राहुल सांकृत्यायन का जीवन परिचय (Rahul Sankrityayan Ka Jivan Parichay) : राहुल सांकृत्यायन आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित लेखक और साहित्यकार होने के साथ साथ किसान आंदोलनकारी, बौद्ध भिक्षु, स्वतंत्रता सेनानी और बहुभाषाविद के रूप में जाने जाते हैं। इसके साथ ही उन्हें ‘हिंदी यात्रा साहित्य का जनक’ कहा जाता है। क्योंकि उन्होंने यात्रा वृतांत को ‘साहित्यिक रूप’ दिया और घुमक्क्ड़ी शास्त्र की रचना करके उससे होने वाले लाभों का विस्तार से वर्णन किया और मंजिल के स्थान पर यात्रा को ही घुमक्क्ड़ी का उद्देश्य बताया था।
क्या आप जानते हैं कि राहुल सांकृत्यायन प्राकृत, पाली, संस्कृत, अपभ्र्श, तिब्बती, चीनी, रुसी और जापानी आदि भाषाओं के जानकार थे, इसलिए उन्हें ‘महापंडित’ भी कहा जाता था। राहुल सांकृत्यायन ने साहित्य की सभी विधाओं में अपनी लेखनी चलाई हैं। उनका लेखन क्रम किसी एक विधा तक सीमित नहीं था। वहीं शिक्षा और साहित्य में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ और ‘पद्म भूषण’ पुरस्कार से अलंकृत किया गया था।
बता दें कि राहुल सांकृत्यायन की रचनाओं को विद्यालय के अलावा बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी राहुल सांकृत्यायन का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम महापंडित राहुल सांकृत्यायन का जीवन परिचय (Rahul Sankrityayan Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मूल नाम | केदार पांडेय |
उपनाम | राहुल सांकृत्यायन |
जन्म | 09 अप्रैल, 1893 |
जन्म स्थान | पंदहा गांव, आजमगढ़ जिला, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | गोवर्धन पांडेय |
माता का नाम | कुलवंती देवी |
पेशा | लेखक, साहित्यकार, इतिहासकार |
भाषा | हिंदी |
विधाएँ | उपन्यास, कहानी, आत्मकथा, यात्रा वृतांत व जीवनी |
साहित्यकाल | आधुनिक काल |
पुरस्कार एवं सम्मान | साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म भूषण |
निधन | 13 अप्रैल, 1963 |
This Blog Includes:
- उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में हुआ था जन्म
- शिक्षा के लिए अनेक स्थानों की यात्रा
- कई देशों की कठिन यात्रा की
- बौद्ध धर्म में हुए दीक्षित
- स्वतंत्रता आंदोलनों में लिया भाग
- राहुल सांकृत्यायन का साहित्यिक परिचय
- राहुल सांकृत्यायन की रचनाएँ – Rahul Sankrityayan Ki Rachnaye
- पुरस्कार एवं सम्मान
- निधन
- पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
- FAQs
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में हुआ था जन्म
महापंडित राहुल सांकृत्यायन का जन्म 09 अप्रैल, 1893 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के पंदहा गांव में हुआ था। आपको बता दें कि उनका मूल नाम ‘केदार पांडेय’ था लेकिन साहित्य जगत में वह ‘राहुल सांकृत्यायन’ के नाम से जाने गए। उनके पिता का नाम ‘गोवर्धन पांडेय’ था और माता का नाम ‘कुलवंती देवी’ था। वहीं, पिता की आकस्मिक निधन के बाद उनका शुरूआती जीवन ननिहाल में बीता, किंतु उनका पैतृक गांव ‘कनैला’ था।
