Kailash Satyarthi Biography in Hindi (कैलाश सत्यार्थी बायोग्राफी) पढ़ने के बारे में कभी सोचा है? मध्य प्रदेश के एक बेहद साधारण परिवार में पले-बढ़े कैलाश सत्यार्थी 4 पी यानि पीपल, प्रॉसपेरिटी, पीस और प्लेनेट पर विश्वास करते हैं। इन्हीं चार शब्दों के इर्द-गिर्द उनकी जिंदगी घूमती रहती है। यही वजह है कि वो नन्हें बच्चों की आवाज बने और नोबल प्राइज के विजेता भी। उन्होंने न जाने कितने बं ह्यूमन ट्रेफिकिंग, शोषण और बाल मजदूरी के शिकार बच्चों को नई जिंदगी दी है। इतना कुछ करने वाले इस महान शख्स को जानने के लिए Kailash Satyarthi Biography in Hindi (कैलाश सत्यार्थी बायोग्राफी) कौन नहीं पढ़ना चाहेगा। सब उनकी लाइफ से प्रेरणा जरूर लेनी चाहेंगे। इंजीनियर से एक्टिविस्ट बने कैलाश खासतौर पर युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। इस ब्लॉग में हम कैलाश सत्यार्थी की शिक्षा, क्रांतिकारी यात्रा और बच्चों के उद्धार के लिए किए गए उनके कामों के बारे में जानेंगे I
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“अगर अभी नहीं तो कब? अगर तुम नहीं तो कौन? अगर हम इन आधारभूत सवालों के जवाब दे सकते हैं यो शायद हम मानव गुलामी के धब्बे को साफ कर पाएंगे। ”
Kailash Satyarthi का बचपन
सामाजिक बदलाव लाने वाले कैलाश शर्मा का जन्म 11 जनवरी, 1954 को विदिशा, मध्य प्रदेश के भारतीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। Kailash Satyarthi Biography in Hindi (कैलाश सत्यार्थी बायोग्राफी) पढ़ने की चाहत रखने वाले जान सकेंगे कि कैसे पुलिस विभाग में काम करने वाले पिता और हाउस वाइफ मां के बेटे कैलाश हमेशा से शिक्षा की दिशा में ही कमाल करना चाहते थे। यही वजह रही कि उन्होंने 1974 में सम्राट अशोक टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट, विदिशा से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली। कैलाश सत्यार्थी की शिक्षा और उनका बच्चों के लिए प्यार ही था कि उनको अपने ही संस्थान में पढ़ाने का मौका भी मिला।
Kailash Satyarthi Biography in Hindi (कैलाश सत्यार्थी बायोग्राफी) के अनुसार अध्यापक के तौर पर काम करने के कुछ साल बाद 1977 में वो दिल्ली में रहने लगे। उन्होंने यहां आर्य समाज के लिए साहित्य के पब्लिशर के तौर पर काम करना शुरू कर दिया। आर्य समाज के फाउंडर स्वामी दयानंद की शिक्षाओं को मानते हुए कैलाश ने अपना नाम कैलाश शर्मा की जगह कैलाश सत्यार्थी कर लिया। ये शब्द सत्यार्थ प्रकाश नाम के उस टेक्स्ट से लिए गया, जिसे 1875 में स्वामी दयानंद ने लिखा था।
“बाल मजदूरों के हाथों बनी चीजों को अगर आप खरीदते हैं तो इस गुलामी के लिए आप भी बराबरी से जिम्मेदार हैं।”
Kailash Satyarthi ka Career
आर्य समाज की सीखों से प्रेरित और बच्चों के काम करने की कठिन परिस्थितियों को देखते हुए सत्यार्थी ने संघर्ष जारी रहेगा नाम की अपनी मैगजीन में गरीब, शोषित बच्चों के बारे में लिखना शुरू किया। Kailash Satyarthi Biography in Hindi (कैलाश सत्यार्थी बायोग्राफी) में आगे लिखा है कि 1980 में उन्होंने स्वामी अग्निवेश के संरक्षण में और पिछड़े हुए लोगों को आगे बढ़ाने के मक्सद से नॉन प्रॉफिट मूवमेंट बचपन बचाओ आंदोलन (BBA) की शुरुआत की। बहुत कम समय में इस मूवमेंट को बहुत प्रोत्साहन मिला और सैंकड़ों बच्चे भी, जिनको बाल मजदूरी के चंगुल से बचाया गया था। BBA ने 90000 से ज्यादा बच्चों को शोषण से बचाया जिनको दुर्भाग्यपूर्ण कारणों से खतरनाक परिस्थितियों में झोंक दिया गया था।
