जानिए सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग क्या है?

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सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग क्या है

तकनीकी के विकसित होने से मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर आदि भी अधिक एडवांस हो गए हैं। यह सभी डिवाइस सॉफ्टवेयर से चलती हैं जिन्हें एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर डेवलप करता है। आपको बता दें कि Findly.in की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 6 मिलियन (60 लाख) सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। ऐसे में अगर आप भी एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहते हैं तो ये लेख आपके लिए है। Software Engineering in Hindi के इस ब्लॉग में आपके साथ सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया है। आईये जानते है।

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग क्या हैं?

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग एक प्रकार का कंप्यूटर इंजीनियरिंग कोर्स होता है जो दो शब्दों सॉफ्टवेयर और इंजीनियरिंग से मिलकर बना है। दूसरे शब्दों में कहें तो सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग IT की एक ब्रांच है जिसमें विभिन्न प्रकार की सॉफ्टवेयर डिजाइनिंग, डेवलपमेंट, मैनटैनिंग, टेस्टिंग, पप्रोग्रामिंग आदि के बारे में सिखाया जाता है। इसमें कई प्रकार की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का उपयोग होता है जिसमें HTML, JAVA, PHP, C/C++, Python शामिल हैं। एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए आपको इन सभी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की नॉलेज होना बहुत आवश्यक है।

सॉफ्टवेयर इंजीनियर वह होता है जो यूजर की आवश्यकता के अनुसार विभिन्न प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में कोडिंग एक सॉफ्टवेयर डेवलपर करता है। उसकी टेस्टिंग करके उसे मैंटेन करता है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए इन सब प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की जानकारी होना बहुत जरूरी है। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सीखना बहुत मुश्किल नहीं होता है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए लैंग्वेज सीखना बेहद जरुरी है क्योंकि इसके बिना सॉफ्टवेयर इंजीनियर नहीं बना जा सकता है।

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग को क्यों चुनें?

सॉफ्टवेयर इंजीनियर कैसे बने इस बात को जानने से पहले किसी भी आवेदक को यह जानना आवश्यक है कि उन्हें सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए किस कोर्स की पढ़ाई करनी चाहिए और क्यों करनी चाहिए। नीचे कुछ पॉइंट्स के जरिए आपको बताया गया है कि सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग क्यों करना चाहिए-

  • भारत में इनफार्मेशन और टेक्नोलॉजी क्षेत्र के तेजी से विकास के कारण सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स मांग में हैं। कोर्स प्रोग्रामिंग भाषाओं और कई सॉफ्टवेयर के डिजाइन और विकास पर केंद्रित है।
  • यह कोर्स उस अध्ययन पर केंद्रित है जो छात्रों को सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के मूल सिद्धांतों के बारे में जानने में मदद करता है। 
  • सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में BSc पूरा करने के बाद, ग्रेजुएट्स मास्टर डिग्री का विकल्प चुन सकते हैं या रिसर्च और विकास क्षेत्रों में अपना करियर बना सकते हैं और अध्ययन के क्षेत्र में अच्छे बदलाव कर सकते हैं। 
  • कोर्स छात्रों और पेशेवरों दोनों के लिए नौकरी के कई अवसर प्रदान करते हैं। ऐसे कोर्सेज के बाद सालाना औसत वेतन लगभग INR 4-7 लाख है।
  • कोर्स पूरा होने के बाद उम्मीदवार सॉफ्टवेयर इंजीनियर, एप्लीकेशन डेवलपर, डेटाबेस प्रशासक, मल्टीमीडिया प्रोग्रामर, वेब डिज़ाइनर और सॉफ़्टवेयर परीक्षक के रूप में निजी और साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में काम कर सकते हैं।

