आचार्य शिवपूजन सहाय का जीवन परिचय – Shivpujan Sahay Ka Jivan Parichay

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Shivpujan Sahay Ka Jivan Parichay

शिवपूजन सहाय का जीवन परिचय: आचार्य शिवपूजन सहाय हिंदी के विख्यात साहित्यकार, कथाकार और पत्रकार माने जाते हैं। उन्होंने मुख्य रूप से गद्य विधा में कई अनुपम कृतियों का सृजन किया है। इसके साथ ही उन्होंने ‘मतवाला’, ‘जागरण’, ‘हिमालय’, ‘माधुरी’, ‘बालक’ आदि कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं का संपादन किया। क्या आप जानते हैं कि उन्होंने हिंदी के कई विख्यात साहित्यकारों की रचनाओं का संपादन किया है, जिनमें उपन्यास सम्राट ‘मुंशी प्रेमचंद, महाकवि ‘जयशंकर प्रसाद व ‘राजा राधिका प्रसाद सिंह’ आदि का नाम लिया जा सकता है।

आचार्य शिवपूजन सहाय ने हिंदी के प्रचार-प्रसार में अनिवर्चनीय योगदान दिया है। इसलिए भारत सरकार की ओर से उन्हें वर्ष 1960 में ‘पद्म भूषण’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। आपको बता दें कि बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं।

इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी आचार्य शिवपूजन सहाय का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम हिंदी के विख्यात साहित्यकार और पत्रकार आचार्य शिवपूजन सहाय का जीवन परिचय (Shivpujan Sahay Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम आचार्य शिवपूजन सहाय 
जन्म 09 अगस्त 1893 
जन्म स्थान उनवास गाँव, भोजपुर जिला, बिहार 
पिता का नाम वागेश्वरी दयाल
माता का नाम राजकुमारी देवी
शिक्षा मैट्रिक 
पेशा साहित्यकार, पत्रकार, कथाकार 
भाषा हिंदी 
विधाएँ कहानी, उपन्यास, निबंध, साहित्यिक पत्रकारिता 
मुख्य कृतियाँ ‘विभूति’ (कहानी-संग्रह), ‘देहाती दुनिया’ (उपन्यास), ‘असमंजस’, ‘माया-मंदिर’, निबंध साहित्य
संपादन ‘मतवाला’, ‘जागरण’, ‘हिमालय’, ‘माधुरी’, ‘बालक’ 
पुरस्कार पद्म भूषण 
निधन 21 जनवरी 1963 पटना, बिहार 

बिहार के भोजपुर जिले में हुआ था जन्म – Shivpujan Sahay Ka Jivan Parichay

आचार्य शिवपूजन सहाय का जन्म 09 अगस्त 1893 को बिहार के भोजपुर जिले के उनवास गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘वागेश्वरी दयाल’ था जो पेशे से जमींदार के लिए एक पटवारी का काम करते थे। उनकी माता का नाम ‘राजकुमारी देवी’ था जो कि एक गृहणी थीं। बता दें कि वर्ष 1913 में मैट्रिक की परीक्षा द्वितीय श्रेणी से पास करने के बाद उन्होंने पहले बनारस की दीवानी अदालत में नकलनवीस की नौकरी की। लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने यह कार्य छोड़ दिया और आरा, बिहार के ‘कायस्थ जुबली अकादमी’ में वर्ष 1914 में हिंदी शिक्षक के रूप में नियुक्त हुए। 

असहयोग आंदोलन में लिया भाग 

विद्यालय में अध्यापन कार्य के साथ ही आचार्य शिवपूजन सहाय की साहित्यिक यात्रा का आरंभ भी हो गया था। इस दौरान उन्होंने काशी नागरी प्रचारिणी सभा में भाग लेना शुरू किया। जिसके बाद उन्हें ‘बाबू श्यामसुंदर दास’, ‘प्रसादजी’ व अन्य प्रतिष्ठित साहित्यकारों से मिलने का अवसर मिला। 

वहीं,महात्मा गांधी’ के नेतृत्व में वर्ष 1920 में चलाए गएअसहयोग आंदोलन(Non Cooperation Movement) के परिणामस्वरूप शिवपूजन की जीवन यात्रा में एक नया मोड़ आया। उन्होंने आरा टाउन स्कूल में एक शिक्षक के रूप में अपनी सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और साहित्यिक पत्रकारिता करने लगे। 

हिंदी पत्रकारिता में योगदान 

आचार्य शिवपूजन सहाय ने अपने साहित्यिक जीवन में एक दर्जन से अधिक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया। बता दें कि उन्होंने वर्ष 1921 में कलकत्ता से ‘मारवाड़ी सुधार’ पत्रिका का संपादन किया। इसके बाद ‘मतवाला’, ‘माधुरी’, ‘गंगा’, ‘बालक’, ‘जागरण’, ‘हिमालय’ और ‘साहित्य’ आदि कई लोकप्रिय पत्रिकाओं में उन्होंने विपुल लेखन और संपादन कार्य किया है। 

