Sardar Puran Singh ka Jivan Parichay: सरदार पूर्ण सिंह आधुनिक हिंदी साहित्य में ‘द्विवेदी युग’ के श्रेष्ठ निबंधकार थे। बता दें कि उन्होंने मात्र छ निबंध लिखकर साहित्य जगत में अपना नाम अमर कर लिया था। वहीं उनकी गणना आधुनिक पंजाबी-काव्य के प्रमुख कवियों में होती हैं। वे हिंदी, पंजाबी, उर्दू, पर्शियन, जर्मन और अंग्रेजी के ज्ञाता थे और उन्होंने साहित्य की अनेक विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया था। ‘मज़दूरी और प्रेम’, ‘आचरण की सभ्यता’ और ‘हिंदी साहित्य जगत का सिंहावलोकन’ उनके लोकप्रिय निबंध माने जाते हैं।
बता दें कि सरदार पूर्ण सिंह की रचनाओं को बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी सरदार पूर्ण सिंह का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम हिंदी के चर्चित निबंधकार सरदार पूर्ण सिंह का जीवन परिचय (Sardar Puran Singh ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | सरदार पूर्ण सिंह (Sardar Puran Singh) |
जन्म | 17 फरवरी, 1881 |
जन्म स्थान | सलह्द गांव, एबटाबाद, पाकिस्तान |
पिता का नाम | सरदार करतार सिंह |
शिक्षा | द यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो |
पेशा | अध्यापक, कवि, लेखक, निबंधकार |
साहित्य काल | आधुनिक काल (द्विवेदी युग) 1900–1931 |
भाषा | हिंदी, पंजाबी, अंग्रेजी |
विधाएँ | निबंध, कविता व लेख |
प्रमुख निबंध | ‘मज़दूरी और प्रेम’, ‘आचरण की सभ्यता’, ‘कन्यादान’, ‘सच्ची वीरता’ और ‘हिंदी साहित्य जगत का सिंहावलोकन’ |
पत्नी का नाम | माया देवी |
निधन | 31 मार्च, 1931 देहरादून |
This Blog Includes:
अविभाजित भारत के एबटाबाद में हुआ था जन्म – Sardar Puran Singh ka Jivan Parichay
‘द्विवेदी युग’ के श्रेष्ठ निबंधकार सरदार पूर्ण सिंह का जन्म 17 फरवरी, 1881 को अविभाजित भारत के एबटाबाद में सलह्द नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘सरदार करतार सिंह भागर’ था जो पेशे से कानूनगो पद पर आसीन सरकारी कर्मचारी थे। बताया जाता है कि वे अपने माता-पिता की ज्येष्ठ संतान थे। वहीं उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई थी जहाँ उन्होंने गुरुमुखी और उर्दू भाषा सीखी। फिर वर्ष 1897 में रावलपिंडी के मिशन हाईस्कूल की प्रवेश परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की। इसके बाद वर्ष 1899 में डीएवी कॉलेज, लाहौर से पढ़ाई पूरी करने के बाद वे ‘द यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो’ में रसायन शास्त्र की उच्च शिक्षा प्राप्त करने गए। वहाँ उन्होंने लगभग तीन वर्षों तक अध्ययन किया।
स्वामी रामतीर्थ से हुई भेंट
बताया जाता है कि जापान में अपनी पढ़ाई के दौरान सरदार पूर्ण सिंह की भेंट भारत के महान संत ‘स्वामी रामतीर्थ’ (Swami Ram Tirth) से हुई थी। वहीं टोक्यो में स्वामी जी के विचारों से प्रभावित होकर वे उनके शिष्य बन गए। बता दें कि अपने आवासकाल में लगभग डेढ़ वर्ष तक उन्होंने एक मासिक पत्रिका का संपादन किया था। फिर वे शिक्षा पूर्ण होने के बाद वर्ष 1903 के आसपास भारत लौट आए। इसके बाद एबटाबाद में कुछ समय बिताने के बाद वे लाहौर चले गए। इसी समयावधि में उनका विवाह ‘मायादेवी’ से हुआ। माना जाता है कि शिक्षा के दौरान ही उनका साहित्य के क्षेत्र में पर्दापण हो गया था।
सरदार पूर्ण सिंह की साहित्यिक रचनाएँ – Sardar Puran Singh ki Rachnaye
सरदार पूर्ण सिंह को निबंध विधा में विशेष ख्याति प्राप्त है। वहीं उनके निबंधों की विषय-वस्तु समाज, धर्म, विज्ञान, मनोविज्ञान तथा साहित्य मुख्य तौर पर रही है। एक चर्चित निबंधकार होने के साथ ही वे आधुनिक पंजाबी-काव्य के प्रमुख कवि भी थे। उन्होंने कई लोकप्रिय कविताओं के साथ साथ कई गंभीर विषयों पर ज्ञानवर्द्धक लेख भी लिखे हैं। यहाँ सरदार पूर्ण सिंह की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:
निबंध
- मज़दूरी और प्रेम
- आचरण की सभ्यता
- कन्यादान
- सच्ची वीरता
- हिंदी साहित्य जगत का सिंहावलोकन
- अमेरिका का मस्त जोगी वाल्ट हिटमैन
कविता संग्रह
- खुले मैदान में
- खुले आसमानी रंग
देहरादून में हुआ निधन
सरदार पूर्ण सिंह ने अपने साहित्यिक जीवन में श्रेष्ठ कृतियों का सृजन किया था। किंतु तपेदिक रोग होने के कारण उनका 31 मार्च, 1931 को 50 वर्ष की आयु में निधन हो गया। लेकिन आज भी वे अपने प्रमुख निबंधों के लिए जाने जाते हैं।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ हिंदी के चर्चित निबंधकार सरदार पूर्ण सिंह का जीवन परिचय (Sardar Puran Singh ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
FAQs
उनका जन्म 17 फरवरी, 1881 को अविभाजित भारत के एबटाबाद में सलह्द नामक गांव में हुआ था।
मज़दूरी और प्रेम, आचरण की सभ्यता, कन्यादान और सच्ची वीरता उनके श्रेष्ठ निबंध हैं।
यह द्विवेदी युग के श्रेष्ठ निबंधकार अध्यापक पूर्ण सिंह का प्रमुख निबंध है।
इस निबंध के लेखक अध्यापक पूर्ण सिंह है।
उनके पिता का नाम ‘सरदार करतार सिंह भागर’ था।
वे आधुनिक काल में (द्विवेदी युग 1900–1931) के चर्चित निबंधकार थे।
31 मार्च, 1931 को 50 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
आशा है कि आपको सरदार पूर्ण सिंह का जीवन परिचय (Sardar Puran Singh ka Jivan Parichay) पर यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।