सॉफ्टवेयर इंजीनियर की महत्ता

नीचे आपके लिए software engineering in Hindi में उसकी महत्ता बताई गई है-

  • बड़े सॉफ्टवेयर को मैनेज और उसके रख-रखाव करने के लिए।
  • बेहतर और ज्यादा स्कलबिलिटी के लिए।
  • कॉस्ट मैनेजमेंट करने के लिए, इसके लिए सही प्रोसेस को फॉलो करना बहुत ज़रूरी होता है।
  • सॉफ्टवेयर का डायनामिक नेचर हमेशा बदलता रहता है और उसमें समय के अनुसार अपडेट करने की आवश्यकता होती है। 
  • बेहतर और एडवांस क्वालिटी मैनेजमेंट के लिए।

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग बनने के लाभ

नीचे आपके लिए Software engineering in Hindi में लाभ इस प्रकार हैं:

  • यह बड़े सॉफ्टवेयर की कठनाइयों को कम करता है। बड़ा सॉफ्टवेयर हमेशा थोड़ा जटिल और चुनौती भरा होता है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर के द्वारा बड़े प्रोजेक्ट की कठिनताओं को कम किया जा सकता है। जिससे छोटी प्रॉब्लम को आसानी से सॉल्व किया जा सकता है।
  • सॉफ्टवेयर की मदद से प्रोजेक्ट को हैंडल करना आसान होता है। बड़े प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में बहुत समय लगता है और इसके लिए बहुत प्लानिंग करनी पड़ती है। अगर हम सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के मेथड्स को फॉलो करते हैं तो बड़े प्रोजेक्ट्स को आसानी से संभाला जा सकता है।

आवश्यक स्किल्स

तेजी से बदलते उद्योग में बने रहने और दूसरों पर बढ़त हासिल करने के लिए, सॉफ्टवेयर इंजीनियर को अपनी तकनीक और सॉफ्ट स्किल्स को तेज करना चाहिए। नीचे कुछ सॉफ्ट स्किल हैं जो आपके करियर को बढ़ा सकते हैं-

  • समस्या समाधान
  • मल्टीटास्किंग
  • अच्छी कम्युनिकेशन स्किल
  • एक्टिव लिसनर
  • मैनेजमेंट अटेंशन टू डिटेल

सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए स्टेप बाय स्टेप गाइड 

सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए नीचे चरण दर चरण गाइड दी गई है जो आपके सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के सपने को पूरा करेगी-

