Yashpal Ka Jivan Parichay : यशपाल प्रेमचंदोत्तर युग के प्रतिष्ठित रचनाकार होने के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम के प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक थे। उन्होंने ‘भगत सिंह’, ‘सुखदेव’ और ‘चंद्रशेखर आजाद’ के साथ क्रांतिकारी कार्यों में खुलकर भाग लिया था। हिंदी साहित्य में लगभग 5 दशकों तक उन्होंने उपन्यास, कहानी, नाटक, आत्मकथा, संस्मरण, निबंध, यात्रा वृतांत और पत्र-पत्रिकाओं आदि साहित्य की विविध विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई जो आज भी अप्रितमता की प्रतीक है। ‘झूठा सच’ (Jhutha Sach) उपन्यास उनकी कालजयी कृति मानी जाती है।
वहीं, साहित्य के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने के लिए यशपाल को वर्ष 1970 में भारत सरकार द्वारा देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया था। जबकि ‘मेरी तेरी उसकी बात’ (उपन्यास) के लिए उन्हें वर्ष 1976 में मृत्योपरांत ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से अलंकृत किया गया। बता दें कि यशपाल की रचनाओं को विद्यालय के साथ ही बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी यशपाल का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
आइए अब हम समादृत साहित्यकार यशपाल का जीवन परिचय (Yashpal Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | यशपाल (Yashpal) |
जन्म | 3 दिसंबर, 1903 |
जन्म स्थान | फ़िरोजपुर छावनी, पंजाब |
पिता का नाम | हीरालाल |
माता का नाम | प्रेमादेवी |
पत्नी का नाम | प्रकाशवती |
शिक्षा | नेशनल कॉलेज, लाहौर |
पेशा | साहित्यकार |
भाषा | हिंदी |
साहित्य काल | आधुनिक काल (प्रेमचंदोत्तर युग) |
आंदोलन | भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन |
विधाएँ | उपन्यास, कहानी, नाटक, आत्मकथा, संस्मरण, निबंध, यात्रा वृतांत आदि। |
प्रमुख रचनाएँ | झूठा सच, मेरी तेरी उसकी बात, दादा कामरेड (उपन्यास), पिंजरे की उड़ान (कहानी-संग्रह) |
पुरस्कार एवं सम्मान | पद्म भूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार, मंगला प्रसाद पारितोषिक व सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार |
निधन | 26 दिसंबर, 1976 |
This Blog Includes:
- फ़िरोजपुर छावनी में हुआ था जन्म – Yashpal Ka Jivan Parichay
- पंजाब विश्वविद्यालय से ‘प्रभाकर’ की डिग्री ली
- जेल में हुआ विवाह
- यशपाल का साहित्यिक परिचय
- यशपाल की प्रमुख रचनाएं – Yashpal ki Rachnaye
- यशपाल की भाषा शैली – Yashpal Ki Bhasha Shaili
- पुरस्कार एवं सम्मान
- 73 वर्ष की आयु में हुआ निधन
- पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
- FAQs
फ़िरोजपुर छावनी में हुआ था जन्म – Yashpal Ka Jivan Parichay
प्रतिष्ठित साहित्यकार यशपाल का जन्म 3 दिसंबर, 1903 को पंजाब की फ़िरोजपुर छावनी में हुआ था। उनके पिता का नाम (Yashpal Ke Pita Ka Naam) ‘हीरालाल’ था जो कि छोटे-मोटे कारोबारी थे। जबकि उनकी माता ‘प्रेमादेवी’ फ़िरोजपुर छावनी के एक अनाथालय में अध्यापिका थीं। बताया जाता है कि अल्प आयु में पिता के आकस्मिक निधन के बाद यशपाल और उनके छोटे भाई ‘धर्मपाल’ के पालन-पोषण की जिम्मेदारी उनकी माता पर आ गई थीं।
पंजाब विश्वविद्यालय से ‘प्रभाकर’ की डिग्री ली
प्रारंभिक शिक्षा गुरुकुल कांगड़ी से प्राप्त करने के बाद यशपाल ने डीएवी स्कूल, लाहौर से हाईस्कूल और वर्ष 1921 में वहीं से प्रथम श्रेणी में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। इस दौरान उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को बहुत करीब से देखा। वहीं ‘महात्मा गांधी’ के नेतृत्व में चलाए ‘असहयोग आंदोलन’ में उन्होंने भाग लिया और कांग्रेस के कार्यों में सहयोग देने लगे। फिर वर्ष 1922 में नेशनल कॉलेज में दाखिला लेने के बाद उनकी मुलाकात सरदार भगत सिंह और सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों से हुई। वर्ष 1925 में नेशनल कॉलेज से बी.ए करने के बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से ‘प्रभाकर’ (एमए के समकक्ष) की परीक्षा पास की।
जेल में हुआ विवाह
वर्ष 1932 में यशपाल को क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेने के आरोप में ब्रिटिश हुकूमत द्वारा 14 वर्षों की सजा सुनाई गई। बताया जाता है कि वर्ष 1936 में कारावास की अवधि में उनका विवाह ‘प्रकाशवती’ से हुआ था। वह 6 वर्ष जेल में रहने के बाद रिहा हुए और सशस्त्र क्रांति को छोड़कर पूर्ण से साहित्य के क्षेत्र में उतर गए।
