Durga Puja History : क्या आप जानते हैं कब और कैसे हुई दुर्गा पूजा की शुरुआत?

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Durga Puja History in Hindi

दुर्गा पूजा भारतीय संस्कृति के सबसे प्रतिष्ठित और भव्य त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हर साल, खासकर पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा जैसे पूर्वी भारतीय राज्यों में, बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार न केवल देवी दुर्गा की शक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का भी संदेश देता है। लेकिन क्या आप जानते हैं इस पूजा की शुरुआत कब और कैसे हुई? तो चलिए आपको बता दें कि दुर्गा पूजा का इतिहास (Durga Puja History in Hindi) सदियों पुराना है और इसके पीछे कई पौराणिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कहानियाँ जुड़ी हुई हैं। आइए, इस ब्लॉग में आप जानेंगे कि कैसे इस महान त्योहार की नींव रखी गई और समय के साथ यह कैसे विकसित हुआ।

दुर्गा पूजा के बारे में

दुर्गा पूजा, भारत के एक प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे देशभर में पूरे उत्साह और भव्यता के साथ मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में अत्यधिक महत्वपूर्ण है लेकिन ओडिशा, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में भी इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, क्योंकि यह देवी दुर्गा की महिषासुर पर जीत की कहानी को दर्शाता है। बंगाली समुदाय के लिए, यह एक छह दिन चलने वाला उत्सव है, जिसे महालया, षष्ठी, महा सप्तमी, महा अष्टमी, महा नवमी और विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है।

क्या है दुर्गा पूजा का इतिहास?

दुर्गा पूजा का इतिहास (Durga Puja History in Hindi) अत्यंत समृद्ध और महत्वपूर्ण है। यह सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और धर्म का एक अभिन्न हिस्सा है। बता दें कि इस पर्व का आरंभ भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग समय पर हुआ था, लेकिन यह मुख्य रूप से बंगाल में एक प्रमुख त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

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इस युद्ध के बाद शुरू हुई थी दुर्गा पूजा की परंपरा

एक प्रमुख मान्यता के अनुसार, दुर्गा पूजा के आयोजन की परंपरा प्लासी के युद्ध (1757) से जुड़ी हुई है। यह लड़ाई अंग्रेज़ों और भारतीय नवाब सिराजुद्दौला के बीच लड़ी गई थी। प्लासी की लड़ाई ने बंगाल के राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया और इसने अंग्रेज़ों को बंगाल पर नियंत्रण स्थापित करने में मदद की। इस युद्ध में जीत हासिल करने के बाद अंग्रेज़ों ने पूरे बंगाल में दुर्गापूजा का आयोजन किया। बता दें कि यह युद्ध 23 जून 1757 को हुआ था। इसके बाद, बंगाल में एक नई सामाजिक और सांस्कृतिक हलचल देखी गई, जिसके परिणामस्वरूप कई धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शुरू हुईं, जिसमें दुर्गा पूजा का आयोजन एक प्रमुख भूमिका निभाने लगा।

264 साल पहले लगा था पहला पंडाल

264 साल पहले, 1760 ईस्वी में, बंगाल में पहली बार दुर्गा पूजा के अवसर पर पंडाल सजाने की परंपरा शुरू हुई। पंडाल सजाने से दुर्गा पूजा को एक सामाजिक और धार्मिक उत्सव के रूप में स्थापित किया गया। इस पंडाल की स्थापना ने दुर्गा पूजा को न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया।

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दुर्गा पूजा के आयोजन को लेकर कई दूसरी कहानियां

पहली बार दुर्गा पूजा के आयोजन को लेकर कई दूसरी कहानियां भी हैं। एक मान्यता के अनुसार नौवीं सदी में बंगाल के एक युवक ने इसकी शुरुआत की थी। वहीं, विद्वान रघुनंदन भट्टाचार्य के बारे में भी कहा जाता है कि पहली बार उन्होंने इस पूजा का आयोजन किया। एक दूसरी कहानी के अनुसार, कुल्लक भट्ट नामक पंडित के निर्देशन में ताहिरपुर के जमींदार नारायण ने पहली बार दुर्गा पूजा का आयोजन किया था। इस तरह दुर्गा पूजा समय के साथ लोकप्रिय होती गई और इसे भव्य तरीके से मनाने की परंपरा पड़ गई। 

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दुर्गा पूजा का महत्व

दुर्गा पूजा का महत्व निम्नलिखित है : 

  • यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस पर्व के दौरान देवी दुर्गा की पूजा की जाती है, जिन्होंने महिषासुर नमक राक्षस का वध किया था। 
  • यह त्योहार महिला शक्ति का प्रतीक भी है। 
  • यह त्योहार भारत के सबसे विशाल और भव्य त्योहारों में से एक माना जाता है।
  • विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में इसे अत्यंत जोश और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
  • इस पर्व के दौरान सभी वर्ग, जाति और समुदाय के लोग एक साथ आते हैं, जिससे भाईचारे को बढ़ावा मिलता है।

FAQs

दुर्गा पूजा की शुरुआत कैसे हुई थी?

दुर्गा पूजा का इतिहास (Durga Puja History in Hindi) लगभग 185 साल पुराना है। सबसे पहले 1839 में रातू किला में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की शुरुआत की गई थी। इसके बाद, 1882 में जिला स्कूल परिसर में दुर्गोत्सव मनाया गया। ठीक एक साल बाद, 1883 में दुर्गाबाड़ी में पूजा की शुरुआत हुई, जो आज भी चल रही है।

दुर्गा पूजा के पीछे की कहानी क्या है?

दुर्गा पूजा की कहानी पौराणिक कथाओं में देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय से जुड़ी हुई है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। देवी दुर्गा ने महिषासुर के साथ नौ दिनों तक घमासान युद्ध किया और अंततः दसवें दिन उसे पराजित कर उसकी हत्या कर दी। इस दिन को विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

2024 में दुर्गा पूजा कब है?

2024 में, दुर्गा पूजा 9 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक मनाई जाएगी।

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