  • स्टेप 1: स्कूल स्तर से शुरू करें: सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने की शुरुआत स्कूली स्तर से ही की जाती है। 10वीं बोर्ड के बाद साइंस स्ट्रीम को चुनना होता है। आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विज्ञान विषयों में पढ़ाए जाने वाले सभी बुनियादी विषयों पर आपकी अच्छी पकड़ हो, क्योंकि स्कूल के बाद इस क्षेत्र में हायर एजुकेशन की डिग्री हासिल करने के योग्य होने के लिए यह आवश्यक है। साथ ही, आपको विज्ञान विषयों में अच्छे अंकों की आवश्यकता होगी ताकि आप अपनी आगे की पढ़ाई के लिए सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से एक में अध्ययन करने की न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।
  • स्टेप 2: बैचलर्स डिग्री प्राप्त करें: सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम इस क्षेत्र या संबंधित क्षेत्र में बैचलर्स की डिग्री प्राप्त करना है। चूंकि सभी विश्वविद्यालय सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में बैचलर्स डिग्री प्रदान नहीं करते हैं, इसलिए कंप्यूटर साइंस में बैचलर्स डिग्री के लिए जाना एक अच्छा विचार है, क्योंकि यह कंप्यूटर साइंस के तहत एक विशेष क्षेत्र है।कंप्यूटर साइंस में बैचलर्स डिग्री 4 साल की अवधि का होता है और इसमें उन सभी आवश्यक विषयों को शामिल किया जाएगा जो आपको एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए मास्टर करने की आवश्यकता है। आप संबंधित क्षेत्र में डिप्लोमा करके भी एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन सकते हैं, बैचलर्स डिग्री प्राप्त करना एक अच्छा विचार है क्योंकि शीर्ष कंपनियां अक्सर कम से कम स्नातक की डिग्री रखने वाले उम्मीदवारों को काम पर रखना पसंद करती हैं।
  • स्टेप 3: इंटर्नशिप करें: इंटर्नशिप में अपनी स्किल्स को प्रैक्टिस में लाने में मदद कर सकती है। जब आप अपनी अंडर ग्रेजुएट डिग्री प्राप्त कर रहे हों या इसे पूरा करने के बाद भी इंटर्नशिप के अधिक से अधिक अवसरों का लाभ उठाना सुनिश्चित करें। ये इंटर्नशिप आपको एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर द्वारा किए जाने वाले विभिन्न कार्यों की बहुत आवश्यक समझ प्रदान करेगी और आपके भविष्य के प्रयासों में सफलता प्राप्त करने में आपकी सहायता करेगी।
  • स्टेप 4: स्किल को अपडेट करें: कंप्यूटर विज्ञान में बैचलर्स डिग्री आपको एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के योग्य बनाती है, आपको न केवल अन्य उम्मीदवारों पर लाभ प्राप्त करने के लिए, बल्कि विभिन्न नौकरी पदों के लिए खुद को तैयार करने के लिए अपने कौशल को उन्नत करने की आवश्यकता है। विभिन्न प्रोग्रामिंग भाषाओं जैसे कि Python, C++, Java आदि को सीखना आपको दूसरों पर प्रतिस्पर्धा में बढ़त दिला सकता है। अपनी स्किल्स को विकसित करने का एक और तरीका है कि आप नए सॉफ्टवेयर बनाने में अपना हाथ आजमाएं – इससे आप अपने ज्ञान को व्यावहारिक उपयोग में ला सकेंगे। इसके अलावा, आप आगे नौकरी के अवसरों को खोलने के लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में मास्टर्स का विकल्प भी चुन सकते हैं।
  • स्टेप 5: जॉब के लिए आवेदन करें: सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने की दिशा में अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण कदम नौकरियों के लिए आवेदन शुरू करना है। सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग नौकरी के लिए आदर्श उम्मीदवार के रूप में माने जाने के लिए आपको अपने सभी skills और अनुभव को उजागर करते हुए एक आदर्श फिर से शुरू करना होगा। शुरू में आपको एक छोटी कंपनी में नौकरी करनी पड़ सकती है, लेकिन जैसे-जैसे आप अनुभव और अपने कौशल का निर्माण करते रहेंगे, आप जल्द ही अपनी सपनों की कंपनी में एक पद पाने के लिए उठ सकते हैं।

12वीं के बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स

Software engineering in Hindi कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए आपको बारहवीं क्लास साइंस स्ट्रीम से पास करना होगा जिसमें आपके फिजिक्स, केमेस्ट्री, मैथ्स और कंप्यूटर साइंस होनी चाहिए। Software engineering in Hindi में जानिए 12वीं के बाद आगे के कोर्सेज के बारे में।

  1. CS Diploma
  2. IT  
  3. BCA
  4. B.Tech  
  5. M.Tech  
  6. ME 
  7. B.Sc 
  8. MSc
  9. PhD 

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में विषय

Software engineering in Hindi एक प्रोफारेशनल डिग्री कोर्स है  जिसमें कई तरह के विषय पढ़ाए जाते हैं तो आइए जानते हैं कि सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग मे किस किस विषय को पढ़ाया जाता है और इसमे  कितने सब्जेक्ट होते हैं-

सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट

  • परिचय
  • सॉफ्टवेयर का विकसित रोल
  • सॉफ्टवेयर के लक्षण
  • सॉफ़्टवेयर एप्लिकेशन

सॉफ्टवेयर डिजाइन प्रक्रिया

  • सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग से क्या तात्पर्य है? 
  • सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की परिभाषा
  • धारावाहिक और रैखिक विकास मॉडल
  • पुनरावृत्त विकास मॉडल
  • वृद्धिशील विकास मॉडल
  • समानांतर या समवर्ती विकास मॉडल 
  • हैकिंग

