कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जीवन परिचय – Kanhaiya Lal Mishra Prabhakar Ka Jivan Parichay

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Kanhaiya Lal Mishra Prabhakar Ka Jivan Parichay

Kanhaiya Lal Mishra Prabhakar Ka Jivan Parichay: कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ शैलीकार, साहित्यकार, पत्रकार एवं महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाने जाते हैं। बताया जाता है कि उनका संपूर्ण जीवन संघर्षमय रहा, लेकिन कभी उन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों में हार नहीं मानी। वहीं आधुनिक हिंदी साहित्य में उन्होंने कई विधाओं में अपनी लेखनी चलाई और अनुपम कृतियों का सृजन किया। बता दें कि स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था। क्या आप जानते हैं कि साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें दो दर्जन से अधिक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका हैं। 

बता दें कि कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ की कई रचनाओं को विद्यालय के अलावा बीए. और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। इस वर्ष उनकी 118वीं वर्षगाँठ मनाई जाएगी। 

आइए अब हम हिंदी साहित्य के पुरोधा कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जीवन परिचय (Kanhaiya Lal Mishra Prabhakar Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’  (Kanhaiya Lal Mishra Prabhakar)
जन्म 29 मई, 1906 
जन्म स्थान देवबंद, सहारनपुर जिला, उत्तर प्रदेश 
पिता का नाम पंडित रामदत्त मिश्र 
माता का नाम मिश्री देवी 
पेशा पत्रकार, लेखक, कथाकार 
भाषा हिंदी 
विधाएँ कहानी, संस्मरण, रेखाचित्र, निबंध 
साहित्यकाल आधुनिक काल 
पुरस्कार एवं सम्मान ‘भारतेंदु पुरस्कार’, ‘गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार’, ‘महाराष्ट्र भारती पुरस्कार’ आदि।  
निधन 9 मई, 1995 

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में हुआ था जन्म – Kanhaiya Lal Mishra Prabhakar Ka Jivan Parichay

प्रतिष्ठित पत्रकार और साहित्यकार कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जन्म 29 मई 1906 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘पंडित रामदत्त मिश्र’ और माता का नाम ‘मिश्री देवी’ था। बता दें कि उनकी शिक्षा और प्रारंभिक जीवन के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। 

स्वतंत्रता संग्राम में लिया भाग 

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ ने साहित्य के साथ पत्रकारिता को भी व्यापक रूप से समृद्ध किया था। उन्होंने  ‘ज्ञानोदय’ और सहारनपुर से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘नवजीवन’ का संपादन किया था। वहीं साहित्य जगत के साथ ही उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में अपार सफलता मिली है। भारतीय स्वतंत्रता में भाग लेने के कारण उन्हें कई बार जेल की भी यात्रा करनी पड़ी थी। किंतु उनका लेखन कार्य निरंतर जारी रहा। 

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का साहित्यिक परिचय 

कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर हिंदी के श्रेष्ठ रेखाचित्रों, संस्मरण एवं ललित निबंध लेखकों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में उच्च मानवीय मूल्यों की स्थापना की और नए लेखकों एवं साहित्यकारों का मार्ग प्रशस्त करके हिंदी साहित्य का एक नया आयाम दिया। उनके निबंधों में ‘माटी हो गयी सोना’, ‘जिंदगी मुस्कराई’, ‘क्षण बोले कण मुस्काए’ ‘कारवां आगे बढ़े’ प्रमुख है।  

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ की रचनाएँ – Kanhaiya Lal Mishra Prabhakar Ki Rachnaye

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ हिंदी साहित्य जगत में कहानीकार एवं निबंधकार के रूप में विख्यात हैं। उन्होंने मुख्यत गद्य विधा में अपनी लेखनी चलाई हैं। यहाँ कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जीवन परिचय (Kanhaiya Lal Mishra Prabhakar Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-

कहानीकार 

  • आकाश के तारे 
  • धरती के फूल 

निबंध

  • बाजे पायलिया के घुंघरू 
  • जिंदगी लहलहाई 
  • माटी हो गयी सोना
  • जिंदगी मुस्कराई 
  • क्षण बोले कण मुस्काए 
  • कारवां आगे बढ़े 

रेखाचित्र-संग्रह

  • दीप जले 
  • शंख बजे  

संपादन

  • नया जीवन 
  • ज्ञानोदय 
  • विकास 
  • नवजीवन  

पुरस्कार एवं सम्मान 

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ (Kanhaiya Lal Mishra Prabhakar Ka Jivan Parichay) को हिंदी साहित्य में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-

  • भारतेंदु पुरस्कार
  • गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार 
  • महाराष्ट्र भारती पुरस्कार’
  • बता दें कि कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ को मेरठ विश्वविद्यालय द्वारा डी लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। 

निधन   

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ ने दशकों तक साहित्य और पत्रकारिता को अपनी लेखनी से समृद्ध किया। किंतु 09 मई 1995 को 88 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। लेकिन आज भी साहित्य जगत में वे अपनी रचनाओं के लिए जाने जाते हैं। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं पत्रकार कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जीवन परिचय (Kanhaiya Lal Mishra Prabhakar Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश
सुदर्शनऋतुराजफिराक गोरखपुरी 

FAQs

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जन्म कहाँ हुआ था?

उनका जन्म 29 मई 1906 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था।

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ के माता-पिता का क्या नाम था?

उनके पिता का नाम ‘पंडित रामदत्त मिश्र’ और माता का नाम ‘मिश्री देवी’ था।  

‘माटी हो गयी सोना’ निबंध के लेखक कौन है?

यह कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का लोकप्रिय निबंध है। 

‘आकाश के तारे’ किसकी रचना है?

यह कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का बहुचर्चित कहानी-संग्रह है। 

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का निधन कब हुआ था?

09 मई 1995 को 88 वर्ष की आयु में उनका सहारनपुर में निधन हो गया था।

आशा है कि आपको प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं पत्रकार कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जीवन परिचय (Kanhaiya Lal Mishra Prabhakar Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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