Mithileshwar Ka Jivan Parichay : मिथिलेश्वर आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख कथाकार हैं। उन्होंने साहित्य की अनेक विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया है। वहीं, अपनी रचनाओं में उन्होंने ग्रामीण जीवन को बखूबी उकेरा है। ‘बाबूजी’, ‘बंद रास्तों के बीच’, ‘मेघना का निर्णय’,‘हरिहर काका’ (कहानी संग्रह) ‘झुनिया’, ‘युद्धस्थल’, ‘प्रेम न बाड़ी ऊपजै’ और ‘माटी कहे कुम्हार से’ (उपन्यास) उनकी प्रमुख कृतियाँ मानी जाती हैं। अपने लेखन और साहित्य सेवा के लिए उन्हें साहित्य परिषद् द्वारा वर्ष 1976 के ‘अखिल भारतीय मुक्तिबोध पुरस्कार’, ‘बंद रास्तों के बीच’ कहानी-संग्रह के लिए सोवियत रूस द्वारा वर्ष 1979 के ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ व वर्ष 1983 के प्रतिष्ठित ‘अमृत पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है।
आपको बता दें कि मिथिलेश्वर की रचनाओं को विद्यालय के अलावा बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी मिथिलेश्वर का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
आइए अब प्रसिद्ध कथाकार मिथिलेश्वर का जीवन परिचय (Mithileshwar Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | मिथिलेश्वर (Mithileshwar) |
जन्म | 31 दिसंबर, 1950 |
जन्म स्थान | बैसाडीह गांव, भोजपुर जिला, बिहार |
शिक्षा | एम.ए. पीएचडी |
पेशा | प्रोफ़ेसर, साहित्यकार |
भाषा | हिंदी |
विधाएँ | कहानी, उपन्यास, आत्मकथा, लोक साहित्य व विचार साहित्य |
साहित्य काल | आधुनिक |
मुख्य रचनाएँ | ‘बाबूजी’, ‘बंद रास्तों के बीच’, ‘मेघना का निर्णय’,‘हरिहर काका’ (कहानी संग्रह) ‘झुनिया’, ‘युद्धस्थल’, ‘प्रेम न बाड़ी ऊपजै’ और ‘माटी कहे कुम्हार से’ (उपन्यास) ‘पानी बीच मीन पियासी’ (आत्मकथा) |
पुरस्कार एवं सम्मान | ‘अखिल भारतीय मुक्तिबोध पुरस्कार’, ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ व ‘अमृत पुरस्कार’ आदि। |
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बिहार के भोजपुर जिले में हुआ था जन्म – Mithileshwar Ka Jivan Parichay
ग्रामीण कथानकों के धनी मिथिलेश्वर का जन्म 31 दिसंबर, 1950 को बिहार के भोजपुर जिले में बैसाडीह नामक गांव में हुआ था। उनके प्रारंभिक जीवन के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। उन्होंने हिंदी में एम.ए और पीएचडी करने के उपरांत व्यवसाय के रूप में अध्यापन कार्य को चुना था। वहीं अध्यापन कार्य के साथ-साथ उन्होंने साहित्य की सभी विधाओं में लेखनी चलाकर हिंदी साहित्य को समृद्ध किया। इन दिनों वे वीरकुँवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा के हिंदी विभाग से सेवानिवृत होकर साहित्य सृजन में जुटे हुए है।
मिथिलेश्वर की प्रमुख रचनाएँ – Mithileshwar Ki Rachnaye
मिथिलेश्वर हिंदी कथा-साहित्य का जाना-पहचाना नाम है। उनकी रचनाओं में वर्तमान ग्रामीण जीवन के विभिन्न अंतर्विरोधों का सजीव चित्रण देखने को मिलता है। जिससे पाठक को यह ज्ञात होता है कि ब्रिटिश हुकूमत से स्वतंत्रता मिलने के बाद ग्रामीण जीवन में किस हद तक परिवर्तन आया है। वहीं बदलाव के नाम पर आम लोगों के शोषण के तरीके भी बदल गए हैं। यहाँ मिथिलेश्वर की संपूर्ण रचनाओं के बारे में बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं :-
