Jagannath Das Ratnakar: सुप्रसिद्ध कवि जगन्नाथदास रत्नाकर का जीवन परिचय, रचनाएं और भाषा शैली 

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Jagannath Das Ratnakar Ka Jivan Parichay

Jagannath Das Ratnakar Ka Jivan Parichay: जगन्नाथदास रत्नाकर आधुनिक युग के ब्रजभाषा के सर्वश्रेष्ठ कवि थे। उनकी प्राचीन भाषाओं, घर्म और साहित्य में विशेष अभिरुचि थी। उन्हें उर्दू, फ़ारसी, संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, मराठी, बांग्‍ला, पंजाबी, आयुर्वेद, संगीत, ज्योतिष, व्याकरण, छंदशास्त्र, विज्ञान, योग-दर्शन, साहित्य, इतिहास तथा मध्यकालीन हिंदी काव्य आदि का भी अच्छा ज्ञान था। हिंदी साहित्य में अनुपम कृतियों का सृजन करने के साथ ही उन्होंने ‘साहित्य सुधानिधि’ तथा ‘सरस्वती’ आदि पत्रिकाओं का संपादन किया था। साथ ही ‘काशी नागरी प्रचारिणी सभा’ की स्थापना एवं विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। 

जगन्‍नाथदास ‘रत्‍नाकर’ की प्रमुख कृतियाँ हैं- ‘हरिश्चन्‍द्र’, ‘गंगावतरण’, ‘उद्धवशतक’, ‘गंगालहरी’, ‘विष्णुलहरी’ (पद्य रचना) ‘रोला छंद के लक्षण’, ‘महाकवि बिहारीलाल की जीवनी’, ‘साहित्यिक ब्रजभाषा तथा उसके व्याकरण की सामग्री’ (गद्य-लेख) ‘कविकुल कंठाभरण’,‘हिततरंगिणी’, ‘सुजानसागर’, ‘बिहारी रत्नाकर’ (संपादन) आदि। आपको बता दें कि जगन्नाथदास रत्नाकर की कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी जगन्नाथदास रत्नाकर का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। 

आइए अब इस लेख में ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि जगन्नाथदास रत्नाकर का जीवन परिचय (Jagannath Das Ratnakar Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम जगन्नाथदास रत्नाकर (Jagannath Das Ratnakar)
जन्म सन 1866 
जन्म स्थान वाराणसी, उत्तर प्रदेश
शिक्षा एल.एल.बी. व एम.ए. फ़ारसी 
पिता का नाम पुरुषोत्तमदास
कार्य क्षेत्र कवि, लेखक, संपादक 
साहित्य काल आधुनिक काल 
विधा पद्य व गद्य 
भाषा ब्रजभाषा
मुख्य रचनाएं ‘हरिश्चन्‍द्र’, ‘गंगावतरण’, ‘उद्धवशतक’, ‘गंगालहरी’, ‘विष्णुलहरी’ (पद्य रचना) ‘रोला छंद के लक्षण’, ‘महाकवि बिहारीलाल की जीवनी’, ‘साहित्यिक ब्रजभाषा तथा उसके व्याकरण की सामग्री’ (गद्य-लेख) ‘कविकुल कंठाभरण’,‘हिततरंगिणी’, ‘सुजानसागर’, ‘बिहारी रत्नाकर’ (संपादन)
संपादन ‘साहित्य सुधानिधि’ तथा ‘सरस्वती’ 
निधन 21 जून, 1932 हरिद्वार

उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में हुआ था जन्म – Jagannath Das Ratnakar Ka Jivan Parichay

कवि जगन्नाथदास रत्नाकर का जन्म सन 1866 में वाराणसी के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम ‘पुरुषोत्तमदास’ था। बताया जाता है कि इनकी प्रारंभिक शिक्षा उर्दू-फ़ारसी में हुई थी। बाद में क्वींस कालेज, बनारस से सन 1891 में उन्होंने बी.ए. पास करने के बाद एल.एल.बी. और एम.ए. फ़ारसी का अध्ययन प्रारंभ किया था। किंतु माता के आकस्मिक निधन के कारण एम.ए की पढ़ाई पूरी न हो सकी। 

विस्तृत रहा कार्यक्षेत्र 

वर्ष 1900 में जगन्नाथदास रत्नाकर अवागढ़ के ख़ज़ाने के निरीक्षक नियुक्त हुए। फिर वर्ष 1902 में अयोध्या नरेश प्रताप नारायण सिंह के प्राइवेट सेक्रेटरी और वर्ष 1906 में महाराज की मृत्यु के पश्चात् महारानी के प्राइवेट सेक्रेटरी नियुक्त हुए। वहीं साहित्य के क्षेत्र में उनका पर्दापण विद्यार्थी जीवन से ही शुरू हो गया था। वह ‘जकी’ उपनाम से उर्दू एवं फ़ारसी में कविता लिखते थे। किंतु कालांतर में हिंदी कवियों से प्रभावित होकर वह केवल ब्रजभाषा में कविता लिखने लगे।

हिंदी साहित्य को अपनी लेखनी से समृद्ध करने के साथ ही उन्होंने ‘साहित्य सुधानिधि’ तथा ‘सरस्वती’ आदि पत्रिकाओं का संपादन किया था। इसके अलावा ‘काशी नागरी प्रचारिणी सभा’ (Kashi Nagari Pracharini Sabha) की स्थापना एवं विकास में भी उनका विशेष योगदान था। वर्ष 1930 में वह ‘हिंदी साहित्य सम्मेलन‘ के 20वें अधिवेशन के सभापति चुने गए थे।

