भारत में गांधीजी की पुण्यतिथि पर ही क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड लेप्रोसी डे? जानें इसका इतिहास, महत्व और थीम

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World Leprosy Day in hindi

हर साल दुनिया भर में लाखों लोग कुष्ठ रोग (लेप्रोसी) से संक्रमित होते हैं। यह रोग एक ऐसा संक्रामक रोग है जो त्वचा और फेफड़ों समेत कई अंगों को प्रभावित कर सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में दुनिया भर में कुष्ठ रोग के लगभग 130,000 मामले सामने आए थे। इनमें से भारत में 63,119, ब्राजील में 29,682 और इंडोनेशिया में 19,651 मामले शामिल थे। ऐसे में कुष्ठ रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने और पीड़ित लोगों को समर्थन देने के उद्देश्य से भारत में हर साल 30 जनवरी के दिन वर्ल्ड लेप्रोसी डे मनाया जाता है। वहीं अन्य देशों में इस दिवस को प्रतिवर्ष जनवरी के अंतिम रविवार को मनाया जाता है। आईये इस ब्लॉग के माध्यम से जानते हैं World Leprosy Day in Hindi से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी।

वर्ल्ड लेप्रोसी डे के बारे में

वर्ल्ड लेप्रोसी डे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर साल जनवरी के अंतिम रविवार को मनाया जाता है जबकि भारत में यह दिन हर साल 30 जनवरी को मनाया जाता है। भारत में 30 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि अपने जीवनकाल के दौरान, महात्मा गांधी इस रोग के प्रति गहराई से प्रतिबद्ध थे। उन्होंने कई कुष्ठ रोगियों की सहायता भी की थी। बता दें कि वर्ल्ड लेप्रोसी डे को मनाये जाने का उदेश्य है लोगों को कुष्ठ रोग के बारे में जागरूक करना और इस रोग से संबंधित कलंक और भेदभाव को समाप्त करना। 

इतिहास में उल्लेखित है कि हज़ारों वर्षों से, कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों को समाज में कलंकित किया जाता रहा है। कुछ लोग मानते हैं कि कुष्ठ रोगी अस्वच्छ एवं कमजोर होते हैं। ऐसे में उन पीड़ितों को अक्सर सामाजिक बहिष्कार और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। ऐसे में हमे वर्ल्ड लेप्रोसी डे के जरिए लोगों की इस दृष्टिकोण को बदलना और अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करना है कि कुष्ठ रोग एक संक्रामक बीमारी है जिसे अब आसानी से रोका और ठीक किया जा सकता है।

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वर्ल्ड लेप्रोसी डे क्यों मनाया जाता है?

विश्व कुष्ठ रोग दिवस एक महत्वपूर्ण अवसर है जो दुनिया भर में इस रोग प्रभावित लोगों को अपनी आवाज़ उठाने का मौका देता है, और इस प्राचीन बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने एवं इस बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए समर्थन प्रदान करने का मौका देता है। 

वर्ल्ड लेप्रोसी डे कैसे मनाया जाता है?

इस दिन, संगठन और गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। कार्यक्रमों के जरिये लोगों को बीमारी के प्रसार को रोकने और बीमारी के लक्षणों को पहचानने के तरीके के बारे में बताया जाता है। इसके अलावा पीड़ित लोगों के पुनर्वास के लिए धन जुटाने के लिए कई रैलियां और मैराथन भी आयोजित किये जाते हैं। 

वर्ल्ड लेप्रोसी डे का इतिहास और महत्व 

विश्व कुष्ठ रोग दिवस को मनाने की शुरुआत 1954 में फ्रांसीसी समाजसेवी राउल फोलेरो द्वारा की गयी थी। इतिहासकारों के मुताबिक, फोलेरो एक स्पेनिश डॉक्टर थे जिन्होंने कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों के लिए काम किया था। वर्ल्ड लेप्रोसी डे को मनाने की शुरुआत उन्होंने इसलिए कि थी ताकि वैश्विक स्तर पर इस घातक बिमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाया जा सके और इस तथ्य पर ध्यान आकर्षित किया जा सके कि इसे रोका जा सकता है, इलाज किया जा सकता है और ठीक भी किया जा सकता है। इसी के साथ ही इस प्राचीन बीमारी के बारे में कई गलत धारणाएं हैं। विश्व कुष्ठ रोग दिवस उन गलत धारणाओं को दूर करने और पीड़ित लोगों के लिए समर्थन और एकजुटता व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। 

