Vasudev Sharan Agrawal: महान अध्येता वासुदेव शरण अग्रवाल का जीवन परिचय, साहित्यिक रचनाएँ एवं भाषा शैली 

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Vasudev Sharan Agrawal Ka Jeevan Parichay

Vasudev Sharan Agrawal Ka Jeevan Parichay: वासुदेव शरण अग्रवाल भारतीय साहित्य, संस्कृति और इतिहास के गंभीर अध्येता थे। वह एक ही साथ लेखक, इतिहासकार, कला-मर्मज्ञ, पुरातत्त्ववेत्ता, दार्शनिक, लिपिशास्त्री, शब्दशास्त्री, भाषाशास्त्री और अन्वेषक भी थे। बता दें कि साहित्य, कला, संस्कृति और प्राचीन इतिहास पर उन्होंने अनेक ग्रंथों का सृजन किया था। इसके साथ ही उन्होंने मथुरा के ‘पुरातत्व संग्रहालय’ के अध्यक्ष व ‘भारतीय पुरातत्व विभाग’ के अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएँ दीं हैं।

क्या आप जानते हैं कि वासुदेव शरण अग्रवाल ने ‘नागरी प्रचारिणी पत्रिका’ (Nagri Pracharinni Patrika) के संपादक के रूप में भी कार्य किया था। वहीं, वर्ष 1955 में प्रकाशित ‘पाणिनिकालीन भारतवर्ष’ उनकी अनुपम कृति मानी जाती है जिसमें भारत की संस्कृति, कला और साहित्य आदि पर प्रकाश डाला गया है। आइए अब हम महान अध्येता वासुदेव शरण अग्रवाल का जीवन परिचय (Vasudev Sharan Agrawal Ka Jeevan Parichay) और उनके ग्रंथों के बारे में जानते हैं। 

नाम वासुदेव शरण अग्रवाल (Vasudev Sharan Agrawal) 
जन्म 07 अगस्त, 1904
जन्म स्थान मेरठ जिला, उत्तर प्रदेश 
पिता का नाम गोपीनाथ अग्रवाल
माता का नाम सीता देवी अग्रवाल
शिक्षा पीएच.डी., डी. लिट्.
पेशा लेखक, इतिहासकार, कला-मर्मज्ञ, पुरातत्त्ववेत्ता, भाषाशास्त्री और अन्वेषक
भाषा हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी 
विधाएँ साहित्य, कला, इतिहास 
निधन 27 जुलाई, 1966

उतर प्रदेश के मेरठ जिले में हुआ था जन्म – Vasudev Sharan Agrawal Ka Jeevan Parichay

प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं कला के महान् अध्येता वासुदेव शरण अग्रवाल का जन्म 07 अगस्त, 1904 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में स्थित खेड़ा नामक ग्राम में हुआ था। वासुदेव शरण अग्रवाल के पिता का नाम (Vasudev Sharan Agrawal Ke Pita Ka Naam) ‘गोपीनाथ अग्रवाल’ था। जबकि माता का नाम ‘सीता देवी अग्रवाल’ था। बताया जाता है कि उनका बचपन लखनऊ में बीता था। वहीं संस्कृत विद्वान् पं. जगन्नाथ से संस्कृत का प्रारंभिक ज्ञान प्राप्त किया।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने वर्ष 1929 में लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.ए. किया। फिर लखनऊ विश्वविद्यालय से ही वर्ष 1941 में ‘डॉ. राधाकुमुद मुखर्जी’ के निर्देशन में ‘इंडिया एज नोन टू पाणिनि’ विषय पर पीएच.डी. तथा 1946 में डी. लिट्. की उपाधि प्राप्त की।