Kailash Satyarthi Biography in Hindi (कैलाश सत्यार्थी बायोग्राफी) पढ़ने पर पता चलता है कि कैलाश सत्यार्थी की शिक्षा बाल मजदूरी को खत्म करने में कितनी अहम रही। आर्य समाज के बदलाव से जुड़े मूवमेंट के साथ उन्होंने चाइल्ड लेबर एक्ट 1986 को पास कराने के लिए काम किया। इसके अतिरिक्त बचाए गए बच्चों को समायोजित और एकीकरण करने के लिए उन्होंने दिल्ली के बाहरी इलाके में ‘मुक्ति आश्रम’ नाम का रिहेबलिटेशन सेंटर भी खोला। इसके साथ जयपुर के पास बाल आश्रम नाम का रिहेबलिटेशन सेंटर भी उन्होंने खोला।
“हर बार जब मैं किसी बच्चे को आजाद कराता हूं तो ऐसा लगता है मानो भगवान के थोड़ा और करीब आ गया हूं।”
1998 में बच्चों के शोषण के खिलाफ अपनी क्रांति को थोड़ा और आगे बढ़ाते हुए कैलाश ने सबसे बड़ा सिविल सोसाइटी मूवमेंट ग्लोबल मार्च अगेन्स्ट चाइल्ड लेबर शुरू किया। ये मूवमेंट 103 देशों में फैला हुआ है जिसमें बाल मजदूरी पर अंतरराष्ट्रीय कानून बनाने की मांग की गई थी। ये पेटीशन 1999 में ILO Convention No. 182 के रूप में स्वीकार की गई। इस मार्च में उनके वैश्विक प्रयासों को पहचान मिली है। शिक्षा के वैश्विक कैम्पेन के लीडर होने के नाते उन्होंने एक मूवमेंट की शुरुआत की जिसमें उन्होंने वैश्विक शिक्षा संकट को सुधारने के साथ मुफ्त और क्वालिटी शिक्षा को बढ़ावा देने की कोशिश की है। Kailash Satyarthi Biography in Hindi (कैलाश सत्यार्थी बायोग्राफी) की मानें तो साल 2009 में कैलाश ने एक राष्ट्रीय आंदोलन शुरू किया जिसमें मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा पाने के आधिकार को मौलिक अधिकार में शामिल किए जाने की बात कही गई थी।
बच्चों को ट्रेफिकिंग, मजदूरी और गुलामी से आजाद कराने के प्रयासों के लिए कैलाश सत्यार्थी को नोबेल पीस प्राइज (Nobel Peace Prize) दिया गया। उनको ये अवार्ड साल 2014 में पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई के साथ दिया गया था। मलाला को ये अवार्ड युवाओं और बच्चों के उत्थान और सभी बच्चों के शिक्षा के अधिकार के लिए उनके प्रयासों के चलते दिया गया था। Kailash Satyarthi Biography in Hindi (कैलाश सत्यार्थी बायोग्राफी) आगे बताती है कि सत्यार्थी ने 100 मिलियन फॉर 100 मिलियन कैंपेन (100 Million for 100 Million Campaign) साल 2016 में शुरू किया। इस मूवमेंट के माध्यम से कैलाश ने 100 मिलियन युवाओं को वैश्विक स्तर पर लाने का काम किया जो उन 100 मिलियन बच्चों का भविष्य बनाने सुधारने का काम करेंगे जिनको आधारभूत शिक्षा भी नहीं मिल पाई है।
“मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं लेकिन अगर ये अवार्ड मुझसे पहले महात्मा गांधी को मिलता तो मैं ज्यादा सम्मानित महसूस करता।”
हर बच्चे की आजादी (To Free Every Child)
मलाला यूसुफजई के साथ नोबेल पीस प्राइज मिलने के बाद कैलाश सत्यार्थी ने अपनी स्पीच में कहा था कि उनके जीवन का उद्देश्य हर बच्चे को आजादी दिलाना (to free every child”) है। उन्होंने आगे कहा कि
“मैं यह मान ही नहीं सकता हूं कि सभी मंदिरों, मस्जिदों, चर्चों और प्रार्थना घरों में हमारे बच्चों के सपनों के लिए कोई जगह नहीं है।“