जगन्नाथदास रत्नाकर की प्रमुख रचनाएं – Jagannath Das Ratnakar Ki Rachnaye

जगन्नाथदास रत्नाकर को उर्दू, फ़ारसी, संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, मराठी, पंजाबी और बांग्‍ला का अच्छा ज्ञान था। साथ ही उनकी संगीत, ज्योतिष, व्याकरण, छन्दशास्त्र, विज्ञान, योग-दर्शन, साहित्य तथा इतिहास आदि विषयों में भी गहरी रूचि थी। यहाँ जगन्नाथदास रत्नाकर का जीवन परिचय के साथ ही उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में नीचे दिए गए बिंदुओं में बताया गया है:-

पद्य रचनाएँ 

  • हरिश्चन्‍द्र
  • गंगावतरण 
  • उद्धवशतक 
  • हिंडोला 
  • कलकाशी 
  • शृंगारलहरी 
  • गंगालहरी 
  • विष्णुलहरी 
  • रत्नाष्टक
  • वीराष्टक

गद्य-लेख

  • रोला छंद के लक्षण 
  • महाकवि बिहारीलाल की जीवनी 
  • बिहारी सतसई सम्‍बन्‍धी साहित्य 
  • साहित्यिक ब्रजभाषा तथा उसके व्याकरण की सामग्री 
  • बिहारी सतसई की टीकाएँ

संपादन 

  • कविकुल कंठाभरण
  • दीपप्रकाश 
  • हम्मीर हठ 
  • रसिक विनोद 
  • हिततरंगिणी 
  • केशवदासकृत नखशिख 
  • सुजानसागर 
  • बिहारी रत्नाकर 
  • सूरसागर 

जगन्नाथदास रत्नाकर की भाषा शैली – Jagannath Das Ratnakar Ki Bhasha shaili

जगन्नाथदास रत्नाकर ब्रजभाषा काव्य के अंतिम ऐतिहासिक कवि थे। ब्रजभाषा के आधुनिक काल के कवियों में उनका स्थान अद्वितीय है। उनकी भाषा शुद्ध ब्रज भाषा है। उन्होंने ब्रजभाषा का परिष्कृत रूप भी प्रदान किया है। साथ ही उन्होंने साहित्यिक कृतियों में पुराने मुहावरों को अपनाया, लोकोक्तियों को स्थान दिया और बोल चाल के शब्दों को ग्रहण किया।  उन्होंने शब्दों का चयन परिस्थितियों के अनुकूल ही किया है। उनकी कविता में संस्कृत के तत्सम शब्दों का प्रयोग खुलकर हुआ है, परंतु इससे उनकी भाषा में बनावटीपन नहीं आता। जबकि उनकी शैली रीतिकाल की अलंकृत शैली है। 

66 वर्ष की आयु में हुआ था निधन 

कवि जगन्नाथदास रत्नाकर ने तीन दशकों से अधिक समय तक हिंदी साहित्य और विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं को अपनी लेखनी से समृद्ध किया था। किंतु 21 जून, 1932 को इस महान साहित्यकार ने सदा के लिए अपनी आँखें मूंद ली। किंतु आज भी वे अपनी लोकप्रिय कृतियों के लिए साहित्य जगत में विख्यात हैं।  

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि जगन्नाथदास रत्नाकर का जीवन परिचय (Jagannath Das Ratnakar Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 
अमर गोस्वामीशमशेर बहादुर सिंहरस्किन बॉन्ड 
राजेंद्र यादव गोपालराम गहमरी राजी सेठ
गजानन माधव मुक्तिबोधसेवा राम यात्री ममता कालिया 
शरद जोशीकमला दासमृणाल पांडे
विद्यापति पदुमलाल पुन्नालाल बख्शीश्रीकांत वर्मा 
यतींद्र मिश्ररामविलास शर्मामास्ति वेंकटेश अय्यंगार
शैलेश मटियानीरहीमस्वयं प्रकाश 

FAQs

जगन्नाथदास रत्नाकर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

कवि जगन्नाथदास रत्नाकर का जन्म सन 1866 में वाराणसी के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। 

जगन्नाथदास रत्नाकर के पिता का नाम क्या था?

जगन्नाथदास रत्नाकर के पिता का नाम ‘पुरुषोत्तमदास’ था। 

जगन्नाथदास रत्नाकर की कौन सी रचना सर्वाधिक लोकप्रिय है?

‘उद्धवशतक’ और ‘हरिश्चन्‍द्र’ जगन्नाथदास रत्नाकर की सर्वाधिक लोकप्रिय कृति है। 

उद्धव शतक की भाषा क्या थी?

जगन्नाथदास रत्नाकर ने ब्रजभाषा में उद्धव शतक की रचना की थी। 

उद्धव शतक के लेखक कौन थे?

उद्धव शतक जगन्नाथदास रत्नाकर द्वारा रचित काव्य ग्रंथ है।

जगन्नाथदास रत्नाकर की मृत्यु कब हुई थी?

जगन्नाथदास रत्नाकर का 21 जून, 1932 को 66 वर्ष की आयु में हरिद्वार में निधन हुआ था। 

आशा है कि आपको ब्रजभाषा के सुप्रसिद्ध कवि जगन्नाथदास रत्नाकर का जीवन परिचय (Jagannath Das Ratnakar Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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