सॉफ्टवेयर विश्वसनीयता 

  • परिचय
  • सॉफ्टवेयर विश्वसनीयता मेट्रिक्स
  • विश्वसनीयता के लिए प्रोग्रामिंग
  • गलती से बचाव 
  • दोष सहिष्णुता
  • सॉफ्टवेयर पुन: उपयोग

सॉफ्टवेयर डिजाइन सिद्धांत 

  • सिस्टम मॉडल – डेटा फ्लो मॉडल, सिमेंटिक डेटा मॉडल, ऑब्जेक्ट मॉडल, इनहेरिटेंस मॉडल, ऑब्जेक्ट एग्रीगेशन, डेटा डिक्शनरी
  • सॉफ्टवेयर डिजाइन – डिजाइन प्रक्रिया, डिजाइन के तरीके, डिजाइन विवरण, डिजाइन रणनीति, डिजाइन की गुणवत्ता
  • वास्तुकला डिजाइन – सिस्टम संरचना, भंडार मॉडल, नियंत्रण मॉडल, मॉड्यूलर अपघटन, डोमेन विशिष्ट वास्तुकला

ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड डिजाइन

  • ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड डिज़ाइन-ऑब्जेक्ट, ऑब्जेक्ट क्लासेस और इनहेरिटेंस, ऑब्जेक्ट आइडेंटिफिकेशन, ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड डिज़ाइन उदाहरण, ऑब्जेक्ट एग्रीगेशन
  • सेवा उपयोग
  • ऑब्जेक्ट इंटरफ़ेस डिज़ाइन – डिज़ाइन विकास
  • डेटाफ्लो डिज़ाइन
  • संरचना संरचना

एन असेसमेंट ऑफ़ प्रोसेस लाइफ साइकिल मॉडल

  • प्रक्रिया के मूल्यांकन का अवलोकन
  • समय का आयाम
  • सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में बिजनेस मॉडल की आवश्यकता 
  • क्लासिक अमान्य मान्यताएं: पहली धारणा- आंतरिक या बाहरी ड्राइवर
  • दूसरी धारणा- सॉफ्टवेयर या बिजनेस प्रोसेस
  •  तीसरी धारणा- प्रक्रिया या परियोजना 
  • चौथी धारणा-प्रक्रिया केन्द्रित या स्थापत्य केन्द्रित

कॉन्फ़िगरेशन मैनेजमेंट

  • परिचय
  • परिवर्तन प्रबंधन 
  • संस्करण और रिलीज प्रबंधन
  • संस्करण पहचान
  • सॉफ्टवेयर की रखरखाव 
  • रखरखाव प्रक्रिया
  • मेंटेनेन्स कोस्ट

सॉफ्टवेयर परीक्षण तकनीक

  • सॉफ्टवेयर परीक्षण मूल बातें 
  • परीक्षण सिद्धांत 
  • व्हाइट बॉक्स परीक्षण
  • नियंत्रण संरचना परीक्षण
  • ब्लैक बॉक्स परीक्षण

सॉफ्टवेयर परीक्षण आश्वासन

  • परिचय 
  • ब्लैक बॉक्स परीक्षण
  • सत्यापन परीक्षण
  • सत्यापन परीक्षण मानदंड
  • जाँच की योजना 
  • परीक्षण रणनीतियाँ
  • परीक्षण के सिद्धांत

सॉफ्टवेयर परीक्षण रणनीतियाँ

  • सॉफ्टवेयर परीक्षण के लिए परिचय आयोजक 
  • सॉफ्टवेयर परीक्षण रणनीति
  • इकाई का परीक्षण
  • टॉप डाउन इंटीग्रेशन
  • बॉटम अप इंटीग्रेशन

लोग और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग

  • पारंपरिक सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग
  • समस्या समाधान प्रक्रिया में लोगों का महत्व
  • लोग कारक
  • ग्राहक कारक

सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी और समस्या समाधान

  • व्यापार उपकरण को सक्षम करने के रूप में सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी 
  • ई-बिज़नेस रेवोल्यूशन

केस स्टडी

  • परिचय
  • तंत्र की ज़रूरतें
  • वास्तुकला वैकल्पिक

सॉफ्टवेयर इंजीनियर के कार्य

सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए आपको कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज जैसे C, C++, JAVA, Python, CSS, Php आदि की नॉलेज होना जरूरी है क्योंकि एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर इनकी सहायता से ही सॉफ्टवेयर डेवलपर करता है। एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के निम्नलिखित कार्य होते हैं-

  1. एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर का मुख्य कार्य प्रोग्रामिंग करना। 
  2. सॉफ्टवेयर डेवलप करना। 
  3. मोबाइल ऐप्स बनाना। 
  4. लैपटॉप और कंप्यूटर के लिए सॉफ्टवेयर बनाना। 
  5. ऐप्प्स व प्रोग्राम को डेवलप करने मे आने वाली परेशानियों को सॉल्व करना। 
  6. सॉफ्टवेयर की टेस्टिंग करना। 
  7. सॉफ्टवेयर को मैंटेन रखना। 
  8. यूजर की आवश्यकता के अनुसार सॉफ्टवेयर बनना।

सिलेबस

यहाँ software engineering in Hindi सिलेबस के कुछ महत्वपूर्ण विषय दिए गए हैं-

लॉजिक सर्किट बिजनेस डाटा प्रोसेसिंग एप्लाइड फिजिक्स
कंप्यूटर प्रोग्रामिंग  कोर मैथ्सऑपरेटिंग सिस्टम 
इंजीनियरिंग मैकेनिक्स बेसिक इलेक्ट्रिसिटी एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग मैकेनिक्स
अप्लाइड केमिस्ट्री इंजीनियरिंग ड्राइंग डिस्क्रीट स्ट्रक्चर
कंप्यूटर मैथड्स एंड एल्गोरिथ्म C प्रोग्रामिंग कंप्यूटर आर्गेनाइजेशन 
कंप्यूटर नेटवर्क एंड कम्युनिकेशन  डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंगडाटा कम्युनिकेशन

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स

Software engineering in Hindi के कोर्सेज के लिए टेबल दी गई है-

स्तर कोर्स
डिप्लोमा नेटवर्क और सॉफ्टवेयर का डिप्लोमा
स्नातक बिजनेस के लिए बीएससी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग
बीईएनजी नेटवर्क और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग
बीई/बीटेक/बैचलर ऑफ
सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग
बीएससी कंप्यूटर साइंस
(सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग)
मास्टर्स एमएससी एडवांस्ड सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी 
एमएससी/एमईएनजी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग
पीजीसीर्ट/पीजीडीआईपी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग

आप AI Course Finder की मदद से अपने पसंद के कोर्सेज और उससे सम्बंधित टॉप यूनिवर्सिटी का चयन कर सकते हैं।

टॉप विदेशी यूनिवर्सिटीज

नीचे कुछ प्रमुख विश्वविद्यालय दिए गए हैं, जिनके माध्यम से आप इंजीनियरिंग के इस विशेष क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं–

आप UniConnect के जरिए विश्व के पहले और सबसे बड़े ऑनलाइन विश्वविद्यालय मेले का हिस्सा बनने का मौका पा सकते हैं, जहाँ आप अपनी पसंद के विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि से सीधा संपर्क कर सकेंगे।

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के लिए टॉप कॉलेज

भारत में 200 से ज्यादा सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जिससे हर साल हजारों से ज्यादा सॉफ्टवेयर इंजीनियर पास आउट होकर सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में कदम रखते हैं। इन इंजीनियरिंग कॉलेज में बैचलर्स, मास्टर्स और डिप्लोमा की डिग्री उपलब्ध हैं। Software engineering in Hindi में नीचे देश के टॉप कॉलेज के नाम इस प्रकार हैं।