Kailash Satyarthi Biography in Hindi (कैलाश सत्यार्थी बायोग्राफी) से पता चलता है कि सत्यार्थी ने 30 साल से ज्यादा समय तक बाल अधिकारों के लिए काम किया है और उन्होंने कहा था कि “मैं उन बच्चों का प्रतिनिधित्व करता हूं जिन्हें पीछे छोड़ दिया गया है।” आगे उन्होंने बाल मजदूरी के खिलाफ पॉलिसी लाने के लिए जरूरी वैश्विक कानून बनाने की कोशिशों के तहत बाल मजदूरी के खिलाफ वैश्विक मार्च का नेतृत्व किया जिसको अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ ने स्वीकार किया। यहीं पर उन्होंने इस मुद्दे को शिक्षा के साथ जोड़ने का निर्णय लिया, जिसके तहत शिक्षा के लिए वैश्विक कैम्पेन शुरू किया गया।
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शिक्षा के लिए कैलाश सत्यार्थी का Global Campaign
Kailash Satyarthi Biography in Hindi (कैलाश सत्यार्थी बायोग्राफी) पढ़ने पर पता चलता है कि कैलाश सत्यार्थी शिक्षा के लिए वैश्विक कैंपेन के संस्थापक पिता भी हैं। जो कि एक नागरिक समाज आंदोलन है जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा से जुड़ी परेशानियां हल की जाती हैं।
यह शिक्षा में बहिष्कार को पूरी तरह से खत्म करने पर काम कर रहा है और इसका विश्वास है कि शिक्षा एक मानवीय अधिकार है। जो सबके लिए होना चाहिए। इसका मिशन ये है कि सरकारें सभी को मुफ्त और क्वालिटी वाली शिक्षा दिलाने की कोशिश करें।
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कैलाश सत्यार्थी के उपलब्धियां
Kailash Satyarthi Biography in Hindi (कैलाश सत्यार्थी बायोग्राफी) के अनुसार उनके ये तमाम सम्मान और पुरस्कार मिले हैं
- वॉकहार्ट फाउंडेशन की ओर से 2019 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड (Lifetime Achievement Award by Wockhardt Foundation – 2019)
- संतोकबा ह्यूमैनेटेरियन अवार्ड-2018(Santokba Humanitarian Award – 2018)
- लार्जेस्ट चाइल्ड सेफगार्डिंग लेसन-गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड -2017(Largest Child Safeguarding Lesson – Guinness Book of World Records, 2017)
- हावर्ड ह्यूमैनेटेरियन अवार्ड-2015 (Harvard Humanitarian Award (Harvard University) – 2015)
- 2019 में डिफेंस डेमोक्रेसी अवार्ड (Defenders of Democracy Award – 2009)
- वाल्लेनबर्ग मेडल फॉर हिस वर्क अगेंस्ट एक्सप्लोइटेशन ऑफ चाइल्ड लेबर- यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन (Wallenberg Medal for his work against exploitation of child labour – University of Michigan, 2002)
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Kailash Satyarthi Biography in Hindi (कैलाश सत्यार्थी बायोग्राफी) बेहद रोमांचक तरीके के से बताती है कि किस तरह से लाखों बच्चों का जीवन सुधारने के अपने प्रयासों के चलते कैलाश सत्यार्थी एक सुधारवादी बने और उनको पूरी दुनिया में पहचान मिली! सत्यार्थी के नाम पर भले ही बहुत डिग्री या प्रोफेशनल सर्टिफिकेट ना हों लेकिन उन्होंने सभी को शिक्षा दिलाने के लिए बहुत काम किया है। Kailash Satyarthi Biography in Hindi (कैलाश सत्यार्थी बायोग्राफी) सच में बहुत प्रेरणा देती है। Leverage Edu में हम यही विश्वास करते हैं और चाहते हैं कि आपका करियर सही दिशा में शुरू हो। ई-मीटिंग के माध्यम से हमारे एक्सपर्ट से संपर्क करें और अपने करियर से जुड़े सभी सवालों के जवाब पाएं!