भारत के ज्ञान ने विश्व को हमेशा सद्मार्ग दिखाया है, भारत के विज्ञान और वैज्ञानिकों ने मानव का जीवन सरल और सुविधाजनक बनाया है। जब-जब भारत की उन्नति की बात कहीं होती है, तो इसमें भारत के वैज्ञानिकों का नाम सदैव शीर्ष पर आता है। भारत के महान वैज्ञानिकों में से एक “सीवी रमन” भी थे, जिन्हें 20 वीं शताब्दी के सबसे प्रभावशाली वैज्ञानिकों की श्रेणी में सम्मानित स्थान प्राप्त है। उनकी जिज्ञासा और सीखने की इच्छा ने ही उन्हें क्रांतिकारी खोजों की ओर हमेशा प्रोत्साहित किया, जो आधुनिक विज्ञान में मानव के लिए लाभकारी साबित हुईं। विज्ञान के क्षेत्र में उनके अविस्मरणीय योगदान के बारे में जानकर, युवा पीढ़ी विज्ञान क्षेत्र में कीर्ति कमाने के लिए खुद को प्रेरित कर सकती है। “सीवी रमन” एक सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक होने के साथ-साथ, उन्होंने भारत के अधिकांश रिसर्च इंस्टिट्यूट की स्थापना में भी अपना अहम योगदान निभाया। CV Raman biography in Hindi को पढ़ने के लिए आपको इस पोस्ट को अंत तक पढ़ना पड़ेगा।
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सीवी रमन प्रारंभिक जीवन – CV Raman in Hindi
7 नवंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली शहर में जन्मे चंद्रशेखर वेंकट रमन अपने माता-पिता की दूसरे नंबर की संतान थे। उनके पिता चंद्रशेखरन रामनाथन अय्यर गणित और फिजिक्स के शिक्षक थे। उनकी मां पार्वती अम्मल को उनके पति ने पढ़ना-लिखना सिखाया था। सीवी रमन के जन्म के समय, परिवार आर्थिक रूप से अस्थिर था। सीवी रमन के चार वर्ष के होने पर उनके पिता एक लेक्चरर बन गए, जिससे उनके परिवार की स्थिति में सुधार हुआ। परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरने के बाद उनका परिवार विशाखापट्टनम आ गया था। बहुत छोटी उम्र से ही उनकी शिक्षा असाधारण रही थी, सीवी रमन का हमेशा से ही विज्ञान की ओर विशेष झुकाव रहा था, जिसके परिणामस्वरूप वह एक वैज्ञानिक बने।
C V Raman Biography in Hindi के माध्यम से आप भारत के महान वैज्ञानिक सीवी रमन के बारे में जान पाएंगे। जैसे-जैसे रमन बड़े हुए, उन्होंने अपने पिता की किताबें पढ़ना शुरू किया। बहुत ही कम उम्र में रमन को पढ़ने का महत्व समझ में आ गया था, वह अपने दोस्तों से गणित और फिजिक्स की किताबें अक्सर उधार ले लिया करते थे। कॉलेज में अपने पढ़ने के दौरान, शैक्षणिक उत्कृष्टता उनकी विशेषता बन गई। संभवतः 20वीं सदी के सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिक सीवी रमन को आज़ादी के बाद भारत के पहले राष्ट्रीय प्रोफेसर के रूप में चुना गया था।
सीवी रमन की शिक्षा
सीवी रमन की शिक्षा स्कूल में शुरू नहीं हुई थी, लेकिन उस समय उन्हें विज्ञान के प्रति अपने समर्पण का एहसास हुआ। 11 साल की आयु में, उन्होंने अपनी 10वीं की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद 14 साल की उम्र में, रमन ने 1903 में प्रेसीडेंसी कॉलेज में अपनी बैचलर्स डिग्री शुरू की। वर्ष 1904 में, उन्होंने फिजिक्स और इंग्लिश में मैडल जीत, एक टॉपर के रूप में उभरकर अपनी डिग्री पूरी की।
हालांकि उनके प्रोफेसर ने उन्हें यूके में अपने मास्टर्स की पढ़ाई करने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने अपने ख़राब स्वास्थ्य के चलते यह विचार स्थगित किया। भारत में रहकर उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की। वर्ष 1907 में, प्रेसीडेंसी कॉलेज से मास्टर्स डिग्री हासिल करने के बाद, उन्होंने वित्त विभाग में एक अकाउंटेंट के रूप में काम किया। वर्ष 1917 में, वे कलकत्ता यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के प्रोफेसर बने, जहाँ उन्होंने अपनी रिसर्च को आगे बढ़ाया और विभिन्न पदार्थों में ‘प्रकाश का प्रकीर्णन’ की पढ़ाई की। इसी रिसर्च के चलते सीवी रमन को बहुत लोकप्रियता और प्रशंसा मिली।
