Computer Language in Hindi: कंप्यूटर लैंग्वेज क्या होती है? 

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Computer Language in Hindi

Computer Language in Hindi: कंप्यूटर लैंग्वेज वह माध्यम है जिसके ज़रिए हम कंप्यूटर से संवाद करते हैं और उसे निर्देश देते हैं। यह भाषाएँ कंप्यूटर को कार्य समझाने और क्रियान्वित कराने के लिए बनाई गई हैं। जैसे इंसानों के बीच बातचीत के लिए अलग-अलग भाषाएँ होती हैं, वैसे ही कंप्यूटर की भी अपनी विशेष भाषाएँ होती हैं। इस ब्लॉग में कंप्यूटर लैंग्वेज (Computer Language in Hindi) के बारे में जानकारी दी गई है। इस बारे में अधिक जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

कंप्यूटर लैंग्वेज क्या होती है?

कंप्यूटर लैंग्वेज वह भाषा होती है जिसके माध्यम से हम कंप्यूटर को निर्देश देते हैं और उससे कार्य करवाते हैं। यह इंसानों और कंप्यूटर के बीच संवाद का जरिया है। कंप्यूटर केवल 0 और 1 की भाषा समझता है अर्थात बाइनरी लैंग्वेज। इस कारण से हमें ऐसे प्रोग्राम लिखने पड़ते हैं जो कंप्यूटर आसानी से समझ पाए। 

कंप्यूटर लैंग्वेज के प्रकार 

कंप्यूटर लैंग्वेज दो प्रकार की होती है:

  • लो लेवल लैंग्वेज 
  • हाई लेवल लैंग्वेज 
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लो लेवल लैंग्वेज (Low Level Language)

लो लेवल लैंग्वेज वह ऐसी लैंग्वेज होती है जिसे हम इंसान नही समझ सकते है। इसे केवल कंप्यूटर के द्वारा ही समझा जा सकता है। कंप्यूटर इस लो लेवल लैंग्वेज को बड़ी ही आसानी से समझ सकते हैं। लो लेवल लैंग्वेज, हाई लेवल लैंग्वेज के बिलकुल विपरीत होती है। लो लेवल लैंग्वेज मशीन डिपेंडेंट होती है। आसान शब्दों में समझें तो यह लो लेवल लैंग्वेज कुछ ही कंप्यूटर पर रन होती है। यदि लो लेवल लैंग्वेज में प्रोग्राम को को रन किया जाए तो उसके लिए कंपाइलर और इंटरप्रेटर की आवश्यकता नहीं होगी। लो लेवल लैंग्वेज का प्रोग्राम काफी तेजी से एग्जीक्यूट होता है और आउटपुट भी काफी जल्दी प्राप्त होता है। लो लेवल लैंग्वेज, हाई लेवल लैंग्वेज के मुकाबले काफी ज्यादा मुश्किल होती है। लो लेवल लैंग्वेज को सीखना काफी मुश्किल होता है। 

लो लेवल लैंग्वेज के लाभ

लो लेवल लैंग्वेज के लाभ इस प्रकार है:

  • यह भाषा बहुत तेज गति से काम करती है।
  • इसमें बहुत कम मेमोरी स्पेस की आवश्यकता होती है।
  • इसे उपयोग करना तकनीकी उपयोगकर्ताओं के लिए आसान होता है।
  • इस भाषा में लिखे कोड को रन करने के लिए कंपाइलर या इंटरप्रेटर की आवश्यकता नहीं होती।
  • यह भाषा हार्डवेयर को सीधे एक्सेस करने की सुविधा देती है।
  • इसके द्वारा कंप्यूटर की स्टोरेज और मेमोरी रजिस्टर को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

लो लेवल लैंग्वेज के नुकसान

  • यह भाषा इंसानों के लिए समझना बेहद कठिन होती है।
  • इसमें प्रोग्राम लिखना आसान नहीं होता और बहुत जटिल होता है।
  • इस भाषा में लिखे कोड में त्रुटियाँ ढूँढ़ना काफी मुश्किल होता है।
  • इसमें गलती होने की संभावना अधिक होती है, जिससे प्रोग्रामिंग में समय लग सकता है।
  • इस भाषा में कोडिंग करने के लिए प्रोग्रामर को गहराई से तकनीकी ज्ञान होना आवश्यक होता है।

लो लेवल लैंग्वेज के प्रकार 

लो लेवल लैंग्वेज के प्रकार दो प्रकार की होती है: 

  • मशीन लैंग्वेज 
  • असेंबली लैंग्वेज

मशीन लैंग्वेज क्या होती है?