शिक्षा के लिए अनेक स्थानों की यात्रा
बताया जाता है कि राहुल सांकृत्यायन की प्रारंभिक शिक्षा उर्दू माध्यम से हुई थी और मिडिल परीक्षा में पास करने के बाद वह बनारस आ गए थे। यहाँ उन्होंने संस्कृत और दर्शनशास्त्र का गंभीरता से अध्यन्न किया और इसके बाद वेदांत की शिक्षा ग्रहण करने अयोध्या चले गए। वहीं, भाषा के प्रति गहरी रूचि होने के कारण उन्होंने आगरा से अरबी और फ़ारसी सीखने के लिए लाहौर (वर्तमान पाकिस्तान) की यात्रा की। लेकिन सीखने का यह सिलसिला यहीं नहीं रुका बल्कि जीवनभर जारी रहा। माना जाता है कि उन्हें लगभग 20 से 25 भाषाओं का ज्ञान था। वहीं, किशोरावस्था से ही ज्ञान की पिपासा से उन्हें शोधार्थी और घुम्मकड़ी स्वाभाव का बना दिया था। जो हमें उनकी रचनाओं में भी देखने को मिलता है।
कई देशों की कठिन यात्रा की
राहुल सांकृत्यायन ने अपने जीवन के लगभग 45 वर्ष विभिन्न स्थानों और दूसरे देशों की यात्रा में बिताए थे। बता दें कि वर्ष 1917 में वह रूस क्रांति के दौर में कठिन यात्रा करके रूस चले गए थे। वहीं यहाँ कुछ समय रहकर उन्होंने रुसी संस्कृति और रुसी क्रांति के कारणों का गहन अध्ययन किया और उनपर कुछ किताबें भी लिखी। इसके बाद उन्होंने जापान, चीन, तिब्बत और श्रीलंका की यात्राएं की और अपने यात्रा वृत्तांत में इन स्थानों के बारे में विस्तार से बताया।
बौद्ध धर्म में हुए दीक्षित
वर्ष 1930 में राहुल सांकृत्यायन ने श्रीलंका की यात्रा की और यहाँ रहकर उन्होंने पाली भाषा और बौद्ध धर्म का गहन अध्ययन किया। वह बौद्ध धर्म से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने बौद्ध मठ में न केवल बौद्ध धर्म की दीक्षा ली बल्कि अपना नाम भी ‘राहुल सांकृत्यायन’ रख लिया। इसके बाद उन्होंने तिब्बत की यात्रा के दौरान संस्कृत पांडुलिपियों और प्राचीन पुस्तकों की खोज की और उन्हें उन्हें सहेजते हुए तिब्बत से भारत लौट आए। इन अधिकांश पुस्तकों का बाद में उन्होंने हिंदी भाषा में अनुवाद भी किया।
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स्वतंत्रता आंदोलनों में लिया भाग
राहुल सांकृत्यायन ने भारतीय स्वतंत्रता में भी अपना अहम योगदान दिया था। वर्ष 1921 में राष्ट्रपिता ‘महात्मा गांधी’ द्वारा चलाए गए ‘अहसयोग आंदोलन’ में उन्होंने भाग लिया था। इसके साथ ही उन्होंने अपने व्याख्यानों, पुस्तकों और लेखों के माध्यम से किसानों और भारतीय जनता को ब्रितानी सरकार की दमनकारियों नीतियों से जागरूक करने का प्रयास किया था। वर्ष 1942 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में शामिल होने के कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन जेल में रहते हुए भी उन्होंने कई पुस्तकों की रचना की।
राहुल सांकृत्यायन का साहित्यिक परिचय
राहुल सांकृत्यायन इतिहासविद, पुरातत्ववेत्ता, त्रिपिटकाचार्य होने के साथ ही एक महान लेखक और साहित्यकार भी थे। उन्होंने उपन्यास, कहानी, यात्रा वृतांत, आत्मकथा, जीवनी, शोध आदि अनेक विधाओं में साहित्य का सृजन किया है। वहीं साहित्य के अलावा उन्होंने दर्शन, धर्म, राजनीति, इतिहास और विज्ञान आदि विषयों पर लगभग 150 से अधिक ग्रंथ लिखें हैं। ‘घुमक्कड़ शास्त्र’ व ‘वोल्गा से गंगा तक’ उनकी सबसे महत्वपूर्ण कृति मानी जाती हैं। वहीं उनकी कई पुस्तकों का कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका हैं।