सीवी रमन के महत्वपूर्ण कार्य
C V Raman Biography in Hindi में यदि उनके करियर पर एक नज़र डाली जाए तो आप पाएंगे कि उनका करियर काफी शानदार रहा। उनके जीवन में उन्होंने वो मुकाम हासिल किया, जिसके वह सच्चे हकदार थे। उन्होंने अपने करियर में कई सफलता हासिल की, इसी की बदौलत उनको नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया। वहीं करियर के शुरुआत में रमन के टीचरों ने उनके पिता को सलाह दी कि वह उनको उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेंज दें, लेकिन खराब स्वास्थ्य के कारण वह उच्च शिक्षा के लिए विदेश नहीं जा सके।
इस परीक्षा में रमन ने प्रथम स्थान प्राप्त किया और सरकार के वित्त मंत्रालय में अफसर अपॉइंट हुए। रमन कोलकत्ता में सहायक महालेखाकार की पोस्ट पर नियुक्त हुए और अपने घर में ही एक छोटी-सी प्रयोगशाला बनाई। कोलकत्ता में उन्होंने ‘Indian Association for Cultivation of Science (IACS)’ के लैब में अपनी रिसर्च जारी रखी। हर सुबह वो दफ्तर जाने से पहले परिषद की लैब में पहुंच जाते थे। वो रविवार को भी सारा दिन लैब में गुजारते और अपने प्रयोगों में व्यस्त रहते थे।
ऐसे कई सालों तक चलता रहा लेकिन जब उनको लगा कि वह नौकरी के साथ अपनी लैब को समय नहीं दे पा रहे हैं, तो रमन ने वर्ष 1917 में सरकारी नौकरी छोड़ दी और IACS के अंतर्गत फिजिक्स में पलित कुर्सी स्वीकार कर ली। सन 1917 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के फिजिक्स के प्रोफेसर के तौर पर वह नियुक्त हुए।
- ‘ऑप्टिक्स’ के क्षेत्र में उनके योगदान के लिये वर्ष 1924 में रमन को लंदन की ‘रॉयल सोसाइटी’ का सदस्य बनाया गया और यह किसी भी वैज्ञानिक के लिये बहुत सम्मान की बात थी।
- ‘रमन प्रभाव’ की खोज 28 फरवरी 1928 को हुई। रमन ने इसकी घोषणा अगले ही दिन विदेशी प्रेस में कर दी थी। प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका ‘नेचर’ ने उसे प्रकाशित किया। उन्होंने 16 मार्च, 1928 को अपनी नयी खोज के ऊपर बैंगलोर स्थित दक्षिण भारतीय विज्ञान संघ में भाषण दिया। इसके बाद धीरे-धीरे विश्व की सभी लैब्स में ‘रमन प्रभाव’ पर रिसर्च होनी शुरू हो गई।
- वर्ष 1929 में रमन भारतीय विज्ञान कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे। वर्ष 1930 में लाइट के स्कैटरिंग और रमन प्रभाव की खोज के लिए उन्हें फिजिक्स के क्षेत्र में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 1934 में रमन को बैंगलोर स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (IIS) का डायरेक्टर बनाया गया। उन्होंने स्टिल की स्पेक्ट्रम प्रकृति, अभी भी गतिशीलता के बेसिक मुद्दे, हीरे की संरचना और गुणों और अनेक रंगीन पदार्थ के ऑप्टिकल चालन पर भी रिसर्च की। उन्होंने ही पहली बार तबले और मृदंगम के हार्मोनिक की प्रकृति की खोज की थी। वर्ष 1948 में वो IIS से रिटायर हुए। इसके बाद उन्होंने बैंगलोर में रमन अनुसंधान संस्थान की स्थापना की।
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पुरस्कार और सम्मान
चंद्रशेखर वेंकट रमन को विज्ञान के क्षेत्र में योगदान के लिए अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया:-
- वर्ष 1924 में रमन को लन्दन की ‘रॉयल सोसाइटी’ का सदस्य बनाया गया।
- ‘रमन प्रभाव’ की खोज 28 फ़रवरी 1928 को हुई थी। इस महान खोज की याद में 28 फ़रवरी का दिन भारतमें हर वर्ष ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
- वर्ष 1929 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस की अध्यक्षता की।
- वर्ष 1929 में नाइटहुड दिया गया।