साहित्य सृजन और संपादन 

वासुदेव शरण अग्रवाल ने वैदिक और पौराणिक साहित्य के गूढ़ ज्ञान को सरल भाषा में समाज के समक्ष प्रस्तुत करने का कार्य किया था। वहीं उनकी श्रेष्ठ कृति ‘पाणिनिकालीन भारतवर्ष’ में पाणिनि की अष्टाध्यायी के माध्यम से तत्कालीन भारत की संस्कृति एवं जीवन-दर्शन पर विशद प्रकाश डाला गया है। इसके अलावा उन्होंने वैदिक संस्कृति, साहित्य, इतिहास, धर्म-दर्शन, मूर्तिकला और वास्तुकला आदि विषयों पर सहस्राधिक निबंध भी लिखे हैं। 

वर्ष 1955 में उन्होंने ‘राधाकुमुद मुखर्जी‘ कृत ‘हिन्दू सभ्यता’ पुस्तक का अनुवाद किया व ‘शृंगारहाट’ का संपादन ‘डॉ. मोती चंद’ के साथ मिलकर किया। इसके अलावा वे ‘नागरी प्रचारिणी पत्रिका’ के संपादक भी रहे है। 

विस्तृत रहा कार्यक्षेत्र 

वासुदेव शरण अग्रवाल ने कई अनुपम ग्रंथों की रचना करने के साथ अनेक पदों पर रहकर अपनी सेवाएं दी हैं। वे वर्ष 1940 तक मथुरा के पुरातत्व संग्रहालय के अध्यक्ष पद पर रहे। फिर 1946 से 1951 तक ‘सेंट्रल एशियन एक्टिविटीज म्यूजियम’ के सुपरिंटेंडेंट और ‘भारतीय पुरातत्व विभाग’ के अध्यक्ष पद पर कार्य किया। इसके बाद वर्ष 1951 में ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ के ‘कॉलेज ऑफ इंडोलॉजी’ में प्रोफेसर नियुक्त हुए। फिर एक वर्ष बाद ‘लखनऊ विश्वविद्यालय’ में राधाकुमुद मुखर्जी व्याख्यान निधि की ओर से व्याख्याता नियुक्त हुए। इसके अलावा वे ‘भारतीय मुद्रा परिषद’ (नागपुर), ‘ऑल इंडिया ओरियंटल कांग्रेस’,‘फ़ाइन आर्ट सेक्शन’ (मुंबई) और ‘भारतीय संग्रहालय परिषद’ (पटना) आदि संस्थाओं के सभापति रह चुके हैं।

वासुदेव शरण अग्रवाल की भाषा शैली – Vasudev Sharan Agrawal Ki  Bhasha Shaili

वासुदेव शरण अग्रवाल की भाषा शैली उत्कृष्ट और पांडित्यपूर्ण है। उनकी भाषा शुद्ध व परिष्कृत खड़ी बोली है। वहीं विषय के अनुरूप उनकी भाषा का स्वरूप बदलता रहता है। उन्होंने अपनी भाषा में अनेक प्रकार के देशज शब्दों का प्रयोग किया है, जिसके कारण इनकी भाषा सरल, सुबोध एवं व्यव्हारिक लगती है। किंतु उर्दू, अंग्रेजी आदि की शब्दावली, मुहावरों एवं लोकोक्तियों का प्रयोग उनकी रचनाओं में नहीं मिलता। बता दें कि उनकी भाषा शैली में उनके व्यक्तित्व और विद्वता की झलक साफ़ नजर आती है। 

वासुदेव शरण अग्रवाल का साहित्यिक परिचय – Vasudev Sharan Agrawal Ka Sahityik Parichay

क्या आप जानते हैं कि वासुदेव शरण अग्रवाल ने अपना अधिकांश सृजन हिंदी में करके इतिहासलेखन में एक बहुत बड़ी रिक्तता की पूर्ति की हैं। वहीं माना जाता है कि उन्होंने हिंदी में 36 एवं अंग्रेजी में 23 ग्रंथों की रचना की हैं। साथ ही उन्होंने अनेक विषयों पर ज्ञानवर्द्धक निबंध लिखे हैं। यहाँ वासुदेव शरण अग्रवाल का जीवन परिचय (Vasudev Sharan Agrawal Ka Jeevan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं –

प्रकाशित कृतियाँ

रचना प्रकाशन 
पृथ्वी-पुत्रवर्ष 1949
उरुज्योतिवर्ष 1952
कला और संस्कृतिवर्ष 1952
कल्पवृक्षवर्ष 1953
माता भूमिवर्ष 1953
हर्षचरित – एक सांस्कृतिक अध्ययनवर्ष 1953
पोद्दार अभिनन्दन ग्रन्थवर्ष 1953
भारत की मौलिक एकतावर्ष 1954
मलिक मुहम्मद जायसी : पद्मावतवर्ष 1955
पाणिनिकालीन भारतवर्षवर्ष 1955
भारतसावित्रीवर्ष 1957
कादंबरी वर्ष 1958

वाराणसी में हुआ निधन 

वासुदेव शरण अग्रवाल का 66 वर्ष की आयु में 27 जुलाई, 1966 को वाराणसी में निधन हो गया था। किंतु आज भी वे अपनी अनुपम कृतियों के लिए जाने जाते हैं। वहीं, साहित्य में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें ‘साहित्य अकादमी’ द्वारा सम्मानित किया गया था। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ महान अध्येता वासुदेव शरण अग्रवाल का जीवन परिचय (Vasudev Sharan Agrawal Ka Jeevan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीजाबिर हुसैन
विष्णु खरे उमाशंकर जोशी आलोक धन्वा 
घनानंद अयोध्या सिंह उपाध्यायबिहारी 
शिवपूजन सहायअमीर खुसरोमधु कांकरिया 
घनश्यामदास बिड़लाकेदारनाथ अग्रवालशकील बदायूंनी
मधुसूदन दासमहापंडित राहुल सांकृत्यायनभुवनेश्वर 
सत्यजित रेशिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ भगवती चरण वर्मा
मोतीलाल नेहरू कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ श्री अरबिंदो 

FAQs

डॉ. वासुदेव का जन्म कब हुआ था?

उनका जन्म 07 अगस्त, 1904 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में स्थित खेड़ा नामक ग्राम में हुआ था।

वासुदेव शरण अग्रवाल के पिता का नाम (Vasudev Sharan Agrawal Ke Pita Ka Naam) क्या था?

उनके पिता का नाम गोपीनाथ अग्रवाल था।

वासुदेव शरण अग्रवाल की दो रचनाएं कौनसी हैं?

पाणिनिकालीन भारतव और हर्षचरित – एक सांस्कृतिक अध्ययन उनकी प्रमुख कृति मानी जाती है। 

डॉ. वासुदेव शरण अग्रवाल कौन है?

वे भारतीय साहित्य, संस्कृति और इतिहास के गंभीर अध्येता थे।

वासुदेव शरण अग्रवाल की मृत्यु कब हुई थी?

27 जुलाई, 1966 को वाराणसी में उनका निधन हो गया था।

वासुदेव शरण अग्रवाल की माता का नाम क्या था?

उनकी माता का नाम ‘सीता देवी अग्रवाल’ था। 

वासुदेव शरण अग्रवाल किस युग के लेखक हैं?

वह आधुनिक काल के प्रतिष्ठित लेखक हैं। 

वासुदेव शरण अग्रवाल का निबंध-संग्रह कौन सा है?

पृथ्वी-पुत्र, कल्पवृक्ष, वाग्धारा और वेद-विद्या उनके प्रमुख निबंध-संग्रह हैं।

कला और संस्कृति के लेखक कौन हैं?

कला और संस्कृति, वासुदेव शरण अग्रवाल की रचना है जिसका प्रकाशन वर्ष 1952 में हुआ था। 

आशा है कि आपको भारत के महान अध्येता वासुदेव शरण अग्रवाल का जीवन परिचय (Vasudev Sharan Agrawal Ka Jeevan Parichay) पर यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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