समादृत कवि आलोक धन्वा का जीवन परिचय – Alok Dhanwa Ka Jeevan Parichay

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Alok Dhanwa Ka Jeevan Parichay

आलोक धन्वा का जीवन परिचय: “जहाँ नदियाँ समुंद्र से मिलती हैं वहाँ मेरा क्या है, मैं नहीं जानता लेकिन एक दिन जाना है उधर” पंक्तियों के रचियता आलोक धन्वा आधुनिक हिंदी साहित्य में अपना अग्रणी स्थान रखते हैं। वहीं साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें बिहार राष्ट्रभाषा परिषद का ‘साहित्य सम्मान’, ‘बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान’ व ‘पहल सम्मान’ से पुरस्कृत किया जा चुका है।  

बता दें कि आलोक धन्वा की कई रचनाओं को स्कूल के साथ ही बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी आलोक धन्वा का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम समादृत कवि आलोक धन्वा का जीवन परिचय (Alok Dhanwa Ka Jeevan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम आलोक धन्वा (Alok Dhanwa) 
जन्म 2 जुलाई, 1948 
जन्म स्थान मुंगरे जिला, बिहार 
शिक्षा स्वाध्याय 
भाषा हिंदी 
विधाएँ कविता 
कविता-संग्रह ‘दुनिया रोज़ बनती है’
पुरस्कार एवं सम्मान ‘साहित्य सम्मान’, ‘बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान’ व ‘पहल सम्मान’ आदि। 

बिहार के मुंगेर जिले में हुआ जन्म 

आधुनिक हिंदी कविता के प्रतिष्ठित कवि आलोक धन्वा का जन्म 2 जुलाई 1948 को बिहार के मुंगरे जिले में हुआ था। बता दें कि उनके माता-पिता व शिक्षा के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। 

रंगकर्म और साहित्य से जुड़े रहे 

आलोक धन्वा ने रंगकर्म और साहित्य के विकास में अपना अतुल्नीय योगदान दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कई अध्ययन मंडलियों का संचालन किया है। बता दें कि वह रंगकर्म और साहित्य पर कई राष्ट्रीय संस्थानों और विश्वविद्यालयों में अतिथि व्याख्याता रहे हैं। वह महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा में राइटर-इन-रेज़िडेंस भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह वर्ष 2014 से 2017 तक ‘बिहार संगीत नाटक अकादमी’ के अध्यक्ष रहे हैं।

आलोक धन्वा का साहित्यिक परिचय – Alok Dhanwa Ka Sahityik Parichay

माना जाता है कि आलोक धन्वा का साहित्य में पर्दापण वर्ष 1972 में हुआ था। वहीं उनकी पहली कविता ‘जनता का आदमी’ साहित्यिक ‘वाम पत्रिका’ में छपी थी। इसके कुछ समय बाद ही उनकी दूसरी कविता ‘गोली दाग़ो पोस्टर’ ‘फ़िलहाल’ पत्रिका में प्रकाशित हुई। बता दें कि सातवें-आठवें दशक में उन्होंने अपनी कुछ चंद कविताओं से आपार लोकप्रियता हासिल की थी। उनका पहला कविता संग्रह ‘दुनिया रोज बनती है’ जो वर्ष 1988 में प्रकाशित हुआ था। ‘मुलाकातें’ उनका दूसरा कविता-संग्रह है। 

आलोक धन्वा की साहित्यिक रचनाएँ –  Alok Dhanwa Ki Rachnaye

आलोक धन्वा (Alok Dhanwa Ka Jeevan Parichay) ने आधुनिक हिंदी साहित्य की काव्य विधा में मुख्य रूप से लेखन कार्य किया हैं। यहाँ उनकी संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया हैं:-

कविता-संग्रह

  • दुनिया रोज बनती है
  • मुलाकातें

नई कविताएँ

  • चेन्नई में कोयल
  • ओस
  • फूलों से भरी डाल
  • पाने की लड़ाई
  • मुलाक़ातें
  • आम के बाग़
  • गाय और बछड़ा
  • नन्हीं बुलबुल के तराने
  • बारिश
  • सवाल ज़्यादा है
  • रात
  • उड़ानें
  • श्रृंगार
  • रेशमा
  • भूल

रचनाओं का कई भाषाओं में हुआ अनुवाद 

आलोक धन्वा की कविताएँ अंग्रेजी के साथ कई भारतीय भाषाओं में अनुदित हुई हैं। क्या आप जानते हैं कि प्रो डेनियल वाइसबोर्ट और गिरधर राठी के संपादन में ‘साहित्य अकादमी’ द्वारा प्रकाशित हिंदी कविताओं के अंग्रेज़ी संकलन ‘सर्वाइवल’ में उनकी कविताएँ संकलित हैं। इसके अलावा अमेरिकी पत्रिका ‘क्रिटिकल इनक्वायरी’ में भी उनकी कविताओं के अनुवाद प्रकाशित हुए हैं।

पुरस्कार एवं सम्मान 

आलोक धन्वा (Alok Dhanwa Ka Jeevan Parichay) को आधुनिक काव्य और शिक्षा के क्षेत्र में अतुल्नीय योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-

  • बिहार राष्ट्रभाषा परिषद का ‘साहित्य सम्मान’
  • ‘पहल सम्मान’ 
  • ‘बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान’
  • ‘नागार्जुन सम्मान’
  • ‘फ़िराक़ गोरखपुरी सम्मान’
  • ‘गिरिजा कुमार माथुर सम्मान’
  • ‘भवानीप्रसाद मिश्र स्मृति सम्मान’ 
  • ‘प्रकाश जैन स्मृति सम्मान’
  • ‘राहुल सम्मान’

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ समादृत कवि आलोक धन्वा का जीवन परिचय (Alok Dhanwa Ka Jeevan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 
मैथिलीशरण गुप्तअशोक वाजपेयीराजगुरु
सुखदेवजाबिर हुसैनविष्णु खरे 

FAQs 

आलोक धन्वा का जन्म कहाँ हुआ था?

उनका जन्म 2 जुलाई 1948 को बिहार के मुंगरे जिले में हुआ था।

आलोक धन्वा के प्रथम कविता-संग्रह का नाम क्या है?

उनका पहला कविता संग्रह ‘दुनिया रोज बनती है’ जो वर्ष 1988 में प्रकाशित हुआ था। 

आलोक धन्वा की पहली कविता का नाम क्या है?

उनकी पहली कविता का नाम ‘जनता का आदमी’ है, जो ‘वाम पत्रिका’ में प्रकाशित हुई थी। 

आशा है कि आपको समादृत कवि आलोक धन्वा का जीवन परिचय (Alok Dhanwa Ka Jeevan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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