- वर्ष 1930 में प्रकाश के प्रकीर्णन और रमण प्रभाव की खोज के लिए उन्हें भौतिकी के क्षेत्र में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार मिला।
- 1932 स्पेन में C V Raman Biography in Hindi और सूरी भगवंतम ने फोटॉन क्वांटम की खोज की थी। इस खोज में दोनों ने एक दुसरे को सहयोग किया था।
- 1947 में भारत सरकार द्वारा रमन राष्ट्रीय व्याख्याता की पोस्ट से सम्मानित किया गया था।
- 1948 में अमेरिकन केमिकल सोसायटी और विज्ञान की खेती के लिए भारतीय संघ द्वारा अंतरराष्ट्रीय रासायनिक खेती विज्ञान में भी उन्हें पुरस्कार मिला था।
- वर्ष 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 1957 में लेनिन शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
सी वी रमन की खोज
सन 1928 को महान वैज्ञानिक और नोबेल पुरस्कार विजेता सर C V Raman Biography in Hindi के अनुसार उन्होंने अपने मशहूर रमन प्रभाव (रमन इफ़ेक्ट) की खोज की थी। इस खोज से न सिर्फ इस बात का पता चला कि समुद्र का पानी नीले रंग का क्यों होता है, यह भी पता चला कि जब भी कोई लाइट किसी पारदर्शी माध्यम से होकर गुजरती है तो उसके नेचर और बर्ताव में बदलाव आ जाता है। इससे भी ज्यादा खास बात ये है कि ये पहली बार था जब किसी भारतीय को विज्ञान में नोबेल प्राइज मिला था। इसी कारण 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है।
निजी जीवन
C V Raman Biography in Hindi के माध्यम से आप जानेंगे कि 6 मई 1907 को लोकसुंदरी अम्मल के साथ उनका विवाह हुआ था, जिसके बाद उनके दो पुत्र “चंद्रशेखर और राधाकृष्णन” ने जन्म लिया। उनकी पत्नी लोकसुंदरी अम्मल का निधन 1980 को बेंगलुरु में 88 साल की उम्र में हुआ था।
निधन
21 नवंबर 1970 को सीवी रमन का 82 वर्ष की उम्र में बेंगलुरु में हुआ था। अक्टूबर 1970 में CV को दिल का दौरा आने पर हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था।
सीवी रमन पर निबंध
CV Raman biography in Hindi में निबंध इस प्रकार है:
प्रस्तावना
सीवी रमन एशियाई देश से नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बने थे। उन्हें रमन प्रभाव (इफ़ेक्ट) की खोज और प्रकाश के प्रकीर्णन पर उनके काम के सम्मान मिला। नोबेल पुरस्कार एक वैज्ञानिक के काफी सम्मान की बात होती है।
शुरुआती जीवन और शिक्षा
चंद्रशेखर वेंकट रमन (सीवी रमन) का जन्म 7 नवंबर 1888 को चेन्नई (मद्रास) में हुआ था। वह फिजिक्स में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाले भारत के एकमात्र नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। उनके पिता विशाखपट्नम में व्याख्याता थे, जहां उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा ली थी।
सीवी रमन 1907 में कलकत्ता में सहायक महालेखककार के रूप में वित्तीय सिविल सेवा में शामिल हुए। बाद में अपने जीवन में, उन्होंने एक महान चिकित्सक के रूप में विभिन्न प्रयोग किए। वह रमन इफ़ेक्ट की खोज के ग्राउंड ब्रेकिंग कार्य के पीछे का आदमी था।
उपसंहार
सीवी रमन ने उस समय में विज्ञान के क्षेत्र में इतना विशाल योगदान दिया था। उनके खोज और रिसर्च कार्यो की सफलता ने देश का गौरव बढ़ाया था। उन्होंने व्यवहारिक ज्ञान को अधिक एहमियत दी थी। उस समय यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि थी। उनके जैसा वैज्ञानिक मिलना मुश्किल है। उनके महान कार्यों और उपलब्धियों के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाता है।
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महान विचार
CV Raman biography in Hindi के यह विचार आपको अपने जीवन में एक नई राह देने का काम करेंगे, जो इस प्रकार हैं:
मौलिक विज्ञान के बारे में अपने विचार रखते हुए उन्होंने कहा कि मुझे मौलिक विज्ञान में पूरा विश्वास है, और इसको किसी भी औधोगिक, अनुदेशात्मक, सरकारों के साथ ही किसी भी सैन्य बल से प्रेरित नहीं किया जाना चाहिए।
