ‘अवाक्’ की गणना बीबीसी सर्वेक्षण के श्रेष्ठ हिंदी यात्रा वृत्तान्तों में की गयी है।
गगन गिल की कविताएं
गगन गिल की कुछ चुनिंदा लोकप्रिय कविताएं (Gagan Gill Ki Kavita) इस प्रकार हैं:-
एक दिन लौटेगी लड़की
एक दिन लौटेगी लड़की
हथेली पर जीभ लेकर
हाथ होगा उसका लहू से लथपथ
मुँह से टपका लहू कपड़ों में सूखा हुआ
फिर धीरे-धीरे मुँह उसका आदी हो जाएगा
कपड़ों के ख़ुशनुमा रंग उसके चेहरे पर लौटेंगे
सोचेगी नहीं वह भूलकर भी
अपनी हथेली के बारे, जीभ के बारे में
क्योंकि लड़की कुछ नहीं सोचेगी,
और इस तरह दहशत से परे होगी
या कहें कि दहशत के बीचोबीच
लड़की में कुछ नहीं काँपेगा
ऐसा कुछ भी नहीं, जिसे धड़कता हुआ कह सकें।
सिर्फ़ कभी-कभी उसमें
एक सपना धड़केगा
या सपने में लड़की
उस कभी-कभार वाले दिन लड़की निकलेगी
सपने की नाल से अलग लिथड़ी देह लेकर
उस दिन से बहुत दिनों दूर
हथेली पर जीभ खींच लाए।
उस दिन से बहुत दिनों दूर
सपने में लड़की झाँकेगी
अंधे कुएँ में
भीतर होगी जिसके अंधी एक और लड़की
आँखें जिसकी देखेंगी जिसे भी
अंधा कर देंगी…
लड़की सोचेगी
जो हिस्सा अंधा होना था, हो गया
जो चुप होना था, वह हो गया
जो लाचार होना था, वह भी हो गया
फिर अब भला वह क्या करती है
अंधे कुएँ में बैठी?
वह यह सब सोचेगी, लेकिन सिर्फ़ सपने में
दिखने में तो बाहर से वह ख़ुशमिजाज़ होगी
मुँह उसका ज़ुबान बिना आदी
आँखें उसकी दृश्यों से दूर
रंग उसके चेहरे में गड्डमड्ड
ज़ुबान के बारे में वह कभी नहीं सोचेगी
भूलकर भी नहीं
न ज़ुबान के बारे में
न हथेली के बारे में
न होंठों के बारे में
रचनाकार: गगन गिल
मैं जब तक आई बाहर
मैं जब तक आई बाहर
एकांत से अपने
बदल चुका था
रंग दुनिया का
अर्थ भाषा का
मंत्र और जप का
ध्यान और प्रार्थना का
कोई बंद कर गया था
बाहर से
देवताओं की कोठरियाँ
अब वे खुलने में न आती थीं
ताले पड़े थे तमाम शहर के
दिलों पर
होंठों पर
आँखें ढँक चुकी थीं
नामालूम झिल्लियों से
सुनाई कुछ पड़ता न था
मैं जब तक आई बाहर
एकांत से अपने
रंग हो चुका था लाल
आसमान का
यह कोई युद्ध का मैदान था
चले जा रही थी
जिसमें मैं
लाल रोशनी में
शाम में
मैं इतनी देर में आई बाहर
कि योद्धा हो चुके थे
अदृश्य
शहीद
युद्ध भी हो चुका था
अदृश्य
हालाँकि
लड़ा जा रहा था
अब भी
सब ओर
कहाँ पड़ रहा था
मेरा पैर
चीख़ आती थी
किधर से
पता कुछ चलता न था
मैं जब तक आई बाहर
ख़ाली हो चुके थे मेरे हाथ
न कहीं पट्टी
न मरहम
सिर्फ़ एक मंत्र मेरे पास था
वही अब तक याद था
किसी ने मुझे
वह दिया न था
मैंने ख़ुद ही
खोज निकाला था उसे
एक दिन
अपने कंठ की गूँ-गूँ में से
चाहिए थी बस मुझे
तिनका भर कुशा
जुड़े हुए मेरे हाथ
ध्यान
प्रार्थना
सर्वम शांति के लिए
मंत्र का अर्थ मगर अब
वही न था
मंत्र किसी काम का न था
मैं जब तक आई बाहर
एकांत से अपने
बदल चुका था मर्म
भाषा का
रचनाकार: गगन गिल
नींद उसे आ जाती थी
नींद उसे आ जाती थी
प्रेम के बग़ैर
मृत्यु क्यों नहीं आती थी?
हो सकता है
मृत्यु आती हो
उसकी गहरी नींद में
धीरे-धीरे सुराख़ करती
उसकी आत्मा की माया में,
हो सकता है
भोगती हो वह शब्दातीत कष्ट कोई
रहस्य जिसका खुलता हो
रात-दर-रात
नींद-दर-नींद
चोरी-छिपे उससे
सुबह जब जागती थी उसकी देह
घेरती थी जब उसे
नया दिन देखने की शर्म
एक छाया-सी
चली जाती थी उसके
सिरहाने से उठकर
वह कहाँ जानती थी
प्रेम नहीं रहता था जब
मृत्यु आती थी उसके पास
सबेरे
शाम।
रचनाकार: गगन गिल
FAQs
गगन गिल का जन्म 19 नवंबर, 1959 को नई दिल्ली में हुआ था।
वर्ष 1989 में उनका प्रथम कविता-संग्रह ‘एक दिन लौटेगी लड़की’ प्रकाशित हुआ था।
लेखिका गगन गिल को उनके कविता संग्रह ‘मैं जबतक आई बाहर’ के लिए वर्ष 2024 का ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ दिया गया है।
गगन गिल के पति का नाम ‘निर्मल वर्मा’ है, जो कि हिंदी साहित्य के सबसे प्रतिष्ठित लेखकों में से एक हैं।
एक दिन लौटेगी लड़की, मैं जब तक आई बाहर, अवाक और दिल्ली में उनींदें उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ हिंदी की वरिष्ठ लेखिका गगन गिल का जीवन परिचय (Gagan Gill Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों के जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
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