मशीन लैंग्वेज वह कंप्यूटर भाषा है जिसमें केवल बाइनरी अंकों यानी 0 और 1 का उपयोग होता है। इसे हम कंप्यूटर की मूलभूत भाषा कह सकते हैं क्योंकि कंप्यूटर बिना किसी अनुवाद या तकनीक के सीधे इसे समझ सकता है। हर निर्देश और डेटा बाइनरी फॉर्म में ही कंप्यूटर को दिया जाता है, जिसे मशीन सीधे प्रोसेस कर पाती है।

मशीन लैंग्वेज के फायदे

  • इस भाषा में लिखे प्रोग्राम सीधे कंप्यूटर द्वारा समझे जा सकते हैं।
  • इसमें कोई अतिरिक्त सॉफ़्टवेयर जैसे कंपाइलर या इंटरप्रेटर की जरूरत नहीं होती।
  • यह तेज़ी से आउटपुट प्रदान करती है क्योंकि प्रोसेसिंग सीधे होती है।

मशीन लैंग्वेज के नुकसान

  • इस भाषा में बनाए गए प्रोग्राम इंसानों के लिए पढ़ना और समझना मुश्किल होता है।
  • कोड लंबा और जटिल होता है, जिससे गलती होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • इसे लिखना समय लेने वाला और कठिन होता है।

असेंबली लैंग्वेज क्या है?

असेंबली लैंग्वेज एक लो-लेवल प्रोग्रामिंग भाषा है जिसे मशीन लैंग्वेज के करीब माना जाता है। हालांकि, इसे कंप्यूटर द्वारा समझने योग्य बाइनरी कोड में बदलने के लिए Assembler नामक सॉफ़्टवेयर की जरूरत होती है। यह भाषा खासतौर पर माइक्रोप्रोसेसर-आधारित डिवाइसेज़ और रियल टाइम सिस्टम्स में उपयोग की जाती है। इसमें निर्देश अल्फ़ान्यूमेरिक फॉर्म (जैसे A-Z, 0-9) में होते हैं, जो 0 और 1 के कोड से ज्यादा पढ़ने में आसान होते हैं। हालांकि, असेंबली में लिखा गया प्रोग्राम हर कंप्यूटर पर नहीं चलाया जा सकता और इसे समझने के लिए हार्डवेयर की अच्छी समझ जरूरी होती है।

असेंबली लैंग्वेज के फायदे:

  • मशीन लैंग्वेज की तुलना में इसे पढ़ना और समझना आसान होता है।
  • इसमें प्रोग्रामिंग करते समय त्रुटियों की संभावना कम होती है।
  • कोड को अपडेट या मोडिफाई करना सरल होता है।

असेंबली लैंग्वेज के नुकसान:

  • यह सिस्टम-डिपेंडेंट होती है, यानी हर कंप्यूटर पर नहीं चलती।
  • उपयोगकर्ता को हार्डवेयर का ज्ञान होना आवश्यक है।
  • कोडिंग में अधिक समय लग सकता है।

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हाई लेवल लैंग्वेज (High Level Language)

हाई लेवल लैंग्वेज एक ऐसी प्रोग्रामिंग भाषा होती है जिसे इंसान आसानी से पढ़ और समझ सकते हैं। इसका सिंटैक्स इंग्लिश जैसा होता है। यह भाषा मुख्य रूप से यूज़र-फ्रेंडली सॉफ्टवेयर और वेबसाइट बनाने के लिए उपयोग होती है। हाई लेवल लैंग्वेज में लिखे गए प्रोग्राम को कंप्यूटर समझ सके, इसके लिए कंपाइलर या इंटरप्रेटर की जरूरत होती है जो इसे मशीन लैंग्वेज में बदलता है। इसका सिंटैक्स पहले से तय होता है जिससे कोडिंग करना आसान हो जाता है। कुछ प्रमुख हाई लेवल भाषाओं में Python, Java, C++, JavaScript, PHP और FORTRAN शामिल हैं।