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वर्ल्ड लेप्रोसी डे थीम 2024

वर्ल्ड लेप्रोसी डे (World Leprosy Day in hindi), कुष्ठ रोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल एक खास थीम के साथ मनाया जाता है। आपको बता दें कि वर्ल्ड लेप्रोसी डे थीम 2024 की थीम है “बीट लेप्रोसी”। इससे पहले वर्ष की थीम आप नीचे तालिका में देख सकते हैं-

वर्ष थीम 
2023“एक्ट नाउ एंड लेप्रोसी” (Act now end leprosy)
2022“यूनाइटेड फॉर डिग्निटी” (United for Dignity)
2021“कुष्ठ रोग को समाप्त करें, कलंक को समाप्त करें और मानसिक स्वास्थ्य की वकालत करें” (Beat Leprosy, End Stigma and advocate for Mental Wellbeing)
2020“कुष्ठ रोग वह नहीं है जो आप सोचते हैं” (Leprosy isn”t what you think)

विश्व कुष्ठ रोग दिवस के बारे में अन्य विवरण

विश्व कुष्ठ रोग दिवस के बारे में अन्य विवरण नीचे दिए गए हैं : 

लेप्रोसी/ कुष्ठ रोग क्या है?

कुष्ठ रोग या लेप्रोसी एक धीमी गति से बढ़ने वाली संक्रामक बीमारी है जो आमतौर पर माइकोबैक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु के कारण होता है। यह रोग मुख्य रूप से त्वचा, तंत्रिकाओं और आंखों को प्रभावित करता है। 

लेप्रोसी/ कुष्ठ रोग के लक्षण

आमतौर पर लेप्रोसी/ कुष्ठ रोग के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • त्वचा पर लाल, मोटे धब्बे और घाव होना।
  • हाथों और पैरों में कमजोरी या सुन्नता। 
  • त्वचा के रंग और स्वरूप में परिवर्तन दिखाई देना। 
  • त्वचा में जलन महसूस होना। 
  • अंधापन। 

लेप्रोसी/ कुष्‍ठ रोग का उपचार

आपको बता दें कि वर्तमान में कुष्ठ रोग का उपचार 2 एंटीबायोटिक दवाओं डायप्सोन और रिफैम्पिसिन से ठीक किया जा सकता है। आमतौर पर इस रोग का इलाज 6 से 12 महीने तक चलता है।

वर्ल्ड लेप्रोसी डे से जुड़े रोचक तथ्य

वर्ल्ड लेप्रोसी डे से जुड़े रोचक तथ्य निम्नलिखित है : 

  • लेप्रोसी को हिंदी में कुष्ठ रोग कहते हैं और कुष्ठ रोग को “हैनसेन” नाम से भी जाना जाता है।
  • इस रोग को लंबे समय से एक कलंकित बीमारी माना जाता है।
  • कुष्ठ रोग के सबसे अधिक प्रभावित देशों में भारत, इंडोनेशिया, ब्राज़ील और चीन शामिल है। 
  • पहली बार वर्ल्ड लेप्रोसी डे 1954 में राउल फोलेरो द्वारा मनाया गया था।
  • दुनियाभर में विश्व कुष्ठ दिवस (World Leprosy Day) हर साल जनवरी के अंतिम रविवार को मनाया जाता है, जबकि भारत में यह महात्मा गांधी के पुण्यतिथि 30 जनवरी को मनाया जाता है। 

FAQs

विश्व कुष्ठरोग दिवस की शुरुआत कब हुई थी?

विश्व कुष्ठ दिवस की शुरुआत 30 जनवरी 1953 को हुई थी।

लेप्रोसी क्या है?

लेप्रोसी एक संक्रामक रोग है जो माइक्रोबैक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु की वजह से होता है। यह मुख्य रूप से त्वचा और फेफड़ों को प्रभावित करता है।

लेप्रोसी रोग का इलाज कैसे होता है?

लेप्रोसी का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं के साथ किया जाता है।

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आशा है कि आपको World Leprosy Day in hindi की जानकारी मिली होगी जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ाने का काम करेगी। इसी प्रकार के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स पर ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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