यशपाल का साहित्यिक परिचय
यशपाल का किशोरवस्था में ही साहित्य के क्षेत्र पर्दापण हो गया था। उन्होंने अल्प आयु में ही ‘अंगूठी’ नामक कहानी लिखकर साहित्य के क्षेत्र में कदम रखा था। वहीं, जेल से रिहा होने के बाद ‘पिंजड़े की उड़ान’ नाम से उनका पहला कहानी संग्रह प्रकाशित हुआ। अपने लंबे साहित्यिक जीवन में उन्होंने हिंदी साहित्य की अनेक विधाओं में लेखनी चलाकर साहित्य को समृद्ध किया था। इसके साथ ही उन्होंने ‘कर्मयोगी’ और ‘विप्लव’ नामक पत्रिका का संपादन किया था।
यशपाल की प्रमुख रचनाएं – Yashpal ki Rachnaye
यशपाल ने अपने साहित्यिक जीवन में लगभग दस उपन्यास और एक दर्जन से अधिक कहानी-संग्रह सहित निबंध, यात्रा वृतांत, संस्मरण, डायरी आदि में अनुपम कृतियों का सृजन किया हैं। यहाँ उनकी संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है:-
उपन्यास – Yashpal Ke Upanyas
- झूठा सच: वतन और देश
- झूठा सच: देश का भविष्य
- मेरी तेरी उसकी बात
- देशद्रोही
- दादा कामरेड
- मनुष्य के रूप
- दिव्या
- अमिता
- बारह घंटे
- अप्सरा का शाप
कहानी-संग्रह
- लैंप शेड
- धर्मयुद्ध
- ओ भैरवी
- उत्तराधिकारी
- चित्र का शीर्षक
- अभिशप्त
- वो दुनिया
- ज्ञानदान
- पिंजरे की उड़ान
- तर्क का तूफान
- भस्माकृत चिंगारी
- फूलो का कुर्ता
- तुमने क्यों कहा था मैं सुंदर हूँ
- उत्तमी की माँ
- खच्चर और आदमी
- भूख के तीन दिन
यात्रा-वृतांत
- यशपाल का यात्रा साहित्य और कथा नाटक
- लोहे की दीवार के दोनों ओर
- राह बीती
- स्वर्गोद्यान बिना साँप
संस्मरण
- सिंहावलोकन
- सेवाग्राम के दर्शन
- नशे नशे की बात
वैचारिक साहित्य
- गांधीवाद की शवपरीक्षा
डायरी
- मेरी जेल डायरी
निबंध एवं वयंग्य
- राम-राज्य की कथा
- मार्क्सवाद
- चक्कर क्लब
- बात-बात में बात
- न्याय का संघर्ष
- बीबी जी कहती हैं मेरा चेहरा रौबीला है
- जग का मुजरा
- मैं और मेरा परिवेश
- यशपाल का विप्लव
संपादन
- कर्मयोगी
- विप्लव
यशपाल की भाषा शैली – Yashpal Ki Bhasha Shaili
यशपाल यथार्थवादी शैली के रचनाकार हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं में व्यावहारिक भाषा का प्रयोग किया है। खड़ी बोली के साथ-साथ तत्भव, तत्सम, देशज और विदेशी भाषा प्रयोग उनकी रचनाओं में देखने को मिलता हैं। वहीं, सामाजिक विषमता, राजनैतिक पाखंड और रूढ़ियों के खिलाफ विद्रोह उनकी रचनाओं के मुख्य विषय रहे है। भाषा की स्वाभाविकता और सजीवता उनकी रचनागत विशेषता है।
पुरस्कार एवं सम्मान
यशपाल (Yashpal Ka Jivan Parichay) को हिंदी साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- पद्म भूषण – वर्ष 1970
- देव पुरस्कार
- सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार
- मंगला प्रसाद पारितोषिक
- साहित्य अकादमी पुरस्कार – वर्ष 1976 में मेरी तेरी उसकी बात उपन्यास के लिए उन्हें सम्मानित किया गया।
- साहित्य वारिधि
73 वर्ष की आयु में हुआ निधन
यशपाल ने अपने 50 वर्षों के लंबे साहित्यिक जीवन में कई अनुपम कृतियाँ हिंदी साहित्य जगत को दी हैं। किंतु इस प्रतिष्ठित साहित्यकार का गंभीर बीमारी के कारण 26 दिसंबर, 1976 को निधन हो गया। लेकिन आज भी वे अपनी लोकप्रिय कृतियों के लिए जाने जाते हैं। बता दें कि भारतीय डाक विभाग ने उनकी जन्मशताब्दी के अवसर पर वर्ष 2003 में एक समरक डाक टिकट जारी किया था।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ समादृत साहित्यकार यशपाल का जीवन परिचय (Yashpal Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
FAQs
उनका जन्म 3 दिसंबर, 1903 को पंजाब की फ़िरोजपुर छावनी में हुआ था।
उनके पिता का नाम ‘हीरालाल’ था।
झूठा सच, मेरी तेरी उसकी बात, दादा कामरेड (उपन्यास) व ‘पिंजरे की उड़ान’ कहानी-संग्रह उनकी प्रमुख रचनाएँ मानी जाती हैं।
26 दिसंबर, 1976 को 73 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था।
वर्ष 1939 में उनका पहला कहानी-संग्रह ‘पिंजड़े की उड़ान’ प्रकाशित हुआ था।
उनका पहला प्रकाशित उपन्यास ‘दादा कामरेड’ था जिसका प्रकाशन वर्ष 1941 में हुआ था।
उनकी माता का नाम प्रेमादेवी था जबकि पिता का नाम हीरालाल था।
उनकी पत्नी का नाम प्रकाशवती था।
आशा है कि आपको समादृत साहित्यकार यशपाल का जीवन परिचय (Yashpal Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।