आधुनिक भौतिक विज्ञान के बारे में उन्होंने कहा कि आधुनिक भौतिक विज्ञान को पूरी तरह से परमाणु संविधान की मूल भुत परिकल्पना पर बनाया गया है।
अपने महान अनुभव के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि 1921 में जब गर्मियों में वो Europe गए, तब उन्हें पहला अवसर भूमध्य सागर के विचित्र नीले रंग के बदलने का अवलोकन प्राप्त हुआ।
सफलता और असफलता के बारे में उन्होंने अपने विचार रखते हुए कहा है कि हम अपनी असफलता के खुद ही जिम्मेवार है। अगर हम असफल नहीं होंगे तो हम कभी भी कुछ भी सीख नहीं पायेंगे. असफलता से ही सफलता पाने के लिए प्रेरित होते है।
ज्ञान की खोज के बारे में उन्होंने कहा है कि हम अक्सर यह अवसर तलासते रहते है कि खोज कहा से की जाये, लेकिन हम यह देखते है प्राकृतिक घटना के प्रारंभिक बिंदु में ही एक नई शाखा का विकास छुपा हुआ है।
किसी भी सवाल से नहीं डरता अगर सवाल सही किया जाये तो प्राकृतिक रूप से उसके लिए सही जवाब के दरवाजे खुल जायेंगें।
आप ये हमेशा नहीं चुन सकते की कौन आपके जीवन में आएगा, लेकिन जो भी हो आप उनसे हमेशा शिक्षा ले सकते हो वो हमेशा आपको एक सीख ही देगा।
अगर कोई मुझसे सही से पेश आये तो हमेशा एक सही दिशा में सफलता को देखेगा, अगर मुझसे गलत तरीके से पेश आये तब तुम्हारी गर्त निश्चित है।
अगर कोई आपके बारे में अपने तरीके से सोचता है, तो वह अपने दिमाग के सबसे अच्छे जगह को बर्बाद करता है और यह उनकी समस्या हो सकती है, आपकी नहीं।
मुझे ऐसा लगता है और ये अहसास भी होता है कि अगर भारत की महिलाएं विज्ञान और विज्ञान की प्रगति में अपनी रूचि दिखाए, तो आज तक जो भी पुरुष हासिल करने में नाकाम रहे है वो वह सब कुछ वे प्राप्त कर सकती है।
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अनसुने तथ्य
देश के गौरव, चंद्रशेखर वेंकट रमन से जुड़े अनसुने तथ्य इस प्रकार हैं:
- 1928 में चंद्रशेखर वेंकट रमन को फिजिक्स के नोबेल प्राइज के लिए नॉमिनेट किया गया था, लेकिन वे मशहूर ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी ओवेन रिचर्डसन से हार गए थे।
- 1929 में भीं चंद्रशेखर वेंकट रमन फ्रांस के मशहूर भौतिक विज्ञानी लुई डी ब्रोगली से फिजिक्स में नोबेल प्राइज हार गए थे।
- चंद्रशेखर वेंकट रमन विज्ञान में नोबेल प्राइज पाने वाले पहले एशियाई और पहले गैर-श्वेत व्यक्ति थे।
- 1943 में में चंद्रशेखर वेंकट ने त्रावणकोर केमिकल और मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड कंपनियां शुरू की थी, जिसने माचिस उद्योग के लिए पोटेशियम क्लोरेट का निर्माण किया।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ भारत के महान वैज्ञानिक सीवी रमन का जीवन परिचय (CV Raman biography in Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
FAQs
चंद्रशेखर वेंकट रमन की माता का नाम पार्वती अम्मल था।
चंद्रशेखर वेंकट रमन ने 20 फरवरी 1928 को फिजिक्स के क्षेत्र में एक खोज की थी। इस खोज को रमन प्रभाव के नाम से जाना जाता है। फिजिक्स के क्षेत्र में इस खोज के लिए उन्हें साल 1930 में नोबेल प्राइज से सम्मानित किया गया था। सीवी रमन नोबेल प्राइज हासिल करने वाले पहले एशियाई थे।
सीवी रमन की मृत्यु 21 नवंबर 1970 को हुई थी।
सीवी रमन को भारत रत्न 1954 में दिया गया था।
चंद्रशेखर वेंकट रमन का जन्म तिरुवनाइकोइल, तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु) में हुआ था।
सीवी रमन को नोबेल पुरस्कार 1930 में “प्रकाश के प्रकीर्णन (स्कैटरिंग ऑफ लाइट) पर उनके काम के लिए” भौतिकी में मिला था।
सीवी रमन ने ‘रमन प्रभाव’ की खोज की थी।
सीवी रमन का पूरा नाम चंद्रशेखर वेंकट रमन था।
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