  • सभी IIT 
  • आंध्र यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, विशाखापत्तनम
  • एनआईटी सुरथकल – नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कर्नाटक
  • इंस्टीट्यूशंस ऑफ इंजीनियर्स इंडिया, कोलकाता
  • सीवी रमन ग्लोबल यूनिवर्सिटी, भुवनेश्वर
  • वेल्स विश्वविद्यालय – वेल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी एंड एडवांस्ड स्टडीज
  • श्रीनिवास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मैंगलोर
  • शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुरी
  • इंडियन मैरीटाइम यूनिवर्सिटी, चेन्नई
  • पार्क कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, कोयंबटूर
  • समुंद्रा इंस्टिट्यूट ऑफ मैरीटाइम स्टडीज, पुणे
  • जीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, चेन्नई

योग्यता

यदि आप इस क्षेत्र में डिग्री प्राप्त करने के इच्छुक हैं, तो आपको अपने चुने हुए विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा। ये आवश्यकताएं कोर्सेज के स्तर के अनुसार भिन्न होती हैं, जैसे बैचलर, मास्टर या डिप्लोमा। इंजीनियरिंग कोर्सेज के लिए कुछ सामान्य योग्यता इस प्रकार हैं–

  • इंजीनियरिंग में बैचलर्स डिग्री प्रोग्राम के लिए ज़रुरी है कि उम्मीदवारों ने किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से PCM (फिजिक्स, केमिस्ट्री, गणित) से 10+2 प्रथम श्रेणी से पास किया हो।
  • भारत में इंजीनियरिंग में बैचलर्स के लिए कुछ कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में JEE mains, JEE Advanced जैसे प्रवेश परीक्षा के स्कोर अनिवार्य हैं। साथ ही कुछ कॉलेज और यूनिवर्सिटीज अपनी स्वयं की प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करतीं हैं। विदेश में इन कोर्सेज  के लिए यूनिवर्सिटी द्वारा निर्धारित आवश्यक ग्रेड आवश्यकताओं को पूरा करना जरुरी है, जो हर यूनिवर्सिटी और कोर्स के अनुसार अलग–अलग हो सकती है।
  • इंजीनियरिंग में PG प्रोग्राम के लिए संबंधित क्षेत्र में प्रथम श्रेणी के साथ बैचलर्स डिग्री होना आवाश्यक है। साथ ही कुछ यूनिवर्सिटीज प्रवेश परीक्षा के आधार पर भी एडमिशन स्वीकार करतीं हैं।
  • विदेश की अधिकतर यूनिवर्सिटीज बैचलर्स के लिए SAT और मास्टर्स कोर्सेज के लिए GRE स्कोर की मांग करते हैं।
  • विदेश की यूनिवर्सिटीज में एडमिशन के लिए IELTS या TOEFL टेस्ट स्कोर, अंग्रेजी प्रोफिशिएंसी के प्रमाण के रूप में ज़रूरी होते हैं। जिसमे IELTS स्कोर 7 या उससे अधिक और TOEFL स्कोर 100 या उससे अधिक होना चाहिए।
  • विदेश यूनिवर्सिटीज में पढ़ने के लिए SOP, LOR, सीवी/रिज्यूमे और पोर्टफोलियो भी जमा करने की जरूरत होती है।

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आवेदन प्रक्रिया 

विदेश के विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए आवेदन प्रक्रिया इस प्रकार है–

