Rajya Suchi Me Kitne vishay Hai in Hindi: राज्य सूची में कितने विषय हैं? जानें क्या है इसका महत्व?

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राज्य सूची में कितने विषय हैं

Rajya Suchi Me Kitne Vishay Hai in Hindi: भारत एक संघात्मक गणराज्य है, जहाँ शक्तियों का बंटवारा केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संविधान द्वारा किया गया है। संविधान की सातवीं अनुसूची (Seventh Schedule) में विषयों को तीन सूचियों “संघ सूची (Union List), राज्य सूची (State List), समवर्ती सूची (Concurrent List)” बांटा गया है।इस ब्लॉग में आप जानेंगे राज्य सूची में कितने विषय हैं (Rajya Suchi Me Kitne Vishay Hai in Hindi)? आइए जानते हैं राज्य सूची क्या है, और राज्य सूची में कितने विषय हैं? साथ ही जानें क्या है इसका महत्व?

राज्य सूची क्या है? | Rajya Suchi Kya Hai

भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची का महतवपूर्ण हिस्सा है राज्य सूचि। जिसमें ऐसे विषय शामिल हैं जिन पर केवल राज्य सरकार कानून बना सकती है। राज्य सूचि उन विषयों से सम्बंधित स्थानीय महत्त्व के होते हैं और जिनका संचालन राज्य सरकार के लिए उपयुक्त होता है।

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राज्य सूची में कितने विषय हैं?

राज्य सूची में दिए गए विषयों पर कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकारों का होता है। हालांकि, अगर कोई विषय राष्ट्रीय हित से जुड़ा हो, तो केंद्र सरकार भी उस पर कानून बना सकती है। आपके मन में यह प्रश्न हर बार आया होगा कि राज्य सूची में कितने विषय हैं? तो बता दें कि जब संविधान लागू हुआ था, तो इस सूची में 66 विषय थे, लेकिन अब इसमें 61 विषय हैं। राज्य सूची कुछ इस प्रकार है:-

