विख्यात कहानीकार सुदर्शन का जीवन परिचय – Sudarshan Ka Jivan Parichay

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Sudarshan Ka Jivan Parichay

Sudarshan Ka Jivan Parichay: हिंदी साहित्य में कहानी विधा को जिन कहानीकारों ने अपनी प्रतिभा से पठनीय, लोकप्रिय और समृद्ध बनाया है, उनमें एक नाम ‘सुदर्शन’ (Sudarshan) का भी है। वह हिंदी कथा साहित्य में अपना अग्रणी स्थान रखते हैं। वहीं, आधुनिक हिंदी साहित्य में वह प्रेमचंदयुगीन कहानीकार हैं, जिन्होंने अपनी बहुमुखी प्रतिभा से गद्य और पद दोनों ही विधाओं को समृद्ध किया है। बता दें कि ‘हार की जीत’ उनकी पहली कहानी थी जिसका प्रकाशन वर्ष 1940 में प्रतिष्ठित ‘सरस्वती’ पत्रिका में हुआ था। इस पत्रिका का संपादन हिंदी साहित्य के प्रथम ‘आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी’ ने किया था। यह कहानी हिंदी की श्रेष्ठतम कहानियों में से एक मानी जाती है। 

सुदर्शन ने अनुपम साहित्य का सृजन करने के साथ ही पटकथा लेखन और फिल्म निर्देशन में भी अपना अहम योगदान दिया हैं। इसके साथ ही सुदर्शन की कई कहानियाँ जिनमें ‘हार की जीत’, ‘पत्थरों का सौदागर’, ‘साईकिल की सवारी’, ‘एथेंस का सत्यार्थी’ आदि को बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। 

वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने सुदर्शन के साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं, इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी सुदर्शन का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम प्रेमचंदयुगीन कहानीकार सुदर्शन का जीवन परिचय (Sudarshan Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

मूल नाम पंडित बद्रीनाथ भट्ट 
उपनाम सुदर्शन (Sudarshan) 
जन्म सन 1896 
जन्म स्थान सियालकोट (वर्तमान पाकिस्तान)
पेशा साहित्यकार, पटकथा लेखक, निर्देशन 
भाषा हिंदी, उर्दू 
विधाएँ उपन्यास, कहानी, फिल्म पटकथा, फिल्म निर्देशन, गीत व प्रहसन। 
उपन्यास भागवंती 
कहानी-संग्रह बचपन की एक घटना, परिवर्तन, पत्थरों का सौदागर, अपनी कमाई आदि। 
प्रहसन आननेरी मजिस्ट्रेट  
निधन 16 दिसंबर 1967 

सियालकोट में हुआ था जन्म 

हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित साहित्यकार सुदर्शन का जन्म वर्ष 1896 में पाकिसतन के सियालकोट में हुआ था। उनका मूल नाम ‘पंडित बद्रीनाथ भट्ट’ था किंतु साहित्य जगत में वह अपने उपनाम ‘सुदर्शन’ (Sudarshan) से विख्यात हुए। बता दें कि सुदर्शन के माता-पिता व शिक्षा के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है। 

प्रेमचंदयुगीन कहानीकार थे सुदर्शन

सुदर्शन को हिंदी और उर्दू भाषा में समान अधिकार प्राप्त था। वह प्रेमचंदयुगीन कहानीकार थे और कथासम्राटमुंशी प्रेमचंदऔर ‘उपेंद्रनाथ अश्क की तरह वह भी पहले मूलत: उर्दू में लेखन कार्य किया करते थे। किंतु बाद में उन्होंने हिंदी में साहित्य का सृजन किया। 

सुदर्शन की साहित्यिक रचनाएँ 

सुदर्शन ने आधुनिक हिंदी साहित्य की कई विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया है। जिनमें उपन्यास, कहानी, प्रहसन, गीत और फिल्म पटकथा शामिल है। वहीं उनकी रचनाओं में प्रेमचंद युग की सारी प्रवृत्तियाँ देखने को मिलती हैं। उन्होंने इस युग में कई विषयों को आधार बनाकर लेखन कार्य किया गया। इनमें बुराई पर अच्छाई की विजय, सुखांत भाषा, दुष्टों का ह्रदय परिवर्तन, सुधारवादी दृष्टिकोण आदि प्रमुख हैं। यहाँ सुदर्शन का जीवन परिचय (Sudarshan Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-

उपन्यास 

  • भागवंती 

कहानी-संग्रह 

  • बचपन की एक घटना
  • परिवर्तन
  • पत्थरों का सौदागर 
  • अपनी कमाई
  • तीर्थ-यात्रा 
  • हेर-फेर 
  • सुप्रभात 
  • सुदर्शन-सुधा 

प्रहसन 

  • आननेरी मजिस्ट्रेट  

पटकथा

  • सिकंदर

लोकप्रिय गीत 

  • तेरी गठरी में लागा चोर 
  • बाबा मन की आंखें खोल

निधन 

कई दशकों तक हिंदी और उर्दू साहित्य को अपनी बहुमुखी प्रतिभा से समृद्ध करने वाले सुदर्शन का 16 दिसंबर, 1967 को 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया। लेकिन उनकी कालजयी रचनाओं के लिए उन्हें साहित्य जगत में हमेशा याद किया जाता रहेगा। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ हिंदी के विख्यात कहानीकार सुदर्शन का जीवन परिचय (Sudarshan Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश

FAQs 

सुदर्शन का मूल नाम क्या है?

उनका मूल नाम पंडित बद्रीनाथ भट्ट था लेकिन वह अपने उपनाम ‘सुदर्शन’ से लेखन कार्य किया करते थे। 

सुदर्शन का जन्म कहाँ हुआ था?

उनका जन्म वर्ष 1896 में पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था। 

हार की जीत कहानी के लेखक कौन हैं?

यह हिंदी के विख्यात साहित्यकार ‘सुदर्शन’ की सर्वश्रेष्ठ कहानी है। 

‘भागवंती’ उपन्यास के रचनाकार का नाम क्या है?

यह ‘सुदर्शन’ का लोकप्रिय उपन्यास है। 

सुदर्शन का निधन कब हुआ था?

सुदर्शन का निधन 16 दिसंबर, 1967 को 72 वर्ष की आयु में हुआ था। 

आशा है कि आपको हिंदी के विख्यात कहानीकार सुदर्शन का जीवन परिचय (Sudarshan Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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