हाई लेवल लैंग्वेज के फायदे 

हाई लेवल लैंग्वेज के फायदे इस प्रकार है:

  • यह भाषा उपयोगकर्ता के अनुकूल होती है, जिसे आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • इसमें प्रोग्राम लिखना और समझना बहुत सरल होता है।
  • इस भाषा से बनाए गए प्रोग्राम को संभालना और अपडेट करना आसान होता है।
  • यह मशीन से स्वतंत्र होती है, यानी किसी भी कंप्यूटर सिस्टम पर रन की जा सकती है।
  • इस भाषा का उपयोग व्यावसायिक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में अधिक होता है।
  • यह यूज़र्स को एक बेहतर ग्राफिकल इंटरफेस का अनुभव प्रदान करती है।
  • इसमें एरर को डिटेक्ट और फिक्स करना अपेक्षाकृत आसान होता है।

हाई लेवल लैंग्वेज के नुकसान

हाई लेवल लैंग्वेज के नुकसान इस प्रकार है:

  • इसमें लिखे गए कोड को मशीन भाषा में बदलने के लिए समय अधिक लगता है।
  • इस भाषा में बने प्रोग्राम को ज्यादा मेमोरी स्पेस की आवश्यकता होती है।
  • यह भाषा लो-लेवल लैंग्वेज की तुलना में धीमी गति से कार्य करती है।
  • यह हार्डवेयर से डायरेक्ट इंटरैक्शन नहीं कर सकती।

हाई लेवल लैंग्वेज के प्रकार

हाई लेवल लैंग्वेज के प्रकार दो प्रकार की होती है;

  • ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज
  • विज़ुअल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज

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ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज 

ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में वास्तविक दुनिया की समस्याओं को ऑब्जेक्ट्स के रूप में देखा जाता है और फिर उन्हें हल किया जाता है। इसमें डेटा और फंक्शन को एक साथ क्लास में समेटा जाता है। इस श्रेणी के उदाहरण हैं: C++ और Java।

विज़ुअल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज

विज़ुअल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज ग्राफिकल इंटरफेस के जरिए प्रोग्राम बनाने में मदद करती है, और खासकर विंडोज़ एप्लिकेशन को डिजाइन करने के लिए प्रयोग में लाई जाती है। उदाहरण: Visual Basic, Visual Java, और Visual C।

FAQs

हाई लेवल लैंग्वेज क्या है?

हाई लेवल लैंग्वेज ऐसी भाषा है जिसे इंसान आसानी से पढ़ और समझ सकते हैं। जैसे – Python, Java, C++ आदि।

मशीन लैंग्वेज क्यों कठिन होती है?

मशीन लैंग्वेज केवल बाइनरी अंकों (0 और 1) में होती है, जिसे इंसानों के लिए समझना और लिखना मुश्किल होता है।

कौन-सी लैंग्वेज अधिक उपयोगी है – हाई लेवल या लो लेवल?

दोनों का अपना स्थान है। हाई लेवल लैंग्वेज सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के लिए बेहतर होती है, जबकि लो लेवल लैंग्वेज हार्डवेयर को कंट्रोल करने में उपयोगी होती है।

कंप्यूटर भाषा की क्या ज़रूरत है?

कंप्यूटर मानव भाषा को नहीं समझते हैं, इसलिए लोग प्रोग्रामिंग भाषाओं का उपयोग निर्देशों को बाइनरी कोड में अनुवाद करने के लिए करते हैं, जिसका अनुसरण कंप्यूटर डिवाइस ऐप, वेबसाइट और सॉफ़्टवेयर प्रोग्राम के रूप में कर सकते हैं। कोडिंग हमारी बढ़ती डिजिटल दुनिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आधुनिक जीवन के कई पहलू कोडिंग पर निर्भर करते हैं।

सबसे बुनियादी कंप्यूटर भाषा कौन सी है?

असेंबली भाषा सबसे बुनियादी प्रोग्रामिंग भाषा है, एक निम्न-स्तरीय भाषा। इसका मतलब है कि इस भाषा के कार्य प्रोसेसर के निर्देशों के जितना संभव हो सके उतने करीब हैं।

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आशा है कि आपको इस ब्लॉग में कंप्यूटर लैंग्वेज और उसके प्रकार (Computer Language in Hindi) से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही GK से संबंधित अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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