  • कानून व्यवस्था: राज्य में शांति बनाए रखना, लेकिन इसमें सेना या केंद्र सरकार की सशस्त्र बल शामिल नहीं हैं।
  • पुलिस: राज्य और गांव की पुलिस व्यवस्था, रेलवे पुलिस को छोड़कर।
  • अदालतें: उच्च न्यायालय के कर्मचारी, निचली अदालतों की प्रक्रिया और उनमें लगने वाली फीस (उच्चतम न्यायालय को छोड़कर)।
  • जेल और सुधार गृह: कैदियों और इन संस्थानों का प्रबंधन, दूसरे राज्यों के साथ जेलों के उपयोग के लिए समझौता।
  • स्थानीय सरकार: नगर निगम, जिला बोर्ड और अन्य स्थानीय संस्थाओं का गठन और उनके अधिकार।
  • स्वास्थ्य और सफाई: सार्वजनिक स्वास्थ्य, अस्पताल और दवाखाने।
  • तीर्थयात्राएं: भारत के बाहर की तीर्थयात्राओं को छोड़कर अन्य सभी।
  • शराब: मादक शराब का उत्पादन, बिक्री और परिवहन।
  • बेरोजगारों को सहायता: विकलांग और बेरोजगार लोगों को राहत देना।
  • कब्रिस्तान और श्मशान घाट: इनका रखरखाव।
  • पुस्तकालय और संग्रहालय: राज्य द्वारा चलाए जाने वाले पुस्तकालय और संग्रहालय (राष्ट्रीय महत्व के घोषित को छोड़कर)।
  • संचार: राज्य की सड़कें, पुल, और अन्य यातायात के साधन जो केंद्र सरकार की सूची में नहीं हैं।
  • कृषि: खेती, कृषि शिक्षा, कीटों से बचाव।
  • पशुधन: जानवरों की देखभाल, नस्ल सुधार और बीमारियों की रोकथाम।
  • पानी: पानी की आपूर्ति, सिंचाई, नहरें और जल विद्युत (केंद्र सरकार के नियंत्रण वाले को छोड़कर)।
  • भूमि: जमीन पर अधिकार, लगान वसूली, कृषि भूमि का हस्तांतरण और सुधार।
  • मछली पालन।
  • उद्योग: केंद्र सरकार के नियंत्रण वाले उद्योगों को छोड़कर अन्य।
  • व्यापार और वाणिज्य: राज्य के भीतर वस्तुओं का खरीदना और बेचना।
  • बाजार और मेले।
  • धन उधार और साहूकार: किसानों को कर्ज से मुक्ति दिलाना।
  • होटल और सराय।
  • विश्वविद्यालय और गैर-सरकारी संस्थाएं: इनका गठन और नियमन।
  • सिनेमा और मनोरंजन: खेल और मनोरंजन पर नियम।
  • जुआ और सट्टा।
  • राज्य की संपत्ति: राज्य सरकार के स्वामित्व वाली जमीन और भवन।
  • चुनाव: राज्य विधानमंडल के चुनाव (संसद द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार)।
  • विधायकों के वेतन और भत्ते।
  • विधानमंडल के अधिकार और विशेषाधिकार।
  • राज्य के मंत्रियों के वेतन और भत्ते।
  • राज्य लोक सेवाएं और लोक सेवा आयोग।
  • राज्य पेंशन।
  • राज्य का कर्ज।
  • सरकारी खजाना।
  • भू-राजस्व: लगान का निर्धारण और वसूली, भूमि रिकॉर्ड का रखरखाव।
  • कृषि आय पर कर।
  • भूमि और भवनों पर कर।
  • खनिजों पर कर (केंद्र सरकार द्वारा तय सीमाओं के भीतर)।
  • राज्य में बनी शराब और नशीली दवाओं पर टैक्स।
  • राज्य में सामान लाने पर टैक्स।
  • बिजली के उपयोग और बिक्री पर टैक्स।
  • अखबारों को छोड़कर अन्य सामानों की खरीद और बिक्री पर टैक्स।
  • अखबारों और रेडियो-टेलीविजन विज्ञापनों को छोड़कर अन्य विज्ञापनों पर टैक्स।
  • सड़क और जलमार्ग से ले जाए जाने वाले सामान और यात्रियों पर टैक्स।
  • वाहनों पर टैक्स (केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार)।
  • पशुओं और नावों पर टैक्स।
  • टोल टैक्स।
  • व्यवसाय और रोजगार पर टैक्स।
  • व्यक्तिगत कर।
  • विलासिता, मनोरंजन और जुए पर टैक्स।
  • स्टाम्प शुल्क (केंद्र सरकार द्वारा तय दस्तावेजों को छोड़कर)।
  • राज्य कानूनों का उल्लंघन करने पर सजा।
  • राज्य कानूनों से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए अदालतों के अधिकार।
  • राज्य सूची के विषयों पर लगने वाली फीस (अदालती फीस को छोड़कर)।

राज्य सूची के विषय 

भारत एक संघात्मक गणराज्य है, जहाँ शक्तियों का बंटवारा केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संविधान द्वारा किया गया है। संविधान की सातवीं अनुसूची (Seventh Schedule) में विषयों को तीन सूचियों में बांटा गया है:

  • संघ सूची (Union List)   
  • राज्य सूची (State List)  
  • समवर्ती सूची (Concurrent List)
संघ सूची (Union List 1) राज्य सूची (State List 2)समवर्ती सूची (Concurrent List 3)
केंद्र सरकार जिन प्रभावशाली विषयों पर कानून बनती है, वह संघ सूची कहलाते हैं।   इस सूची में जो विषय दिए गए हैं, उन पर राज्य की विधानसभाएं कानून बना सकती हैं। आम तौर पर, केंद्र की संसद इन कानूनों में दखल नहीं देती। इस सूची में ऐसे विषय होते हैं जो किसी खास क्षेत्र या इलाके के लिए ज़रूरी होते हैं।समवर्ती सूची, जिसे तीसरी सूची भी कहते हैं, में ऐसे विषय हैं जिन पर राज्य सरकारें और केंद्र सरकार दोनों कानून बना सकती हैं। इसका मतलब है कि इन मामलों पर दोनों को नियम बनाने का अधिकार है।
वर्तमान में संघ सूची के 100 विषय हैं। वर्तमान में राज्य सूची के 61 विषय हैं।वर्तमान में समवर्ती सूची के 52 विषय हैं।
जैसे:- रेलवे, जनगणना, प्रतिरक्षा, बीमा, सीमाशुल्क आदि। जैसे:- लोक व्यवस्था, पुलिस, स्थानीय शासन, कृषि, लोक स्वास्थ्य और स्वच्छता, आदि।जैसे:- शिक्षा, वन, व्यापार, विवाह, एडॉप्शन, उत्तराधिकार आदि। 

