दादू दयाल का जीवन परिचय, रचनाएँ एवं भाषा शैली – Dadu Dayal Ka Jivan Parichay

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Dadu Dayal Ka Jivan Parichay

Dadu Dayal Ka Jivan Parichay: राजस्थान के प्रसिद्ध संतों में दादू दयाल का महत्वपूर्ण स्थान है। वह हिंदी के भक्तिकाल में ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख संत कवि थे। उन्होंने कबीरदास, रविदास, मलूकदास, नामदेव व नानक साहब आदि संत कवियों की भाँति निर्गुण काव्य परंपरा को समृद्ध करने में अपना अप्रतिम योगदान दिया है। ‘हरडे वाणी’ और ‘अंगवधू’ इनके प्रमुख ग्रंथ माने जाते हैं। वहीं ‘रज्जब’, ‘सुंदरदास’ और ‘प्रागदास’ इनके प्रमुख शिष्य माने जाते हैं। दादू दयाल ने ‘परब्रह्म संप्रदाय’ की स्थापना की थी जो बाद में ‘दादू पंथ’ के नाम से जाना गया। जयपुर के नरैना स्थित दादू पीठ ‘दादू पंथ’ की प्रधान पीठ है, यहाँ देश-विदेश से अनुयाई और श्रद्धालु आते हैं। 

बता दें कि दादू दयाल की साखियाँ और पदों को भारत के विभिन्न विद्यालयों के अलावा बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET और UPSC परीक्षा में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी दादू दयाल का जीवन परिचय और उनकी काव्य रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। 

आइए अब इस ब्लॉग में ‘दादू पंथ’ के संस्थापक और संत कवि दादू दयाल का जीवन परिचय (Dadu Dayal Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

नाम दादू दयाल (Dadu Dayal) 
जन्म 1544 ई. मान्यता के अनुसार 
जन्म स्थान अहमदाबाद, गुजरात 
साहित्य काल भक्तिकाल 
भाषा ब्रज, राजस्थानी एवं खड़ी बोली 
प्रमुख रचनाएँ हरडे वाणी और अंगवधू
गुरु वृद्धानंद 
शिष्य रज्जब, सुंदरदास और प्रागदास 
स्थापना दादू पंथ (Dadu Panth) 
देहावसान1603 ई. मान्यता के अनुसार

दादू दयाल का जीवन परिचय – Dadu Dayal Ka Jivan Parichay

निर्गुण परंपरा के प्रमुख संत कबीरदास संत रविदास की तरह दादू दयाल का कोई प्रमाणिक जीवन वृत्त अब तक सुलभ नहीं हो सका हैं। इसका एक कारण यह है कि ये संत आम जनता के बीच से उभरे थे। उनका या उनके परिवार का संबंध राजदरबार से नहीं था। वहीं तत्कालीन इतिहास लेखक, विदेशी यात्री और संग्रहकर्त्ताओं की दृष्टि में इतिहास के केंद्र राजघराने ही हुआ करते थे। इसके कारण आम जनता का विवरण आम तौर पर नहीं मिलता है। 

कुछ विद्वान दादू दयाल का जन्म 1544 ई. में गुजरात के अहमदाबाद के निकट मानते हैं, परंतु वहाँ इनका कोई स्मारक या अन्य साक्ष्य नहीं मिलता। किंतु इतना निश्चित है कि उनके जीवन का बड़ा भाग राजस्थान में बीता। मान्यता के अनुसार वे देशाटन करते हुए राजस्थान आए और साँभर (Sambhar) के निकट बस गए जहाँ वर्त्तमान में इनके नाम से ‘दादू द्वार’ (Dadu Dwar) है। 

दादू दयाल के गुरु 

माना जाता है कि दादू दयाल ने अज्ञात संत से दीक्षा प्राप्त की थी जिनका नाम ‘वृद्धानंद’ बताया जाता है। वहीं उन्होंने अपने पूर्ववर्ती निर्गुण संतों का नाम बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया है, विशेष रूप से उन्होंने कबीरदास, रविदास, गुरु नानक और नामदेव के प्रति अगाध श्रद्धा प्रकट की है। 