  • आपकी आवेदन प्रक्रिया का फर्स्ट स्टेप सही कोर्स चुनना है, जिसके लिए आप AI Course Finder की सहायता लेकर अपने पसंदीदा कोर्सेज को शॉर्टलिस्ट कर सकते हैं। 
  • एक्सपर्ट्स से कॉन्टैक्ट के पश्चात वे कॉमन डैशबोर्ड प्लेटफॉर्म के माध्यम से कई विश्वविद्यालयों की आपकी आवेदन प्रक्रिया शुरू करेंगे। 
  • अगला कदम अपने सभी दस्तावेजों जैसे SOP, निबंध, सर्टिफिकेट्स और LOR और आवश्यक टेस्ट स्कोर जैसे IELTS, TOEFL, SAT, ACT आदि को इकट्ठा करना और सुव्यवस्थित करना है। 
  • यदि आपने अभी तक अपनी IELTS, TOEFL, PTE, GMAT, GRE आदि परीक्षा के लिए तैयारी नहीं की है, जो निश्चित रूप से विदेश में अध्ययन करने का एक महत्वपूर्ण कारक है, तो आप Leverage Live कक्षाओं में शामिल हो सकते हैं। ये कक्षाएं आपको अपने टेस्ट में उच्च स्कोर प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण कारक साबित हो सकती हैं।
  • आपका एप्लीकेशन और सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करने के बाद, एक्सपर्ट्स आवास, छात्र वीजा और छात्रवृत्ति / छात्र लोन के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू करेंगे । 
  • अब आपके प्रस्ताव पत्र की प्रतीक्षा करने का समय है जिसमें लगभग 4-6 सप्ताह या उससे अधिक समय लग सकता है। ऑफर लेटर आने के बाद उसे स्वीकार करके आवश्यक सेमेस्टर शुल्क का भुगतान करना आपकी आवेदन प्रक्रिया का अंतिम चरण है। 

आवदेन प्रक्रिया से सम्बन्धित जानकारी और मदद के लिए Leverage Edu के एक्सपर्ट्स से 1800572000 पर संपर्क करें

भारत के विश्वविद्यालयों में आवेदन प्रक्रिया, इस प्रकार है–

  1. सबसे पहले अपनी चुनी हुई यूनिवर्सिटी की ऑफिशियल वेबसाइट में जाकर रजिस्ट्रेशन करें।
  2. यूनिवर्सिटी की वेबसाइट में रजिस्ट्रेशन के बाद आपको एक यूजर नेम और पासवर्ड प्राप्त होगा।
  3. फिर वेबसाइट में साइन इन के बाद अपने चुने हुए कोर्स का चयन करें जिसे आप करना चाहते हैं।
  4. अब शैक्षिक योग्यता, वर्ग आदि के साथ आवेदन फॉर्म भरें।
  5. इसके बाद आवेदन फॉर्म जमा करें और आवश्यक आवेदन शुल्क का भुगतान करें। 
  6. यदि एडमिशन, प्रवेश परीक्षा पर आधारित है तो पहले प्रवेश परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन करें और फिर रिजल्ट के बाद काउंसलिंग की प्रतीक्षा करें। प्रवेश परीक्षा के अंको के आधार पर आपका चयन किया जाएगा और लिस्ट जारी की जाएगी।

आवश्यक दस्तावेज़  

कुछ जरूरी दस्तावेज़ों की लिस्ट नीचे दी गई हैं–

छात्र वीजा पाने के लिए भी Leverage Edu विशेषज्ञ आपकी हर सम्भव मदद करेंगे।

प्रवेश परीक्षाएं

यहां उन सभी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रवेश परीक्षाओं की सूची दी गई है जिनका उपयोग भारत और विदेशों के विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग डिग्री के लिए छात्रों को प्रवेश देने के लिए करते हैं–

SAT (विदेश में बैचलर्स के लिए)GRE (विदेश में मास्टर्स के लिए)
JEE MainsJEE Advanced
AICETIMU CET
MERI Entrance Exam

करियर विकल्प

आइए इस क्षेत्र में नौकरी के कुछ अवसरों पर एक नज़र डालें। ग्रेजुएट्स के पास नौकरी के ढेर सारे अवसर हैं, खासकर क्योंकि यह हर दिन नए और बेहतर सॉफ्टवेयर और ऐप्स की आवश्यकता के कारण तेजी से बढ़ता हुआ उद्योग है। यहां कुछ नौकरी के पद दिए गए हैं जिन्हें आप चुन सकते हैं:

सॉफ्टवेयर इंजीनियर की सैलरी

Software Engineers की सैलरी इस प्रकार हैं-

  • एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की सैलरी कंपनियों पर निर्भर करती है कि आपको किन-किन तकनीक और कंप्यूटर लैंग्वेज की नॉलेज है।
  • एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की शुरुआती सैलरी कम से कम INR 20-40 हजार प्रति महीना होती है, दिल्ली और बैंगलोर में एक सॉफ्टवेयर इंजीनीयर को INR 45-50 हजार प्रति महीना मिलते हैं।
  • उसके बाद एक एक्सपर्ट सॉफ्टवेयर इंजीनियर को INR 70-80 लाख प्रतिवर्ष सैलरी मिलती है।
  • अगर आप किसी मल्टी नेशनल कंपनी जैसे गूगल में कम कर रहे हैं तो आप की सैलरी INR 1 करोड़ प्रतिवर्ष तक भी हो सकती है। 

FAQs

इंजीनियर बनने के लिए कौन सी पढ़ाई करनी पड़ती है?

इंजीनियर बनने के लिए सबसे ज्यादा जरुरी है की आपने कक्षा 12वीं की पढ़ाई साइंस स्ट्रीम में की हो, क्योंकि साइंस स्ट्रीम के छात्र ही इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला ले सकते हैं। भारत में इंजीनियरिंग के लिए IIT, BIT, NIT जैसे कई बड़े मान्यता प्राप्त कॉलेज हैं जो इंजीनियरिंग के लिए दाखिला प्रदान करते हैं।

सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने में कितना खर्चा होता है?

सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए खर्च यूनिवर्सिटी पर निर्भर करता है, वैसे यह प्रति वर्ष INR 50,000-3 लाख तक होता है।

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स कितने साल का होता है?

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स के लिए आपको कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन करनी होती है जो 4 वर्ष की होती है।

सॉफ्टवेयर डेवलपर कैसे काम करता है?

सॉफ्टवेयर डेवलपर कंप्यूटर या विनिर्माण के लिए काम करते हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने में उनकी प्रमुख भूमिका होती है, जैसे कि कंप्यूटर प्रोग्राम डिजाइन करना, सॉफ्टवेयर बनाना, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट करना आदि। सॉफ्टवेयर डेवलपर का काम एक अच्छा सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट करना होता है।

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग क्या है?

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का अर्थ एक ऐसी इंजीनियरिंग से है जिसमें कंप्यूटर सिस्टम तथा किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए सॉफ्टवेयर का निर्माण किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो “सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग एक प्रक्रिया है जिसमें यूजर की जरूरतों का मुल्यांकन किया जाता है और इन जरूरतों के आधार पर सॉफ्टवेयर को बनाया जाता है।

आशा है कि इस ब्लॉग से आपको Software engineering in Hindi के बारे में जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए बने रहिए Leverage Edu के साथ।

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12 comments
    1. हाँ, आप कर सकते हैं। उसके लिए आपको 10वीं कक्षा के प्रतिशत के आधार पर डिप्लोमा इन इंजीनियरिंग में शामिल होना होगा। 3 साल के बाद आपको डायरेक्ट सेकेंड ईयर इंजीनियरिंग (DSY) में 3 साल के लिए एडमिशन मिलेगा। आप उसके लिए सॉफ्टवेयर ब्रांच चुन सकते हैं।

    1. हां आप कर सकते हैं। उसके लिए आपको 10वीं कक्षा के अंकों के आधार पर डिप्लोमा इन इंजीनियरिंग में शामिल होना होगा। 3 साल के बाद आपको डायरेक्ट सेकेंड ईयर इंजीनियरिंग (DSY) में 3 साल के लिए एडमिशन मिलेगा। आप उसके लिए सॉफ्टवेयर ब्रांच चुन सकते हैं।