पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जीवन परिचय: पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी, हिंदी साहित्य के ‘आधुनिक काल’ में ‘द्विवेदी युग’ के विख्यात कहानीकार और निबंधकार माने जाते हैं। इसके साथ ही उन्होंने हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना अहम योगदान दिया है। ‘महावीर प्रसाद द्विवेदी’ ने उन्हें प्रतिष्ठित मासिक पत्रिका ‘सरस्वती’ का संपादक नियुक्त किया था। बता दें कि उनका नाम द्विवेदी युग के प्रमुख साहित्यकारों में लिया जाता है। वहीं, साहित्य सृजन और संपादन के अलावा उन्होंने विभिन्न विद्यालयों में अध्यापन कार्य किया था। इस वर्ष 27 मई को उनकी 130वीं जयंती मनाई जाएगी।
बता दें कि पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कुछ रचनाओं को विद्यालय के अलावा बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं।
इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम सुप्रसिद्ध निबंधकार पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जीवन परिचय (Padumlal Punnalal Bakshi ka Jeevan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी (Padumlal Punnalal Bakshi) |
जन्म | 27 मई, 1894 |
जन्म स्थान | खैरागढ़ गांव, राजनांदगांव जिला, छत्तीसगढ़ |
पिता का नाम | पुन्नालाल बख्शी |
शिक्षा | बी.ए |
पेशा | निबंधकार, कथाकार, संपादक |
भाषा | हिंदी |
साहित्य काल | आधुनिक काल (द्विवेदी युग) |
विधाएँ | निबंध, कहानी, कविता, आलोचना, संपादन |
निधन | 28 दिसम्बर 1971 |
This Blog Includes:
- छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में हुआ था जन्म – Padumlal Punnalal Bakshi ka Jeevan Parichay
- साहित्य के क्षेत्र में हुआ पर्दापण
- ‘सरस्वती’ पत्रिका का किया संपादन
- पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की रचनाएँ – Padumlal Punnalal Bakshi Ki Rachnaye
- निधन
- पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
- FAQs
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में हुआ था जन्म – Padumlal Punnalal Bakshi ka Jeevan Parichay
प्रतिष्ठित साहित्यकार और संपादक पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जन्म 27 मई, 1894 को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में खैरागढ़ नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘पुन्नालाल बख्शी’ था जो खैरागढ़ के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में से एक थे। बताया जाता हैं कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा खैरागढ़ में ही हुई थी। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1912 में मैट्रिक की परीक्षा की और बनारस के ‘सेंट्रल हिंदू बॉयज़ स्कूल’ में इंटरमीडियट की परीक्षा पास की।
साहित्य के क्षेत्र में हुआ पर्दापण
स्कूली शिक्षा के उपरांत उनका विवाह ‘लक्ष्मी देवी’ से हो गया था। माना जाता है कि विद्यालय में अध्ययन के दौरान ही उनका साहित्य के क्षेत्र में पर्दापण हो गया था। साहित्य सृजन के साथ ही उन्होंने वर्ष 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से बी.ए की डिग्री प्राप्त की थी। शुरुआत में उन्होंने आजीविका चलाने हेतु राजनांदगांव के स्टेट हाई स्कूल में संस्कृत के अध्यापक के रूप में नौकरी की। इसलिए उन्हें ‘मास्टरजी’ के नाम से भी जाना जाता है।
क्या आप जानते हैं कि उन्होंने अपने साहित्यिक जीवन की शुरुआत एक कवि के रूप में की थी। वहीं साहित्यिक जीवन के प्रारंभ में उनकी कविताएं तत्कालीन पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती थी। इसके बाद उनका कविता संग्रह शतदल भी प्रकाशित हुआ था। किंतु साहित्य जगत में वे निबंधकार और आलोचक के रूप में विख्यात हुए।
‘सरस्वती’ पत्रिका का किया संपादन
साहित्य सृजन और अध्यापन के साथ ही उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी विशेष योगदान दिया था। वर्ष 1915 में उनका ‘सोना निकालने वाली चीटियाँ’ नामक प्रथम निबंध ‘सरस्वती’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। वहीं, सरस्वती पत्रिका के प्रधान संपादक ‘महावीर प्रसाद द्विवेदी’ के वर्ष 1920 में त्यागपत्र देने के बाद वे सहायक संपादक के रूप में नियुक्त हुए। इसके बाद वे एक वर्ष के भीतर ही प्रधान संपादक बनाए गए और अपनी स्वेच्छा से त्यागपत्र देने तक उस पद पर बने रहे।
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की रचनाएँ – Padumlal Punnalal Bakshi Ki Rachnaye
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी ने साहित्य की कई विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया था। यहाँ पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जीवन परिचय (Padumlal Punnalal Bakshi ka Jeevan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:
कविता-संग्रह
- शतदल
निबंध-संग्रह
- पंचपात्र
- मेरे प्रिय निबंध
- यात्रा
- साहित्य चर्चा
- कुछ
- और कुछ
- यात्री
- मेरे प्रिय निबंध
- मेरा देश
- तुम्हारे लिए
आलोचना
- हिंदी साहित्य विमर्श
- विश्व साहित्य
कहानी-संग्रह
- झलमला
- त्रिवेणी
संपादन
- सरस्वती
निधन
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी ने कई दशकों तक हिंदी साहित्य में अनुपम कृतियों का सृजन किया था। इसके साथ ही उन्होंने अपनी रचनाओं से हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी। किंतु गंभीर बीमारी के कारण उनका 77 वर्ष की आयु में 28 दिसंबर, 1971 को रायपुर के डी. के. हॉस्पिटल में निधन हो गया। लेकिन आज भी वे अपनी लोकप्रिय रचनाओं के लिए जाने जाते हैं।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ सुप्रसिद्ध निबंधकार पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जीवन परिचय (Padumlal Punnalal Bakshi ka Jeevan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
FAQs
उनका जन्म 27 मई, 1894 को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में खैरागढ़ नामक गांव में हुआ था।
वे आधुनिक काल में ‘द्विवेदी युग’ के प्रतिष्ठित रचनाकार माने जाते हैं।
उनकी भाषा सरल और प्रवाहमय थी। जिसमें उर्दू और अंग्रेजी के शब्द भी मिलते हैं।
उनके पिता का नाम ‘पुन्नालाल बख्शी’ था।
यह पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का लोकप्रिय काव्य संग्रह है।
उनका 77 वर्ष की आयु में 28 दिसंबर, 1971 को निधन हो गया था।
आशा है कि आपको सुप्रसिद्ध निबंधकार पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जीवन परिचय (Padumlal Punnalal Bakshi ka Jeevan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।