‘परब्रह्म संप्रदाय’ की स्थापना की 

दादू दयाल ने राजस्थान के साँभर में ‘परब्रह्म संप्रदाय’ की स्थापना की थी। किंतु उनकी मृत्यु के पश्चात उनके शिष्यों ने इस संप्रदाय को ‘दादू पंथ’ (Dadu Panth) कहना शुरू कर दिया। इनके प्रमुख शिष्यों में ‘रज्जब’, ‘सुंदरदास’, ‘प्रागदास’, ‘गरीबदास’,‘जनगोपाल’‘बनवारीदास’ आदि प्रसिद्ध हुए। इनमें से अधिकतर निर्गुण संतों ने स्वयं की मौलिक रचनाएँ भी प्रस्तुत की थीं। 

दादू पंथ की शाखाएं

दादू दयाल के देहावसान के बाद कालांतर में दादू पंथ के पांच प्रमुख उपसंप्रदाय निर्मित हुए। इन विभिन्न शाखाओं को मानने वाले अलग-अलग स्थानों पर मिलते हैं। इनमें आपस में थोड़ी बहुत मत भिन्नता भी पायी जाती हैं। ये पांच उपसंप्रदाय इस प्रकार हैं:-

  • खालसा
  • विरक्त
  • उत्तरादे या स्थानधारी
  • खाकी
  • नागा 

दादू दयाल की प्रमुख रचनाएं – Dadu Dayal Ki Rachnaye

दादू दयाल की काव्य रचनाएँ लोक चेतना का अंग बनकर सामूहिक स्मृति में जीवित रही हैं। वहीं निर्गुण संत होने के बावजूद उन्होंने ईश्वर के सगुण रूप को भी स्वीकारा है। वे किसी मतवाद में न पड़कर भक्ति के सहज रूप को स्वीकार करते हैं। इनकी काव्य भाषा ब्रज है जिसमें राजस्थानी एवं खड़ी बोली के शब्दों का मिश्रण देखने को मिलता है। यहां दादू दयाल का जीवन परिचय (Dadu Dayal Ka Jivan Parichay) के साथ ही इनकी प्रमुख रचनाओं की जानकारी दी गई हैं:-

  • हरडे वाणी  
  • अंगवधू

नरैना में हुआ था देहावसान 

माना जाता है कि संत कवि दादू दयाल की मृत्यु 1603 ई. में 59 वर्ष की आयु में राजस्थान के सांभर के निकट नरैना नामक स्थान पर हुई थी। वर्तमान में इस स्थान पर ‘दादू द्वार’ बना हुआ है। उनके जन्मदिवस और मृत्यु के दिन वहाँ हर वर्ष मेला लगता है। वहीं इस स्थान का पारंपरिक महत्व आज भी ज्यों का त्यों बना हुआ है। 

FAQs 

दादू दयाल का जन्म कहां हुआ था?

कुछ विद्वान दादू दयाल का जन्म 1544 ई. में गुजरात के अहमदाबाद के निकट मानते हैं। 

दादू पंथ की कितनी शाखाएं थी?

दादू दयाल के देहावासन के बाद कालांतर में दादू पंथ के पांच प्रमुख उपसंप्रदाय निर्मित हुए। इनमें खालसा, विरक्त, उत्तरादे या स्थानधारी, खाकी व नागा संप्रदाय प्रमुख हैं। 

दादू दयाल के गुरु का नाम क्या था?

माना जाता है कि दादू दयाल के गुरु का नाम ‘वृद्धानंद’ था। 

दादू दयाल के शिष्य कौन थे?

रज्जब, सुंदरदास, प्रागदास, गरीबदास, जनगोपाल व बनवारीदास, दादू दयाल के प्रमुख शिष्य थे। 

दादू के माता-पिता का क्या नाम था?

दादू के माता-पिता के बारे में कोई प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। 

संत दादू की मृत्यु कहाँ हुई थी?

संत कवि दादू दयाल की मृत्यु 1603 ई. में राजस्थान के सांभर के निकट नरैना नामक स्थान पर हुई थी।

दादू जी का मेला किस स्थान पर लगता है?

राजस्थान के नरैना में दादू दयाल के जन्मदिवस और मृत्यु के दिन वहाँ हर वर्ष मेला लगता है। 

दादू दयाल की प्रमुख रचनाएं कौनसी हैं?

हरडे वाणी’ और ‘अंगवधू’ इनके प्रमुख ग्रंथ माने जाते हैं। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ संत कवि और ‘दादू पंथ’ के संस्थापक दादू दयाल का जीवन परिचय (Dadu Dayal Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों के जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 

आशा है कि आपको संत कवि दादू दयाल का जीवन परिचय (Dadu Dayal Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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