राहुल सांकृत्यायन की रचनाएँ – Rahul Sankrityayan Ki Rachnaye
राहुल सांकृत्यायन ने आधुनिक हिंदी साहित्य में मुख्य रूप से गद्य विधा में अनुपम साहित्य का सृजन किया हैं। यहाँ महापंडित राहुल सांकृत्यायन का जीवन परिचय (Rahul Sankrityayan Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
कहानी संग्रह
- सतमी के बच्चे
- वोल्गा से गंगा तक
- बहुरंगी मधुपुरी
- कनैला की कथा
उपन्यास
- बाईसवीं सदी
- जीने के लिए
- भागो नहीं दुनिया का बदलो
- राजस्थान निवास
- मधुर स्वपन
- सिंह सेनापति
- जय यौधेय
- विस्मृत यात्री
- दिवोदास
जीवनी
- सरदार पृथ्वीसिंह
- नए भारत के नए नेता
- बचपन की स्मृतियाँ
- महामानव बुद्ध
- सिंहल के वीर पुरुष
- कप्तान लाल
- अतीत से वर्तमान
- स्तालिन
- लेलिन
- कार्ल मार्क्स
- माओ-त्से-तुंग
- घुमक्कड़ स्वामी
- मेरे अहसयोग के साथी
- जिनका मैं कृतज्ञ
- वीर चंद्रसिंह गढ़वाली
- सिंहल घुमक्कड़ जयवर्धन
यात्रा साहित्य
- किन्नर देश की ओर
- घुमक्कड़ शास्त्र
- मेरी तिब्बत यात्रा
- मेरी लद्दाख यात्रा
- तिब्बत में सवा वर्ष
- लंका
- जापान
- ईरान
- चीन में क्या देखा
- रूस में पच्चीस माह
आत्मकथा
- मेरी जीवन यात्रा
पुरस्कार एवं सम्मान
राहुल सांकृत्यायन (Rahul Sankrityayan Ka Jivan Parichay) को हिंदी साहित्य और शिक्षा में अपना विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- पद्म भूषण
- साहित्य अकादमी पुरस्कार
- त्रिपिटकाचार्य
निधन
राहुल सांकृत्यायन ने कई दशकों तक भारत और अन्य देशों की यात्रा की और कई विधाओं में अनुपम साहित्य और ग्रंथों का सृजन किया। किंतु इस महान यात्री का 14 अप्रैल, 1963 को 70 वर्ष की आयु में दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल में निधन हो गया। लेकिन आज भी वह अपनी रचनाओं के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ महापंडित राहुल सांकृत्यायन का जीवन परिचय (Rahul Sankrityayan Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही है। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
उनका मूल नाम ‘केदार पांडेय’ था।
राहुल सांकृत्यायन का जन्म 09 अप्रैल, 1893 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के पंदहा गांव में हुआ था।
उन्होंने श्रीलंका में ‘बौद्ध धर्म’ अपनाया था।
‘घुमक्कड़ शास्त्र’, ‘वोल्गा से गंगा तक’, किन्नर देश में और जीने के लिए राहुल सांकृत्यायन की प्रमुख रचनाएं हैं।
14 अप्रैल, 1963 को 70 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था।
उनका वास्तविक नाम केदार पांडेय था।
माना जाता है कि वह 20 से 25 भाषाएँ जानते थे।
उनकी माता का नाम ‘कुलवंती देवी’ था।
‘मेरी जीवन यात्रा’ उनकी लोकप्रिय आत्मकथा है।
आशा है कि आपको महापंडित राहुल सांकृत्यायन का जीवन परिचय (Rahul Sankrityayan Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।