राज्य सूची का महत्व 

भारत की संघीय व्यवस्था में राज्य सूची बहुत ज़रूरी है। इससे राज्य सरकारों को ये फायदे मिलते हैं, जिनमें से कुछ फायदे  नीचे दिए गए हैं। 

  • शक्तियों का बंटवारा करना: राज्यों को अपने हिसाब से नियम बनाने का हक मिलता है, जिससे इलाकों की परेशानियां जल्दी हल होती हैं।
  • स्थानीय ज़रूरतों का ध्यान रखना: राज्य सरकारें अपने लोगों की ज़रूरतों और क्या ज़रूरी है, यह जानकर नीतियाँ बना सकती हैं।
  • कामकाज में सुधार लाना: जब राज्यों को खास विषयों पर अधिकार मिलता है, तो वे अपने पैसे और साधनों का अच्छे से इस्तेमाल कर पाते हैं।

राज्य सरकार का केंद्र सरकार पर कानून बनाना 

राज्य सरकार आम तौर पर, केंद्र सरकार राज्य सूची में शामिल विषयों पर कानून नहीं बना सकती। लेकिन, कुछ खास हालात में केंद्र सरकार को ऐसा करने की इजाजत मिल जाती है, जैसे कि:

  • जब किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा हो।
  • जब राज्यसभा एक खास प्रस्ताव पारित कर दे।
  • जब देश में राष्ट्रीय आपातकाल लगा हो।

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FAQs 

वर्तमान में तीनों सूचियों में कितने विषय हैं?

वर्तमान में तीनों सूचियों में कुल मिलाकर 213 विषय हैं। संघ सूची में 100, राज्य सूची में 61 और समवर्ती सूची में 52 विषय शामिल हैं।

क्या केंद्र सरकार राज्य सूची पर कानून बना सकती है?

केवल कुछ विशेष परिस्थितियों में ही केंद्र सरकार ऐसा कर सकती है।

राज्य सूची की जानकारी संविधान में कहाँ दी गई है?

संविधान की सातवीं अनुसूची में दी गई है।

7 अनुसूची को कितने भाग में बाँटा गया है?

7 अनुसूची को तीन भाग में बाँटा गया है, संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची।

राज्य सूची में कितने विषय हैं?

वर्तमान में राज्य सूची में 61 विषय शामिल हैं।

राज्य सूची और संघ सूची में क्या अंतर है?

राज्य सूची में वे विषय आते हैं जिनपर राज्य सरकारें कानून बना सकती हैं जबकि संघ सूची में वे विषय आते हैं जिनपर केवल केंद्र सरकार को कानून बनाने का अधिकार है।

राज्य सूची में संशोधन कैसे होता है?

राज्य सूची में संशोधन करने के लिए संसद को संविधान संशोधन अधिनियम पास करना होता है जो दोनों सदनों से पारित किया जाता है।

राज्य सूची बनाते समय संविधान निर्माताओं का उद्देश्य क्या था

संविधान निर्माताओं का उद्देश्य था कि राज्यों को स्थानीय और क्षेत्रीय महत्व के विषयों पर स्वतंत्र निर्णय लेने का अधिकार मिले।

राज्य सूची में विषयों का बंटवारा किस प्रकार राज्यों के विकास से जुड़ा है?

राज्य सूची के विषय राज्यों को अपनी स्थानीय जरूरतों के अनुसार नीतियां बनाने और विकास कार्यों को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करते हैं जिससे क्षेत्रीय विकास संतुलित रहता है।

राज्य सूची किस अनुसूची में दी गई है?

राज्य सूची भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में दी गई है जिसमें राज्यों के लिए विशेष विषयों का उल्लेख किया गया है।

आशा करते हैं कि आपको राज्य सूची में कितने विषय हैं (Rajya Suchi Me Kitne Vishay Hai in Hindi) से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी इस ब्लॉग में मिली होगी। UPSC और सामान्य ज्ञान से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ जुड़े रहें।

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