कहानी-संग्रह
कहानी-संग्रह | प्रकाशन |
बाबूजी | वर्ष 1976 |
बंद रास्तों के बीच | वर्ष 1978 |
दूसरा महाभारत | वर्ष 1979 |
मेघना का निर्णय | वर्ष 1980 |
गाँव के लोग | वर्ष 1981 |
विग्रह बाबू | वर्ष 1982 |
तिरिया जनम | वर्ष 1982 |
ज़िंदगी का एक दिन | वर्ष 1983 |
हरिहर काका | वर्ष 1983 |
छह महिलाएँ | वर्ष 1984 |
माटी की महक | वर्ष 1986 |
धरती गाँव की | वर्ष 1986 |
एक में अनेक | वर्ष 1987 |
एक थे प्रो. बी. लाल | वर्ष 1993 |
भोर होने से पहले | वर्ष 1994 |
चल खुसरो घर आपने | वर्ष 2000 |
जमुनी | वर्ष 2001 |
एक और मृत्युंजय | वर्ष 2014 |
उपन्यास
उपन्यास | प्रकाशन |
झुनिया | वर्ष 1980 |
युद्ध स्थल | वर्ष 1981 |
प्रेम न बाड़ी उपजै | वर्ष 1995 |
यह अंत नहीं | वर्ष 2000 |
सुरंग में सुबह | वर्ष 2003 |
माटी कहे कुम्हार से | वर्ष 2006 |
पानी बीच मीन पियासी | वर्ष 2009 |
नवसाक्षर एवं बाल साहित्य
नवसाक्षर एवं बाल साहित्य | प्रकाशन |
उस रात की बात | वर्ष 1993 |
गाँव के लोग | वर्ष 2005 |
एक था पंकज | वर्ष 2006 |
आत्मकथा
आत्मकथा | प्रकाशन |
पानी बिच मीन पियासी | वर्ष 2010 |
कहाँ तक कहें युगों की बात | वर्ष 2011 |
जाग चेत कुछ करौ उपाई | वर्ष 2015 |
लोक साहित्य
- भोजपुरी लोककथा
- भोजपुरी की 51 लोककथाओं की पुनर्रचना
विचार साहित्य
- साहित्य की सामयिकता
- साहित्य, चिंतन और सृजन
संपादन
- ‘मित्र’ – अनियतकालीन साहित्यिक पत्रिका
संचयन एवं समग्र
- मिथिलेश्वर की श्रेष्ठ कहानियाँ
- प्रतिनिधि कहानियाँ
- मिथिलेश्वर : संकलित कहानियाँ-2010
- मिथिलेश्वर की 19 प्रतिनिधि कहानियाँ
- मिथिलेश्वर की संपूर्ण कहानियाँ (तीन खंडों में)
- 10 प्रतिनिधि कहानियाँ
- मिथिलेश्वर की चुनी हुई कहानियाँ
पुरस्कार एवं सम्मान
मिथिलेश्वर (Mithileshwar Ka Jivan Parichay) को हिंदी साहित्य में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं :-
- साहित्य परिषद् द्वारा वर्ष 1976 का ‘अखिल भारतीय मुक्तिबोध पुरस्कार’
- ‘बंद रास्तों के बीच’ कहानी-संग्रह के लिए मिथिलेश्वर को सोवियत रूस द्वारा वर्ष 1979 के ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
- ‘मेघना का निर्णय’ कहानी-संग्रह के लिए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा वर्ष 1981-82 के ‘यशपाल पुरस्कार’ से पुरस्कृत किया गया।
- वर्ष 1983 में उन्हें प्रतिष्ठित ‘अमृत पुरस्कार’ से नवाजा गया था।
- ‘अखिल भारतीय वीर सिंह देव पुरस्कार’
- ‘श्रीलाल शुक्ल इफको स्मृति सम्मान’
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ प्रसिद्ध कथाकार मिथिलेश्वर का जीवन परिचय (Mithileshwar Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
उनका जन्म 31 दिसंबर, 1950 को बिहार के भोजपुर जिले में बैसाडीह नामक गांव में हुआ था।
‘बंद रास्तों के बीच’ कहानी-संग्रह के लिए मिथिलेश्वर को वर्ष 1979 में ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
पानी बिच मीन पियासी, मिथिलेश्वर की बहुचर्चित आत्मकथा है।
यह मिथिलेश्वर का लोकप्रिय कहानी-संग्रह है जिसका प्रकाशन वर्ष 1978 में हुआ था।
आशा है कि आपको प्रसिद्ध कथाकार मिथिलेश्वर का जीवन परिचय (Mithileshwar Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।