क्या आप जानते हैं कि आचार्य शिवपूजन सहाय ने ‘मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास ‘रंगभूमि’ व कुछ कहानियों का  संपादन किया है। वहीं, इसके बाद उन्होंने  ‘समन्वय’, ‘मौजी’, ‘गोलमाल’, ‘उपन्यास तरंग’ जैसी कुछ अल्पकालिक पत्रिकाओं का संपादन किया। किंतु वर्ष 1926 में वह बनारस चले गए और स्वतंत्र पत्रकार के रूप में कार्य करने लगे। 

बिहार राष्ट्र भाषा परिषद के सचिव रहें 

वर्ष 1935 में आचार्य शिवपूजन सहाय ने ‘बालक’ पत्रिका का संपादन किया। इसके बाद वह वर्ष 1939 में राजेंद्र कॉलेज, छपरा में हिंदी के प्राध्यापक के रूप में कार्य करने लगे। फिर वर्ष 1950 में वह बिहार राष्ट्र भाषा परिषद के सचिव के रूप में नियुक्त हुए और इस पद रहते हुए उन्होंने हिंदी संदर्भ ग्रंथों के लगभग 50 से अधिक संस्करणों का संपादन और प्रकाशन किया। 

आचार्य शिवपूजन सहाय की साहित्यिक रचनाएँ – Shivpujan Sahay Ki Sahityik Rachnaye 

आचार्य शिवपूजन सहाय (Shivpujan Sahay Ka Jivan Parichay) ने हिंदी साहित्य की कई विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया है, जिनमे मुख्य रूप से कहानी, उपन्यास और निबंध विधा शामिल हैं। यहाँ आचार्य शिवपूजन सहाय की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:

उपन्यास

  • देहाती दुनिया

कहानी-संग्रह

  • विभूति 

संस्मरण

  • वे दिन वे लोग 
  • बिम्ब : प्रतिबिंब

रचनावली

  •  शिवपूजन रचनावली (4 खंड)

संपादन

  • मारवाड़ी सुधार
  • आदर्श
  • मौजी 
  • समन्वय 
  • गोलमाल 
  • माधुरी 
  • बालक 
  • गंगा 
  • हिमालय 
  • राजेंद्र अभिनन्दन ग्रंथ  
  • साहित्य 

शिवपूजन सहाय की भाषा शैली – Shivpujan Sahay Ki Bhasha Shaili 

शिवपूजन सहाय (Shivpujan Sahay) की भाषा शैली सरल और सहज है। आँचलिक शब्दों के साथ साथ उर्दू, फ़ारसी, अंग्रेजी और तत्सम व तत्भव शब्दावली का प्रयोग उनकी रचनाओं में देखने को मिलता है। आपको बता दें कि उनकी कृतियों में अलंकारों का भी सर्वाधिक रूप से प्रयोग हुआ है। वहीं, उनकी अधिकांश रचनाओं में लोकजीवन और लोक संस्कृति के प्रसंग सहज ही मिल जाते हैं। 

पुरस्कार एवं सम्मान

हिंदी साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान देने के लिए आचार्य शिवपूजन सहाय (Shivpujan Sahay Ka Jivan Parichay) को भारत सरकार की ओर से वर्ष 1960 में ‘पद्म भूषण’ की उपाधि से अलंकृत किया गया था। इसके बाद वर्ष 1962 में उन्हें ‘भागलपुर विश्वविद्यालय’ द्वारा डी.लिट्. की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। बता दें कि उनपर भारतीय डाक विभाग द्वारा डाक टिकट भी ज़ारी किया गया है।

निधन

आचार्य शिवपूजन सहाय ने कई दशकों तक हिंदी साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना अतुल्नीय योगदान दिया है। वहीं उनका 69 वर्ष की आयु में पटना में 21 जनवरी, 1963 में निधन हो गया था। किंतु आज भी वह अपनी लोकप्रिय कृतियों के लिए साहित्य जगत में जाने जाते हैं।

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ हिंदी के विख्यात साहित्यकार और पत्रकार शिवपूजन सहाय का जीवन परिचय (Shivpujan Sahay Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही है। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश

FAQs

शिवपूजन सहाय का जन्म कहाँ हुआ था?

आचार्य शिवपूजन सहाय का जन्म 09 अगस्त 1893 को बिहार के भोजपुर जिले के उनवास गाँव में हुआ था।

शिवपूजन सहाय के बचपन का नाम क्या था?

उनके बचपन का नाम ‘भोलानाथ’ था। 

शिवपूजन सहाय के एकमात्र उपन्यास का नाम क्या है?

उनके एकमात्र उपन्यास का नाम ‘देहाती दुनिया’ है।

‘वे दिन वे लोग’ किसकी रचना है?

यह शिवपूजन सहाय का लोकप्रिय संस्मरण है। 

शिवपूजन सहाय का निधन कब हुआ था?

शिवपूजन सहाय का 21 जनवरी, 1963 को पटना में निधन हुआ था। 

शिवपूजन सहाय ने किस पत्रिका का संपादन किया था?

उन्होंने जागरण, माधुरी, हिमालय और बालक आदि कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं का संपादन किया था।

शिवपूजन सहाय के माता-पिता का नाम क्या था?

उनकी माता का नाम ‘राजकुमारी देवी’ था जबकि पिता का नाम ‘वागेश्वरी दयाल’ था।

आशा है कि आपको आचार्य शिवपूजन सहाय का जीवन परिचय (Shivpujan Sahay Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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